कोटद्वार, उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी मोर्चा के बैनर तले राज्य आंदोलनकारियों ने चार सूत्री मांगों को लेकर तहसील में प्रदर्शन कर धरना दिया। उन्होंने एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर मांगों के निराकरण की मांग की, इस मौके पर हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि राज्य निर्माण के 20 वर्ष बाद भी आंदोलनकारियों के चिह्निकरण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। हर जिले में चिह्निकरण के लिए अलग-अलग मानक अपनाए जाने से कई राज्य आंदोलनकारी अब भी चिह्निकरण से वंचित रह गए हैं।
कई आंदोलनकारियों की मृत्यु हो चुकी है और उनके आश्रित ठोकरें खाने को मजबूर हैं। कहा कि सरकार की ओर से न्यायालय में ठोस पैरवी नहीं करने से मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को अभी तक सजा नहीं मिल पाई है। धरना देने वालों में मोर्चा के अध्यक्ष महेंद्र सिंह रावत, दिनेश सती, गुलाब सिंह रावत, हरि सिंह रावत, अशोक कंडारी, समीम, मुन्नी कंडवाल, मंजू कोटनाला, राजकुमार गुप्ता, नंदकिशोर डबराल, चंद्र प्रकाश, संगीता रावत, राजेंद्र सिंह, कमल किशोर खंतवाल, इच्छा नेगी, प्रकाश बमराड़ा, सूरी देवी, पार्वती अधिकारी, मनमोहन सिंह नेगी, पुरुषोत्तम डबराल और बंटी नेगी मौजूद रहे।
ये हैं चार सूत्री मांगें
31 दिसंबर 2017 से डीएम कार्यालयों में आंदोलनकारियों के लंबित आवेदनों को तहसील स्तर पर एलआईयू से जांच कराकर निश्चित अवधि में निस्तारण कर चिह्निकरण किया जाए।
पेंशन की पात्रता रखने वाले ऐसे आंदोलनकारी जिनकी मृत्यु हो चुकी है, उनकी विधवाओं को पेंशन के दायरे में शामिल कर आंदोलनकारियों की भांति सुविधाएं प्रदान की जाए।
न्यायालय मुकदमे, घायल, अस्थायी जेल व एक दिन जेल में रहने का मानक बनाकर आंदोलनकारियों को चिह्नितकर सुविधाएं प्रदान करें।
राज्य निर्माण आंदोलनकारियों को 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने के लिए पुन: विधेयक लाने, सुप्रीम कोर्ट में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण और मुजफ्फरनगर कांड व सीबीआई से संबंधित वादों के निस्तारण के लिए महाअधिवक्ता उत्तराखंड की अध्यक्षता में स्थायी अधिवक्ता (सीएससी) व चिह्नित आंदोलनकारी अधिवक्ताओं की उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने की मांग।
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