Tuesday, November 26, 2024
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देहरादून : सिटी बस संचालकों ने किया हड़ताल का एलान, बसे आरटीओ कार्यालय में खड़ी कर करेंगे धरना-प्रदर्शन

देहरादून, कोरोना काल में आर्थिक रूप से जूझ रहे बस सेवा से जुड़े संचालकों ने प्रदेश सरकार से गाड़ियों का टैक्स, इंश्योरेंस माफ करने के साथ ही पूर्व की भांति सरेंडर पॉलिसी लागू करने, गाड़ियों का परमिट दो साल बढ़ाने जैसी दस सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल शुरू कर दी | देहरादून महानगर सिटी बस सेवा महासंघ के जुड़े सिटी बस संचालकों ने आज (सोमवार) से अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान कर दिया है। आज
राजधानी में आज सिटी बसों का संचालन ठप रहा। इससे लोगों को आवाजाही में दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। महासंघ पदाधिकारियों ने एलान किया है कि वे अपनी तमाम बसें आरटीओ कार्यालय में खड़ी कर धरना-प्रदर्शन करेंगे। महासंघ की चेतावनी के बाद आरटीओ (प्रवर्तन) की ओर से एसएसपी को पत्र लिखकर कार्यालय में पर्याप्त पुलिस बल तैनात करने और सुरक्षा व्यवस्था करने का अनुरोध किया गया है।

 

महासंघ के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल का कहना है कि परिवहन मंत्री, परिवहन सचिव, परिवहन आयुक्त, आरटीओ समेत तमाम आला अधिकारियों से सिटी बस संचालकों की समस्याओं से अवगत कराया जा रहा है, लेकिन सरकार, शासन और अधिकारियों के स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसे में सिटी बस संचालकों के सामने अनिश्चितकालीन हड़ताल के सिवा कोई विकल्प नहीं है, जबकि कोरोना संकट के चलते सिटी बस संचालक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं और सरकार, शासन स्तर पर कोई आर्थिक मदद मुहैया नहीं कराई जा रही है। जब तक सरकार, शासन और परिवहन विभाग की ओर से उनकी मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई नहीं की जाती तब तक सिटी बसों का संचालन पूरी तरह ठप रहेगा। महासंघ अध्यक्ष का कहना है कि सोमवार को तमाम सिटी बस संचालक अपनी गाड़ियों के साथ आरटीओ कार्यालय पहुंचेंगे और गाड़ियों को आरटीओ में खड़ा कर देंगे |

सिटी बस सेवा महासंघ की हड़ताल का आटो यूनियन, देहरादून ट्रक ऑपरेटर्स यूनियन समेत कई अन्य यूनियनों ने समर्थन किया है। ट्रक ऑपरेटर्स एसोसिएशन के महामंत्री अशोक ग्रोवर का कहना है कि एसोसिएशन की ओर से महासंघ की हड़ताल को पूरा समर्थन है। उन्होंने कहा कि ट्रक ऑपरेटर से भी जुड़ी चार मांगे हैं। इसमें एक साल का गाड़ियों का टैक्स माफ करने, गाड़ियों की सरेंडर पॉलिसी पूर्व की भांति लागू करने, परमिट की अवधि दो साल और बढ़ाने व बैंकों से लिए गए ऋण को ब्याज मुक्त किस्त में परिवर्तित करने जैसी मांगें शामिल हैं।

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