Tuesday, November 26, 2024
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खास खबर : सुप्रीम कोर्ट की हाई पॉवर कमेटी के अध्यक्ष पद से रवि चोपडा ने दिया इस्तीफा

देहरादून, उत्तराखंड में आलवेदर रोड़ के साथ साथ चल रही चारधाम परियोजना में लगातार कट रहे जंगलों को लेकर प्रख्यात पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा आहत हैं, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की बनाई गई हाई पावर कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के निर्माण में लगातार हो रहे पर्यावरण के दोहन को लेकर प्रख्यात पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा ने ये कदम उठाया है। इसके साथ ही बड़ा बयान देते हुए उन्होंने कहा कि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को सही जानकारी नहीं दी जा रही है। यही वजह है कि उनके पास सीमित सूचना है।

उल्लेखनीय हो कि लगातार कट रहे जंगलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक हाई पावर कमेटी बनायी थी, जिसका अध्यक्ष पर्यावरणविद रवि चोपड़ा को बनाया गया था, अपने इस्तीफे के बाद रवि चोपड़ा ने बताया कि ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट में सड़क की चौड़ाई को बिना जरूरत के बनाया गया है। रक्षा मंत्रालय द्वारा 7 मीटर चौड़ी सड़क का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन सड़क मंत्रालय द्वारा 12 मीटर चौड़ी सड़क का नोटिफिकेशन लाकर अपने मकसद को पूरा किया गया है।

पर्यावरणविद चोपड़ा ने कहा कि, मौजूदा स्थिति में जिस तरह से ऑल वेदर रोड का निर्माण किया जा रहा है, उसमें अब वो उत्तराखंड के पर्यावरण को नहीं बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से पहाड़ का कटान किया जा रहा है। उससे आने वाले समय में भीषण तबाही से इनकार नहीं किया जा सकता है। हाल ही में उत्तराखंड दौरे पर आए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट को लेकर बयान दिया गया था कि उत्तराखंड की सामरिक दृष्टि के लिहाज से यहां सड़कें बेहद अच्छी गुणवत्ता की बनाई जा रही हैं, ताकि चीन की बराबरी की जा सके।
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस बात का भी जिक्र किया था कि किस तरह से पर्यावरण संरक्षण की समस्या इस प्रोजेक्ट के बीच में आई, जिसके बाद उन्होंने चीन का हवाला देते हुए कहा था कि भारत बड़े स्तर पर बॉर्डर एरिया के पास इंफ्रास्ट्रक्चर बिल्डअप कर रहा है।

इस बात पर पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा का कहना है कि, चीन सीमा की तरफ के पहाड़ों और उत्तराखंड के पहाड़ों में बेहद अंतर है, जिसे समझने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि किस तरह से उनके जीवन का एक लंबा समय उत्तराखंड की प्रकृति को समझने में लगा है। चोपड़ा ने कहा कि, हमारे पहाड़ इतनी चौड़ी सड़कों के लिए उपयुक्त नहीं है और इस तरह से अगर लगातार पहाड़ का कटान और पर्यावरण का दोहन होता रहा, तो यह आने वाले भविष्य के लिए एक बड़ा अलार्म है।

रवि चोपड़ा ने कहा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के पास बेहद सीमित जानकारी है। उन्हें अधिकारियों द्वारा सारी बात नहीं बताई जाती हैं। अधिकारी जनप्रतिनिधियों को सिर्फ उतना ही बताना चाहते हैं, जितना जनप्रतिनिधि सुनना चाहते हैं। अधिकारी कभी भी प्रोजेक्ट का दूसरा पहलू जनप्रतिनिधियों को नहीं बताते हैं, जो कि बेहद घातक होता है।
रवि चोपड़ा ने नितिन गडकरी के पेड़ों को ट्रांसप्लांट किए जाने वाले बयान पर कहा कि, पेड़ों का ट्रांसप्लांट बिल्कुल अव्यावहारिक बात है। पेड़ को ट्रांसप्लांट तो किया जा सकता है लेकिन वहां पर मौजूद सारे इकोसिस्टम का क्या? उन्होंने कहा कि जब कहीं पर सड़क कटान के लिए जंगल काटा जाता है, तो वहां पर मौजूद पूर इकोलॉजी सिस्टम ध्वस्त हो जाता है। वहां पर घास, झाड़ियां, झरने और पानी के स्रोत, जीव जंतु होते हैं। जब पेड़ पौधे काटे जाते हैं, तो पूरा इको सिस्टम तहस-नहस हो जाता है, जिसे समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एलिवेटेड सड़क बनाने की जरूरत है। इसके अलावा भी और कई तरह के विकल्प हैं, जिनका इस्तेमाल किया जा सकता है।

रवि चोपड़ा ने बताया कि जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऑल वेदर रोड की चौड़ाई को कम करने का आदेश से मंत्रालय खुश नहीं था। मंत्रालय की यह जिद थी कि रोड को डबल लेन काटा जाए, यानि 12 मीटर विद प्योर शोल्डर. रवि चोपड़ा ने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने जब 7 मीटर सड़क चौड़ीकरण को उपयुक्त बताया। उसके बावजूद भी जब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही थी. उसी के बीच में सड़क मंत्रालय द्वारा एक और नोटिफिकेशन लाया गया, जोकि 2018 के नोटिफिकेशन को खारिज करते हुए ला गया, जिसमें सड़क की चौड़ाई को 12 मीटर रखने का प्रावधान था। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने भी कोर्ट में एक प्रस्ताव दिया, जिसमें कहा गया कि रक्षा मंत्रालय ने सड़क मंत्रालय के इस नए 12 मीटर के नोटिफिकेशन पर सहमति जताई है।रवि चोपड़ा ने बताया कि गंगोत्री यमुनोत्री और बदरीनाथ जाने वाली तीन सड़कों को सामरिक दृष्टि से देखते हुए इनके लिए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने परियोजना पर सीधे रिपोर्ट करने के लिए पूर्व न्यायमूर्ति एके सीकरी की अध्यक्षता में एक निरीक्षण समिति का गठन किया है। इस समिति को रक्षा मंत्रालय, सड़क परिवहन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार और सभी जिलाधिकारियों का सहयोग मिलेगा।
वहीं, हाई पावर कमेटी को 150 किलोमीटर की नॉन डिफेंस (गैर-रक्षा) सड़कें दी गई हैं। उसमें भी यह प्रावधान किया गया है कि अगर मंत्रालय ओएचपीसी के किसी रिकमेंडेशन से समस्या है। तो वह कोर्ट की शरण में जा सकता है। यानी की कुल मिलाकर अब हाई पावर कमेटी की पावर बिल्कुल खत्म कर दी गई है। ऐसी स्थिति में रवि चोपड़ा का कहना है कि उनका रिजाइन करना ही एक बेहतर विकल्प है।

 

डीडीहाट विधान सभा सीट : क्या फिर बिशन सिंह चुफाल का कब्जा रहेगा बरकरार..!

पिथौरागढ़, उत्तराखण्ड़ के पिथौरागढ़ जनपद की डीडीहाट विधान सभा सीट पर क्या फिर भाजपा के बिशन सिंह चुफाल का कब्जा बरकरार रहेगा | यह सवाल जनतॎ के बीच खुलकर तैर रहा है, राज्य में सबसे अधिक चर्चाओं रहने वाली इस डीडीहाट विधान सभा सीट पर लगातार पांच बार चुनाव जीतकर विधान सभा पहुंचने वाले भाजपा के दिग्गज नेता बिशन सिंह चुफाल अब छठी बार चुनावी रण में उतरे हैं। जनता के बीच वो अपनी सरकार के विकास के एजेन्डे को लेकर उतरे हैं, जबकि इस बार भी 2017 में प्रतिद्वंद्वी रहे कांग्रेस के प्रदीप पाल और निर्दलीय किशन सिंह भंडारी इस बार भी उनके सामने हैं। भाजपा प्रत्याशी चुफाल अब तक के कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों के साथ जनता के बीच हैं, दूसरी ओर उनके दोनों प्रतिद्वंद्वी 25 वर्षों का हिसाब मांग रहे हैं। प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी का पैतृक गांव हड़खोला भी इसी विधानसभा क्षेत्र में है। इस बार इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला सियासी संग्राम को बेहद रोचक बना रहा है | जबकि जनता किस ओर अपना रूझान करती है, यह अभी भविष्य के गर्भ में छिपा है | वर्ष 1969 में गठित डीडीहाट विधानसभा में राज्य गठन से पहले बेड़ीनाग से लेकर मुनस्यारी और धारचूला तक का क्षेत्र शामिल था। तब यहां तीन बार कांग्रेस, एक बार जनता दल, दो बार यूकेडी और एक बार भाजपा रही।

राज्य गठन के बाद इस विधान सभा सीट का परिसीमन हुआ और बड़ा हिस्सा धारचूला, कनालीछीना और कुछ क्षेत्र गंगोलीहाट में शामिल हो गया। वर्ष 2012 में हुए परिसीमन में कनालीछीना विस क्षेत्र फिर से डीडीहाट विधान सभा में ही विलीन हो गया। वर्तमान में डीडीहाट, कनालीछीना और मूनाकोट विकासखंडों से मिलकर बनी डीडीहाट विधान सभा सीट पिथौरागढ़, गंगोलीहाट और धारचूला तीनों विधान सभा क्षेत्रों तक फैली हुई है। विधान सभा सीट का पीपली से झूलाघाट तक का क्षेत्र नेपाल सीमा से लगा हुआ है। इस सीट पर 1996 (लगातार 25 वर्षों) से भाजपा के बिशन सिंह चुफाल काबिज हैं। ऐसे में डीडीहाट को भाजपा के गढ़ के रूप में देखा जाता है।

जबकि 2017 में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोंकने वाले किशन सिंह भंडारी फिर से चुनाव मैदान में हैं। पिछले चुनावों में निर्दलीय किशन सिंह ने बिशन सिंह चुफाल को कड़ी टक्कर दी थी, जबकि कांग्रेस के प्रदीप पाल तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार भी तीनों चिर परिचित प्रतिद्वंद्वी मैदान में हैं। बिशन सिंह चुफाल डीडीहाट, निर्दलीय किशन सिंह भंडारी कनालीछीना तो कांग्रेस के प्रदीप पाल अस्कोट क्षेत्र के रहने वाले हैं। हालांकि इस सीट पर कभी क्षेत्रवाद हावी नहीं रहा। धामी के सीएम बनने के बाद ही उनका पैतृक गांव सड़क से जुड़ा है। पांच बार से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे चुफाल और प्रदेश के सीएम पुष्कर सिंह धामी के पैतृक गांव में आने वाली इस विधान सभा सीट पर नतीजा क्या निकलेगा, इस पर सभी की नजरें टिकीं हुईं हैं।

जानिये डीडीहाट का संक्षिप्त इतिहास :

उत्तराखण्ड़ राज्य बनने से पहले
यूपी में रहे इस जिले में वर्ष 1969 और 1974 में कांग्रेस के गोपाल दत्त ओझा विधायक चुने गए। 1977 में जनता दल के नारायण भैंसोड़ा विधायक बने। 1980 में कांग्रेस के चारुचंद्र ओझा जीते। 1985 और 1989 में लगातार दो बार उक्रांद के काशी सिंह ऐरी विधायक चुने गए। 1991 में कांग्रेस के लीलाराम शर्मा जीते। 1993 में उक्रांद के काशी सिंह ऐरी ने चुनाव जीता। 1996 और उत्तराखंड राज्य गठन के बाद 2002, 2007, 2012, 2017 में भाजपा के बिशन सिंह चुफाल विधायक चुने गए।
अब देखना यह होगा कि इस बार भी क्षेत्र की जनता भाजपा के बिशन सिंह चुफाल को अपना मत देती है, जबकि विपक्षी लगातार हमलावर हैं भाजपा सरकार यहां उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं, ऐसे में वर्तमान विधायक चुफाल के लिये इस बार स्थिति कड़ी है, फिर भी सरल और सौम्य बिशन सिंह चुफाल का व्यक्तित्व लोगों के बीच भी एक सार्थक पक्ष प्रस्तुत करता है |Bishan Singh Chuphal (@chuphal_bishan) / Twitter

फिर बनेगी भाजपा की सरकार : चुफाल

अपनी जीत के प्रति आश्वस्त भाजपा विधायक बिशन सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय और हमारे कार्यकाल के विकास को लेकर हम जनता के बीच मे जाएंगे. कांग्रेस के कार्यकाल में रुके हुए कार्यों को हमने समय से पूरा किया है. प्रदेश की जनता ने मन बना रखा है. हम आगामी सरकार भी भाजपा की बनाएंगे, उनका कहना है मेरे कार्यकाल में गांव- गांव तक सड़क पहुंचाई गयी है, गांव के छोटे तोकों तक सड़कों का निर्माण कर दिया है | जिन विधालयों में ताले लग गए थे वहां अध्यापकों की नियुक्ति कर छात्र संख्या बढाने का प्रयास किया गया है, विधायक चुफाल ने कहा कि हमारे यहां स्वास्थ्य केन्द्र में ए.एन.एम. फामेसिस्टों की नियुक्ति के साथ ही डॉक्टर की नियुक्ति कर दी गई हैं. स्वरोजगार को ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ावा दिया गया है | जिन्हें रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ता था वहां पर आठ, दस घंटे काम करने के बाद उन्हें आठ-दस हजार रुपया ही मिलता था | अब वे स्वरोजगार अपनाकर अपने पाँव पर खड़े होकर दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं | मेरी प्राथमिकता है कि स्वरोजगार अपनाकर स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति को मजबूत की जाय ताकि गांवों से पलायन रूक सके |

 

मेरी जीत सुनिश्चित, भाजपा प्रत्याशी जोगिंदर रौतेला ने कहा घबरा चुके हैं, कांग्रेस के प्रत्याशी सुमित हृदेश

(चन्दन सिंह बिष्ट)

हल्द्वानी, भारतीय जनता पार्टी के 59 विधानसभा हल्द्वानी के प्रत्याशी डॉ0 जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला ने कोतवाली हल्द्वानी में एक तहरीर सौपते हुए कहा कि मैं वर्ष 2022 में 59 हल्द्वानी विधानसभा में आमचुनाव हेतु भाजपा का प्रत्याशी हूँ। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा स्वच्छ्य तौर-तरीकों से चुनाव लड़ा जा रहा हैं, जिससे मुझे हल्द्वानी की सम्मानित जनता अपना भरपूर आर्शीवाद दे रही है।भाजपा प्रत्याशी जोगेंद्र रौतेला ने कहा कि 14 फरवरी 2022 को होने जा रहे चुनाव में मेरी जीत की प्रबल संभावना से घबराकर विरोधी पक्ष बुरी तरह बौखला गया है तथा अपनी संभावित हार को महसूस कर हताशा में मेरे खिलाफ अनर्गल बयानवाजी कर रहा है तथा मेरे विरुद्ध अफवाहें फैला रहा है। इसके साथ ही निष्पक्ष चुनाव को अनैतिक माध्यमों से प्रभावित करने का भी अवैध प्रयास कर रहा है। जोकि आदर्श आचार संहिता का भी उल्लंघन हैं। उन्होंने मांग की है कि उपरोक्त क्रम में शिकायत दर्ज कर चुनाव की पवित्रता को बनाये रखने हेतु आवश्यक कदम उठाया जाए |

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