-शासन ने राज्य लोक सेवा आयोग को भेजा अधियाचन
-विभागीय हेडमास्टर व वरिष्ठ प्रवक्ता होंगे आवेदन को पात्र
देहरादून, राज्य के इण्टरमीडिएट कॉलेजों में वर्षों से रिक्त पड़े प्रधानाचार्यों के 50 फीसदी पद सीधी भर्ती से भरे जायेंगे। इस संबंध में शासन ने राज्य लोक सेवा आयोग को अधियाचन भेज दिया है। उक्त प्रस्ताव विद्यालयी शिक्षा विभाग द्वारा दो माह पूर्व शासन को उपलब्ध कराया गया था। अब उम्मीद की जानी चाहिये कि प्रधनाचार्यों के रिक्त पदों को सीधी भर्ती से भरे जाने के उपरांत संबंधित विद्यालयों में पठन-पाठन व प्रशासनिक सुधार होगा।
विभागीय सूत्रों के अनुसार शिक्षा विभाग द्वारा विगत दो-तीन वर्षों में एलटी एवं प्रवक्ता संवर्ग के हजारों रिक्त पदों को भरा जा चुका है। इसी क्रम में इंटरमीडिएट कॉलेजों में वर्षों से रिक्त प्रधानाचार्य एवं प्रधानाचार्या के 1024 रिक्त पदों को भरने की कवायद शुरू कर दी गई है। जिसके तहत 50 प्रतिशत पद सीधी भर्ती व 50 फीसदी पद विभागीय पदोन्नति से भरे जाने हैं। शिक्षकों की वरिष्ठता का विवाद उच्च न्यायलय में विचाराधीन होने के कारण विभागीय पदोन्नति के पद नहीं भरे जा सके हैं, जिसको देखते हुये राज्य सरकार ने विगत वर्ष 50 फीसदी पदों को सीधी भर्ती से भरने का फैसला कैबिनेट में लिया था। जिसके बाद विद्यालयी शिक्षा विभाग द्वारा प्रधानाचार्यों के कुल रिक्त 1024 पदों में से 692 पदों को सीधी भर्ती से भरने का प्रस्ताव तैयार कर शासन को उपलब्ध कराया गया। जिसका अधियाचन शासन द्वारा राज्य लोक सेवा आयोग को भेज दिया गया है। जबकि प्रधानाचार्यों के कुल स्वीकृत 1385 पदों में से 361 पद विभागीय पदोन्नति से पहले ही भरे हुये हैं तथा 332 पदोन्नति के पद रिक्त हैं। जिनको शिक्षकों की वरिष्ठता विवाद सुलझने के उपरांत विभागीय पदोन्नति से भरा जाना है। विभाग शिक्षक संगठनों के माध्यम से शिक्षकों के वरिष्ठता विवाद को सुलझाने का भी प्रयास कर रहा है।
सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन के द्वारा उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को भेजे गये अधियाचन में स्पष्ट किया गया है कि सीधी भर्ती के तहत रिक्त कुल 692 पदों में से प्रधानाचार्य के 624 व प्रधानाचार्या के 68 पदों पर भर्ती की जानी है। जिसमें विभागीय पदोन्नति से कार्यरत प्रधानाध्यापक एवं प्रधानाध्यापिका जिन्होंने 02 वर्ष की निरंतर संतोषजनक सेवा पूर्ण कर ली हो तथा विभागीय नियमावली के नियम-08 के तहत शैक्षणिक एवं प्रशिक्षण योग्यता रखते हों आवेदन कर सकते हैं। इसी प्रकार मौलिक रूप से नियुक्त ऐसे प्रवक्ता जिन्होंने राजकीय इंटर कॉलेज के सामान्य अथवा महिला शाखा में न्यूनतम 10 वर्ष की संतोषजनक सेवा पूर्ण करने के साथ ही नियम-8 के तहत शैक्षणिक व प्रशिक्षण योग्यता धारित करते हों विभागीय परीक्षा हेतु पात्र होंगे। इसी प्रकार मौलिक रूप से नियुक्त ऐसे प्रवक्ता जो सहायक अध्यापक एलटी से प्रवक्ता पद पर प्रोन्नत हुये हों तथा प्रवक्ता के रूप में न्यूनतम 10 वर्ष की निरंतर संतोषजनक सेवा पूर्व कर चुके हों साथ ही नियमावली के तहत शैक्षिक व प्रशिक्षण योग्यता पूर्ण करते हों सीधी भर्ती हेतु पात्र माने जायेंगे। आयोग द्वारा की जाने वाली सीधी भर्ती प्रक्रिया में दिव्यांग श्रेणी के पात्र शिक्षक/शिक्षिकाओं हेतु 4 प्रतिशत क्षैजित आरक्षण की भी व्यवस्था रखी गई है।
“सूबे में प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों की स्थिति को देखते हुये राज्य सरकार ने पिछले वर्ष 50 फीसदी पदों को सीधी भर्ती से भरने का फैसला लिया था। जिस पर विद्यालयी शिक्षा विभाग द्वारा कार्रवाई करते हुये सीर्धी भर्ती के 692 पदों को उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के माध्यम से भरने का निर्णय लिया है। जिसका अधियाचन आयोग को भेज दिया गया है।”
-डॉ. धन सिंह रावत, विद्यालयी शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड सरकार।
वीर शहीद केसरी चन्द जी के 104वें जन्मोत्सव कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ
-बॉलीवुड गायक जुबिन नौटियाल सहित कई नेताओं ने की शिरकत
-पेवेलियन ग्राउंड में होगा पुरुष कबड्डी का फाइनल व सांस्कृतिक संध्या का आयोजन
देहरादून, वीर शहीद केसरी चंद युवा समिति के द्वारा आयोजित आजाद हिंद फौज के महानायक अमर शहीद केसरी चंद जी के 104वें जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से शुरू हो गया, वीर शहीद केसरी चंद युवा समिति के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का वीर शहीद केसरी चंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शुभारंभ किया गया।
माल्यार्पण कार्यक्रम में बॉलीवुड सिंगर जुबिन नौटियाल भाजपा नेता मुन्ना सिंह चौहान विधायक विकास नगर, मधु चौहान जिला पंचायत अध्यक्ष देहरादून, मधु भट्ट उपाध्यक्ष संस्कृत साहित्य कला परिषद उत्तराखंड, मूरत राम शर्मा पूर्व अध्यक्ष जनजाति आयोग उत्तराखंड सरकार, गीता राम गौड़ पूर्व प्रदेश महामंत्री अनुसूचित जनजाति मोर्चा भाजपा, आदि नेतागण, समिति के संरक्षण मंडल व समिति के सदस्य उपस्थित रहे उसके पश्चात पवेलियन ग्राउंड में महिला कबड्डी से कार्यक्रम का आगाज हुआ जिसमें राष्ट्रीय स्तर की महिला कबड्डी की 11 टीमों ने प्रतिभाग किया जिसमें प्रथम स्थान दिल्ली की टीम ने प्राप्त किया और द्वितीय स्थान पर हरियाणा जींद की टीम रही, पारितोषिक वितरण पूर्व राज्य मंत्री नारायण सिंह राणा के द्वारा किया गया इस दौरान पुरुष टीमों ने भी प्रतिभाग किया लेकिन पुरुष टीमों का फाइनल कल यानी गुरुवार 2 नवंबर 2023 को संपन्न होगा साथ ही कल सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया जाएगा जिसमें उत्तराखंड की लोक संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी और उत्तराखंड के गढ़वाल, कुमाऊं, जौनसार, बावर के लोक कलाकार अपनी प्रस्तुति देगें।
उत्तराखंड की ऋचा अमेरिका में करेंगी भारत का प्रतिनिधित्व,
वाशिंगटन सहित 4 जगहों पर देंगी लेक्चर
देहरादून, टिहरी जनपद में देवप्रयाग के कोटी गांव की ऋचा कोटियाल जोशी अमेरिका में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी,
अभियोजन अधिकारी पद पर रहते ॠचा का पिछले दिनों भोपाल में एक प्रेजेंटेशन के आधार पर उनका चयन देश के उन 8 अभियोजन अधिकारियों में हुआ है, जो अमेरिका के वॉशिंगटन सहित चार शहरों में लैंगिक हिंसा पर बात रखेंगे, ऋचा, यूपी उत्तराखंड से अकेली प्रतिनिधि होंगी। ऋचा 17 नवंबर को अमेरिका के लिए प्रस्थान करेंगी, जहां तीन सप्ताह रहकर वह वाशिंगटन सहित 4 जगहों पर लेक्चर देंगी। उत्तराखण्ड़ टिहरी जनपद की ऋचा कोटियाल देवप्रयाग के निकट कोटी गांव की निवासी हैं। उनकी प्रारंभिक पढ़ाई टिहरी आल सेंट कॉन्वेंट स्कूल में और उसके बाद विधि स्नातक देहरादून लॉ कॉलेज तथा एलएलएम कुमाऊं विश्वविद्यालय से हुई।
वर्ष 2012 में ऋचा का चयन राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से सहायक अभियोजन अधिकारी पद पर हुआ। और अब प्रोन्नति पाकर अभियोजन अधिकारी पद पर देहरादून मुख्यालय में तैनात हैं। ऋचा राज्य पुलिस प्रशिक्षण संस्थान नरेंद्रनगर में भी लेक्चर देती हैं साथ ही लोक सेवा (आईपीएस) प्रशिक्षण संस्थान हैदराबाद में लेक्चर हेतु आमंत्रित की जाती हैं। ऋचा पूर्व राज्य सूचना आयुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र कोटियाल की बेटी हैं, मां भी शिक्षिका रही हैं और वरिष्ठ पत्रकार बारामासा के संपादक राहुल कोटियाल की बहन हैं। उनके पति अंकित जोशी प्राध्यापक हैं। ऋचा का चयन इंटरनेशनल विजिटर्स लीडरशिप प्रोग्राम के अन्तर्गत हुआ है।
शहादत दिवस की पूर्व संध्या पर विशेष : मुनस्यारी के है, प्रथम महावीर चक्र विजेता
’20 वर्ष की उम्र में शहादत दी सिपाही दीवान सिंह ने, ब्रेन गनर के रूप में बनाई शाख’
नाचनी (पिथौरागढ़), प्रथम महावीर चक्र विजेता सिपाही शहीद दीवान सिंह दानू ने देश की आजादी के बाद पाकिस्तान के साथ हुए प्रथम युद्ध में 3 नवंबर 1947 को जम्मू कश्मीर में अपनी शहादत दी। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने हस्तलिखित पत्र शहीद के पिता को भेज कर बताया कि संपूर्ण राष्ट्र उनका कृतज्ञ है। शहीद दीवान सिंह की शहादत की पूर्व संध्या पर आज उन्हें पहली बार उनका क्षेत्र याद कर रहा है।
विकास खंड मुनस्यारी के ग्राम पंचायत गिन्नी के पुरदम तोक निवासी उदय सिंह दानू तथा श्रीमती रमुली देवी के पुत्र दीवान सिंह दानू का जन्म 4 मार्च 1923 को हुआ, दीवान सिंह 4 मार्च 1943 को 20 वर्ष की उम्र में भारतीय सेना में भर्ती हो गए।
1 जून 1946 को उनकी पहली पोस्टिंग चार कुमाऊं रेजीमेंट में हुई। 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ। आजादी के बाद पाकिस्तान के साथ हुए प्रथम युद्ध में सिपाही दीवान सिंह कश्मीर के बडगाम में शहीद हो गए।
इतिहास बताता है कि सिपाही दीवान सिंह का प्लाटून जम्मू के बड़गांव में हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए तैनात था। उस समय दीवान सिंह कुमाऊँ रेजीमेंट के डी कंपनी के ब्रेन गनर के रूप में तैनात थे।
पाकिस्तान की सेना ने कबालियों के वेशभूषा में हवाई अड्डे पर आक्रमण कर दिया।
इनका कड़ा मुकाबला करते हुए ब्रेन गन से 15 से ज्यादा पाकिस्तानी कबालियों को सिपाही दीवान सिंह ने मौत के घाट उतार दिया। आक्रमणकारियों की नजर जांबाज सिपाही पर पड़ी।
3 नवंबर 1947 को सिपाही दीवान सिंह अपने देश के आन, शान और बान के लिए शहीद हो गए। पाकिस्तान के साथ हुए इस युद्ध में दीवान सिंह को दुश्मनों की गोली लग गई थी।
जम्मू कश्मीर हवाई अड्डे की सुरक्षा को भारत माता की सुरक्षा मानते हुए सिपाही दीवान सिंह ने 20 वर्ष की उम्र में वह कर दिखाया जो आज तक कोई नहीं कर पाया।
कुमाऊं रेजीमेंट के इतिहास पुस्तक में भी दीवान सिंह के अदम्य साहस को सुनहरे अक्षरों में स्थान दिया गया है। इस पुस्तक में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि जब शहीद दीवान सिंह का पार्थिव शरीर प्राप्त हुआ तो, उनके हाथ में उनका ब्रेन गन जकड़ा हुआ था।
जम्मू कश्मीर हवाई अड्डे पर पाकिस्तानी सेना के हमले को रोकने के लिए मेजर सोमनाथ को परमवीर चक्र तथा सिपाही दीवान सिंह को मरणोपरांत प्रथम महावीर चक्र से विभूषित किया गया।
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने शहीद दीवान सिंह के पिता उदय सिंह को हस्तलिखित पत्र भेजकर उसकी वीर गाथा को सम्मान दिया।
कुमाऊँ रेजीमेंट के सेंटर रानीखेत में प्रथम महावीर चक्र विजेता दीवान सिंह के नाम पर “दीवान हाल” बनाया गया है।
उत्तराखंड सरकार ने राजकीय इंटर कॉलेज बिर्थी तथा शहीद के गांव पुरदम तक जाने वाले मोटर मार्ग का नामकरण शहीद दीवान सिंह दानू के नाम पर रखकर उनके शहादत को सम्मान दिया है।
“जिला पंचायत सदस्य तथा कार्यक्रम संयोजक जगत मर्तोलिया ने बताया कि हमारी आने वाली पीढ़ियां प्रथम महावीर चक्र विजेता शहीद दीवान सिंह के बारे में जानकारी रखें और उनके द्वारा की गई कार्यों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़े।
इसके लिए विकास खंड मुनस्यारी में इस क्षेत्र के महापुरुषों की जयंती तथा शहादत दिवस मनाने की परंपरा पहली बार शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि इस परंपरा को हमेशा जीवित रखा जाएगा। शहीद दीवान सिंह के शहादत की पूर्व संध्या पर 2 नवंबर को राजकीय इंटर कॉलेज बिर्थी में शहादत दिवस का कार्यक्रम पहली बार आयोजित किया जा रहा है।”
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