पिथौरागढ़, जी.बी.पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल अल्मोड़ा के निदेशक डॉ. रणवीर सिंह रावल के आकस्मिक निधन पर सोसायटी फार एक्सन इन हिमालया की शोक सभा में गहरा दुःख प्रकट किया गया। कहा कि हिमालय क्षेत्र का एक चिंतक हिमालय को छोड़कर चले गया है। इसकी पूर्ति इस युग में संभव नहीं है। दो मिनट का मौन रखकर डा. रावल को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई।
संस्था के कार्यालय सिल्थाम में आयोजित शोक सभा में कार्यकर्ताओ ने डां रावल द्वारा किए गए कार्यो को याद किया। संस्था के अध्यक्ष एवं निदेशक जगत मर्तोलिया ने कहा कि मुनस्यारी के बलाती फार्म में जीबी पंत की हिमालय क्षेत्र की इकाई की स्थापना का प्रस्ताव भी डां रावल की ही देन है। उनके प्रयासो से ही धारचूला के चौंदास क्षेत्र में किए जा रहे जैव विविधता के कार्य आने वाले समय में हिमालय क्षेत्र के लिए वरदान साबित होंगे। इसके लिए डां रावल हमेशा याद किए जाएंगे।
मर्तोलिया ने बताया कि डां रावल रामगंगा व गोरीगंगा घाटी क्षेत्र में तेजपत्ता की खेती का कलस्टर बनाना चाहते थे, इस पर उनसे लगातार बात हो रही थी।
मर्तोलिया ने बताया कि लगभग बारह दिन पहले उनसे फोन पर बात हुई थी, तो वे पिथौरागढ़ के हिमालय क्षेत्र में इन कार्यो के साथ आजिविका पर फोकस क्रियाकलाप संचालित करने की बात कर रहे थे।
शोक सभा में कहा गया कि हिमालय क्षेत्र में डां रावल की कमी हमेशा बनी रहेगी। कम समय में डां रावल ने देश व दुनिया को जो शोध व अनुसंधान दिए है,वह आज देश की धरोहर बन गया है।
इस मौके पर वक्ताओ ने कहा कि ज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में समाज को डॉ.रावल सरीखी प्रतिभा से अभी बहुत कुछ मिलना शेष था। इस मौके पर संस्था की सचिव पुष्पा,उपाध्यक्ष डां दीप्ति धामी, रेखा, सुनीता, मुकेश चंद, मंजू, प्रमोद कुमार, हयात धामी, रजनी सिंह, प्रेम परिहार,रजत बिष्ट आदि मौजूद रहे।
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