केदार नाथ यात्रा में कानून ब्यवस्था का जिम्मा सम्भालने वाली मित्र पुलिस की एक के बाद एक घिनोनी हरकत सामने आ रही है। अभी कुछ दिन पहले धाम में पुलिस द्वारा राजस्थान के यात्रियों के साथ अभद्रता का प्रकरण सामने आया। पुलिस की इस हरकत का तीर्थ पुरोहितों ने भी जमकर विरोध किया लेकिन अपनी शाख पर बट्टा लगने से तिलमलाई पुलिस ने तीर्थ पुरोहितों की आवाज को भी अनसुना कर दिया। यही नही केदारनाथ में तैनात पुलिस की कार्य प्रणाली पर भी तीर्थ पुरोहितों द्वारा आपत्ति दर्ज की गई लेकिन आला अधिकारियों द्वारा इसे गम्भीरता से नहीं लिया गया। यात्रा के शुरुआत से ही जनपद पुलिस केवल अपनी तारीफों को प्रचारित कर स्वयं ही अपनी पीठ थपथपाती रही।
अब केदारनाथ धाम में पुलिस की शर्मशार करने वाली हरकत सामने आई है। पिछले वर्ष इंदौर से केदारनाथ यात्रा पर आई एक महिला से केदारनाथ धाम में पुलिस के दरोगा द्वारा शराब के नशे में छेड छाड की गई जबकि महिला पुलिस संरक्षण में केदारनाथ पुलिस कैंप मे थी। स्थानीय चौकी इंचार्ज ने भी जानते हुये इस कृत्य को बढावा दिया। महिला द्वारा जैसे तैसे अपनी सुरक्षा की गई व अपनी शिकायत पुलिस अधीक्षक रुद्रप्रयाग से भी की । दूसरे प्रदेश की होने के कारण एक साल तक प्रकरण को स्थानीय पुलिस बहाने बनाकर दबाने का प्रयास करती रही ।
लेकिन महिला ने हार नही मानी ,सीएम पोर्टल व पुलिस महानिदेशक से हुई शिकायत के बाद पुलिस मुख्यालय द्वारा प्रकरण का संज्ञान लिया गया तब जाकर पुलिस महानिदेशक द्वारा गठित जाँच समिति की रिपोर्ट के बाद आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दोशियों को निलंबित किया गया। केदारनाथ जैसे धार्मिक स्थल मे घटित पूरा घटना क्रम ये बताने के लिये काफी है कि मित्र पुलिस का चोला ओडकर पुलिस के जिम्मेदार अधिकारी बैखोफ होकर कैसे महकमे को दागी बना रहे है ओर कार्यवाही करनै के बजाय उच्च अधिकारी प्रकरण को दबाने में जुट जाते है। केदारनाथ जैसे पवित्र धाम में पुलिस की इस घिनोनी हरकत पर जनपद के उच्च अधिकारी चाहे कुछ भी सफाई दे लेकिन वास्तविकता यही है कि जनपद पुलिस के आला अधिकारियों का उनके अधिनस्थो को कोई भय नहीं है ओर हो भी क्यों जब आला अधिकारी ही ऐसी घटनाओं को दबाने में जुट जाते है। यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि महिला ने छेड छाड करने वाले दरोगा पर शराब के नशे में होना बताया । एक ओर पुलिस प्रचलित केदारनाथ यात्रा में लगातार अबैध शराब बरामद कर अपनी उपलब्धि प्रचारित करने में जुटी है वहीं पुलिस चौकी केदारनाथ के पुलिस कर्मियों तक ये शराब कैसे पहुँची पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्न खडा करता है।
बहरहाल पुलिस की इस घिनोनी हरकत की जितनी निंदा की जाए कम है। पुलिस महानिदेशक के हस्तक्षेप के बाद महिला की सुनवाई हुई ओर दोशियों पर कार्यवाही अमल मे लाई गई। यहाँ यह कहना जरूरी हो जाता है कि ऐसे कितने ही लोग पुलिस की गैर जिम्मेदराना हरकतों के शिकार होते है व न्याय के लिये उच्च अधिकारियों से उम्मीद करते है लेकिन उन्हे न्याय देना छोड उच्च अधिकारी भी मामले को दबाने का प्रयास करते रहते है। उम्मीद है कि पुलिस के आला अधिकारी ऐसी घटनाओं से सबक लेकर पारदर्शिता के साथ कार्यवाही अमल में लायेगें, जिससे जनता का मित्र पुलिस पर विश्वास कायम रहे व पुलिसिया तंत्र लोगों पर हावी न हो सके।
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