(चंदन सिंह बिष्ट)
हल्द्वानी (नैनीताल), उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की एकलपीठ में द्वाराहाट विधायक महेश नेगी की याचिका पर सुनवाई हुई। ज्ञात रहे कि श्री नेगी ने देहरादून के सीजेएम कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें डीएनए सैंपल देने के लिए कोर्ट में पेश होने व सीएमओ को सैंपल लेने के लिए बुलाने का आदेश पारित किया था। उच्च न्यायालय ने 11 जनवरी को सीजेएम कोर्ट के इस आदेश पर रोक लगा दी थी।
विधायक महेश नेगी को डीएनए जांच के मामले मेंं उत्तराखंड उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। मामले पर हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर पूर्व में लगी रोक को बरकरार रखा है और राज्य सरकार से तीन सप्ताह के भीतर जवाब तलब करते हुए अगली सुनवाई 27 अप्रैल को नियत कर दी। गौरतलब है कि महेश नेगी पर एक महिला ने अपनी बच्ची के पिता होने का आरोप लगाया है।
खयाचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि शिकायतकर्ता ने शामली के जिस चिकित्सक की डीएनए टेस्ट रिपोर्ट का जिक्र किया है, वह फर्जी है। इस मामले में स्वयं चिकित्सक ने विवेचक को बयान दिया है कि उनके यहां किसी का डीएनए सैंपल नहीं लिया गया। डीएनए की जांच बिना अदालत के आदेश के नहीं हो सकती। लिहाजा पीड़िता ने अदालत में जो डीएनए रिपोर्ट दाखिल की है, वह फर्जी है और उन्हें ब्लैकमेल करने के लिए फर्जी तरीके से तैयार की गई है। एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद निचली कोर्ट के आदेश पर रोक बरकरार रखते हुए अगली सुनवाई 27 अप्रैल को नियत कर दी। साथ ही सरकार को मामले में तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
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