Tuesday, November 26, 2024
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सर्वशक्ति सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था ने किया डाॕ. निशंक की कहानी ’भाग्य चक्र’ का मंचन

नारी सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करती हैं डाॅ0 निशंक की कहानियां : रेखा आर्य

देहरादून, प्रसिद्ध कथाकार डाॅ0 रमेश पोखरियाल निशंक की कहानियों में महिलाओं के शोषण एवं अत्याचार के विरुद्ध तीखा विरोध दर्ज किया गया है। स्त्री-पुरुष की समानता की प्रेरणा देती इन कहानियाें में समाज में नारी के महत्त्व का बखूबी रेखांकन है। उनकी ’भाग्य चक्र’ कहानी यह साबित करती है कि बेटियां न केवल बेटों से अधिक संवेदनशील होती हैं, अपितु माता-पिता के प्रति उनके मन में असीम करुणा और निष्ठा होती है। यह बात महिला कल्याण एवं बाल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने ’भाग्य चक्र’ नाटक के मंचन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कही। नगर निगम प्रेक्षागृह में में शनिवार को प्रसिद्ध साहित्यकार डाॅ0 रमेश पोखरियाल निशंक के कहानी संग्रह ’वाह जिंदगी’ की कहानी ’भाग्य चक्र’ का मंचन किया गया।

सर्वशक्ति सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए रेखा आर्य ने कहा कि डाॅ0 निशंक का साहित्य समाज सुधार की दृष्टि से उच्च कोटि का है। उनके साहित्य में नारी सशक्तिकरण की प्रेरणा है। आज समाज के लिए यह साहित्य बहुत प्रासंगिक है।

विशिष्ट अतिथि कैंट के विधायक हरबंस कपूर ने कहा कि डाॅ0 निशंक की यह कहानी महिलाओं को संघर्ष के मार्ग पर बढ़ने को प्रोत्साहित करती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नगर निगम के मेयर सुनील उनियाल गामा ने कहा कि सर्वशक्ति सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था ने लाॅकडाउन के बाद ऐसा कार्यक्रम कर अनुकरणीय कार्य किया है। अब उम्मीद हो चली है कि हम जल्द ही कोविड-19 जैसी भयंकर बीमारी से मुक्त हो जाएंगे।
गौरतलब है कि प्रसिद्ध कहानीकार डाॅ0 निशंक की इस कहानी ’बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ’ की थीम पर आधारित है। इसमें महिला सशक्तिकरण की प्रेरणा है। कहानी में दर्शाया गया है कि बेटी होने पर एक बहू को प्रताड़ित कर ससुरालियों द्वारा घर से निकाल दिया जाता है, परंतु वह हार स्वीकार नहीं करती है। वह अपनी बेटी को पढ़ा-लिखाती है और वह जज बन जाती है। नाटक में बताया गया कि बेटी और बेटे में कोई अंतर नहीं होता है। यह अंतर हमारी गलत धारणा है।
नाटक का निर्देशन के साथ ही बहू राजेश्वरी की भूमिका सुरमयी ने निभायी। राजेश्वरी के पति सुरेंद्र की भूमिका गर्वित, श्रुति की प्रीति सूर्यवंशी, दुलारी की गायत्री, नयन सिंह की भूमिका राजेश शर्मा ने निभायी। वहीं मेघा की भूमिका में सरस्वती, नंदिनी की पार्वती, वकील की नितिन कश्यप, मौसा की भूमिका लियाकत अली ने निभायी। सभी का अभिनय शानदार रहा। जसपाल राणा, रोहित, जतिन, राहुल और एकलव्य ने भी दमदार अभिनय किया। संगीत निखिल सिंह और प्रकाश का था। संयोजन आदेश नारायण का, रूप सज्जा काजल राठौर की व सेट निर्माण भूपेंद्र तनेजा का था। फोटो व वीडियो राम रवि व वंश पारहग का था। संचालन सीमा शर्मा ने किया।
इस मौके पर नाट्यभूषण लक्ष्मी नारायण, अमिताभ श्रीवास्तव,डीआईजी डाॅ0 संतोष आशीष, अपर महानिदेशक रिजनल आउटरीच ब्यूरो तीरथ कुकरेजा आदि उपस्थित थे।

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