‘शिक्षिका और कवयित्री कुसुमकांता की स्मृति में बने फाउंडेशन की वर्षगांठ पर कार्यक्रम’
‘एक वर्ष में जरूरतमंदों को राशन बांटा, महिला जागरूकता कार्यक्रमों का किया आयोजन‘
देहरादून। जनजागरूकता और समाजसेवा के निमित्त बने कुसुकांता फाउंडेशन की पहली वर्षगांठ पर मेधावी छात्राओं को सम्मानित किया गया। साथ ही चिकित्सा क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने वाली और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने वाली महिलाओं को भी पुरस्कार दिए गए। इस मौके पर शिक्षिका और कवयित्री कुसुमकांता का भावपूर्ण स्मरण कर उनकी अल्प जीवन-यात्रा पर प्रकाश डाला गया। संकल्प लिया गया कि कुसुमकांता फाउंडेशन अपने कार्य का निरंतर विस्तार करेगा।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय शिक्षा मंत्री डाॅ0 रमेश पोखरियाल की धर्मपत्नी कुसुमकांता पोखरियाल एक प्रसिद्ध शिक्षिका थीं।
उन्होंने अनेक काव्य रचनाएं रचकर ख्याति प्राप्त की थी, परंतु जीवन के आधे पड़ाव पर ही उनका निधन हो गया था। उनकी स्मृति में कुसुमकांता फाउंडेशन बनाया गया है। बुधवार को फाउंडेशन की पहली वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित किया गया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की उपस्थिति में आयोजित इस कार्यक्रम में वर्षभर तक फाउंडेशन की ओर से आयोजित विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों का ब्योरा प्रस्तुत किया गया।
बताया गया फाउंडेशन की ओर से एक वर्ष में एक हजार से अधिक जरूरतमंत लोगों को राशन वितरित किया गया। महिलाओं की समस्याओं पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए और सैनिट्री पैड वितरित किए गए। लावारिस जानवरों को खाना बांटा गया। कुष्टरोगियों की भी सहायता की गयी। एक असहाय बालिका को छात्रवृत्ति प्रदान की गयी। उत्तरकाशी में कोरोना काल में राशन की राहत किटें बांटी गयीं।
फाउंडेशन ने मेधावी छात्राओं का चयन कर उन्हें नकद राशि से पुरस्कृत किया। पूर्वचंद्र तिवारी इंटर काॅलेज, जसपुर की छात्रा ब्यूटी वत्सल को 12वीं में 96.6 प्रतिशत अंक प्राप्त करने पर प्रथम पुरस्कार दिया गया। किलेस्ट्रीट, काशीपुर स्थित सरस्वती विद्यामंदिर इंटर काॅलेज की दसवीं की छात्रा को 97.8 प्रतिशत अंक लाने पर द्वितीय पुरस्कार दिया गया। सनराइज अकेडमी की छात्रा दिव्यांगी गर्ग की अग्रिम कक्षा की पूरी फीस दी गयी।
समाजसेवा के लिए पूजा तोमर को पुरस्कार स्वरूप 11 हजार रुपये की राशि प्रदान की गयी। पूजा तोमर ने महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने और पहाड़ की संस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए दून मेडिकल काॅलेज की सीनियर नर्सिंग आॅफिसर इंदु शर्मा को पुरस्कृत किया गया। उन्हें भी 11 हजार की राशि प्रदान की गयी। इस उपलक्ष्य मंे आयोजित कहानी प्रतियोगिता की प्रथम, द्वितीय और तृतीय रहीं प्रतिभागियों क्रमशः कविता रतूड़ी, राधा मैंदोली तथा सुषमा मक्कड़ को भी पुरस्कृत किया गया। कहानी प्रतियोगिता के निर्णायकों में डाॅली डबराल, बीना बेंजवाल और विद्या सिंह शामिल थीं।
मुख्य अतिथि उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डाॅ. सुधारानी पांडेय ने इस मौके पर शिक्षिका तथा कवयित्री कुसुमकांता का स्मरण कर उनकी कविताओं में व्याप्त मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति दी। उन्होंने कहा कि कुसुम एक संवेदनशील मां थीं। वे अपनी तीनों बेटियों-आरुषी, श्रेयसी और विदुषी को सफलता के उच्च शिखर पर देखना चाहती थीं। उनकी तीनों बेटियों ने अपनी मां के इस सपने को पूरा किया है। बेटियों की मां के लिए यह सच्ची श्रद्धांजलि है। हिंदी के प्रसिद्ध विद्वान प्रो. योगेंद्र नाथ शर्मा ’अरुण’ ने कुसुमकांता जैसी समाजसेविका के नाम पर फाउंडेशन बनाने और उसके कार्यों की सराहना की।
वक्ताओं ने इस मौके पर कुसुमकांता का स्मरण कर कहा कि कुसुम कांता का जन्म कोटद्वार में हुआ था। वे मेधावी थीं। संगीत में उनकी गहरी रुचि थी। उन्होंने नजीबाबाद से संगीत की शिक्षा ली थी। गढ़वाल विश्वविद्यालय से उन्होंने बीए-एमए किया।
आकाशवाणी नजीबाबाद से उनके अनेक कार्यक्रम प्रसारित होते थे। वे संगीत की ही अध्यापिका के रूप में सरकारी सेवा में चयनित हुईं, लेकिन बाद में इतिहास विषय की सेवा के लिए भी चुनी गयीं। बाद में उन्होंने सरस्वती विद्या मंदिन जोशीमठ में तत्कालीन प्राचार्य डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक से विवाह किया। उन्होंने देहरादून के विद्यालय में भी सेवा दीं। समाज के गरीब वर्ग के प्रति उनके मन में असीम दया थीं। उन्होंने अनेक बार अपने वेतन से निर्धन छात्राओं की सहायता की तथा जीर्ण-शीर्ण विद्यालय भवनों की मरम्मत करवायी। समाज के प्रति ऐसी उच्च सोच रखने वाली उस महान शिक्षिका के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि उनके नाम पर समाजसेवा की जाए। जरूरतमंदों की सहायता की जाए।
इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ संयोजिका डाॅ. सविता मोहन ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कुसुमकांता की पुत्री विदुषी निशंक ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संचालन अभिनव शर्मा ने किया।
इस मौके पर डाॅ. राजेश नैथानी, बालकृष्ण चमोली, उपलब्धि गुप्ता, विधि चैहान, नवीन चंद्र लोहनी,शर्मिला सक्सेना,डाॅ. अनीता रावत, डाॅ. पुष्पा खंडूड़ी, हर्षवंती बिष्ट, कमल पांडेय,चेतना पोखरियाल, डाॅ. राकेश बलूनी, डाॅ.अनीता चौहान आदि उपस्थित रहे।
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