Friday, December 27, 2024
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भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की स्वर्ण जयंती के अवसर पर  दिल्ली आयोजित हुआ सैल्यूट तिरंगा सम्मान समारोह

ऋषिकेश(आरएनएस)।   सैल्यूट तिरंगा सम्मान समारोह-2024 भारत के दशवें प्रधानमंत्री, भारत रत्न माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की स्वर्ण जयंती के अवसर पर दिल्ली में आयोजित किया गया। यह आयोजन न केवल भारतीय राजनीति और समाज के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि भारत की संस्कृति, एकता और गौरव के दृष्टिकोण से भी अभूतपूर्व अवसर है। इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य ने इस कार्यक्रम को और भी गरिमामयी बना दिया।
संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष सैल्यूट तिरंगा, डा राजेश कुमार झा  ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती  का अभिनन्दन करते हुये कहा कि पूज्य स्वामी जी का नाम भारत के प्रमुख संतों में  हैं, उनके नेतृत्व में आयोजित होने वाला प्रत्येक आयोजन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से तो महत्वपूर्ण होता ही है, साथ ही समाज व पर्यावरण की सेवा के साथ राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका अद्वितीय है। उन्होंने हमेशा से भारतीय     संस्कृति, पर्यावरण सुरक्षा और सामाजिक समृद्धि हेतु प्रेरित व प्रोत्साहित किया है। स्वामी जी का योगदान भारत के पारंपरिक मूल्यों के संरक्षण और वैश्विक स्तर पर विस्तार में महत्वपूर्ण रही है। उनका पावन सान्निध्य पाकर हम सभी सम्मानित व गौरवान्वित हैं।
उन्होंने बताया कि अटल तिरंगा सम्मान समारोह का मुख्य उद्देश्य माननीय अटल बिहारी वाजपेयी  की स्वर्ण जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना है। अटल जी का भारतीय राजनीति में अहम स्थान है, और उनकी नीतियों ने देश को नई दिशा दी। इस कार्यक्रम का आयोजन उनके योगदान को याद करने और भारतीय ध्वज, तिरंगे, को लेकर उनके समर्पण के प्रतीक स्वरूप है। तिरंगा भारत के राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है, और अटल जी ने हमेशा इसे अपने दिल से सम्मानित किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि हम भारतीय अपनी संस्कृति और धरोहर से ही अपने राष्ट्र की असली पहचान पाते हैं। तिरंगा केवल एक ध्वज नहीं, बल्कि यह हमारे देश की एकता, विविधता और शक्तियों का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति ने हमेशा से विश्व को शांति, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया है। यह तिरंगा हमें हमारे राष्ट्र के प्रति निष्ठा, सम्मान और समर्पण की भावना देता है। स्वामी जी ने यह भी कहा कि भारत की जो विशेषताएं दुनिया से उसे अलग करती हैं, वे उसके लोगों की एकता, सहिष्णुता, साझेदारी की भावना और राष्ट्र व संस्कृति के प्रति समर्पण व प्रेम है।
स्वामी जी इस अवसर पर भारत के माननीय प्रधानमंत्रीश्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में स्थित ऐतिहासिक लाल चौक पर तिरंगा फहराया इसका स्मरण करते हुये कहा कि यह देश की एकता का प्रतीक बन गया, देशवासियों के लिये यह गर्व का क्षण था।
स्वामी जी ने कहा कि अटल जी की सोच भारत को एक महान लोकतंत्र बनाने की थी जो उन्होंने किया भी। उन्होंने राजनीति को सेवा का रूप दिया और अपने कार्यों से भारतीय जनता को प्रेरित किया। अटल जी ने जो विकास की राह दिखाई, वह न केवल सशक्त भारत के निर्माण की दिशा में  बल्कि उसने राष्ट्र की सामाजिक और आर्थिक समृद्धि की भी नींव रखी। उनके नेतृत्व में भारत ने कई क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मोर्चों पर सफलता प्राप्त की।
डा राजेश कुमार झा और उनकी टीम के नेतृत्व में आयोजित यह कार्यक्रम न केवल अटल जी के योगदान का स्मरण कराता है बल्कि यह भारतीय जनता की एकता और अखंडता के प्रतीक भी है।
स्वामी जी ने वीर बाल दिवस के अवसर पर गुरु गोबिंद सिंह जी के चारों साहिबजादों की शहादत को याद करते हुये कहा कि आज का दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है। यह दिवस उन साहिबजादों के अद्वितीय  साहस और बलिदान का प्रतीक है, जिन्होंने बेहद कम आयु में धर्म, सम्मान और देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। धर्म, सत्य और न्याय की रक्षा के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना संघर्ष किया। इन वीर बालकों की शहादत भारतीय इतिहास का गौरव है, जो हमें हमेशा सिखाती है कि सच्चे बलिदानी की कोई उम्र नहीं होती।
स्वामी जी ने इस अवसर पर गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों के अद्वितीय बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये उनके साहस को याद किया और उनके द्वारा दिखाई गई निर्भीकता और निष्ठा को भारतीय समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया।
धर्म, सत्य और न्याय की रक्षा के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना संघर्ष किया। इन वीर बालकों की शहादत भारतीय इतिहास का गौरव है, जो हमें हमेशा सिखाती है कि सच्चे बलिदान में कोई उम्र नहीं होती।
स्वामी जी ने कहा सिख कौम बहुत बहादुर कौम है, जो करती है दिल से करती है और देश के लिये जीती हैं तथा देश के लिये ही मरती है। सिखों की बात ही निराली है, कोरोना हो या सूनामी लंगर कभी बंद नहीं हुआ सदैव चलता रहा। पंगत और संगत की जो शक्ति है वह सचमुच अपने आप में एक उदाहरण है। दो योद्धा बालक एक मशाल के रूप में सामने आये हैं, उनकी यह शहादत पूरे देश के लिये प्राणवायु का काम करेंगी।
इस अवसर पर स्वामी जी ने संदेश दिया कि सबको अभिनन्दन परन्तु अपनी  संस्कृति का वंदन। हमें सभी संस्कृतियों का सम्मान करना चाहिए, लेकिन हमें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से भी जुड़ा रहना चाहिए। भारतीय संस्कृति की महानता को हम तभी समझ सकते हैं जब हम अपनी जड़ों व मूल्यों से जुड़े रहते हैं और इसे अपने जीवन में अपनाते हैं। हमें अपने पारंपरिक मूल्यों को संरक्षित करते हुए अन्य संस्कृतियों का स्वागत करना चाहिए, ताकि हम अपनी पहचान बनाए रखें और साथ ही एक विश्व नागरिक के रूप में विश्वभर में प्रेम और समझ बढ़ा सकें।
भारतीय संस्कृति का यह विश्वास है कि हर संस्कृति का अपना महत्व है, और हमें अन्य संस्कृतियों का सम्मान करते हुए अपनी संस्कृति को भी गर्व से अपनाना चाहिए। अपनी संस्कृति का वंदन का अर्थ है कि हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को न केवल याद रखें, बल्कि उसे आगे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाएं। यह हमें न केवल हमारे अतीत से जोड़ता है, बल्कि भविष्य में भी हमें मार्गदर्शन प्रदान करता है।
इस पावन अवसर पर आचार्य दीपक शर्मा  की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस अवसर पर दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश, जस्टिस ढ़ींगरा जी को सम्मानित किया गया।
संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष सैल्यूट तिरंगा, डा राजेश कुमार झा  ने सभी विशिष्ट अतिथियों का अभिनन्दन किया। कार्यक्रम संयोजक  सच्चिदानंद पोखरियाल , सह संयोजक, रवि चिकारा ,  डा.  मोनीका सिंह ,  नंदन झा,  रोमी चौधरी ,   पायल झा , मदन मोहन पालीवाल, निशा सोलंकी, विकास जी  का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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