“बस्तियों में अनाउंसमेंट करवा कर 11 मार्च तक अवैध कब्जे खाली करने की दी थी चेतावनी“
(अनिल कुमार गुरु)
विकासनगर (दे.दून), देश भर से कब्जाधारियों के नाम पर गरीब व मेहनतकश लोगों के आशियानों पर बुलडोजर चलने की खबरों के बाद अब प्रदेश में भी बुलडोजर की आहट से लोग सहमें हुए हैं। जिसके चलते जहां एक ओर हल्द्वानी के वनभुलपुरा के करीब चार हजार से अधिक परिवारों के आशियानों पर बुलडोजर चलना तय है, वहीं अब देहरादून के विकासनगर में यूजेवीएनएल की सैकड़ों बीघा जमीन पर सालों से कब्जा जमाये बैठे करीब पांच सौ से अधिक परिवारों को भी सर से छत छीनने का डर सताने लगा है
मामला देहरादून जनपद के तहसील विकासनगर का है, जहां जल विद्युत परियोजना का डाकपत्थर से लेकर कुल्हाल तक का क्षेत्र अवैध कब्जों को लेकर अक्सर चर्चाओं में रहा है। दरअसल आपको बता दें कि डाकपत्थर, ढकरानी, कुल्हाल यह वो गांव हैं जिसके बीच से जल विद्युत परियोजनाओं के लिए बनाई गई शक्ति नहर होकर गुजरती है। जिसके दोनों ओर संबंधित विभागों की खाली और ढांगनुमा सैकड़ों बीघा भूमि पर साल दर साल लगातार अवैध कब्जे होते रहे, लेकिन संबंधित विभाग कुंभकर्णी नींद सोते रहे। वहीं अगर सूत्रों की मानें तो संबंधित विभागों के कुछ कर्मियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के संरक्षण और मिली भगत के चलते इन जगह बस्तियां फलती फूलती रही।
बताया जा रहा है कि अस्सी के दशक में जहां पहले चंद कच्चे व झोपड़ीनुमा मकान हुआ करते थे, वहीं अब मौजूदा समय में यहां पर सैकड़ों सैकड़ों पक्के मकान और कई दुकानें तामिर हो चुकी है। वहीं दूसरी ओर अब अवैध कब्जों को लेकर न्यायालय के आदेशों और कई बार कब्जाधारियों को विभाग द्वारा जगह को खाली किए जाने के नोटिसों के बाद विभाग ने प्रशासन के साथ मिलकर इन कब्जाधारियों के खिलाफ सख्त रूख अपनाते हुए इन कब्जों को हटाने की पूरी तैयारी कर ली है। जिसके चलते बकायदा इन बस्तियों में अनाउंसमेंट करवा कर 11 मार्च तक अवैध कब्जे खाली करने की चेतावनी दी है, जिसकी मियाद खत्म हो गयी। जिससे इन कब्जाधारियों के साथ ही अतिक्रमण की जद में आ रहे ग्रामीणों में अपने सर से छत छीने जाने का डर सताने लगा है। जिसको लेकर इन लोगों का कहना है कि वह लोग सालों से मेहनत मजदूरी करके यहां रहते आ रहे हैं, जिसमें तो कई परिवार तो यहां तीसरी चौथी पीढ़ी से यहां रह रहे हैं। जिसके लिए उन्हें बाकायदा बिजली पानी के कनेक्शन भी मिले और अन्य सरकारी योजनाओं के लाभ भी। इतना ही नहीं इन लोगों का कहना है कि इस जमीन पर बसे कई परिवारों को इंदिरा आवास और प्रधानमंत्री आवास योजना से घर भी बनाकर दिये गये और वोट बैंक के नाम पर उनका इस्तेमाल होता रहा। अब ऐसे में विभाग उन्हें उजाड़ने जा रहा है, जिससे उनके सर से छत छीन जाने के बाद उनका और उनके परिवार का कोई ठोर ठिकाना नहीं होगा, तो वह लोग कहां जायेंगे और कैसे गुजर बसर करेंगे।
बहरहाल अब देखना यह होगा कि वोट की खातिर इनके दर पर जाने वाले जनप्रतिनिधि इन वेबश और गरीब लोगों की कोई सुध लेते भी है या नहीं। बड़ा सवाल यह भी कि इन गरीब व मजलूम लोगों पर कार्रवाई के बाद इन बस्तियों को बसाने में शामिल जनप्रतिनिधियों और विभागीय कर्मचारियों पर भी कोई कार्रवाई हो पाती है या नहीं।
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