Tuesday, November 19, 2024
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CM पुष्कर सिंह धामी ने डीएलएफ के समापन समारोह में प्रतिभाग किया

तीन दिवसीय देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल का हुआ समापन

देहरादून. तीन दिवसीय देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल के चौथे संस्करण का आज हयात रीजेंसी एवं दून इंटरनेशनल स्कूल, रिवरसाइड कैंपस में समापन हुआ। फेस्ट के अंतिम दिन मुख्यमंत्री उत्तराखंड पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर शिरकत करी।

फेस्ट का आखिरी दिन हयात रीजेंसी में ‘उत्तराखंड ग्रोथ डेकेड’ के सत्र के साथ संपन्न हुआ, जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, प्रसिद्ध कवि और लेखक प्रसून जोशी और फिल्म निर्देशक अली अब्बास जफर, संपादक गढ़वाल पोस्ट सतीश शर्मा के साथ बातचीत में रहे।

दर्शकों को संबोधित करते हुए, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के तहत काम करने का मौका मिल रहा है, क्योंकि वह उत्तराखंड को अपने दिल के बहुत करीब मानते हैं। खुद की बात करूँ तो मैं खुद को कभी एक नेता नहीं, बल्कि एक कार्यकर्ता मानता हूँ। राज्य के लिए एक खुशखबरी के तौर पर मैं बताना चाहूंगा की ऋषिकेश के बाद हम एक और एम्स उधम सिंह नगर में लाने की योजना बना रहे है। हमने एलिवेटेड रोड के लिए भी काम शुरू कर दिया है, जिससे दिल्ली से देहरादून की यात्रा का समय 2-2.5 घंटे कम हो जाएगा। यह हमारी दृष्टि है कि जब उत्तराखंड 25 वर्ष की आयु प्राप्त करेगा, राज्य में निश्चित रूप से सभी शीर्ष सुविधाएं उपलब्ध होंगी।”

इस अवसर पर बोलते हुए, डीएलएफ के संस्थापक सम्रांत विरमानी ने कहा, “मैं देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल के चौथे संस्करण को मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया से बेहद उत्साहित महसूस कर रहा हूं। मैं हमारे माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करना चाहत हूँ जिन्होंने हमारे इस फेस्ट का समर्थन किया। मैं अपने सभी लेखकों, गणमान्य व्यक्तियों और उन लोगों को भी धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने हमारे फेस्ट के माध्यम से साहित्य और कला के प्रति अपने प्यार का जश्न मनाने के लिए समय निकाला।”

सत्र के दौरान, प्रसून जोशी ने कहा, “मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जैसे युवा नेताओं को राज्य का नेतृत्व करते हुए देखकर खुशी हो रही है।”

इस अवसर पर बोलते हुए, अली अब्बास जफर ने कहा, “देहरादून भले ही एक छोटा शहर माना जाता है, लेकिन एक तरह से यह भारत का दिल है क्योंकि इसमें भारतीय सैन्य अकादमी और वन अनुसंधान संस्थान जैसे सबसे प्रमुख संस्थान हैं।”

फेस्ट के दुसरे दिन का हाइलाइटिंग सत्र प्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉन्ड और फिल्म निर्देशक इम्तियाज़ अली के बीच ‘मास्टर स्टोरीटेलर्स इन कन्वर्सेशन’ नामक एक वेब प्रसारण सत्र रहा। सत्र का संचालन नयनिका महतानी द्वारा किया गया। दर्शकों को संबोधित करते हुए, इम्तिआज़ ने कहा, “मुझे अपनी फिल्मों की कहानी लेखन के लिए ट्रेवल करना पसंद है, विशेषकर रूप से ट्रेन में। और मैं श्री रस्किन बॉन्ड को ख़ास धन्यवाद देना चाहता हूँ क्योंकि मैंने उनकी प्रसिद्ध किताब ‘द नाइट ट्रेन एट देवली’ पढ़ी है जिसने मेरे अंदर ट्रेवल करने की आदत को विकसित करने में एक बड़ी भूमिका निभाई है।”

राइटर्स ब्लॉक के बारे में बात करते हुए, रस्किन बॉन्ड ने कहा, “किसी भी लेखक को राइटर्स ब्लॉक से बचने के लिए अपनी कहानी को अपने मन में अच्छे से विज़ुअलाइज़ेशन करना चाहिए, और उसके बाद कागज़ कलम का इस्तेमाल करना चाहिए। किसी भी लेखक के लिए मजबूत विज़ुअलाइज़ेशन ही कुंजी है।”

देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे दिन की शुरुआत ‘इंडिया वार्स 1962 एंड 1965’ पर एक सत्र के साथ हुई, जिसमें शिव कुनाल वर्मा और अनिरुद्ध चक्रवर्ती ने बातचीत करी। सत्र का संचालन मोनिशा दत्ता ने किया।

सत्र के दौरान, शिव कुनाल ने तीन दशकों के अपने शोध के बारे में साझा किया, जिसमें उन्होंने पूर्वी सिक्किम, कुमाऊं और गढ़वाल के कुछ हिस्सों, लाहौल और स्पीति और लद्दाख के दूरदराज के कोनों में युद्ध के दौरान रहने वाले कई लोगों का साक्षात्कार लिया था।

इसके साथ ही ‘इट विल ऑल मेक सेंस इवेनचुली’ पर एक सत्र भी आयोजित हुआ जिसमें संजय देसाई, ऋचा द्विवेदी, विश्वास परचुरे और डॉ. क्षितिज सिंह ने अपने विचार साझा किये।

लोकप्रिय लेखक प्रीति शेनॉय और किरण मनराल द्वारा ‘क्रिएटिव कॉम्प्लेक्स कैरेक्टर’ पर एक सत्र आयोजित किया गया। सत्र का संचालन शुभी मेहता ने किया। कॉम्प्लेक्स कैरेक्टरस के बारे में बात करते हुए, प्रीति ने कहा, “हम सभी जटिल हैं और हम में से कोई भी सरल नहीं है। और यही चीज़ मैं अपनी किताबों में कैद करने की कोशिश करती हूँ। मैं जो भी किताब लिखती हूं, उसमे मैं जानबूझकर एक जटिल चरित्र लिखने का प्रयास नहीं करती हूँ। लिखने किए लिए मुझे हर उस चीज़ का अनुभव करने की ज़रूरत होती है जो वह चरित्र अनुभव कर रहा है। जटिल पात्रों को लिखने के लिए शोध एक महत्वपूर्ण चीज है। मैंने बहुत रिसर्च और लोगों से बात करके विभिन्न पात्रों को लिखा है जिसमें में उनकी समस्याओं को समझती हूँ और उन्हें बहुत ही संबंधित तरीके से अपनी लिखावट में शामिल करती हूँ।”

आगे कहते हुए किरन ने कहा, “हम सभी अपने अपने तरीके से जटिल हैं। मुझे लगता है कि कल्पना जटिल चरित्रों को लिखने में मेरी मदद करती है। यह तभी होता है जब कोई चरित्र पूरी तरह से मेरे दिमाग में आता है, तभी मैं उस चरित्र को लिख सकती हूँ।”

बाद में दिन के दौरान, आलोक लाल, आईपीएस (सेवानिवृत्त), और मानस लाल द्वारा ‘मर्डर इन द बाइलेन्स’ पर एक सत्र का संचालन किया गया। दर्शकों को संबोधित करते हुए, मानस ने कहा, “पुस्तक का उद्देश्य आपको रोमांच के बजाय देश की एक बड़ी तस्वीर देना है और यह बताना है कि उस समय की सामाजिक-राजनीतिक स्थितियां कैसी रहीं थीं। यह कुछ ऐसा है जिसे पीढ़ियों को जानना चाहिए।”

लेखक और फिल्म निर्माता ताहिरा कश्यप खुराना द्वारा ‘द 7 सिन्स ऑफ बीइंग ए मदर’ सत्र दिन के मुख्य आकर्षण में से एक रहा। सत्र के दौरान ताहिरा ने ऋचा अनिरुद्ध के साथ बातचीत करी। एक लेखक बनने के विचार के बारे में पूछे जाने पर, ताहिरा ने कहा, “मेरा मानना है की दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, एक वो जो स्पष्ट रूप से जानते हैं कि वे क्या चाहते हैं, और फिर ऐसे लोग हैं जिन्हें पता नहीं है कि वे क्या बनना चाहते हैं। दुर्भाग्य से, मैं वो थी जिससे नहीं पता था उससे क्या करना है। मैं एक डॉक्टर बनना चाहती थी लेकिन आखिरकार, मुझे एक लेखक के रूप में शान्ति मिली। मैं विशेष रूप से अपने जीवन के उतार-चढ़ाव को कलमबद्ध करती आयी थी। एक बात मुझे समझ में आ गई थी कि कभी-कभी आपका जुनून आपके सामने होता है लेकिन आप आत्म-संदेह की परतों से अंधे हो जाते हैं। मुझे खुशी और सुरक्षा लेखक के रूप में मिलती है। मुझे लेखन के माध्यम से खुद को व्यक्त करना पसंद है।”

बॉडी शेमिंग के बारे में अपनी अंतर्दृष्टि साझा करते हुए, ताहिरा ने कहा, “कई बार जब आप अपने लोअर लाइफ स्टेट में होते हैं, तो आप बॉडी शेमिंग जैसी नकारात्मकताओं का शिकार बन जाते हैं। हायर लाइफ स्टेट प्राप्त करने का एक तरीका पुष्टि के माध्यम से होता है और मैंने इसे तब हासिल किया जब मैंने अपने बुरे समय में निचिरेन बौद्ध धर्म की खोज करी। इस अभ्यास ने मुझे अपने कठिन दिनों से बाहर निकलने और एक ठोस भावना प्राप्त करने में मदद की। मेरे अनुसार, हायर लाइफ स्टेट हासिल करके एक इंसान न केवल बहार से सुंदर, बाकि अंदर से भी सुन्दर महसूस कर सकता है।”

पूजा मारवाह, बिजॉय सवेन, वेणु अग्रहरी ढींगरा, रूहानी सिंह और रजत शक्ति के बीच ‘पावरहाउस ऑफ फेमिनिटी’ पर एक और दिलचस्प सत्र आयोजित किया गया। सत्र का संचालन आरुषि जैन ने किया।

बाद में, दिन के दौरान ‘कबीर के साखी’ पर पैनलिस्ट चंदन सिन्हा और हृदयदेश जोशी द्वारा एक और सत्र आयोजित किया गया। इसके बाद डीजीपी उत्तराखंड पुलिस अशोक कुमार आईपीएस, अमित लोधा आईपीएस और अमित दुबे द्वारा ‘बिहाइंड द बैज: एनफोर्समेंट एंड एनकाउंटर’ पर एक सत्र का आयोजन किया गया। सत्र का संचालन रूबी गुप्ता ने किया। साथ ही सत्र के दौरान, अशोक कुमार आईपीएस और ओपी मनोचो द्वारा ‘साइबर एनकाउंटर’ किताब का कवर लॉन्च भी हुआ। इस अवसर पर बोलते हुए, अशोक कुमार ने कहा, “पुलिस का सम्मान किया जाना चाहिए और सभी को पुलिस के आने पर खुश होना चाहिए ना की डरना चाहिए। मैं मानता हूँ की पुलिस की छवि को नकारात्मक तरीके से चित्रित करने के पीछे तीन कारण हैं – पहला ब्रिटिश विरासत, दूसरा निश्चित रूप से हमारे काम की प्रकृति है क्योंकि किसी को भी प्रवर्तन पसंद नहीं है और आखिर कारण फिल्मों की भूमिका है क्यूंकि कई हद्द तक भारतीय सिनेमा ने भी पुलिस की नकारात्मक भूमिका को चित्रित किया है।”

फेस्टिवल के दौरान कैंसर सर्वाइवर शोर्मिष्ठा मुखर्जी और स्टैंड-अप कॉमेडियन और राइटर अदिति मित्तल द्वारा ‘कैंसर, यू पिक्ड द रॉन्ग गर्ल’ शीर्षक वाले एक अन्य सत्र को भी दर्शकों ने खूब सराहा।

दिन के दौरान अभिजय नेगी, योगेश कुमार, अनूप नौटियाल, अनीशा गुप्ता, डॉ मनाली अरोड़ा, रोहित त्रिवेदी और अतुल पुंडीर के अन्य दिलचस्प सत्र भी आयोजित किए गए।

डीएलएफ के आखिरी दिन के दौरान दिलचस्प सत्रों में से एक सत्र लेखक सीमा आनंद और गायिका सोना महापात्रा के बीच रहा। ‘द मॉडर्न गेज़’ शीर्षक वाला यह सत्र विभिन्न रागों पर केंद्रित रहा। सोना और सीमा ने राग और रागिनी, राग तोड़ी और राग भैरव के बीच के अंतर पर भी चर्चा करी। सत्र के दौरान कामासूत्र में अंतर्दृष्टि पर भी चर्चा की गई।

प्रसिद्ध कवि प्रसून जोशी द्वारा ‘पहाड़ के प्रसून’ नामक एक और महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किया गया था जिसमें वे अद्वैत कला के साथ बातचीत में थे। सत्र के दौरान, प्रसून ने कहा, “मैं उत्तराखंड राज्य का बहुत आभारी हूँ। इस राज्य के बारे में कोई क्या महसूस करता है उसे व्यक्त करने के लिए कोई भाषा पर्याप्त नहीं है। मैं उत्तराखंड से हूं और जब भी इस राज्य से किसी से मिलता हूँ, तो मुझे आत्मीयता की भावना मिलती है।”

प्रसून ने आगे कहा, “पहाड़ों के लोगों को धुप से बहुत लगाव होता है। धुप आशा का स्त्रोत है और वो एक तरह का चित्र बनाती है और अपने साथ एक सुनहरापन लाती है। हम अपनी ऊर्जा, हमारे बैठने के तरीके और हमारे शरीर की गतिविधियों जैसी कई चीजों के साथ संवाद करते हैं। हमारे शब्द हमारे अनुभवों का एक कैप्सूल हैं। जब हमारे शब्दों का विस्तार होता है, तो हमारी संस्कृति का विस्तार होता है।”

लोकप्रिय गायक सोनू निगम भी देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल 2022 के समापन दिवस पर ‘चेंजिंग ट्यून्स ऑफ बॉलीवुड’ नामक एक हाइलाइटिंग सत्र का हिस्सा रहे। उन्होंने सत्र में नितिन अरोड़ा के साथ बातचीत करी।

दर्शकों को संबोधित करते हुए, सोनू ने अपने जीवन का एक किस्सा साझा किया और कहा, “जब मेरा परिवार मेरे लिए मुंबई शिफ्ट हुआ ताकि मैं अपने सपने पूरे कर सकूं, तो वे मेरे बचपन की कॉमिक्स और किताबें साथ लाना भूल गए। यह मेरे लिए सबसे दुखद घटनाओं में से एक थी। यह मेरे बचपन की यादों का एक बड़ा हिस्सा खोने जैसा था।”

जीवन में पढ़ने के महत्व को साझा करते हुए, सोनू ने कहा, “1998 में मैं 25 साल का हो गया और अमेरिका के दौरे पर था। मैं मियामी में हवाई अड्डे पर घूम रहा था और मुझे एक किताबों की दुकान मिली और इसलिए मैंने खुद को कुछ किताबें उपहार में देने की सोची। मैंने अपनी पसंद की 3 किताबें खरीदीं लेकिन वहां मौजूद दुकानदार ने मुझे एक और किताब खरीदने पर जोर दिया जो कि प्रसिद्ध रिचर्ड कार्लसन की किताब थी। शुरू में मुझे इस चौथी किताब खरीदने में कोई दिलचस्पी नहीं थी और इसलिए मैंने इसे बेमन मन से खरीदा। जैसे ही मैं हवाई जहाज में बैठा, मैंने उस चौथी किताब को पढ़ने और उसका सार जानने की सोची। मैं उस किताब से इतना मंत्रमुग्ध हो गया कि मैंने अपनी उड़ान की पूरी अवधि के दौरान इसे पूरी तरह से पढ़ा, और जब तक मैं अपने गंतव्य पर उतरा, मैं एक नया सोनू निगम था।”

अपने सत्र के अंत में, सोनू ने ‘संदेसे से आते हैं’, ‘ये दिल दीवाना’, ‘अभी मुझ में कहीं’, ‘अल्लाह माफ करे’ और ‘कल हो ना हो’ सहित कुछ गाने भी गाए।

फेस्ट के अंतिम दिन शहर के विभिन्न स्कूलों के छात्रों, साहित्य उत्साही और कॉलेज के छात्रों की भारी मात्रा में भागीदारी देखी गई।

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