नई दिल्ली/देहरादून, मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने महान क्रांतिकारी श्री देव सुमन की पुण्य तिथि पर उनका स्मरण करते हुए कहा कि लोग श्रीदेव सुमन के जीवन एवं कार्यों पर आधारित इस फिल्म के माध्यम से श्रीदेव सुमन जी को अनुभव करेंगे। इस फिल्म के निर्माण के लिए कार्य कर रहे सभी कलाकारों की इसमें भूमिका अहम होगी। श्रीदेव सुमन जी द्वारा समाज के लिए दिया गया योगदान हम सभी को प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने हमेशा अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाई और तानाशाही के खिलाफ जन-आंदोलन चलाए। अनेक अमानवीय यातनाओं को झेला लेकिन सच्चाई के मार्ग से विचलित नहीं हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीदेव सुमन केवल एक जननायक ही नहीं थे, बल्कि उनके भीतर एक अटल देशभक्ति थी। वे एक क्रांतिकारी, बुद्धिजीवी, रचनाकार, पत्रकार एवं दूरदृष्टि की सोच रखने वाले महापुरुष थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन चल रहा था तभी एक आंदोलन टिहरी प्रजामण्डल के द्वारा चलाया जा रहा था, जिसका नेतृत्व श्रीदेव सुमन कर रहे थे। इस लड़ाई को लड़ते-लड़ते उन्होंने कई बार शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन किए, बहुत प्रताड़ना सहनी पड़ी, कई बार आमरण अनशन भी किया। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया और वर्षाें तक जेल में रहे, जेल में उनके ऊपर अनेक अमानवीय अत्याचार हुए। इसके बावजूद भी सुमन जी का संघर्ष जारी रहा उन्होंने 3 मई 1944 को अपना ऐतिहासिक अनशन शुरू किया और 25 जुलाई 1944 के शाम को उन्होंने प्राणोत्सर्ग कर दिया। सुमन जी की शहादत स्वाधीनता सेनानियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई। मातृभूमि के लिए स्वयं को आहूत कर श्रीदेव सुमन जी ने पूरे राष्ट्र में क्रांति की अलख जगा दी। सुमन जी के विचार जितने उस वक्त प्रासांगिक थे, उतने ही आज भी हैं। वे सदैव एक प्रेरणापुंज की तरह हमारे हृदय में जीवित रहेंगे।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रवासी उत्तराखण्ड वासियों को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड का नैसर्गिक सौंदर्य फिल्मकारों को देवभूमि उत्तराखण्ड के लिए आकर्षण का केन्द्र बना है। राज्य में फिल्मांकन के लिए क्षेत्रीय फिल्मों को विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में केदारपुरी का भव्य पुनर्निर्माण का कार्य हो रहा है। बद्रीनाथ में भी मास्टर प्लान के तहत तेजी से कार्य हो रहे हैं। चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या में हर साल वृद्धि हो रही है। कांवड़ यात्रा में भी इस वर्ष चार करोड़ से अधिक शिवभक्त देवभूमि उत्तराखण्ड आये और सकुशल कांवड़ यात्रा सम्पन्न हुई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय निवेशकों को राज्य में आकर्षित करने के उद्देश्य से दिसम्बर 2023 में देहरादून में “वैश्विक निवेशक सम्मेलन-2023“ आयोजित किया जाना प्रस्तावित है। इसमें प्रधानमंत्री जी को उत्तराखण्ड निवेशक सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया है। राज्य में निवेशकों के लिए निवेश के लिए राज्य सरकार द्वारा हर संभव मदद दी जा रही है। कृषि और उद्यान के क्षेत्र में भी राज्य में तेजी से कार्य हो रहे हैं। एप्पल, कीवी, तेजपत्ता और तिमुर मिशन पर तेजी से कार्य हो रहे हैं। औषधीय पौधों की खेती पर भी तेजी से कार्य किये जा रहे हैं, ये पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन को रोकने में भी मददगार होंगे। उत्तराखण्ड देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में पहल की है। राज्य में भर्ती परीक्षाएं पूरी पारदर्शिता के साथ हों, इसके लिए सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया गया है।
इस अवसर पर उत्तराखण्डी फीचर फिल्म के निर्माता बिक्रम नेगी, फिल्म निर्देशक ब्रिज रावत, इस फिल्म में संगीत श्रवण भारद्वाज व सुमित गुसाईं, गीत पदम गुसाई व बृज मोहन शर्मा वेदवाल, पटकथा व संवाद देवी प्रसाद सेमवाल, छायांकन राजेन्द्र सिंह, नृत्य निर्देशक श्री अरविन्द नेगी, शोध संकलन-कथा सार डा.एम आर सकलानी, एसोसिएट डायरेक्टर राजेन्द्र नेगी, कार्यकारी निर्माता, राजेश मालगुड़ी, श्रीमती प्रेमा नेगी पहाड़ी एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
बलिदान दिवस पर विशेष : राजशाही की दमनकारी नीतियों के खिलाफ थी ‘श्रीदेव सुमन’ की शहादत
(एल मोहन लखेड़ा)
भारत स्वाधीनता के लिये छटपटा रहा था और अंग्रेजों के खिलाफ पूरे देश में स्वाधीनता की लड़ाई चरम पर पहुँच चुकी थी, अपनी आजादी के लिये कई रणबांकुरे अपने प्राण न्यौछावर करते जा रहे थे, उत्तराखण्ड में स्वाधीनता आन्दोलन चरम शिखर पर था, उसी दौर में टिहरी रियासत की जनता भी राजशाही के जनविरोधी नीतियों के विरोध में आक्रोशित हो रही थी। राजशाही की दमनकारी नीतियों, जबरन थोपे गए टैक्स बेगार प्रथा और नई वन व्यवस्था में उपजी अडचनों के कारण टिहरी की जनता में भारी असंतोष पनप रहा था। टिहरी राजा के खिलाफ प्रमुख आन्दोलनकारियों में एक प्रमुख नाम श्रीदेव सुमन का भी था। चम्बा के निकट जौलगांव में 25 मई1916 को सुमन का जन्म हुआ था। मात्र चौदह साल की किशोरावस्था में सुमन के अन्दर देश-प्रेम का जज्बा पैदा हो गया था। सत्याग्रह में भाग लेने देहरादून गए और पकड़े जाने पर दो हफ्ते के कारावास की सजा मिली थी इसी साल श्रीदेव सुमन के राजनैतिक व्यक्तिव लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा। तेईस जनवरी को वे देहरादून में टिहरी राज्य प्रजामण्डल के संयोजक चुने गए।
इसी दौरान सुमन लुधियाना में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में चल रहे अधिवेशन में हिमालयी राज्यों की समस्याओं को उजागर कर इस दिशा में जागृति लाने का काम किया, 19 अगस्त, 1942 को श्रीदेव सुमन को टिहरी में कार्यकर्ताओं की बैठक में गिरफ्तार कर देहरादून व आगरा की जेलों में रखा गया। एक साल बाद रिहाई होने पर सुमन का मन टिहरी रियासत की सामन्ती व्यवस्था से जनता को मुक्त करने के लिए आकुल हो उठा। टिहरी जाते वक्त नरेन्द्रनगर में पुलिस अधिकारी ने उनके सर से टोपी उतारकर डाली और धमकी दी और कहा कि आगे बढे तो गोली मार देंगे, बाद में तीस दिसम्बर उन्नीस सौ तितालीस मे उन्हें टिहरी जेल में ठूस दिया गया। उनके कपड़े उतार दिए गए। उन्हें भूखा-प्यासा रखकर डरा धमकाकर उनसे जबरन माफी मांगने का दबाव बनाया गया पर स्वाभिमानी सुमन ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। जेल अधिकारियों ने खिन्न होकर उन पर जमकर कोडे बरसाए और पावों में पैंतीस सेर की बेडियां डाल दी गई।
टिहरी रियासत की ओर से श्रीदेव सुमन पर उत्पीडन की कार्यवाही लगातार जारी थी। उन पर राजद्रोह का केस चलाया गया और दो साल की सजा सुनाई गई। सुमन ने जेल कर्मचारियों के व्यवहार के खिलाफ अनशन करना प्रारम्भ कर दिया। टिहरी रियासत की और उन्हें कठोर यातनाएं दी गई और जबरन अनशन तुडवाने के प्रयास किये पर स्वाभिमान दिल के सुमन ने हार न मानी, चौरासी दिनों के आमरण अनशन से सुमन की हालत बहुत खराब हो गई। जेल में सुमन ने 3 मई 1944 को अपना ऐतिहासिक अनशन शुरू किया और 25 जुलाई 1944 को शाम 4 बजे उन्होंने प्राणोत्सर्ग कर दिया। टिहरी से मात्र 12 मील दूर सुमन के गांव जौलगांव में उनके परिजनों को मृत्यु का समाचार 30 जुलाई को पहुंचाया गया। उनकी पत्नी श्रीमती विनय लक्ष्मी उन दिनों महिला विद्यालय हरिद्वार में थी, जिन्हें कोई सूचना नहीं दी गई। लेकिन श्रीदेव सुमन का यह बलिदान न केवल टिहरी की राजशाही के अंत का कारण बना और देशभर के स्वाधीनता सेनानियों के लिए प्रेरणा का श्रोत भी बना। अन्ततः श्रीदेव सुमन जन्मभूमि के लिए अपनी शहादत देकर सदा के लिए अमर हो गए।
दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के सभागार हुआ फिल्म ‘अमर शहीद श्री देव सुमन’ का प्रदर्शन
देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से अमर शहीद श्रीदेव सुमन के बलिदान दिवस के अवसर पर उनके जीवन पर आधारित गायत्री आर्ट्स द्वारा निर्मित फिल्म ‘अमर शहीद श्री देव सुमन’ का प्रदर्शन संस्थान के सभागार में किया गया। फिल्म शुरू होने से पूर्व फिल्म के निर्माता सूत्रधार का अभिनय कर चुके मुनिराम सकलानी ने दर्शकों को फिल्म की जानकारी प्रदान दी | इस अवसर पर टिहरी रियासत के जनविरोधी नीतियों के सुमन के महत्वपूर्ण योगदान और उनपर किये गये अत्याचारों व उनकी शहादत का भावपूर्ण स्मरण भी किया गया।
अमर शहीद श्रीदेव सुमन पर आधारित यह फिल्म 100 मिनट की है। फिल्म का निर्देशन के.पी. घिल्डियाल ने किया है और मुख्य सहायक निर्देशक प्रेम कावडकर है। कैमरामैन मुम्बई के हरि राम है। इस फिल्म में 8 हिन्दी गाने है। संगीत निर्देशक चन्द्रेश्वर धस्माना और फिल्म के 5 गीत स्वयं अमर शहीद श्रीदेव सुमन के हैं जबकि दो गीत के. पी. ढोढियाल और मुनिराम सकलानी ने लिखे है। इन गीतों स्वरबद्ध सचिन भट्ट और संध्या मुकर्जी और वीरेन्द्र नेगी ने किया है। फिल्म का कथासार डॉ. एम. आर. सकलानी और केपी. ढोडियाल और पटकथा संवाद करुणेश ठाकुर ने लिखी है। इस फिल्म में सुप्रसिद्ध अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी ने श्रीदेव सुमन जी की माता की भूमिका अदा की है। श्रीश डोभाल ने इस फिल्म में मुख्य अभिनेता के तौर पर श्रीदेव सुमन की भूमिका अदा की है। बाल्यकाल के सुमन की भूमिका श्री दीपक रावत ने अदा की है। सुमन जी के पिता का अभिनय श्री पी. एस. बिष्ट ने किया है। सुमन जी की पत्नी का अभिनय चारु बाधवा ने किया है। इसके अलावा टिहरी महाराजा की भूमिका पीआर कश्यप तथा दरोगा मोर सिंह की भूमिका राजेश गौड, मोर सिंह के चपरासी की भूमिका राम प्रसाद डोभाल ने अदा की है। सूत्रधार के रूप में एम. आर. सकलानी की अपनी खास भूमिका है। इस फिल्म की शूटिंग जौल, चम्बा टिहरी बादशाही थोल, नई टिहरी, नागणी, नरेन्द्रनगर मुनिकीरेती ऋषिकश हरिद्वार, देहरादून और मसूरी में की गई है
फिल्म प्रदर्शन के बाद इस फिल्म में श्रीदेव सुमन की भूमिका में मुख्य अभिनय कर चुके सुपरिचित रंगकर्मी श्रीश डोभाल ने इस फिल्म के महत्त्वपूर्ण तथ्यों और विविध घटनाक्रमों पर प्रकाश डाला। प्रारम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के चंद्रशेखर तिवारी ने स्वागत व निकोलस हॉफलैण्ड ने आभार व्यक्त किया।
सभागार में उपस्थित कई दर्शकों ने इस फिल्म से जुड़े अनेक सवाल जबाब भी किये। इस अवसर पर सभागार में कई फिल्म प्रेमी रंगकर्मी बुद्धिजीवी, व साहित्य प्रेमी,रंगकर्मी, पुस्तकालय सदस्य और साहित्यकार व युवा पाठक और डॉ.सुरेखा डंगवाल, कुलपति,पद्मश्री डॉ. बी.के.संजय,अतुल शर्मा,सत्यानन्द बडोनी, ब्रिगेडियर के जी बहल, सुंदर बिष्ट, मदन मोहन डुकलान, दीपक रावत उपस्थित रहे।
शहादत दिवस पर श्रीदेव सुमन को अर्पित किये श्रद्धासुमन
देहरादून, अखिल गढ़वाल सभा देहरादून में अमर शहीद श्रीदेव सुमन की शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि श्री देव सुमन राजशाही के विरुद्ध आंदोलन करके शहीद होने वाले उत्तराखंड के पहले आंदोलनकारी थे। उनका जन्म 25 मई 1916 को ग्राम जौल टिहरी गढ़वाल में हुआ था। अल्पायु में ही जनता के अधिकारों के लिए टिहरी रियासत के विरुद्ध आंदोलन कर 3 मई 1944 को ऐतिहासिक आमरण अनशन शुरू कर दिया। अंततः रियासत के जुल्मों से लड़ते हुए इन्होंने 25 जुलाई 1944 को अपने राज्य उत्तराखंड के लिए अपने प्राण त्याग दिए।
सभा के अध्यक्ष रोशन धस्माना जी ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें गर्व है कि मात्र 29 वर्ष की आयु में ही श्री देव सुमन अपने राज्य व पहाड़ी समाज के लिए ऐसा कार्य कर गए, जिससे उनका नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में सदा सदा के लिए अमर हो गया। सभा के महासचिव गजेंद्र भंडारी ने भी उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्री देव सुमन युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत थे। इस अवसर पर सभा के कोषाध्यक्ष संतोष कुमार गैरोला, सह सचिव दिनेश बौड़ाई, संगठन सचिव डॉ. सूर्य प्रकाश भट्ट ,एडवोकेट ओपी सकलानी, शालिनी उनियाल, गौरव कुकरेती आदि उपस्थित थे।
कांग्रेस मुख्यालय में अमर शहीद श्रीदेव सुमन को श्रद्धा पूर्वक अर्पित की श्रद्धांजलि
देहरादून,उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अमर शहीद श्रीदेव सुमन जी के चित्र पर मार्ल्यापण करते हुए उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धा पूर्वक याद करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज से ठीक 79 साल पहले 25 जुलाई 1944 को टिहरी रियासत के कारागार में 209 दिन रहकर 84 दिन तक भूख हड़ताल पर रहने के बाद श्रीदेव सुमन ने आजादी और लोकतंत्र के लिए अपनी जान दे दी। करन माहरा ने कहा कि श्रीदेव सुमन जी ने सदैव तानाशाही, भय, भूख, भेदभाव एवं भ्रष्टचार से लड़ने का काम किया। उन्होंने कहा कि इस आन्दोलन में उन्होंने अपना वर्तमान एवं भविष्य न्यौछावर कर अपने प्राणों का बलिदान देकर अपना नाम इतिहास के पन्नों पर स्वर्णाक्षरों में अंकित कर दिया था। उन्होंने कहा कि अमर शहीद श्रीदेव सुमन के इस बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
इस असवर पर शहीद श्रीदेव सुमन को श्रद्वाजंलि देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि श्रीदेव सुमन हम सबके लिए प्रेरणा श्रोत्र रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजा द्वारा श्रीदेव सुमन जी के अस्तित्व को मिटाने का पूर्ण प्रयास किया परन्तु फिर भी सुमन की वीरगाथा सुगंध की तरह ही फैलती चली गई, इस वीरगाथा के साक्ष्य हैं हिमालय के वे वृक्ष जिसकी छांव में हमें स्वतंत्र होने का आनन्द प्राप्त होता है, वे पहाड़ जिनसे हमें अपने कर्तब्य के प्रति अटल रहने, कभी ना झुकने व जीवन की ऊॅचाईयां को छूने की प्रेरणा मिलती है। रावत ने कहा कि वह गंगा, भिलंगना, भागीरथी जैसे कई निरंतर प्रवाहित पवित्र नदियां जो किसी भी बाधा के समक्ष घुटने नही टेकती और अपने प्रयाण का मार्ग स्वयं ढूंड़ लेती हैं जिन मूल्यों के लिए सुमन जी और उनके जैसे कई देशभक्तोें ने समय-समय पर अपने जीवन का परित्याग कर पंचतत्व का अलिंगन किया था। ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानियों को मंे नमन करता हॅू। श्री रावत ने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि वह श्री श्रीदेव सुमन द्वारा किये गये संघर्षों के इतिहास को पढें।
श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री संगठन विजय सारस्तव, मुख्य प्रवक्ता गरिमा माहरा दसौनी, महन्त विनय सारस्वत, सलाहकार अमरजीत सिंह, महामंत्री नवीन जोशी, नीरज त्यगी, आईटी के प्रदेश अध्यक्ष विकास नेगी, शान्ति रावत, महेन्द्र सिंह नेगी गुरूजी, प्रवक्ता शीशपाल ंिसह बिष्ट, राजेश चमोली, बिरेन्द्र सिंह पंवार, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री मुकेश नेगी, मोहित उनियाल, कुंवर सजवाण, अनुराग मित्तल, जोतसिंह रावत आदि उपस्थित थे।
Recent Comments