देहरादून, शनिवार को सुबह दून अस्पताल के प्रसूति विभाग में भर्ती हुई एक गर्भवती महिला की लिफ्ट के बाहर अचानक हुई डिलीवरी के मामले ने महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने सवाल उठाया है और इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल में इस प्रकार की घटना होना संवेदनशील है।
हांलाकि महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने बताया कि वो कल अस्पताल के प्रसूति गृह में गयी थी और इसके अतिरिक उन्होंने लेबर रूम आदि का निरीक्षण भी किया तथा वहाँ उपस्थित सभी गर्भवती महिलाओं व जच्चा – बच्चा और से मिलकर उनका हाल व अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों के व्यवहार की जानकारी ली ।
उन्होंने इस प्रकरण को जोड़ते हुए कहा कि अस्पताल में सरकार की ओर से पूर्ण सहयोग दिया जा रहा है नए भवन का निर्माण भी किया गया है फिर भी ऐसी लापरवाही होना गलत है। उन्होंने अस्पताल के निदेशक डॉ आशुतोष सयाना से मामले में फोन पर वार्ता भी की और पत्र लिख कर अस्पताल की व्यवस्था व कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों के व्यवहार को ठीक करने लिए निर्देश दिया है।
इस मामले में डॉ आशुतोष सयाना ने बताया कि गर्भवती महिला को जब प्रसव हुआ उस समय वो अपने परिजनों के साथ बाहर बैठी थी। गर्भवती को अचानक प्रसव पीड़ा हुई तब जब तक कोई वहां पहुँच पाते तब तक गर्भवती की डिलीवरी हो चुकी थी तभी अस्पताल में तैनात स्वास्थ्यकर्मी तत्काल महिला और बच्चे को अंदर ले गए थे और उन्हें तत्काल ही उपचार दिया गया तथा दोनों स्वस्थ है।
बेरोजगार संघ के धरने को 150 दिन पूरे : भर्तियों में गड़बड़ी और भाई भतीजावाद बदस्तूर जारी : बॉबी पंवार
लिखित परीक्षा में आए 13 नंबर, फिर भी चिकित्सा अधिकारी बनी मंत्री की बेटी
देहरादून, भर्ती घोटालों की सीबीआई जांच की मांग को लेकर बेरोजगार संघ के धरने को 150 दिन पूरे हो गए हैं। इस अवसर पर बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने आरोप लगाया है कि भर्तियों में गड़बड़ी और भाई भतीजावाद बदस्तूर जारी है। बॉबी पंवार का आरोप है कि पॉलिटेक्निक संस्थानों में विभिन्न पदों में जो भर्तियां आउटसोर्सिंग से की गई हैं, उसमें भी अपनों को फायदा पहुंचाया गया है। परीक्षा कराने का ठेका एक ऐसी कंपनी को दिया गया है जो कंस्ट्रक्शन का काम देखती है। बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा पूर्व में कहा गया था कि जब उत्तराखंड लोक सेवा आयोग और उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा परीक्षाएं पूर्ण हो जाएंगी तो उत्तराखंड में पूर्व में धांधली की भेंट चढ़ी भर्ती परीक्षाओं की सीबीआई जांच कराई जाएगी, लेकिन सरकार सीबीआई जांच से बच रही है।
बॉबी पंवार ने राजकीय पॉलिटेक्निक विद्यालयों में आउटसोर्सिंग एजेंसी से नियुक्तियां कराने पर भी सवाल उठाए। बॉबी पंवार ने कहा कि एक बिल्डिंग निर्माण कंपनी को पॉलीटेक्निक विद्यालयों में प्रवक्ता एवं अन्य पदों पर नियुक्ति का ठेका दे दिया गया है जबकि लम्बे समय से पॉलिटेक्निक विद्यालयों में स्थाई नियुक्तियां नहीं हो पाई है और अब सरकार बिल्डिंग निर्माण कम्पनी से नियुक्तियां करा रही है। बॉबी पंवार ने आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तराखण्ड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड द्वारा चिकित्साधिकारी (आयुर्वेद एवं यूनानी) जिसका ग्रेड पे 5400 है की भर्ती में भी भ्रष्टाचार हुआ है। बॉबी पंवार ने कहा कि जिन अभ्यर्थियों के लिखित परीक्षा में 70 से 80 प्रतिशत अंक थे, उनका चयन नहीं हो पाया।
जबकि इंटरव्यू के दौरान अपने चेहतों को फायदा पहुंचाने के लिए लिखित परीक्षा में के बावजूद भी 5 से 6 फीसदी अंक लाने वालों को नियुक्ति दी गई। बॉबी पंवार ने कहा कि सरकार में मंत्री पद पर रहे एक भाजपा नेता की पुत्री के लिखित परीक्षा में मात्र 13.25 अंक थे, लेकिन उनका भी चयन किया गया है। बॉबी पंवार ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने एक कर्मचारी की पत्नी के पत्र पर उनके पति को 5400 के ग्रेड पर नियुक्ति दी थी। जब बेरोजगार संघ ने इस मामले को उजागर किया तो संघ को आश्वासन दिया गया कि उन्हें हटाया जाएगा मगर ऐसा हुआ नहीं, बल्कि उन्हें एक साल का और सेवा विस्तार दे दिया गया।
काव्य संकलन ‘कहे-अनकहे रंग जीवन के’ का हुआ लोकार्पण
देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से युवा लेखिका एवं उद्घोषिका भारती आनन्द ‘अनन्ता’ के पहले काव्य संकलन ‘कहे-अनकहे रंग जीवन के’ का लोकार्पण किया गया। सुपरिचित कवि, साहित्यकार पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी और प्रसिद्ध कहानीकार महाबीर रवांल्टा और प्रगतिशील किसान पद्मश्री प्रेम चंद शर्मा और डॉ.स्वराज्य विद्वान ने संस्थान के सभागार में इस पुस्तक का लोकार्पण किया। अपने वक्तव्य में इस अवसर पर पद्मश्री जगूड़ी ने कहा कि यह इक्कसवीं सदी की कवियत्री का पहला काविता संकलन है जिसमें आज की महिलाओं की स्वच्छन्दता का वर्णन किया है। कविताओं में पुरानी तुकबन्दी की को नये रूप में प्रस्तुत किया गया है। कविता की हर एक पंक्ति कुछ न कुछ बात कहती है। उन्होंने कहा कि महिला की स्वतन्त्रता पर और कई कविताएं पाठकों के बीच में है मगर भारती आनन्द अनन्ता ने स्वतन्त्रता की परिभाषा को कविता के रूप में प्रस्तुत किया है।
लोकार्पण समारोह में विशेष वक्ता वरिष्ठ कहानीकार व लोक साहित्यकार महाबीर रवांल्टा ने कहा कि भारती की कविता समाज में महिला प्रतिनिधि के रूप में प्रखरता से सामने आई है । कविता संकलन की शीर्षक कविता ‘जीवन है क्या? एक जलता दिया। जिसने जैसा समझा, वैसे ही जिया’। बहुत ही सरल ढंग से सहज शब्द विन्यास से मानव प्रवृति की बात प्रस्तुत की गई है। आम पाठकों के लिए लिखी गई कविताएं निश्चित समाज के काम आयेगी।
उल्लेखनीय है कि काव्य संकलन की सभी कविताएं कुछ न कुछ न कह रही है और चिन्तन के लिए बाध्य करती दिखती हैं। स्वतन्त्रता और परतन्त्रता को भारती ने अपनी कविताओं में प्रबलता से उठाया है। लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान रंजना , अशिका और आकांक्षा ने ‘कहे अनकहे रंग जीवन के’ कविता संग्रह की कुछ कविताओं का पाठ भी किया। इस दौरान कई साहित्यकार,साहित्यिक प्रेमी, लेखक,रंगकर्मी सहित युवा पाठक उपस्थित थे।
कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ कवियत्री और लेखिका बीना बेंजवाल ने किया। पुस्तक के प्रकाशक रानू बिष्ट व प्रवीन भट्ट,लोकेश नवानी, सुनील त्रिवेदी, चन्दन सिंह नेगी, गिरीश सुंदरियाल,डॉ.योगेश धस्माना, जगदीश सिंह महर, रमाकांत बेंजवाल,सुन्दर सिंह बिष्ट भी इस अवसर पर मौजूद थे।
काव्य संकलन पर एक नजर :
कहे-अनकहे रंग जीवन के भारती आनन्द ‘अनन्ता’ का पहला कविता संग्रह है। इस संग्रह में 82कविताएं संकलित हैं।
कहे-अनकहे रंग जीवन के कविता संकलन की भूमिका में पद्मश्री व प्रतिष्ठित कवि लीलाधर जगूड़ी ने भूमिका में लिखा है कि अनुभव प्रायः सबके पास होते हैं, पर उसकी अभिव्यक्ति सबके पास नहीं होती। यह अलग ढंग से होती है। यह अलग होने का संघर्ष ही कविता को मौन कथन में बदल देता है। इसी कविता संकलन की अगली भूमिका में वरिष्ठ साहित्कार महाबीर रवांल्टा लिखते हैं कि पहाड़ में अपनी थाती-माटी के प्रति गहरे जुड़ाव के कारण भारती अपनी स्मृतियों में विचरण करती हैं। उनकी कविताओं में पलायन का दर्द भी दिखाई देता है। लेखिका भारती का कहना है कि अपने मन के भावों को कविता के रूप में लिख पाना माउंट एवरेस्ट को पार करने जैसा था। चूंकि पुस्तकों के प्रति बचपन से ही लगाव रहा है। तभी लेखन के बीज रोपित हुए है। किंतु कागज पर उन्हें उतारना इतना आसान नहीं था। स्त्री होने और घर की जिम्मेदारियों व जीवन को निभाने के बीच कितना कुछ खो देते हैं। हम स्वयं नहीं जान पाते। इसी इसी खोये हुए को समेटने का एक सूक्ष्म प्रयास है यह काव्य-संग्रह।
कुलमिलाकर भारती ने अपने मन के प्रश्नों, अनुभवों, जीवन के बदलाव को चिन्हित कर कविताओं के रूप में सहेजने का बेमिसाल प्रयास किया है।
लेखन के तौर पर भारती आनन्द की अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं यथा युगवाणी, धाद, प्रेरणा अंशु, साहित्यनामा, सुवासित, देहरादून डिस्कवर तथा हिमांतर में कवितायें एवं रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं।अनेक साझा संग्रह में कविताएं प्रकाशित होती रही हैं। प्रतिष्ठित हिंदी हाइकु कोश व स्वप्नों की सेल्फी संग्रह में भी भारती की हाइकु विधा की रचनाएं संकलित हैं।
Recent Comments