देहरादून(आरएनएस)। पेयजल निगम में नौकरी में रहते हुए डिग्र्री कोर्स करने और एएमआईई कोटे को सवाल खड़े हो रहे हैं। खुद जल निगम के डिप्लोमा इंजीनियरों ने अध्यक्ष जल निगम को पत्र लिख कर बिना अवकाश लिए डिग्री कोर्स करने वालों पर सवाल उठाए। जल निगम में भी अन्य विभागों की तरह एएमआईई कोटे को समाप्त किए जाने की मांग की। अध्यक्ष को भेजे ज्ञापन में डिप्लोमा इंजीनियर सुनील कुमार ने कहा कि देहरादून में कार्यरत कई अभियंता बिना स्टडी लीव लिए ही सेवा में रहते हुए विभिन्न संस्थाओं से रेगुलर डिग्री ले रहे हैं। जो नियम विरुद्ध हैं। ये हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ है। केंद्र सरकार की ओर से नियुक्ति के पांच साल बाद भी उच्च शिक्षा को अनुमति देने का प्राविधान है। इसका जल निगम में अनुसरण नहीं किया गया। एएमआईई कोटे में पात्र अभियंता न होने की दशा में उक्त पद डिप्लोमा इंजीनियर्स से भरे जाने का प्राविधान है। इस कारण निगम की ओर से उक्त प्रस्ताव को रखने से पूर्व प्रभावित डिप्लोमा इंजीनियर्स से विचार विमर्श किया जाना चाहिए था, जो नहीं किया गया। देहरादून, हरिद्वार में ही प्राइवेट डिग्री कॉलेज हैं। इस कारण देहरादून, हरिद्वार में कार्यरत अभियंता ही इसका लाभ ले सकेंगे। जो दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्र में कार्य कर रहे अभियंताओं के साथ अन्याय है। एएमआईई कोटे में सिर्फ एएमआईई किए अभियंता को ही इसका लाभ दिया जाए। इस कोटे में किसी भी संस्था से डिग्री किए अभियंता को पदोन्नति न दी जाए। ताकि दूरस्थ पहाडी क्षेत्र में कार्यरत डिप्लोमा इंजीनियर्स को भी समान अवसर प्राप्त हो सके। वर्तमान में 2005 एवं 2007 में नियुक्त डिप्लोमा इंजिनियर्स का अभी तक प्रमोशन नहीं हुआ है। ऐसे में एएमआईई कोटे में 10 वर्ष की सीमा विलुप्त करने से 2005 एवं 2007 में नियुक्त अभियंताओं के साथ अन्याय होना स्वाभाविक है। कहा कि 10 वर्ष की सेवा के बाद डिग्री किए अभियंता को एएमआईई कोटे का लाभ देने से डिग्री किए व्यक्ति को पदोत्रति के दोहरे अवसर प्राप्त होंगे। दूसरी ओर डिप्लोमा किए व्यक्ति को एक ही अवसर प्राप्त होगा। जो अनुचित है। राज्य सरकार के अन्य विभागों में एएमआईई कोटा नहीं है। इसे समाप्त किया जाए।
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