Tuesday, April 23, 2024
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क्यों..? पुष्कर सिंह धामी भाजपा आलाकमान की पसंद बने और अनुभवी नाम हुए दरकिनार..!

(राजेन्द्र सिंह नेगी/एल. मोहन लखेड़ा)

देहरादून, भाजपा का अनुभवी नामों को दरकिनार कर युवा पुष्कर धामी पर दांव लगाना, सूबे के दो दशकों के इतिहास में राजनैतिक तौर पर अब तक का सबसे साहसिक कदम माना जा रहा है | क्योंकि संघटन और राजनीति में पारंगत धामी की प्रशासनिक क्षेत्र में महारथ का सामने आना बाकी है | लिहाजा उनकी सीएम पद की इस छोटी पारी की बड़ी सफलता, सूबे में पार्टी की भावी राजनीति में दूरगामी बदलाव ला सकती है | फिलहाल इन सबसे अलग, विषयानरूप अभी हम समझने का प्रयास करते हैं कि ‘पुष्कर’ का पार्टी शीर्ष नेतृत्व की पसंद बनने की क्या रही अहम वजह…uttarakand cm Pushkar Singh Dhami will face These challenges in election year smup | उत्तराखंड: नए CM पुष्कर सिंह धामी की राह नहीं होगी आसान, सामने होंगी ये चुनौतियां | Hindi News ...

राजनीति और संघटन का माहिर खिलाड़ी होना :
पुष्कर सिंह धामी खटीमा विधानसभा से दो बार से विधायक हैं, जानकार का तो यहां तक कहना है कि इससे पूर्व भी उन्हें टिकट मिलता तो वह तीन बार के विधायक होते | संगठनिक अनुभव के रूप में आज भी पार्टी में उनके युवा मोर्चा कार्यकाल में हुए जन आंदोलनों की सफलता को नजीर मानकर चर्चा होती है |

कोशियारी का अपनी इस राजनैतिक विरासत की दिल्ली में पैरवी करना :
धामी, प्रदेश भाजपा की राजनीति के धुरंधर पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशयारी के राजनैतिक दत्तक पुत्र माने जाते हैं | उनकी कार्यशैली में भगत दा की राजनैतिक छाप का होना और अब दिल्ली में स्वयं कोशियारी का उनकी जबर्दस्त पैरवी ने चयन में महत्वपूर्ण रोल निभाया |

 

गढ़वाल में पूर्व सीएम और भावी सीएम की लंबी फेहरिस्त का होना :
जगजाहिर है कि कोशियारी के बाद से सीएम पद रेस में जीतने और हारने वाले सभी खिलाड़ी मूलत गढ़वाल से ही आते हैं | चाहे वह पूर्व सीएम खंडुरी हों, निशंक हों, त्रिवेन्द्र और तीरथ हों या तमाम सीएम दावेदार सतपाल महाराज, अनिल बलूनी, धन सिंह रावत, हरक सिंह रावत ….लंबी फेहरिस्त है | इन सभी हैवीवेट राजनेताओं की राजनैतिक जमीन एक होने के कारण इनमें किसी एक की भी ताजपोशी बाकी सभी की राजनीति को प्रभावित करती है | जिसका खामियाजा चुनाव में समय कम रहने के कारण अंतिम रूप से पार्टी को हो सकता था |जानिए कौन है उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री, और क्यों बने वो बीजेपी के खास - newsdesk

क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन बनाना :
पार्टी के लिए गढ़वाल-कुमायूं और ब्राह्मण-राजपूत का संतुलन साधना भी जरूरी था | चूंकि निशंक केंद्र में मंत्री और मदन कौशिक प्रदेश अध्यक्ष, दोनों ब्राह्मण जाति और गढ़वाल मण्डल से आते हैं, ऐसे में कुमायूं से किसी राजपूत चेहरे को लाना जरूरी था | काबीना मंत्री बिशन सिंह चुफाल के नाम पर सहमति नहीं बनना पुष्कर सिंह धामी के पक्ष में गया |

पार्टी का धामी की सफलता से तमाम राजनैतिक महत्वाकांशाओं के लिए बड़ी लकीर खीचना :

भाजपा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के एक बड़े तबके की राय है कि पुष्कर सिंह धामी जैसे युवा चेहरे की मुख्यमंत्री पद पर सफलता लंबे समय के लिए सूबे की राजनैतिक खींचतान को बेहद कम कर सकती है | क्योंकि बाकी सभी सीएम दावेदार धामी के मुक़ाबले उम्र में काफी बड़े हैं और युवा नेताओं में कोई भी पुष्कर सिंह धामी के आसपास भी नहीं ठहरता | लिहाजा पार्टी के इस सीएम दांव की सफलता, गुटबाजी कम करने में मील का पत्थर साबित हो सकती है |उत्तराखंड CM पुष्कर धामी: टुंडी गांव में हुआ था जन्म, सेना में थे पिता..जानिए उनका सफरनामा (Know all about CM Pushkar Singh Dhami)

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