नई दिल्ली , । पेट्रोल-डीजल की बढ़ती महंगाई से आम जनता को जल्द ही राहत मिल सकती है। मंत्रियों का एक पैनल गुड्स एंड सर्विस टैक्स पर सिंगल नेशनल रेट के तहत पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स लगाने को लेकर विचार कर रहा है। माना जा रहा है कि कंज्यूमर प्राइस और सरकारी राजस्व में संभावित बड़े बदलाव के लिए अहम कदम उठाए जा सकते हैं। लखनऊ में होने वाली 45वीं जीएसटी काउंसिल के बैठक में इस पर फैसला लिया जा सकता है, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाला पैनल इस पर विचार करेगा।
दरअसल, जीएसटी सिस्टम में अगर कोई भी बदलाव करना हो तो उसमें पैनल के तीन-चौथाई से अप्रूवल की जरूरत होती है, इसमें सभी राज्यों और क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल होंगें। हालांकि इस प्रस्ताव में से कुछ ने फ्यूल को जीएसटी में शामिल करने का विरोध किया है क्योंकि उनका कहना है कि ऐसे में केंद्र सरकार को एक प्रमुख राजस्व जुटाने वाला टूल सौंप देंगें। इनका मानना है कि पेट्रोल और डीजल के जीएसटी दायरे में आने के बाद राजस्व का एक अहम हथियार राज्यों के हाथों से निकल जाएगा। गौरतलब है कि देश भर में पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही है जिससे आम जनता बहाल है, सरकार का पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क कलेक्शन चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में 48 प्रतिशत बढ़ा है। यानी बढ़ती कीमत के बीच पेट्रोल-डीजल ने सरकार के खजाने को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।
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