Wednesday, February 19, 2025
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निर्धन, असहाय, बालिकाऐं ही हमारे वास्तविक जीवन की ‘नंदा सुनंदा’ देवी : डीएम

“डीएम ने सात बेटियों का सपना साकार कर, सीडीओ संग किया जनपद में ‘प्रोजेक्ट नन्दा सुनंदा’ का विधिवत शुभारंभ”

देहरादून, जिलाधिकारी सविन बंसल ने गरीब अनाथ, असहाय बालिकाओं स्नातक, स्नात्तकोत्तर एवं कौशल शिक्षा की जिम्मेदारी उठाते बालिकाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। इसके लिए डीएम ने बालिकाओं की शैक्षणिक भविष्य संवारने के लिए जनपद में प्रोजेक्ट ‘नंदा-सुनंदा’ शुरू किया है, जिसमें बालिकाओं के चयन के लिए multimultidisciplinary ( बहु विषयक ) समिति बनाई है, जिससे चयन निष्पक्ष, पारदर्शी एवं वास्तविक हो।
जनपद में प्रोजेक्ट ‘नंदा-सुनंदा’ का आज जिलाधिकारी सविन बंसल एवं मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने 07 बालिकाओं को संयुक्त रूप से रू0 244731 का चैक वितरण कर योजना का विधिवत शुभारंभ किया। अनाथ रोशनीं, असहाय एवं गरीब बेटियों रोनक, शशांक, मीना, आकांश, मानसी साहू एवं विधि को “नन्दा सुनंदा प्रोजेक्ट“ और “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ“ योजना के तहत, जिला प्रशासन द्वारा वित्तीय सहायता दी गई। इन बालिकाओं का चयन उनकी विषम परिस्थितियों को देखते हुए किया गया है, ताकि वे उच्च शिक्षा/कौशल विकास प्रशिक्षण प्राप्त कर आत्म निर्भर बन सकें। जिनमें अनाथ रोशनी को श्री गुरू राम राय विश्वविद्यालय, देहरादून से बी.एससी (योगिक साइंस) कोर्स हेतु रू0 28,975 की सहायता राशि दी गई। जबकि सहाय एवं गरीब, रोनक राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान से स्नातक की पढाई हेतु रू0 25,000, शशांक को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान से 12वीं अध्ययन हेतु रू0 15,000, मीना को पूजा मेकओवर, ठाकुरपुर चौक, डांडी, मोथरोवाला, देहरादून से ब्यूटीशियन कोर्स हेतु 50,000, अकांक्षा को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान से 12वीं अध्ययन हेतु रू.15,000, मानसी साहू को उत्तरांचल विश्वविद्यालय, देहरादून से पीएचडी की पढ़ाई हेतु रू. 52,500 तथा विधि को उत्तरांचल विश्वविद्यालय, देहरादून से होटल मैनेजमेंट का कोर्स हेतु रू0 58,256 की अर्थिक सहायता दी गई।
योजना के शुभारंभ अवसर पर जिलाधिकारी से बालिकाओं ने साझा किया अपने भावी भविश्य निर्माण की संकल्प, वही जिलाधिकारी ने उत्सुकता से जाना बालिकाओं के सपनों की उड़ान की बाते, कहा कि आप सभी के सपनों को साकार करने में जिला प्रशासन हर संभव मदद करेंगे। साथ ही जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी, डीपीओ (आईसीडीएस) का विशेश आभार जताते हुए कहा कि इस नेक आडिया को मूर्त रूप देने में उत्साह पूर्वक सहयोग किया।
जिलाधिकारी के ‘प्रोजेक्ट नंदा-सुनंदा’ से जिले की गरीब, अनाथ एवं असहाय तथा अन्य विषम परिस्थितियों में अध्ययन कर रही बालिकाओं को उच्च शिक्षा स्तर तक शिक्षित करने एवं कौशल शिक्षा प्रदान करते हुए रोजगार से जोड़ा जाएगा। समिति के सदस्यों द्वारा अग्रिम कार्यवाही किये जाने की सहमति के क्रम में गरीब, अनाथ एवं असहाय तथा अन्य विषम परिस्थितियों में अध्ययन कर रही बालिकाओं को न्यूनतम स्नातक स्तर तक शिक्षित किये जाने एवं कौशल शिक्षा प्रदान करते हुए रोजगार से जोड़ने हेतु कार्ययोजना निर्धारित की गई है। बालिकाओं का चयन जनता दरबार एवं बहुद्देशीय शिविरों में जनपद में विभिन्न सरकारी कार्यालयों के माध्यम ये प्राप्त प्रार्थना पत्र, जिला प्रोबेशन अधिकारी एवं जिला समाज कल्याण अधिकारी के अधीन बालिका गृहों में निवासरत बालिकायें, जनपद की समस्त आंगनवाड़ी कार्यकर्ती के माध्यम से सर्वे के आधार पर किया जाएगा।
जिलाधिकारी सविन बंसल ने यह अभिनव कार्य जनपद नैनीताल में डीएम रहते भी कर चुके है, उक्त प्रोजेक्ट के तहत उन्होने 60 बालिकाओं को शैक्षणिक विकास में समृद्ध, सशक्त, सुदृढ़ कर भविश्य को संवारा है।
जिलाधिकारी का यह अभिनव कार्य जनपद देहरादून के उन बालिकाओं के लिए सपने साकार करने का एक सुनहरा अवसर है, जो आर्थिकीय तंगी, पारिवारिक असहाय के चलते स्कूली शिक्षा छोड़कर अपना जीवन व्यतीत कर रही है। प्रोजेक्ट ‘नंदा-सुनंदा’ उन बालिकाओं की सपनों को साकार करने में जिलाधिकारी का यह प्रयास सार्थक साबित होगी।
इस अवसर पर उपजिलाधिकारी न्यायिक कुमकुम जोशी, डीपीओ (आईसीडीएस) जितेन्द्र कुमार, जिला समाज कल्याण अधिकारी पूनम चमोली, प्रशासनिक अधिकारी कपिल कुमार सहित अन्य अधिकारी/कर्मचारी गण उपस्थित थे।

 

पर्वत प्रांतर के विश्वासों और परंपराओं से उपजी हैं मुकेश की कहानियाँ : जितेन ठाकुर

_”दून पुस्तकालय में सीमांत लोक की कहानियाँ का लोकार्पण व विमर्श”

 

देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से शनिवार सायं कथाकार मुकेश नौटियाल के नवीनतम कहानी संग्रह “सीमांत लोक की कहानियां” का विधिवत लोकार्पण केंद्र के सभागार में किया गया । लोकार्पण के बाद इन कहानियों पर साहित्यकारों ने विमर्श भी किया. काव्यांश प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस कथा संग्रह में कहानीकार की विगत तीन दशकों में लिखी 24 कहानियां संकलित हैं।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार जितेन ठाकुर ने कहा कि मुकेश नौटियाल की कहानियां पर्वत प्रांतर के विश्वासों और परंपराओं से उपजती हैं। इन कहानियों में वह हिमालय के तमाम बिंबों को समेटते हुए एक मायावी और अनूठा संसार रचते हैं और विद्यासागर नौटियाल, शैलेश मटियानी, शेखर जोशी और शिवानी की परंपरा को आगे बढ़ाते नज़र आते हैं।
“उत्तरांचल” पत्रिका के संपादक और लेखक सोमवारी लाल उनियाल “प्रदीप” ने कहा कि तेज़ी से बदलते समय में समाज में पुरानी मान्यताएं, विश्वास और मूल्य त्वरित गति से बदल रहे हैं। ऐसे में लेखकों,कवियों और साहित्यकारों का दायित्व है कि वे समय को अपनी रचनाओं में दर्ज करें, ताकि आने वाली पीढ़ियां अपनी जड़ों की शिनाख्त कर सकें।
संस्कृतिकर्मी और साहित्यकार डॉ. नंदकिशोर हटवाल ने मुकेश नौटियाल को लोक में प्रचलित मान्यताओं और समाज के संत्रास को विश्वसनीयता से व्यक्त करने वाला कथाकार बताते हुए कहा कि उनकी कहानियां पढ़ते हुए दरअसल हम हिमालयी समाज से सीधा साक्षात्कार कर रहे होते हैं। रूम टू रीड की राज्य प्रबंधक पुष्पलता रावत ने मुकेश नौटियाल की उन कहानियों की चर्चा की जो विभिन्न पाठ्यक्रमों में पढ़ाई जा रही हैं।
दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि कथाकार मुकेश नौटियाल का यह संकलन अतीत से जुड़ी कहानियों का एक अद्भुत कोलाज है। कथाकर की यह कहानियां मानवीय संवेदनाओं व प्रकृति संरक्षण से युक्त हैं जो बच्चों की जिज्ञासा बढ़ाने के साथ ही उनके सवालों का समाधान भी खोजती हैं.
अपने संबोधन में कथाकार मुकेश नौटियाल ने अपनी रचना-प्रक्रिया को बताते हुए कहा कि उनकी कहानियों में दर्ज घटनाएं और चरित्र वस्तुत उनके अपने परिवेश से ही उपजते हैं। उन्होंने कहा कि प्रभावशाली लेखन के लिए वृहद अध्ययन ज़रूरी है।
काव्यांश प्रकाशन के प्रबोध उनियाल ने इस पुस्तक को युवा पाठकों के लिए पठनीय बताते हुए कहा कि साहित्य के संस्कार विकसित करने के लिए सरल और सहज प्रकृति की ऐसी ही कहानियों की आज सबसे ज्यादा आवश्यकता है।

कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार बीना बेंजवाल ने किया, इस अवसर पर मोहन चौहान, मनोहर पंवार ‘मनु’, विजय भट्ट,, कमला पन्त,योगेंद्र सिंह नेगी, शूरवीर सिंह रावत, चंदन सिंह नेगी, शशिभूषण बडोनी, प्रेम साहिल, सत्यभूषण बडोनी, शैलेन्द्र नौटियाल, डॉली डबराल, संजय कोठियाल, समदर्शी बड़थ्वाल, दिनेश चंद्र जोशी, सुरेन्द्र सिंह सजवाण, मनीष ओली, डॉ.सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी, आलोक सरीन, हर्षमनी भट्ट, सुंदर सिंह बिष्ट सहित शहर के अनेक लेखक, साहित्यकार, पुस्तकालय प्रेमी और पुस्तकालय के पाठक आदि उपस्थित रहे ।

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