‘प्रधानमंत्री ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि 21 जून, सोमवार से देश के हर राज्य में, 18 वर्ष से ऊपर की उम्र के सभी नागरिकों के लिए, भारत सरकार राज्यों को मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराएगी’
नई दिल्ली, भारत में कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार थमने के साथ ही दिल्ली समेत कई राज्यों में लॉकडाउन की पाबंदियों में ढील दी जा रही है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शाम पांच बजे राष्ट्र को संबोधित किया। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि कोरोना की दूसरी वेब से हम भारतवासियों की लड़ाई जारी है। दुनिया के अनेक देशओं की तरह भारत भी बहुत बड़ी पीड़ा से गुजरा है। हममें से कई लोगों ने अपने परिजनों को खोया है। ऐसे परिवारों के साथ मेरी पूरी संवेदना है। बीते 100 वर्षों में आई सबसे बड़ी त्रासदी है। इस तरह की महामारी आधुनिक युग ने न देखी थी न अनुभव की थी। इतनी बड़ी महामारी से हमारा देश एकसाथ लड़ा है। कोविड से लड़ने के लिए बीते सवा साल में देश में एक नया हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल और मई के महीने में भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ गई थी। भारत के इतिहास में कभी भी इतनी मात्रा में मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत महसूस नहीं की गई। इस जरूरत को पूरा करने के लिए युद्धस्तर पर काम किया गया। ऑक्सीजन रेल चलाई गई, नौसेना को लगाया गया।
वैक्सीन हमारे लिए सुरक्षा कवच
पीएम मोदी ने कहा कि सबसे प्रभावी हथियार कोविड प्रोटोकॉल है। वैक्सीन हमारे लिए सुरक्षा कवच की तरह है। आज पूरे विश्व में वैक्सीन की जो मांग है उसके तुलना में उत्पादन करने वाले बहुत कम है। अगर अभी हमारे पास भारत में बनी वैक्सीन नहीं होती तो कल्पना कीजिए भारत जैसे विशाल देश में क्या होता? पिछले पचास सालों के इतिहास देखें तो भारत को विदेशों से वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाता था। विदेशों में वैक्सीन का काम पूरा हो जाता था तब भी हमारे देश में वैक्सीनेशन का काम शुरू नहीं हो पाता था। पोलियो की वैक्सीन हो, चेचक की वैक्सीन हो, हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन हो, इनके लिए देशवासियों ने दशकों तक इंतजार किया था। 2014 में जब देशवासियों ने हमें सेवा का अवसर दिया तो भारत में वैक्सीनेशन का कवरेज सिर्फ 60 प्रतिशत के आसपास था। वैक्सीनेशन के लिए हमने मिशन मोड में काम किया।
मिशन इंद्रधनुष से युद्धस्तर पर वैक्सीनेशन
पीएम मोदी ने कहा कि हमारी दृष्टि में ये चिंता की बात थी। जिस रफ्तार से भारत का टीकाकरण चल रहा था, उस हिसाब से देश को शत-प्रतिशत टीकाकरण कवरेज का लक्ष्य हासिल करने में करीब 40 साल लग जाते। हमने इस समस्या के समाधान के लिए मिशन इंद्रधनुष को शुरु किया। मिशन इंद्रधनुष से युद्धस्तर पर वैक्सीनेशन किया। 5 सालों में वैक्सीनेसन कवरेज 60 प्रतिशत से 90 प्रतिशत हुई। हमने टीकाकरण की रफ्तार भी बढ़ाई और दायरा भी बढ़ाया। हमने बच्चों को कई जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए कई नए टीकों को भी भारत के टीकाकरण अभियान का हिस्सा बना दिया। क्योंकि हमें देश के बच्चों की चिंता थी, हमें गरीबों की चिंता थी। आज पूरे विश्व में वैक्सीन के लिए जो मांग है, उसकी तुलना में उत्पादन करने वाले देश और वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां बहुत कम हैं।
एक साल के भीतर दो मेड इन इंडिया वैक्सीन्स लॉन्च
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले काफी समय से देश लगातार जो प्रयास और परिश्रम कर रहा है, उससे आने वाले दिनों में वैक्सीन की सप्लाई और भी ज्यादा बढ़ने वाली है। आज देश में 7 कंपनियाँ, विभिन्न प्रकार की वैक्सीन्स का प्रॉडक्शन कर रही हैं। तीन और वैक्सीन्स का ट्रायल भी एडवांस स्टेज में चल रहा है। जब नीयत साफ होती है, नीति स्पष्ट होती है, निरंतर परिश्रम होता है तो नतीजे भी मिलते हैं। हर आशंका को दरकिनार करके भारत ने एक साल के भीतर ही एक नहीं बल्कि दो मेड इन इंडिया वैक्सीन्स लॉन्च कर दी। हमारे देश ने, वैज्ञानिकों ने ये दिखा दिया कि भारत बड़े-बड़े देशों से पीछे नही है। आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं तो देश में 23 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है। हाल के दिनों में कुछ एक्सपर्ट्स द्वारा हमारे बच्चों को लेकर भी चिंता जताई गई है। इस दिशा में भी दो वैक्सीन का ट्रायल तेजी से चल रहा है। इसके अलावा अभी देश में एक नेजल वैक्सीन पर भी रिसर्च जारी है।
लॉकडाउन की छूट क्यों नहीं मिल रही?
देश में कम होते कोरोना के मामलों के बीच, केंद्र सरकार के सामने अलग-अलग सुझाव भी आने लगे, भिन्न-भिन्न मांगे होने लगीं। पूछा जाने लगा, सब कुछ भारत सरकार ही क्यों तय कर रही है? राज्य सरकारों को छूट क्यों नहीं दी जा रही? राज्य सरकारों को लॉकडाउन की छूट क्यों नहीं मिल रही? One Size Does Not Fit All जैसी बातें भी कही गईं। इस साल 16 जनवरी से शुरू होकर अप्रैल महीने के अंत तक, भारत का वैक्सीनेशन कार्यक्रम मुख्यत: केंद्र सरकार की देखरेख में ही चला। सभी को मुफ्त वैक्सीन लगाने के मार्ग पर देश आगे बढ़ रहा था। देश के नागरिक भी, अनुशासन का पालन करते हुए, अपनी बारी आने पर वैक्सीन लगवा रहे थे।
मीडिया के एक वर्ग ने चलाया कैंपेन
पीएम मोदी ने कहा कि कई राज्य सरकारों ने फिर कहा कि वैक्सीन का काम डी-सेंट्रलाइज किया जाए और राज्यों पर छोड़ दिया जाए। तरह-तरह के स्वर उठे। जैसे कि वैक्सीनेशन के लिए Age Group क्यों बनाए गए? दूसरी तरफ किसी ने कहा कि उम्र की सीमा आखिर केंद्र सरकार ही क्यों तय करे? कुछ आवाजें तो ऐसी भी उठीं कि बुजुर्गों का वैक्सीनेशन पहले क्यों हो रहा है? भांति-भांति के दबाव भी बनाए गए, देश के मीडिया के एक वर्ग ने इसे कैंपेन के रूप में भी चलाया।
18 साल के ऊपर के लोगों को मुफ्त में वैक्सीन
वैक्सीनेसन को लेकर प्रधानमंत्री ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि 21 जून, सोमवार से देश के हर राज्य में, 18 वर्ष से ऊपर की उम्र के सभी नागरिकों के लिए, भारत सरकार राज्यों को मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराएगी। वैक्सीन निर्माताओं से कुल वैक्सीन उत्पादन का 75 प्रतिशत हिस्सा भारत सरकार खुद ही खरीदकर राज्य सरकारों को मुफ्त देगी। देश की किसी भी राज्य सरकार को वैक्सीन पर कुछ भी खर्च नहीं करना होगा। अब तक देश के करोड़ों लोगों को मुफ्त वैक्सीन मिली है। अब 18 वर्ष की आयु के लोग भी इसमें जुड़ जाएंगे। सभी देशवासियों के लिए भारत सरकार ही मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध करवाएगी। देश में बन रही वैक्सीन में से 25 प्रतिशत, प्राइवेट सेक्टर के अस्पताल सीधे ले पाएं, ये व्यवस्था जारी रहेगी। प्राइवेट अस्पताल, वैक्सीन की निर्धारित कीमत के उपरांत एक डोज पर अधिकतम 150 रुपए ही सर्विस चार्ज ले सकेंगे। इसकी निगरानी करने का काम राज्य सरकारों के ही पास रहेगा।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी कोविड-19 महामारी के बीच कई बार देश को संबोधित कर चुके हैं। इस दौरान पीएम की तरफ से देश की जनता को कई सुझाव और हालात से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी है। देश के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री कई बार नई घोषणाएं भी कर चुके हैं। 15 महीने में प्रधानमंत्री का 10वां संबोधन और दूसरी लहर में ये उनका दूसरा संबोधन है। इससे पहले पीएम मोदी ने 20 अप्रैल को देश को संबोधित किया था।
Recent Comments