पिथौरागढ़, अगर आपको अपने बच्चों की स्कूल यूनिफार्म सिलवानी हो तो आप रियाँसी गांव आ सकते है। तीन माह से सिलाई का प्रशिक्षण ले रही इस गांव की महिलाएं अब इसमें पारंगत हो गई है। खेती व पशुपालन से जुडी इन महिलाओं ने साबित कर दिया है कि उन्हें केवल अवसर चाहिए, हुनर तो उनके भीतर पहले से ही मौजूद है।
ओ.एन.जी.सी.देहरादून के सहयोग से मूनाकोट विकास खंड के ग्राम पंचायत रियाँसी के 60 महिलाओं का सिलाई प्रशिक्षण के लिए चयन किया गया था। महिलाओं में इतना उत्साह था कि प्रशिक्षण में 77 से अधिक महिलाएं प्रशिक्षण में आने लगी। दो टीम बनाकर महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण दिया गया।
राज्य की अग्रणी गैर सरकारी संस्था सोसायटी फार एक्सन इन हिमालया को आयोजक बनाया गया है। संस्था की प्रशिक्षक तुलसी साह ने शुरुवाती एक माह में महिलाओं को परिवार के उपयोग में आने वाले कपड़े बनाने का प्रशिक्षण दिया। दो माह से स्कूल यूनिफार्म पर प्रशिक्षण को फोकस किया गया था, अब उसके परिणाम सामने आने लग गये है। आज सिलाई सीख रही महिलाओं ने स्कूल यूनिफार्म का प्रदर्शन किया।
खेतीबाड़ी करने वाली महिला से टेलर मास्टर बनी 44 वर्षीय गीता देवी ने कहा कि इस उम्र में सीखने की ललक मन में थी, लेकिन डर केवल उम्र का ही था। मेहनत करके वह सिलाई सीख गयी।
24 साल की प्रियंका खडायत ने प्रशिक्षण से सिलाई सीखने के बाद पहलीबार अपने ससुर के लिए पेंट बनाई। ससुर पेंट पहनकर वड्डा बाजार गये तो वह खुश हुई।
36 वर्ष की आशा बिष्ट ने अपनी 14 साल की बेटी के लिए पेंट बनाया, वह पेंट पहनकर बाजार गयी। 40 साल की ममता बिष्ट ने अपने बेटे के लिए हाँफ पेन्ट बनाया तो घर के लोगों ने उनकी तारीफ की। अपने लिए सूट तथा बच्चों के लिए कपडे बनाकर सभी महिलाएं बेहद खुश नजर आ रही है।
संस्था के अध्यक्ष जगत मर्तोलिया ने बताया कि हम इस गांव की महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए बुनियादी ढांचा बना रहे है। मर्तोलिया ने महिलाओं के कौशल विकास में ओ.एन.जी.सी. द्वारा दिए गए सहयोग पर आभार जताया।
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