देहरादून। उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों के पेंशन को नया कानून बनने जा रहा है। पेंशन के इस मामले पर कुछ विभागों के कर्मचारियों ने आपत्ति भी दर्ज कराई है। उत्तराखण्ड पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा तथा विधिमान्यकरण विधेयक-2022 को राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने मंजूरी दे दी। औपचारिक अधिसूचना जारी होने के बाद यह उत्तराखंड का नया कानून बन जाएगा। इस कानून के लागू होने से मौलिक नियुक्ति की तारीख से ही सेवा अवधि की गणना की जाएगी और इसी आधार पर पेंशन तय होगी।
लंबी अस्थायी सेवाओं के बाद परमानेंट होने वाले कार्मिकों के लिहाज से यह कानून काफी महत्वपूर्ण है। सचिव-राज्यपाल रविनाथ रमन ने विधेयक को मंजूरी की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि विधेयक को मंजूरी के बाद विधायी विभाग भेज दिया गया है।
इस साल मार्च में गैरसैंण में हुए बजट सत्र में यह विधेयक पारित हुआ था। दअरसल, पेंशन लाभ के लिए दस साल की न्यूनतम सेवा अनिवार्य है। लेकिन लोनिवि, सिंचाई समेत कुछ विभागों में कार्मिकों ने अपनी दैनिक वेतन, तदर्थ, कार्यप्रभारित, संविदा, नियत वेतन व अंशकालिक रूप में अस्थायी सेवाओं को भी पेंशन के लिए जोड़ने की मांग की थी। कुछ मामलों में कोर्ट ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला दिया था। इस प्रकार के मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने पेंशन को लेकर कानून बनाने का निर्णय किया । यह कानून पूर्व में जारी फैसलों पर भी लागू होगा।
माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. अनिल शर्मा और महामंत्री जगमोहन सिंह रावत ने इस विधेयक को शिक्षक-कर्मचारी विरेाधी करार दिया है। उन्होंने इस विधेयक को स्वीकार न करने के बाद बाबत राज्यपाल को ज्ञापन भी दिया था। डा. शर्मा के अनुसार सरकार को दोबारा से इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। कई कई साल तक तदर्थ व अस्थायी आधार पर नौकरियां करते हैं। मौलिक नियुक्ति से सेवा की गणना करना नाइंसाफी होगा।
वर्ष 2005 से पहले की विज्ञप्ति के आधार पर चयनित कार्मिकों को पुरानी पेंशन का लाभ देने के लिए सरकार फार्मूला तैयार कर रही है। 19 मई को मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु वित्त, कार्मिक, न्याय विभाग के साथ इस पर चर्चा करेंगे। वित्त विभाग ने सभी विभागों को इस विषय की तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। करीब दो हजार शिक्षक-कर्मचारियों के इस फैसले के दायरे में आने की उम्मीद है। वित्त विभाग के उपसचिव नंदन सिंह बिष्ट ने सभी विभागों को भेजे पत्र में कहा कि 19 मई को मानकों का परीक्षण किया जाएगा।
धामी कैबिनेट पिछले साल पांच जनवरी 2022 को एक समान विज्ञप्ति से चयनित कार्मिकों को पुरानी पेंशन का लाभ देने का निर्णय कर चुकी है। वहीं चंपावत के शिक्षक पल्लव जोशी बताते हैं कि एक अक्टूबर 2005 को ज्वाइनिंग न हो पाना प्रक्रियागत देरी थी। एक ही बैच के शिक्षकों के बीच दोहरी व्यवस्था बन चुकी है। प्रक्रियागत देरी की सजा शिक्षक-कर्मचारियों को नहीं दी जानी चाहिए थी।
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