(प्रमोद खण्डूडी)
पौड़ी, जनपद पौड़ी में सरकारी सिस्टम से जुड़े लोग अपने हित के लिए आम आदमी के हकों पर डाका डालकर अपने हित साध रहे हैं | दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति तो ये है कि ये कृत्य वहाँ हो रहे हैं जहाँ जनप्रतिनिधि बैठें हैं और जिनको जनता ने अपने वोटों से निर्वाचित कर सम्माननीय बनाया |
पौड़ी में नगरपालिका और जिला पंचायत पार्किंग को जनसुविधा नही बल्कि अपने चहेतों को सुविधा देने के हिसाब से उपयोग में लाया जा रहा है नगर पालिका ने पार्किंग को जनसुविधा से एकदम दरकिनार कर दिया है पालिका ने पार्किंग बनाकर महीने की वसूली के हिसाब से लोगों को पार्किंग दे दी इससे नुकसान ये हुआ कि बाहर से आने वाले लोगों को वाहन पार्क करने के लिए जगह नही मिल पा रही है नगरपालिका की मनमानी का आलम यह है कि पालिका ने स्टेशन पर मालरोड़, अपर बाजार में रामलीला मैदान के सामने तक की पार्किंग बेच डाली अब अपर बाजार में बाजार के व्यवसायियों को अपने वाहन खड़े करने की जगह नसीब नही हो पा रही है
एक पार्किंग जहाँ व्यवसायी वाहन खड़ा करते थे पालिका वहाँ कैफे का निर्माण करवाने लगी है कायदे से तो पर्यटन नगरी के नाम से पुकारे जाने वाले इस पर्वतीय नगर में जब पर्यटकों को पेमेंट में भी वाहन पार्किंग की सुविधा नही मिल पाएगी तो वे शहर में रुकेंगे कैसे जब रुकेंगे नही तो यहाँ का व्यवसाय कैसे चल पाएगा अपने व्यवसायियों के हितों के लिए क्या नगरपालिका भी कुछ सोचती है या वह सिर्फ अपनों को ही रेवड़ियां बांट रही है रही बात पालिका की आय की तो पालिका यदि बाजार की पार्किंग सबके लिए खोल दे तो यहाँ आने वाले वाहनों से उसे महीने की बंधी बंधाई आय से अधिक आय की प्राप्ति होगी और दिनभर की आय के पश्चात रात को वाहन खड़ा करने के लिए भी लोगों को निर्धारित दरों पर पार्किंग उपलब्ध करायी जा सकती है जरूरत है जनसुविधा के दृष्टिकोण से पार्किंग का संचालन किये जाने की.
जिला पंचायत ने भी अपनी पार्किंग एक व्यवसायी को बेचकर अपने पैसा कमाऊ नजरिये को सार्वजनिक कर दिया है, कितनी बड़ी विडम्बना है कि जिला पंचायत की पार्किंग पर पचास हजार रुपये सालाना में लेने वाला व्यवसायी पार्किंग पर ताला लगाकर निकल जाता है और जिला पंचायत अध्यक्ष, जिला पंचायत के कर्मचारियों और जिला पंचायत भवन में व्यवसाय करने वाले दुकानदारों के वाहन सड़क में खड़े रहते हैं जिससे धारारोड़ से अपर बाजार जाने वाले वाहनों को ही नही पैदल यात्रियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. दुर्भाग्यपूर्ण तो यह है कि आम आदमी को ये परेशानियां उन जनप्रतिनिधियों के कारण हो रही हैं जिन्हें जनता ने ही चुनकर इन पदों पर बिठाया जहाँ से वे जनविरोधी निर्णय ले रहे हैं |
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