(एल मोहन लखेड़ा)
आखिर बागेश्वर उपचुनाव का नतीजा आ चुका है। प्रदेश के सत्ताधारी दल भाजपा के प्रत्याशी के माथे पर इस जीत का ताज सज चुका। वहीं आगामी साल 2024 में लोकसभा चुनाव भी होने हैं और इस उपचुनाव के नतीजे से एक तरफ तो भाजपा खुश है लेकिन जीत का अंतर कम होना भी कहीं न कहीं भाजपा संगठन के माथे पर लकीर खड़ा करती है | देखा जाय तो सत्तारूढ़ भाजपा ने इस उप चुनाव में अपना पूरा दमखम लगा दिया, अपनी विकास गाथा की उपलब्धियों के साथ सांत्वाना के तीर भी इस चुनाव में चलाये गये, फिर भी जीत मात्र 2000 से अधिक वोटो तक ही सिमटी रह गयी | आखिर क्यों हुआ जीत का अंतर इतना कम | कहीं यह राज्य के पहाड़ियों का भाजपा के प्रति मोह भंग तो नहीं | यह प्रश्न भी सत्ता के गलियारे में तैर रहा है |
अब देखा जाय भाजपा की सत्तारूढ़ सरकार के लिए यह जीत कई मायनों में विधान मंडल के आंकड़ों में बढ़ोतरी तो कर सकती है लेकिन वोटो का अंतर काफी कम होना भी चिन्ता का विषय है | अब सवाल उठता है कि क्या वोट की तादाद कम होने से धामी सरकार के विकास के कार्यों को जनता ने प्रतिशत में बताया है या मोदी जी के उत्तराखंड प्रेम को जनता कम आंक रही है, यह तमाम सवाल राज्य व केंद्र से जनता के होंगे, यह आने वाले समय में चुनाव का प्रतिशत तय करेगा |
वहीं यदि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस थोड़ी मेहनत करती और पूरे विपक्ष से सहयोग मांगती तो वह इस चुनाव में ऐतिहासिक उलटफेर कर सकती थी। लेकिन बड़े दल के अहंकार में डूबी कांग्रेस ने छोटे दलों को कोई अहमियत न देकर इस मौके को दरकिनार कर दिया। जबकि बागेश्वर उपचुनाव के लिए जिस समय चुनावी सरगर्मियां तेज हो रही थीं, ठीक उसी समय भारतीय राजनीति के गर्भ से एकीकृत विपक्ष I.N.D.I.A. का जन्म हो की नींव पढ़ रही थी और समाजवादी पार्टी खुद ‘इण्डिया’ का घटक दल होने के नाते कांग्रेस के सहयोगी की भूमिका में है। वामपंथी दलों और बसपा ने अपना कोई प्रत्याशी इस चुनाव में उतारा ही नहीं था। राज्य के यूकेडी तथा उपपा जैसे दलों से बात करके उनका सहयोग भी मांगा जा सकता था। लेकिन कांग्रेस के नेता बागेश्वर उपचुनाव की सकारात्मक राजनैतिक अहमियत नहीं समझ सके।
चुनावी जीत के बाद जहां एक और बीजेपी ने प्रदेश की जनता का अपने तरफ रुझान बताया तो वहीं कांग्रेस ने इस चुनाव में धन बल और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। कैबिनेट मंत्री सौरव बहुगुणा ने बागेश्वर की जनता का आभार जताते हुए कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए ये अच्छा संदेश है। वहीं नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि कांग्रेस ने बड़ी गंभीरता के साथ चुनाव लड़ा, लेकिन सत्तारूढ़ दल ने धनबल और सरकारी मशीनरी का चुनाव में दुरुपयोग किया।
बहरहाल, बागेश्वर विधानसभा के लिए हुए इस उपचुनाव के परिणामों ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि आगामी लोकसभा चुनाव यदि सम्पूर्ण विपक्ष एक मंच पर आकर चुनाव लड़े तो उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर परचम लहरा रही भारतीय जनता पार्टी को एक सीट के भी लाले पड़ सकते हैं।