Sunday, May 11, 2025
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टाट वाले बाबा जी जैसे सन्तों ने ही सनातन धर्म को सुरक्षित रखा है : हरिचेतना नन्द

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हरिद्वार, दुर्लभ संत श्री श्री श्री टाट वाले बाबा जी की पुण्य स्मृति में आयोजित तीन दिवसीय 34 वाँ वार्षिक वेदान्त सम्मेलन में आज दिव्तीय दिवस पर वेदांत सम्मेलन का आयोजन टाट वाले बाबा जी की समाधि स्थल बिरला धाट पर आयोजित किया गया । वेदांत सम्मेलन का सफल संचालन एस एम जे एन पी जी कालेज के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ सुनील कुमार बत्रा एवं संजय बत्रा ने किया ।
आज दिव्तीय दिवस में महामंडलेश्वर स्वामी श्री हरिचेतनानंद जी महाराज ने श्री श्री टाट वाले बाबा जी महाराज को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि संत को जानना अत्यंत सरल है और समझना बहुत कठिन ।।संत के श्री चरणों में समर्पित/दीर्घ काल तक रहा जीव अत्यंत अनुभवी हो जाता है। संत और भगवंत में कोई अंतर नहीं होता ।।नर्मदा तट का एक दृष्टांत सुनाते हुए कहा कि महापुरुष के सम्मुख उपस्थित रहकर आपको ऐशो आराम सुख सम्पदा छोड़कर ही आना होगा । पूज्य श्री टाट वाले बाबा जी जैसे सन्तों ने ही सनातन धर्म को सुरक्षित रखा है। पूज्य गुरुदेव श्री टाट वाले बाबा जी इस सदी के अत्यंत ही दुर्लभ संत है।
साधना सदन के महामहिम मोहनानन्द पुरी महाराज ने टाट वालेबाबा को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कहा कि
जिसके हृदय में अत्यन्त वैराग्य हैं वहीं वेदांत को पचा सकता है। विरक्त महापुरुषों का भक्तों से कोई समबन्ध नहीं होता है।
डॉक्टर स्वामी हरिहरानंद जी महाराज गरीबदासी परंपरा के श्री महंत जी ने पूज्यपाद प्रातः स्मरणीय श्री श्री टाट वाले बाबा जी महाराज के 34 वे वार्षिक स्मृति समारोह वेदांत सम्मेलन के द्वितीय दिन अपने मुखारविंद से अमृतमयी वाणी के रूप अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करके प्रकाशमय करने वाला एकमात्र गुरु ही है,वह ही स्वयं को जानने मात्र का एक साधन है, जो की परमात्मा अर्थात आत्म दर्शन कराने का प्रकाशमय ज्योत के रूप में गंगा मां के तट पर टाट वाले बाबा के रूप में विराजित है।परमपिता परमात्मा ही एक मात्र सत्य है और चहुँ और प्रकाशित जगत जो निरंतर परिवर्तनशील है वह मिथ्या है।।

वेदान्त की इस कड़ी में स्वामी दिनेश दास ने एक भजन के द्वारा टाट वाले बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि तुम ही मेरे सर्वस्व तुम ही प्राण प्यारे तुम्हें छोड़ कर मैं किस से कहूंगा। उन्होंने कहा कि गुरू के चरणों से ही शक्ति मिलती है और गुरु चरणों से ही ज्ञान का बोध होने लगता है ।
इसी कड़ी में संत हरिहरानंद भक्त ऋषिकेश ने टाट वाले बाबा जी के साथ अपने व्यतीत किये हुए संस्मरणों को सुनाया। टाट वाले बाबा जी मां गंगा जी के अनन्य उपासक थे ,उन्होंने गंगा के तट पर रहकर हमेशा गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता का संदेश जन-जन को दिया और इसी का परिणाम यह है कि आज भी टाट वाले बाबा के श्रद्धालु पूर्ण निष्ठा के साथ मां गंगा की निर्मलता एवं अविरलता का ध्यान रखते हैं।
स्वामी रविदेव शास्त्री परमाध्यक्ष श्री राम निवास एवं गरीबदासीय परम्परा ने आज वेदान्त सम्मेलन में द्वितीय दिन अपने मुखारविद से अमृतवाणी के रूप में श्रद्धासुमन अर्पित करते हुये कहा कि वो व्यक्ति ही भाग्यशाली है जो बाबा जी के सम्मुख उपस्थति होकर उनका प्रसाद रूपी आर्शीवाद निरन्तर प्राप्त कर रहे है दर्शन लाभ प्राप्त कर रहे है । टाट वाले बाबा वह महा पुरुष है जो यम की देहरी से भी अपने भक्त को छुड़ा लाते है अर्थात उद्वार हो जाता है। पंचभूतो से बनी देह अर्थात जो पंचभूतो से बनी देह अर्थात जो मरने वाला है वो तुम नही हो तुम जो हो वह परम ब्रहम हो आत्मा कभी नही मरती वह अजर अमर अविनाशी है ।
परम पूज्यनीय परम श्रद्धेय कृष्णामयी मां ने गुरुजी श्री टाट वाले बाबा जी महाराज को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि बाबा जी महाराज प्रत्यक्ष रूप से सदैव मां गंगा के तट पर विराजित हैं। और चहुं ओर उनका प्रकाश हम सब पर निरंतर प्रकाशित हो रहा है।जिसकी अनुभूति हमे प्राप्त हो रही है ।।
गुरु चरणानुरागी समिति के नेतृत्व में अध्यक्षा रचना मिश्रा, कर्नल सुनील , विजय शर्मा, सुरेन्द्र वोहरा, दीपक भारती, श्री मती मधु गौर, सुनील सोनेजा, गुलर उदित गोयल, सुनीता गोयल कौशल्या सोनेजा, शारदा खिल्लन, वाले से माता स्वामी जगदीश जी महाराज के अनुयायी एवं शिष्या महेशी बहन, कृष्णमयी माता, स्वामी रामचंद्र ,लेखराज, रमा वोहरा, अश्वनी गौर, लव गौर,कमला कालरा, उमा गुलाटी, नेहा बत्रा,स्वामी हरिहरानंद भक्त के द्वारा कार्यक्रम को संयोजन किया गया
कार्यक्रम का आरम्भ गुरु वंदना के साथ हुआ । गुरु भक्त महेशी बहन ,मधु बहन ,भावना बहन, सन्तोष ,कमला कालरा एवं बहन रैना जी ने भजन के माध्यम से टाट वाले बाबा जी के श्री चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किये । इस अवसर पर बहन भावना, एवं राम चन्द्र ने भाव भक्ति से परिपूर्ण अंत में आरती एवं भोग प्रसाद के बाद वेदान्त सम्मेलन के दिव्तीय दिवस का समापन हुआ ।

उत्तराखंड हैलीपैड एवं हेलीपोर्ट नीति-2023 स्वीकृत : लीज पर जमीन देने पर भूस्वामी को मिलेगा किराया और लाभांश

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देहरादून, प्रदेश की धामी सरकार की कैबिनेट बैठक में कई प्रस्तावों फर मुहर लगी, जिसके अन्तर्गत पहाड़ी क्षेत्रों के लिये उत्तराखंड हैलीपैड एवं हेलीपोर्ट नीति-2023 को स्वीकृति दी है। कैबिनेट से स्वीकृत इस नीति में हेलीपैड या हेलीपोर्ट के निर्माण के लिए निजी जमीन के स्वामियों के समक्ष दो प्रस्ताव रखे गए हैं, जिसमें लीज पर जमीन लेने के साथ ही भूस्वामी को उसका किराया और लाभांश भी दिया जाएगा। वहीं, भूस्चामी स्वयं भी इसका निर्माण करा सकता है और सरकार इसमें सब्सिडी भी देगी।

कैबिनेट में नागरिक उड्डयन विभाग से संबंधित प्रस्ताव के मुताबिक, राज्य सरकार के सशक्त उत्तराखंड मिशन के तहत राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से सुरम्य गंतव्य स्थानों तक पहुंच,आपातकालीन चिकित्सा और आपदा सेवाओं में आ रही चुनौतियों का सामना करने के लिए राज्य में हेलीपैड एवं हेलीपोर्ट की अपार संभावनाओं को देखते हुए, उत्तराखंड सरकार के अंतर्गत उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा या प्राधिकरण), जो कि राज्य में नागरिक उड्डयन अवसंरचना एवं पारिस्थतिकी के विकास हेतु प्रमुख निकाय है, द्वारा उत्तराखंड हैलीपैड एवं हेलीपोर्ट नीति 2023 प्रस्तावित की है।

प्रस्तावित नीति हैं दो विकल्प :

इस नीति में दो विकल्प प्रस्तावित किए गए हैं, जिनमें प्रथम विकल्प के अनुसार चयनित भूमि मालिक हेलीपैड/हेलीपोर्ट विकास के लिए प्राधिकरण को 15 साल के लिए पट्टे पर भूमि प्रदान कर सकते हैं जिस पर प्राधिकरण द्वारा चयनित भूमि पार्सल पर डीजीसीए नियमों द्वारा लागू डिजाइन और विशिष्टताओं के आधार पर हेलीपैड/हेलीपोर्ट को विकसित किया जायेगा। वित्तपोषण और विकास की लागत प्राधिकरण द्वारा वहन की जायेगी। आवेदक/भू-स्वामी को प्रतिवर्ष 100 रूपये प्रति वर्ग मी किराया भुगतान किया जायेगा एवं इसके अतिरिक्त,चयनित आवेदक/भू-स्वामी को निर्मित हेलीपैड/हेलीपोर्ट के संचालन एवं प्रबंधन से प्राप्त होने वाले राजस्व का 50 प्रतिशत भुगतान किया जाएगा।
जबकि दूसरे विकल्प के तहत चयनित आवेदक/भू-स्वामी द्वारा लागत में किसी भी वृद्धि सहित हेलीपैड/हेलीपोर्ट के वित्तपोषण और विकास की पूरी लागत का वहन किया जाएगा। हेलीपैड के लिए लगभग 10 से 20 लाख तथा हेलीपोर्ट के लिए लगभग 2 से 3 करोड़ की पूंजीगत आवश्यकता रहेगी। हैलीपैड/हंलीपोर्ट के विकास,संचालन एवं प्रबंधन के लिए सभी प्रासंगिक अनुमोदन (डीजीसीए लाइसेंस/संचालन अनुमति सहित) प्राप्त करने की जिम्मेदारी आवेदकों/भू-स्वामियों की होगी। प्राधिकरण इसमें सहायता करेगा। चयनित आवेदक/भू-स्वामी द्वारा भूमि पार्सल को, प्राधिकरण द्वारा उपलब्ध कराये गये डिजाइन और विशिष्टताओं के अनुरूप,हेलीपैड/हेलीपोर्टस के रूप में विकसित किया जायेगा। डीजीसीए लाइसेंस/अनुमोदन की वैधता की अवधि के दौरान, आवेदक/भू-स्वामी हेलीपैड/हेलीपोर्ट उपयोगकर्ताओं से सभी राजस्व एकत्र करेंगे। वाणिज्यिक संचालन तिथि से न्यूनतम 10 साल तक, प्राधिकरण सम्बन्धित हेलीपैड/हेलीपोर्ट के लिए, पात्र पूंजीगत सम्पत्ति के विकास पर होने वाले वास्तविक पूंजी व्यय या यूकाडा द्वारा उपलब्ध कराये गये पूंजीगत व्यय का आंकलन, इनमें से जो भी कम हो के 50 प्रतिशत के बराबर पूंजीगत सब्सिडी प्रदान करेगा। पूंजीगत सब्सिडी का भुगतान दो बराबर किश्तों में किया जायेगा।
वहीं दोनों ही विकल्पों पर आवेदक/भू-स्वामी हेतु प्रस्तावित नीति में निर्धारित सभी मानकों/शर्तों तथा हेलीपैड हेतु न्यूनतम 1000 वर्ग मीटर समतल भूमि क्षेत्र (30X30 मीटर) एवं भू-क्षेत्र तथा हेलीपोर्ट हेतु न्यूनतम 4,000 वर्ग मीटर समतल भूमि क्षेत्र (प्रत्येक तरफ लगभग 50 मीटर) या जैसा प्राधिकरण द्वारा निर्दिष्ट की जाए, को पूरा किया जाना होगा।

 

सयुंक्त नागरिक संगठन के शिष्टमण्डल ने एमडीडीए उपाध्यक्ष को सौंपा दून-डिक्लेरेशन’ का ड्राफ्ट

देहरादून, सयुंक्त नागरिक संगठन द्वारा जनसंवाद में प्राप्त सकारात्मक सुझावों पर आधारित ‘दून-डिक्लेरेशन’ का तैयार ड्राफ्ट को लेकर शिष्टमण्डल मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण कार्यालय में उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी को उनके दिये समयानुसार ज्ञापन के साथ पहुंचे, काफी प्रतीक्षा के बाद भी जब संयुक्त नागरिक संगठन व सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि वरिष्ठ नागरिक गण को बताया गया कि उपाध्यक्ष महोदय सचिवालय में बैठक ले रहे हैं, लेकिन जब डेढ़ घण्टे इन्तजार के बाद पुनः उनके कर्मचारियों के साथ ही व्यक्तिगत उपाध्यक्ष महोदय को सन्देश भिजवाया गया, तत्पश्चात एमडीडीए के उपाध्यक्ष द्वारा शिष्टमण्डल को ननूर खेड़ा शिक्षा निदेशालय में मिलने हेतु बुलाया गया।
ननूर खेड़ा शिक्षा निदेशालय में सयुंक्त नागरिक संगठन के शिष्टमण्डल ने पहली मुलाकात करते हुये पुष्पगुच्छ भेंट कर सभी का परिचय के साथ ही संगठन के कार्यों से अवगत कराया।
संगठन की ओर से उपाध्यक्ष जी एस जस्सल एवं सुशील त्यागी देहरादून शहर कि वस्तु स्तिथि से अवगत कराते हुये जिसमें स्मार्ट सीटी से लेकर मसूरी प्राधिकरण व निगम आदि की कमियां व उनके निराकरण को लेकर नाली , सड़कें , पार्किंग , पर्यावरण , सफाई कें साथ भवनों का व्यावसायिक करण आदि पर गत माह हुये संवाद कार्यक्रम में आयें सुझावों को अमल में लाते हुये शहर कें लिये दून डिक्लेरेशन कें नाम से तैयार ड्राफ्ट प्राधिकरण कें उपाध्यक्ष को सौंपा।
प्रदीप कुकरेती व ओमवीर कें साथ मुकेश नारायण शर्मा ने उपाध्यक्ष कें साथ गहन वार्ता की और शीघ्र भविष्य में इस पर चर्चा व मनन हेतु सामूहिक बैठक बुलाने पर जोर देने को कहा जिसको उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी द्वारा सहर्ष स्वीकार किया और उन्होंने कई बिंदुओं को इंगित करते हुये तारीफ की और इन्वेस्टर समिट के बाद जल्द आपस में बैठक बुलाने का भरोसा दिया।
शिष्टमंडल में मुख्य रूप से सयुंक्त नागरिक संगठन कें उपाध्यक्ष व सरदार जीएस जस्सल, सयुंक्त नागरिक संगठन कें महामन्त्री, सुशील त्यागी, पेंशनर संगठन के ओमवीर सिंह, पर्यावरण विद् जगदीश बावला, मुकेश नारायण शर्मा, उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदीप कुकरेती, शक्ति प्रसाद डिमरी, चौधरी चंद्रपाल सिंह आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।

 

विशेष : डॉ. आरएस टोलिया की 7वीं पुण्य तिथि, आज भी हिमालय के अभिभावक है रघुनंदन टोलिया

-अध्ययन, घुमक्कड़ी, लेखन पर जीवंत रहा जीवन

-उत्तराखंड में इस बहुप्रतिभा का दूसरा नौकरशाह नहीं हुआ पैदा

मुनस्यारी, जोहार भूमि के ग्राम टोला निवासी डॉक्टर रघुनंदन सिंह टोलिया हिमालय राज्यों के विकास के लिए समर्पित एक नाम है। उत्तराखंड मूल के प्रथम मुख्य सचिव तथा मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर रहे उत्तराखंड ही नहीं भारत के प्रमुख नौकरशाहों में एक डॉक्टर टोलिया की पुण्यतिथि 6 दिसंबर 2023 को है। सातवीं पुण्यतिथि पर पहली बार मुनस्यारी में उनकी मातृभूमि उन्हें याद कर रही है। विकासखंड मुनस्यारी के ग्राम टोला के निवासी डॉक्टर रघुनंदन सिंह टोलिया का जन्म 15 नवंबर 1947 को दीवान सिंह टोलिया के परिवार में हुआ। डॉक्टर टोलिया ने एमएससी गणित, एमए इतिहास करने के बाद पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। रूरल विकास का इतना जूनून उनको था कि उन्होंने डिप्लोमा इन रूरल सोशियल डेवलपमेंट ( रीडिंग यूके ) की उपाधि को भी प्राप्त किया।
भारत के भारतीय प्रशासनिक सेवा में एक ऐसे नाम है, जिन्हें आज भी देश याद करता है।
डॉक्टर टोलिया बिना आरक्षण के भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण कर 1971 के बैच के आईएएस अधिकारी बने।
डॉक्टर टोलिया ने उत्तर प्रदेश में रहते हुए पर्वतीय विकास विभाग का पृथक रूप से गठन करने में मुख्य भूमिका निभाई। इस विभाग के सचिव रहते हुए डॉक्टर टोलिया ने हमेशा उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के विकास के लिए कार्य किया।
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद राज्य मूल्य के प्रथम मुख्य सचिव बनने के बाद डॉक्टर तोलिया हिमालय क्षेत्र के विकास के लिए एक लंबी लकीर खींचने चाहते थे, प्रदेश के राजनेताओं के सहमत नहीं होने के कारण आज भी उनका सपना सपना ही बना हुआ है।
16 घंटा काम करने वाले डॉक्टर टोलिया को हिमालयवासियों का अभिभावक भी कहा जाता है। मुख्य सचिव के पद पर रहते हुए उन्होंने कभी भी अपने वाहन पर लाल बत्ती नहीं लगाई। पुलिस स्काउट व्यवस्था भी स्वीकार नहीं किया।
एक साधारण साधक के रूप में मुख्य सचिव के पद पर कार्य करते रहे। उनके आगे पीछे कभी काफिला भी नहीं रहता था। राज्य की नौकरशाही के उच्च पद पर रहते हुए सादगी के साथ उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया।
डॉक्टर टोलिया चाहते थे, कि हिमालय क्षेत्र के लिए विकास की अलग नीति बननी चाहिए।
विकास की तकनीकी पर भी वे हिमालय के अनुरूप नीति चाहते थे। महिला स्वयं सहायता समूह के निर्माण में उनके योगदान को कोई भूला नहीं सकता है। उत्तर प्रदेश में रहते हुए महिला डेरी उन्हीं के दिमाग की उपज थी। आज उत्तराखंड में आंचल के नाम से जो दुग्ध उत्पाद हमें दिखाई देते है।
उसकी रचना भी उन्होंने ही की थी। रामबांस प्रोजेक्ट उनकी ही देन है। उत्तराखंड में इस बात को विशेषज्ञ कहते थे कि चीड के जंगल में कोई दूसरा पौधा पैदा नहीं हो सकता है। डॉक्टर टोलिया ने उत्तराखंड बनने के बाद चाय विकास बोर्ड का गठन किया। आज उत्तराखंड में चीड के जंगलों के नीचे चाय के लह लहराते बागान डॉक्टर टोलिया के उत्तराखंड के पर्वतीय प्रेम को दर्शाता है।
उत्तराखंड में वन विभाग को कार्यदायी संस्था का स्वरूप भी डॉक्टर टोलिया के द्वारा दिया गया। वन पंचायत के लिए नया वन पंचायत एक्ट लाकर डॉक्टर टोलिया ने इन पंचायत को नया जीवन दिया। उत्तराखंड राज्य निर्माण के समय ग्राम्य विकास आयुक्त तथा सचिव के रूप में कार्य करते हुए डॉक्टर टोलिया ने उत्तराखंड के पर्यटन, ऊर्जा, जड़ी बूटी, पशुपालन, कृषि और उद्यान, हस्तशिल्प को राज्य की इकोनमी का आधार बनाने के लिए योजना बनाई। एक नौकरशाह होते हुए राजनेताओं के साथ तालमेल करते हुए अपनी योजनाओं को धरातल में उतारना बेहद कठिन था।
फिर भी डॉक्टर टोलिया ने इन शब्दों को आमजन का शब्द तो बना ही दिया। उन्हें घूमने, पढ़ने और लिखने का शौक रहा है।
एक व्यस्त नौकरशाह होने के बाद भी उनका अध्ययन इस स्तर का था, कि उन्हें आज भी एक चलता फिरता स्कूल कहा जाता है।
उत्तराखंड के प्रथम मुख्य सूचना आयुक्त बनने के बाद उन्होंने सूचना के अधिकार को आमजन में लोकप्रिय बनाने के लिए कार्य किया। सेवानिवृत्ति के बाद इतने बड़े पदों में रहने के बाद भी डॉक्टर टोलिया ने मुनस्यारी स्थित ग्राम पंचायत सरमोली में अपना निवास बनाया।
मुनस्यारी में रहते हुए स्वध्याय और चिंतन के साथ राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित उनका लेखन जारी रहा। सेवानिवृत्ति के बाद हिमालय राज्यों को एकजुट करते हुए डॉक्टर टोलिया हिमालय नीति बनाने में जुटे हुए थे, कि उनका स्वास्थ्य खराब होने लगा।
6 दिसंबर 2016 को 69 वर्ष की आयु में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा बोल दिया।
डॉक्टर टोलिया जब भी मुनस्यारी आते थे, अपनी बैठक में जिलाधिकारी को पूछते थे कि वह मिलम गांव गए कि नहीं?
एक बार जब उनसे ही यह सवाल पूछा गया कि आप हर जिलाधिकारी से यह सवाल क्यों पूछते है, तो डॉक्टर टोलिया का जवाब था, कि जब नौकरशाह कठिन जिंदगी में रहने वाले लोगों के बीच जाएंगे, तभी वह समझ पाएंगे कि हिमालय क्षेत्र के लोग किन कठिनाइयों में रहते है।
डॉक्टर टोलिया का हमेशा यह मानना रहा कि प्रत्येक आईएएस तथा पीसीएस अधिकारियों को विकास की बारीकी समझने के लिए सबसे पहले खंड विकास अधिकारी के पद पर कम से कम 3 वर्ष कार्य करना चाहिए।
डॉक्टर टोलिया के निधन के बाद दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर 908 पेज का एक महाग्रंथ तैयार किया है। इस महाग्रंथ में डॉक्टर टोलिया द्वारा लिखे गए महत्वपूर्ण पुस्तक, रिपोर्ट्स, मोनोग्राफ्स, आलेख, नोट्स और सार्वजनिक व्याख्यान को स्थान दिया गया है।
“THE ESSENTIAL R.S.TOLIA” के नाम से संपादित इस महाग्रंथ में हिमालय क्षेत्र के विकास के स्वरूप को आज भी हम पढ़ व समझ सकते सकते है। एटीआई नैनीताल का नाम डाक्टर टोलिया के नाम पर रखा गया है।एटीआई नैनीताल में एक कक्ष में उनका प्रकाशित साहित्य रखा गया है। बताते है कि एटीआई नैनीताल को प्रशिक्षण संस्थान का स्वरूप तथा यहां पुस्तकालय का विकास इसके
महानिदेशक के रूप में उनके द्वारा ही किया गया।
उनके जीवन और उनके कार्यों पर वर्ष 2000 में उत्तराखंड सरकार के तत्कालीन ग्राम्य विकास मंत्री रहे डॉक्टर मोहन सिंह रावत गांववासी कहते है कि मंसूरी अकादमी में आईएएस अधिकारियों को प्रशिक्षण के दौरान डॉक्टर टोलिया पढ़ाया जाना चाहिए।
वे कहते है कि अकादमी में डॉक्टर टोलिया के दर्शन पर तीन दिवसीय व्याख्यान माला भी आयोजित की जानी चाहिए तभी उत्तराखंड की सेवा में आने वाले नौकरशाहों की दृष्टि उत्तराखंड के प्रति स्पष्ट होगी।
डॉक्टर टोलिया के मुख्य प्रकाशित पुस्तक :
1- नैन सिंह अध्यापक, सर्वेक्षक व प्रशिक्षक
2- नैन सिंह रावत एवं जोहर का इतिहास
3- धामू बूढ़ा के वंशज
4- युग दृष्टा बाबूराम सिंह
5- जोहर इतिहास- समग्र
6- गढ़वाल की भूकंप त्रासदी
7- ब्रिटिश कुमाऊं-गढ़वाल(दो भाग)
8- फूड फॉर थॉट एंड एक्सन
9-पटवारी, घराट और चाय
10- इनसाइड उत्तराखंड
11- ए प्रैक्टिकल गाइड- राइट टू इनफॉरमेशन एक्ट 2005
12- ए हैंडबुक फॉर द पब्लिक इनफॉरमेशन ऑफीसर
13- फाउंडर्स आफ मॉडर्न एडमिसट्रेशन इन उत्तराखंड
14- सम एसपैक्स आफ एडमिनिस्ट्रेटिव हिस्ट्री ऑफ़ उत्तराखंड
15- ट्रांसपैरेंसी इन एडमिनिस्ट्रेशन
16- मल्ला जोहार- हंडेरस इयर ऐगो
17- द मरतोलिया लाॅज
18- उत्तराखंड फिफ्टीन इयर्स आफ डेवलपमैंण्ट
19- माणा, मलारी एण्ड मिलम
20- ए प्लानिंग फ्रेमवर्क फॉर द माउंटेन स्टेट ऑफ़ इंडिया

 

तृतीय अंतर्राष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता : उत्तराखंड की टीम ने जीते 16 गोल्ड समेत 22 पदक

हरिद्वार, उत्तराखंड की ताईक्वांडो टीम ने दिल्ली में हुई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में 22 पदक हासिल किए। रूड़की की आरजू राठी ने अमेरिकी खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मेडल हासिल किया। दिल्ली के तालकटोरा इनडोर स्टेडियम में तीसरी इंटरनेशनल ताईक्वांडो प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में उत्तराखंड की टीम में 22 खिलाड़ी शामिल थे। इनमें 55 किलो भार वर्ग में आरजू राठी ने अमेरिका की खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मेडल जीता। 65 किलो भार वर्ग में सृष्टि ने बांग्लादेश की खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मेडल जीता। आकृति ने 45 किलो भार वर्ग में अमेरिका की खिलाड़ी को हराकर गोल्ड मेडल जीता। सिद्वान्त जैन ने 40 किलो, आरव त्यागी ने 27 किलो, मयंक त्यागी ने 60 किलो, मौ. शाद ने 70 किलो, विवांक कौशिक ने 30 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल हासिल किया। सतनाम सिंह ने 65 किलो भार वर्ग में सिल्वर मेडल, जबकि हर्ष कुमार ने 75 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता।

कोच और खिलाड़ियों ने किया हैरतंगेज प्रदर्शन :

हर्षवर्धन ने 45 किलो और आदेश कुमार वालिया ने 45 किलो भार वर्ग में सिल्वर मेडल जीता। हेमंत कुमार सैनी ने 65 किलो, चिराग त्यागी ने 65 किलो, खुशी चौधरी ने 60 किलो, एलिस मलिक ने 65 किलो, आकृति यादव ने 45 किलो, हर्षवर्धन ने 55 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता। राघव त्यागी ने 45 किलो और आरव त्यागी ने 35 किलो भार वर्ग में सिल्वर मेडल जीता। आर्यन त्यागी ने 65 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता। इस प्रदर्शन में टीम के कोच शिवेंद्र कुमार चौहान ने हाथ के प्रहार से चार ईंट एकसाथ तोड़कर देश-विदेश से आए सभी खिलाडियों को प्रभावित किया। वहीं, एलिस मलिक ने गर्दन से दो सरिये एक साथ मोड़कर अचंभित कर दिया। हर्ष कुमार ने मार्बल की 15 टाइल्स एकसाथ तोड़कर वाहवाही लूटी। उत्तराखंड टीम का रूड़की पहुचने पर ऑल इंडिया ताइक्वांडो फेडरेशन की उत्तराखंड इकाई के पदाधिकारियों व खिलाड़ियों के परिजनों ने माला पहनाकर स्वागत किया।

कैबिनेट की मंजूरी : मोटर मार्गों से जुड़ेंगे 3,177 गाँव , हजारों की आबादी को होगा लाभ

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देहरादून, प्रदेश में संपर्क मार्ग विहीन 3,177 गांवों को मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना के तहत मोटर मार्गों से जोड़ा जाएगा। ग्रामीण निर्माण विभाग के प्रस्ताव पर धामी कैबिनेट ने इसे मंजूरी प्रदान की है। इन गांवों के मुख्य मार्गों से जुड़ जाने से हजारों की आबादी को लाभ होगा। इतना ही नहीं योजना के तहत मोटर मार्गों के अलावा पैदल पुलिया, मोटरपुल, अश्वमार्ग, झूला पुल आदि का निर्माण भी किया जाएगा। मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना में राज्य के ऐसे गांवों, तोक को शामिल किया गया है, जिनकी आबादी 250 या उससे कम है।

आबादी कम होने की वजह से यह गांव प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना या लोक निर्माण विभाग की कार्ययोजना के मानकों को पूरा नहीं करते हैं, इसलिए इन गांवों में आज तक सड़क नहीं बन पाई है। वर्तमान में प्रदेश के लगभग 2,035 गांव मुख्य मोटर मार्गों से नहीं जुड़ पाए हैं। इसके अलावा 1,142 गांव ऐसे हैं, जो कच्ची सड़कों से जुड़े हैं। इस तरह से कुल 3,177 बसावटों को मुख्य मार्गों से जोड़ने के लिए नई योजना में शामिल किया गया है। योजना सीमांत के गांवों को सबसे अधिक लाभ होगा। इन गांवों में पर्यटन की सुविधाएं बढ़ेंगी और लोगों की आजीविका में वृद्धि होगी। इसके अलावा ग्रामीण अपनी नगदी फसलों को आसानी से बाजार तक पहुंचा सकेंगे। आपदा की स्थिति में राहत एवं बचाव कार्याें में भी तेजी आएगी।

ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए होगा ऑटोमेटिक टेस्ट, यूजर चार्ज भी हुआ महंगा

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देहरादून, प्रदेश में अब ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए ऑटोमेटिक टेस्ट देना होगा, जिसके लिए 100 रुपये अतिरिक्त यूजर चार्ज भी देना होगा। परिवहन विभाग की नीति में इस बदलाव पर सोमवार को कैबिनेट ने मुहर लगा दी है। प्रदेश में 21 ड्राइविंग टेस्ट सेंटर बन रहे हैं, जिनमें से आठ प्रस्ताव परिवहन विभाग ने पास भी कर दिए हैं। सचिव परिवहन अरविंद सिंह ह्यांकी ने बताया, अभी तक देहरादून में ऑटोमेटिक टेस्ट सेंटर से टेस्ट के आधार पर ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी होते आए हैं, लेकिन प्रदेश में सभी 21 एआरटीओ क्षेत्रों में ऐसे सेंटर बनाए जा रहे हैं।

इनमें से आठ के प्रस्ताव को पास किया जा चुका है। बाकी पर भी काम चल रहा है। बताया, आने वाले समय में इन सेंटर पर टेस्ट के बाद ही डीएल जारी होगा, बिना टेस्ट नहीं। सचिव ह्यांकी ने बताया कि इन सेंटर के संचालन को होने वाले खर्च की भरपाई के लिए ही 100 रुपये यूजर चार्ज का प्रावधान किया गया है। कैबिनेट से मुहर के बाद अब इसकी अधिसूचना जारी होगी। बताया, अभी तक कई ऑनलाइन सेवाओं के प्रबंधन को परिवहन विभाग 50 रुपये यूजर चार्ज लेता आया है। अब ऑटोमेटिक टेस्ट के बाद 100 रुपये यूजर चार्ज अलग से देय होगा

नियमविरुद्ध सीटीईटी-यूटीईटी, प्रमाण पत्र धारकों को नियुक्ति पत्र देने पर प्रदेश हाईकोर्ट ने लगाई रोक

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नैनीताल, प्रदेश हाईकोर्ट ने दायर एक याचिका पर अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर रोक लगा दी, मामला शिक्षक भर्ती से जुड़ा है जिसमें नियमविरुद्ध तरीके से सीटीईटी और यूटीईटी प्रमाण पत्र प्राप्त बीएडधारक अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करने पर उत्तराखंड़ हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। ऐसे अभ्यर्थियों का परिणाम सीलबंद लिफाफे में बंद करने के आदेश अदालत ने पहले ही दे दिए थे। अब सरकार अवैध प्रमाण पत्र धारकों को नियुक्ति पत्र देने जा रही थी, सरकार के इस कदम के खिलाफ उमेश कुमारी और अन्य ने आज हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता केपी उपाध्याय व उनके असिस्टेंट जूनियर अधिवक्ता हेमंत पंत ने कोर्ट को बताया कि राज्य में 2600 से अधिक पदों पर प्राथमिक शिक्षक भर्ती पिछले 3 वर्ष से सुप्रीम कोर्ट में एनआईओएस डीएलएड अभ्यर्थियों के मामले में सरकार व बीएड अभ्यर्थियों की एसएलपी के कारण लंबित चल रही थी। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एनआईओएस डीएलएड अभ्यर्थियों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती में शामिल करने का आदेश दिया था। उस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार व बीएड अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। विगत 28 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार व बीएड अभ्यर्थियों की एसएलपी स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट का आदेश निरस्त कर दिया था। इसके बाद एनआईओएस अभ्यर्थी इस भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गए । सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद विभाग प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू की। इस भर्ती में ऐसे बीएड अभ्यर्थियों ने भी आवेदन किए हैं जिन्होंने एनसीटीई के नियमों के विरुद्ध वर्ष 2012 से 2018 तक सीटीईटी प्रथम परीक्षा और 2015 व वर्ष 2017 में यूटीईटी प्रमाण पत्र हासिल कर लिया था। ऐसे बीएड अभ्यर्थियों का नाम काउंसलिंग के बाद चयन सूची में आने पर विभाग ने उनके परिणाम लिफाफे बंद कर दिए थे। ये लिफाफे खोलकर नियुक्ति आदेश जारी करने की मांग ये अभ्यर्थी विभाग से कर रहे हैं। अब तक सीटीईटी प्रमाण पत्र वाले 17 अभ्यर्थी अपने बंद लिफाफों को खोलने व नियुक्ति आदेश जारी करने के लिए प्रत्यावेदन दे चुके हैं।
वहीं पूर्व में डीएलएड अभ्यर्थियों की भर्ती होने के बाद अब शेष बचे पदों पर योग्य बीएड टीईटी अभ्यर्थियों की नियुक्ति की जानी है। याचिका में कहा गया है कि नियम विरुद्ध सीटीईटी व यूटीईटी प्रमाण पत्र प्राप्त अभ्यर्थियों के आवेदन पत्र निरस्त किए जाएं, क्योंकि उनके लिफाफे बंद होने से नियुक्ति प्रक्रिया बाधित होगी और सैकड़ों की संख्या में योग्य बीएड अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित रह जाएंगे ।

सीओ रानीखेत तिलकराम वर्मा का आकस्मिक निधन, पुलिस महकमे में शोक की लहर

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अल्मोड़ा, रानीखेत पुलिस उपाधीक्षक टी आर वर्मा का निधन होने से पुलिस महकमे में शोक की लहर दौड़ गई है। दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हुआ है। इस दुखद घटना के बाद पुलिस महकमे में शोक की लहर दौड़ गयी। मृदुभाषी वर्मा के आकस्मिक निधन से हर कोई अवाक रह गया है |
जानकारी के मुताबिक सीओ वर्मा अपनी भतीजी की शादी में शामिल होने के लिए छुट्टी पर अपने घर भरतपुर, काशीपुर गए थे। 3 दिसंबर को उनकी भतीजी की शादी थी। बताया जा रहा है कि बीती रात अचानक उन्हें हार्ट अटैक आया। जिसके बाद परिजन उन्हें मुरादाबाद रोड स्थित एक निजी अस्पताल में ले गये। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
तिलक राम वर्मा साल 1998 में पुलिस विभाग में एसआई के पद पर भर्ती हुए थे। उनके द्वारा विभिन्न जनपदों में थानाध्यक्ष व कोतवाल के पद पर नियुक्त रहते हुए सेवाएं दी गयी। साल 2020 को पुलिस उपाधीक्षक के पद पर पदोन्नत होने के बाद वह सीओ सीआईडी हल्द्वानी एवं इसके बाद 15 अगस्त 2022 से वर्तमान तक सीओ रानीखेत के पद पर अल्मोड़ा जिले में नियुक्त थे |

पीएम मोदी और गृहमंत्री शाह आ रहे देहरादून, इन्वेस्टर समिट में लेंगे भाग

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देहरादून, पीएम मोदी के दून आगमन को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने पार्टी पदाधिकारियों के साथ इन्वेस्टर समिट स्थल का जायजा लिया । इस दौरान कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के साथ निरीक्षण करते हुए उन्होंने बताया कि समापन समारोह में गृह मंत्री अमित शाह शिरकत करेंगे ।

इसी माह 8 दिसंबर को ग्लोबल इन्वेस्टर समिट को पीएम मोदी के दौरे को लेकर भाजपा ने स्वागत की तैयारियां शुरू कर दी है । इसी क्रम में आज प्रदेश अध्यक्ष ने एफआरआई स्थित आयोजन स्थल, प्रदर्शनी स्थल और आसपास के क्षेत्रों का जायजा लिया । इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य के विकास और युवाओं के लिए रोजगार निर्माण को लेकर यह समिट गेम चेंजर साबित होने वाला है । ऐसे में हम सबका सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी हमारा हौसला बढ़ाने और मार्गदर्शन करने देवभूमि आ रहे हैं ।

उन्होंने बताया कि सभी पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से आग्रह किया है कि वे इस आयोजन को लेकर राज्यवासियों में सकारात्मक चर्चा का माहौल बनाए । साथ ही ऐसे प्रयास करें जिससेआने वाले हजारों देशी विदेशी डेलीगेटों के सामने राज्य की शानदार तस्वीर उभरे । उन्होंने जानकारी दी कि मोदी जी के उद्घाटन के उपरांत समिट के समापन अवसर 9 दिसंबर को श्री गृह मंत्री अमित शाह आने वाले हैं ।

प्रदेश अध्यक्ष के साथ निरीक्षण के दौरान पार्टी प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार, प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी, राजेंद्र बिष्ट, खिलेंद्र चौधरी, बीसूका अध्यक्ष ज्योति गैरोला, प्रदेश कार्यालय सचिव कौष्टुभानंद जोशी, प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान, श्रीअनिल डब्बू समेत अनेक पार्टी पदाधिकारी मौजूद रहे ।

खेल मंत्री रेखा आर्या ने देहरादून में आईओए के ध्वज को मुख्यमंत्री धामी को किया हस्तान्तरण

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-देवभूमि को बनाना है खेल भूमि,सरकार है प्रतिबद्ध : रेखा आर्या

-गोवा में आयोजित 37 वे राष्ट्रीय खेल में उत्तराखण्ड राज्य के पदक विजेता खिलाडियों का किया गया सम्मान

-सफलता का एक ही है विकल्प,की विकल्परहित हो संकल्प, खिलाड़ी 38 वे राष्ट्रीय खेलो के लिए अभी से जुट जाएं जी जान से-मुख्यमंत्री धामी

देहरादून, महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में 38 वें राष्ट्रीय खेल का ध्वज हस्तान्तरण एवं 37 वें राष्ट्रीय खेल गोवा- 2023 में उत्तराखण्ड राज्य के पदक विजेता खिलाडियों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और खेल मंत्री रेखा आर्या ने किया। कार्यक्रम में संविदा प्रशिक्षकों द्वारा मानदेय वृद्धि पर मुख्यमंत्री व खेल मंत्री का धन्यवाद ज्ञापित किया गया।खेल प्रशिक्षक शिवानी गुरंग द्वारा कहा कि हमारी बेहद पुरानी मांग थी की हमारा मानदेय बढ़ाया जाए जिसे की सरकार द्वारा पूरा किया गया है यह बेहद ही खुशी की बात है।

इस दैरान IOA के ध्वज को राष्ट्रीय खेल सचिवालय में स्थापित किया गया। साथ ही गोवा में आयोजित 37 वे राष्ट्रीय खेल में पदक विजेता खिलाड़ियों को सम्मानित भी किया गया।

वहीं मुख्य अतिथि पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज हमारे राज्य को 38 वे राष्ट्रीय खेल का आयोजन मिला है जो कि गर्व की बात है।हम 38 वे राष्ट्रीय खेलो का आयोजन दिव्य व भव्य करेंगे।आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में खेल और खिलाड़ियों के लिए कई सुविधाओं को विकसित किया गया है।आज प्रदेश सरकार भी खिलाड़ियो के प्रति गंभीर है जिसके लिए मुख्यमंत्री उदीयमान योजना,मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि योजना,भोजन भत्ता बढ़ाने से लेकर कई अन्य योजनाए शामिल हैं।उन्होंने कहा कि जीवन मे सफलता का एक ही विकल्प होना चाहिए और संकल्प है विकल्परहित संकल्प, जब हम कोई संकल्प लेते है तो उसे पूरा करने का प्रयास अवश्य करना चाहिए।

वहीं खेल मंत्री ने कहा कि 38 वे रास्ट्रीय खेलो की मेजबानी मिलना प्रदेश के लिए गर्व की बात है।कहा कि जिसप्रकार गोवा राज्य ने 37 वे राष्ट्रीय खेलो को आयोजित किया हम भी 38 वे राष्ट्रीय खेलो का आयोजन भव्य रुप से करेंगे।कहा कि आज खेल व खिलाड़ियो के लिए राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री धामी जी के कुशल नेतृत्व में अभूतपूर्व कार्य किये हैं।

खेल मंत्री ने बताया कि आउट ऑफ टर्न जॉब का जिओ जारी होने पर निश्चित ही राज्य के ऐसे खिलाड़ी जो राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए पदक ला रहे हैं उन्हें आउट ऑफ टर्न जॉब के माध्यम से नौकरी मिलेगी।कहा कि राज्य सरकार लगातार खेल को बढ़ावा देने व खिलाड़ियो को प्रोत्साहन के लिए काम कर रही है।हमारी कोशिश है कि हम खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करे।खेल और खिलाड़ियो के हितों के लिए कई निर्णय लिए जा रहे है।

खेल मंत्री रेखा आर्या ने जानकारी देते हुए बताया कि खेल नीति, 2021 के अन्तर्गत, अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय खेलों में पदक विजेता खिलाड़ियों को उत्तराखण्ड में राजपत्रित/ अराजपत्रित पदों पर आउट ऑफ टर्न सेवायोजन प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में निर्णय लिया गया था जिसका की सरकार द्वारा सहर्ष स्वीकृति भी प्रदान कर दी गयी है।

साथ ही कहा कि आज 8 से 14 वर्ष के बच्चो की खेल प्रतिभा को निखारने के लिए मुख्यमंत्री उदीयमान योजना संचालित है जिसके तहत हर जनपद से 150 बालक व 150 बालिकाओं को प्रतिमाह 1500 रुपिये की छात्रवर्ती दी जा रही है, साथ ही 14 से 23 वर्ष के बालक/बालिकाओं के लिए मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि के तहत हर जनपद से 100 बालक/बालिकाओं को हर माह 2 हजार की राशि भी प्रदान की जा रही है।

खेल विभाग की उपलब्धियां बताते हुए उन्होंने कहा कि हमने संविदा पर कार्य कर रहे प्रशिक्षको के मानदेय को बढ़ाते हुए 25 हजार किया है।साथ ही भोजन की थाली को साई (SAI) के अनुरूप 400 करने का काम भी किया है।इसके अलावा स्पोर्ट्स डेवलपमेंट फण्ड,महिला स्पोर्ट्स कॉलेज के लिए लोहाघाट में घोषणा की गई है जिसके लिए भूमि का चयन किया जा रहा है।

खेल मंत्री ने कहा कि राज्य में खेल विश्वविद्यालय के लिए भी मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में घोषणा की जा चुकी है,निश्चित ही खेल विश्वविद्यालय के बन जाने से राज्य के खिलाड़ियो को लाभ मिलेगा।कहा कि 38 वे राष्ट्रीय खेलो के आयोजन तक हम खिलाड़ियो को सरकारी नौकरी में अवसर देने के लिए 4 पर्तिशत का आरक्षण लागू कर देंगे।कहा कि मुझे गर्व है कि हमारे प्रधानमंत्री जी व मुख्यमंत्री जी खेल औऱ खिलाड़ियो को बढ़ावा देने के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं । कहा कि जिसप्रकार से हम प्रदेश को देवभूमि के नाम से जानते है हमारा प्रयास है कि हम इसे खेल भूमि के नाम से जाने जिसके लिए सरकार व विभाग लगातार प्रयासरत है।

इस अवसर पर रायपुर विधायक श्री उमेश शर्मा काउ जी,खेल सचिव श्री अमित सिन्हा जी,खेल निदेशक श्री जितेंद्र सोनकर जी,उत्तराखंड ओलंपिक संघ के महासचिव श्री डीके सिंह जी सहित अधिकारीगण व समस्त खिलाड़ी उपस्थित रहे।

उत्तराखण्ड एनर्जी कॉन्क्लेव’: 40 हजार करोड़ से अधिक के हुये एमओयू

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देहरादून, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज चिवालय में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के अंतर्गत आयोजित ‘उत्तराखण्ड एनर्जी कॉन्क्लेव’ में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर ₹40 हजार करोड़ से अधिक के एमओयू किए गए। इस दौरान कार्यक्रम में आये सभी लोगों को 8 और 9 दिसंबर को देहरादून में होने वाले “उत्तराखण्ड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट” के लिए आमंत्रित किया एवं सम्बंधित अधिकारियों को कॉन्क्लेव में प्राप्त सुझावों पर गंभीरता से अमल किए जाने हेतु निर्देशित किया।
इस अवसर पर सीएम धामी ने कहा कि हम निवेश के माध्यम से प्रदेश की विकास यात्रा को नई गति प्रदान कर रहे हैं। प्रदेश में निवेश को और अधिक बढ़ाने के लिए औद्योगिक जगत से जुड़े लोगों के सुझावों के आधार पर 27 नई नीतियां बनाई गई हैं। साथ ही अनेक नीतियों को सरल बनाया गया है |

दुखद हादसा: नैनीताल मार्ग पर टेंपो ट्रैवलर पलटने से दो महिला कर्मियों की मौत

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नैनीताल, नैनीताल मार्ग पर रविवार शाम को हल्द्वानी कालाढूंगी-नैनीताल मार्ग पर नोएडा से नैनीताल घूमने आए एचसीएल टेक कंपनी के कर्मचारियों के साथ एक हादसा हुआ है, इनका टेंपो ट्रैवलर नैनीताल से कालाढूंगी आते वक्त पलट गया जिसमें दो लड़कियों की मौत हो गई है. दो लोग गंभीर बताए जा रहे हैं जिन्हें हायर सेंटर रेफर किया गया है. बाकी कुछ लोगों के मामूली चोट आई है जिन्हें इलाज के लिए कालाढूंगी के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.ये सभी लोग पर्सनल ट्रिप पर नैनीताल घूमने के लिए आए थे
टेंपो ट्रैवलर में ड्राइवर सहित कुल 22 लोग सवार थे जिनमें से दो की मौत मौके पर ही हो गई. इस हादसे को लेकर एसपी ट्रैफिक नैनीताल जगदीश चंद्र ने बताया कि ड्राइवर ने पूछताछ में बताया है कि टेंपो ट्रैवलर के ब्रेक फेल हो गए थे. जिस कारण यह हादसा हुआ है.
एचसीएल टेक ने जताया दुख
एचसीएल टेक ने हादसे पर दुख जताते हुए कहा कि हम अपने कर्मचारियों के साथ हुई इस दुखद घटना से दुखी और स्तब्ध हैं. ये सभी निजी यात्रा पर गए थे. हम स्थानीय अधिकारियों के साथ सहयोग कर हर संभव मदद दे रहे हैं. हमारी प्राथमिकता घायलों के जल्द ठीक होने और उन्हें व उनके परिवारों को आवश्यक सहायता प्रदान करना है.