Sunday, May 25, 2025
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पूर्व भाजपा विधायक को दुष्कर्म मामले में कोर्ट से मिली राहत, अदालत ने दी क्लीन चिट

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अल्मोड़ा, पूर्व बीजेपी विधायक महेश नेगी को दुष्कर्म के मामले में बड़ी राहत मिली है। पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए अदालत ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है। यह मामला पिछले 5 वर्षों से चल रहा था, जिसे अब न्यायालय ने समाप्त कर दिया है।
अदालत के फैसले के बाद महेश नेगी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, मुझ पर एक सुनियोजित साजिश के तहत झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया था ताकि मेरे राजनीतिक करियर को खत्म किया जा सके। पिछले पांच वर्षों से मैं मानसिक रूप से प्रताड़ित हुआ, लेकिन अब कोर्ट के निर्णय से मुझे बहुत बड़ी राहत मिली है। उन्होंने आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता महिला सहित कुछ लोगों ने उन्हें बदनाम करने के लिए संगीन आरोप लगाए और उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाया। उत्तराखंड के वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2020 में कोर्ट के आदेश पर पूर्व विधायक महेश नेगी के खिलाफ दुष्कर्म के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
इस मामले की जांच थाना नेहरू कॉलोनी, देहरादून द्वारा की गई, जिसमें गहन विवेचना के बाद अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई।
हालांकि, आरोपित पक्ष द्वारा इस रिपोर्ट को चैलेंज किया गया था, लेकिन 5 वर्षों की कानूनी प्रक्रिया के बाद सभी सबूतों और साक्ष्यों के आधार पर 22 मई 2025 को एसीजेएम पंचम अदालत ने पुलिस की रिपोर्ट को सही माना और महेश नेगी को क्लीन चिट दे दी।

राजकीय प्राथमिक विद्यालय में प्लास्टिक और ई-वेस्ट पर चलाया जन जागरूकता अभियान

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देहरादून, युवाओं में पर्यावरणीय चेतना को बढ़ावा देने और सतत अपशिष्ट प्रबंधन की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से, ईकोग्रुप सोसाइटी ने EIACP हब और उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहयोग से राजकीय प्राथमिक विद्यालय, आदोइवाला, देहरादून में एक विशेष जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया।
इस अभियान में कुल 165 विद्यार्थियों ने भाग लिया, जिन्हें प्लास्टिक और इलेक्ट्रॉनिक कचरे (ई-वेस्ट) के खतरों के बारे में जागरूक किया गया। छात्रों को यह समझाया गया कि किस प्रकार गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरा पर्यावरण और जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है, और इसे कम करना, पुन: उपयोग करना तथा सही तरीके से निपटान करना कितना जरूरी है।
यह कार्यक्रम वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ, जिनमें शामिल थे — डॉ. एस.पी. सुबुधि, निदेशक, राज्य पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय, देहरादून, और डॉ. पराग मधुकर ढकाटे, सदस्य सचिव, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड। उन्होंने जमीनी स्तर पर पर्यावरणीय जिम्मेदारी को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। EIACP, UKPCB की टीम की सदस्याएं निहारिका डिमरी और रचना नौटियाल भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहीं और उन्होंने छात्रों और शिक्षकों को अपने दैनिक जीवन में पर्यावरण के प्रति सकारात्मक कदम उठाने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण ईको-ईंटों (Eco-Bricks) का प्रदर्शन और प्रचार था, जिसमें प्लास्टिक कचरे को बोतलों में भरकर उपयोगी निर्माण सामग्री में बदला जाता है। छात्रों ने इस नवाचार में गहरी रुचि दिखाई और इसे अपने स्कूल व घर पर अपनाने का संकल्प लिया।
ईकोग्रुप सोसाइटी के सदस्यों ने शैक्षिक सामग्री और व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से कचरा प्रबंधन की दीर्घकालिक महत्ता को समझाने में मदद की। कार्यक्रम का समापन प्लास्टिक और ई-वेस्ट में कमी से संबंधित आगामी प्रतियोगिताओं में भाग लेने के आमंत्रण के साथ हुआ, जिससे छात्रों में रचनात्मकता और नेतृत्व की भावना को प्रोत्साहन मिला।
इस अभियान का सफल संचालन इकोग्रुप सोसाइटी की समर्पित टीम — श्री आशीष गर्ग, श्री अनिल कुमार मेहता, कृतिका गुप्ता, चार्वी अरोड़ा, भावना टंडन, नमन पंवार और रिंकू — द्वारा किया गया।
ईकोग्रुप सोसाइटी, राजकीय प्राथमिक विद्यालय आदोइवाला के शिक्षकों और प्रशासन का हार्दिक धन्यवाद करता है, जिनके सहयोग और उत्साह ने इस अभियान को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह पहल उत्तराखंड के लिए एक स्वच्छ और सतत भविष्य के निर्माण में सरकार, नागरिक समाज और शैक्षिक संस्थानों के बीच बढ़ती समन्वय भावना का सशक्त उदाहरण है।

विधवा महिला ने नवजात बच्ची को गोबर के ढे़र में दफनाया, महिला गिरफ्तार, बच्ची का शव बरामद

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चमोली, जनपद के नंदानगर थाना क्षेत्र में एक हृदय विदारक घटना सामने आई है। मिली जानकारी के मुताबिक एक विधवा महिला ने अपनी नवजात बच्ची को जन्म देने के बाद बदनामी के डर से उसे जिंदा ही गोबर के ढेर में दफना दिया। इस अमानवीय कृत्य की जानकारी मिलने पर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए महिला को गिरफ्तार कर लिया और बच्ची के शव को बरामद किया। घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है।
पुलिस के अनुसार, नंदानगर थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाली इस विधवा महिला के पति की कई साल पहले मृत्यु हो चुकी थी। महिला के तीन अन्य बच्चे भी हैं और वह उनके साथ गांव में रहती थी। हाल ही में उसने एक बच्ची को जन्म दिया, लेकिन सामाजिक बदनामी के डर से उसने नवजात को जीवित ही गोबर के ढेर में दफना दिया। गांव की कुछ महिलाओं को महिला के व्यवहार पर संदेह हुआ, जिसके बाद उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और महिला से पूछताछ शुरू की।
पूछताछ के दौरान महिला ने अपना अपराध कबूल कर लिया और बताया कि उसने बच्ची को गोबर के ढेर में दफनाया था। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर पास के गोबर के ढेर से नवजात बच्ची का शव बरामद किया। शव को पोस्टमार्टम के लिए गोपेश्वर जिला अस्पताल भेज दिया गया है। पुलिस अब बच्ची के पिता की तलाश में जुट गई है, लेकिन महिला इस बारे में कोई जानकारी देने से इनकार कर रही है।
स्थानीय ग्रामीणों में इस बात को लेकर आक्रोश है कि एक मां अपनी नवजात बच्ची के साथ ऐसा क्रूर व्यवहार कैसे कर सकती है। पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि महिला ने यह कदम क्यों उठाया। पुलिस ने महिला के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है और आगे की जांच जारी है।

राज्य विश्वविद्यालयों के संबद्धता संबंधी अव्यवहारिक फरमान से अधिकांश कॉलेज बंदी के कगार पर : डॉ. सुनील अग्रवाल

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देहरादून, निजी काॕलेज एसोसियेशन उत्तराखंड़ के अध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने कॉलेजों की संबद्धता विस्तारण संबंधित राज्य विश्वविद्यालयों के अव्यवहारिक फरमान पर आपत्ति उठाई है, प्रेस को जारी एक विस्तृत बयान में डॉ. सुनील अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में राज्य विश्वविद्यालयों से संबद्ध निजी कॉलेजों में जब कोई कोर्स शुरू किया जाता है तो उसके लिए विश्वविद्यालय के प्रत्येक वर्ष के संबद्धता शुल्क के अतिरिक्त प्रत्येक कोर्स हेतु एक प्राभुत राशि की फिक्स्ड डिपॉजिट की मूल प्रति विश्वविद्यालय में जमा करने का प्रावधान है जो ट्रेडिशनल कोर्सों हेतु रुपए 2 लाख एवं व्यावसायिक कोर्सों हेतु रुपए 4 लाख निर्धारित थे, विगत 14 दिसंबर 2016 के एक शासनादेश संख्या 649 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के विनियम 2009 का हवाला देते हुए उक्त प्राभुत राशि को व्यावहारिक रूप से बढ़ाकर सामान्य कोर्स हेतु 15 लाख एवं व्यावसायिक कोर्स हेतु 35 लाख निर्धारित कर दिया गया उस समय पर कॉलेजों द्वारा आपत्ति उठाई जाने पर शासन द्वारा एक कमेटी का गठन भी किया गया था लेकिन कमेटी की एक बैठक के बाद उसकी फिर कोई बैठक नहीं हो पाई l इस बीच में कॉलेजों में नए कोर्स भी खुलते रहे और स्टूडेंट के एग्जाम्स भी होते रहे, कई कॉलेजों में विश्वविद्यालय से संबद्धता विस्तारण तीन-चार साल से नहीं हो पाया था, लेकिन छात्रों की परीक्षाएं होती रही संबद्धता विस्तारण न होने के कारण छात्रों को छात्रवृत्ति की समस्या पैदा हुई l
अब वर्तमान में राज्यपाल द्वारा राज्य विश्वविद्यालयों को 1 अप्रैल 2024 को पत्र जारी किया गया कि कॉलेजों की पिछले वर्षों की संबद्धता के प्रकरण तुरंत अनुमोदन करके राज भवन भेजे जाएं और 2025- 26 से संबद्धता हेतु नए नियमों का पालन करवाया जाए, राज भवन के उक्त पत्र के आलोक में राज्य विश्वविद्यालयों ने सभी कॉलेजों का भौतिक निरीक्षण कर लिया है, लेकिन उसके बावजूद 2024 तक की संवाददाता विस्तारण के पत्र भी अभी तक कॉलेजों को नहीं भेजे गए हैं और अब वर्तमान 2025 -26 के सत्र हेतु सभी कॉलेजों को प्राभुत राशि रुपए 15 लाख और रुपए 35 लाख जमा करने के आदेश जारी कर दिए हैं l यहां यह उल्लेखनीय है कि हमारे उत्तराखंड़ के पैरेंटल स्टेट उत्तर प्रदेश में सन् 2002 से जो प्राभुत राशि निर्धारित की गई थी वह अभी तक यथावत है जो विभिन्न कोर्सों हेतु रुपए 2 लाख से रुपए 6 लाख तक निश्चित है और इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया है l यहां यह भी उल्लेखनीय है की विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के विनियम 2009 में जहां प्राभुत राशि का प्रावधान किया गया है वहां स्पष्ट उल्लेख है कि इसका निर्धारण संबद्धता देने वाली अथॉरिटी द्वारा भी किया जा सकता है, यानी यह प्राभुत राशि बाध्यकारी नहीं है l अग्रवाल का कहना है कि यह भी उल्लेखनीय है कि कोविड के समय जब कॉलेज के समक्ष स्टाफ को सैलरी देने की समस्या हुई तो विश्वविद्यालय से स्टाफ को सैलरी देने हेतु उक्त प्राभुत राशि के इस्तेमाल हेतु अनुरोध किया गया लेकिन इसकी अनुमति नहीं मिली, जिससे साफ है कि इस प्राभुत राशि का कॉलेज संकट काल में भी कोई इस्तेमाल नहीं कर सकते डॉ अग्रवाल ने कहा कि मेरी जानकारी में यह भी आया है के अभी तक किसी अन्य प्रदेश ने प्राभुत राशि को इस तरह से अव्यवहारिक रूप से नहीं बढ़ाया है लेकिन हमारी प्रदेश सरकार में तो किसी भी नीति को बिना उसके गुण दोष समझे सबसे पहले लागू करने की जैसे होड़ सी लगी रहती है डॉ अग्रवाल ने कहा की वैसे ही छोटे से उत्तराखंड में निजी विश्वविद्यालयों की भरमार राज्य सरकार द्वारा कर दिए जाने से कॉलेजों में छात्रों का अभाव हो चुका है और ऐसे में राज्य विश्वविद्यालयों के इस फरमान से कॉलेजों के सामने अपने कोर्सों को बंद करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचेगा l
इस संबंध में निजी कॉलेज एसोसिएशन की पिछले दिनों वर्तमान उच्च शिक्षा सचिव डॉ. रणजीत सिन्हा से सकारात्मक वार्ता हुई है लेकिन विश्वविद्यालयों के ताजा फरमान से अधिकांश कॉलेज अपने कोर्स सरेंडर करने का मन बना चुके हैं l

मौत के बाद भी एम्बुलेंस नहीं हुई नसीब, पोस्टमार्टम के लिये ई-रिक्शा में ले जाया गया शव

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नैनीताल, उत्तराखंड़ स्वास्थ्य विभाग राज्य बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सेवा देने कितना दावा कर ले वह सब सोशल मीडिया में चल रहे वीडियो बयां कर रहा है, जहां एक व्यक्ति के शव को पोस्टमार्टम के लिये ले जाने के लिये एम्बुलेंस भी नसीब नहीं हुई, सरकारी अस्पताल की इस लचर व्यवस्था ने मानवता को शर्मसार कर दिया है, पौड़ी गढ़वाल के वीरुखाल क्षेत्र में हुई एक सड़क दुर्घटना में घायल 32 वर्षीय संदीप रावत की मौत के बाद एम्बुलेंस न मिलने पर शव को पोस्टमार्टम हाउस तक ई-रिक्शा में ले जाया गया l इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, मामला सोशल मीडिया में सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता से संज्ञान लिया है। स्वास्थ्य सचिव डा. आर राजेश कुमार ने इस घटना को अत्यंत निंदनीय करार देते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। इस समिति की अध्यक्षता चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशक करेंगे, जबकि अन्य दो सदस्य निदेशक प्रशासन और निदेशक स्वास्थ्य, कुमाऊं मंडल होंगे। समिति को 30 मई तक जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
इस मामले में स्वास्थ्य सचिव ने नैनीताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, उप जिला चिकित्सालय, रामनगर से भी 26 मई तक विस्तृत आख्या प्रस्तुत करने को कहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जांच में यह तथ्य सामने लाया जाए कि उप जिला चिकित्सालय में शव वाहन या एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध क्यों नहीं थी। डा. आर राजेश कुमार ने कहा कि इस घटना में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने सीएमओ को निर्देशित किया है कि भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं।
स्वास्थ्य सचिव ने कहा यह हमारी नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है कि हर व्यक्ति को, चाहे वह जीवित हो या मृत, गरिमा के साथ सेवा और व्यवहार मिले। इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने आगे कहा, “मैंने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी है, जिसमें वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों को शामिल किया गया है। समिति को 30 मई तक जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त, नैनीताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से 26 मई तक घटना की विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी गई है। विशेष रूप से यह जांच की जाएगी कि शव वाहन उपलब्ध क्यों नहीं था और इस चूक के लिए कौन जिम्मेदार है।

घटना की 26 मई तक मांगी गयी विस्तृत रिपोर्ट :

स्वास्थ्य सचिव ने प्रदेश भर के सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को भी यह निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में यह सुनिश्चित करें कि अस्पतालों में शव वाहन की उपलब्धता रहे और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। स्‍वास्‍थ्‍य सचिव ने 26 मई तक घटना की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता केवल इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि अंतिम यात्रा तक भी गरिमा बनाए रखना हमारी ज़िम्मेदारी है।

मतदाताओं की सुविधा को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने लिए उठाए 18 महत्वपूर्ण कदम

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– मतदान केंद्र पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1200 तक सीमित
– उत्तराखंड में राजनैतिक दलों के साथ 85 सहित देशभर में 4719 बैठक संपन्न
देहरादून(आरएनएस)।   भारत निर्वाचन आयोग ने देश में मतदान प्रकिर्या में सरल एवं सुगमता के दृष्टिगत बीते कुछ समय में अभूतपूर्व निर्णय लिए हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ बी.वी.आर.सी पुरुषोत्तम ने जानकारी देते हुए बताया कि आयोग द्वारा मतदाताओं की सुविधा को देखते हुए हाल में विभिन्न प्रावधानों में जरूरी बदलाव किए हैं।
उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा मतदान केंद्र पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1200 तक सीमित कर दी गई है। ऊंची इमारतों/कॉलोनियों में अतिरिक्त मतदान केंद्र स्थापित किए जा सकेंगे। मतदाता सूची अपडेशन के लिए, मृत्यु पंजीकरण का डेटा सीधे आरजीआई डेटाबेस से प्राप्त किया जाएगा और सत्यापन के बाद अपडेट किया जाएगा।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि वोटर इनफार्मेशन स्लिप को अधिक मतदाता अनुकूल बनाया जाएगा। मतदाता की क्रम संख्या और भाग संख्या अब अधिक प्रमुखता से प्रदर्शित की जाएगी
उत्तराखंड समेत देशभर में राजनैतिक दलों के साथ बैठक
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया की देश के मान्यता प्राप्त दलों के साथ उत्तराखंड में सीईओ स्तर पर 2, डीईओ स्तर पर 13 और  ईआरओ स्तर पर 70 सर्वदलीय बैठकें आयोजित की गई हैं। उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार देशभर में मान्यता प्राप्त दलों  के साथ 4719 बैठकें आयोजित की गईं जिसमें राजनीतिक दलों के 28,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया
निर्वाचन आयोग द्वारा राष्ट्रीय और प्रदेश के राजनीतिक दलों के प्रमुखों के साथ आयोजित की गई। जिसमें आम आदमी पार्टी, भारतीय जानता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, सीपीआई (एम) और एनपीपी शामिल हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ पुरुषोत्तम ने बताया कि आयोग द्वारा नए एकीकृत डैशबोर्ड – ईसीआईनेट की शुरूआत की गई है। जिसका उद्देश्य सभी हितधारकों को एक ही स्थान पर सभी सेवाएँ प्रदान करना है इसके ज़रिए 40 से अधिक ऐप/वेबसाइटों को एक ऐप के माध्यम से संचालित किया है। उन्होंने बताया कि आयोग ने डुप्लिकेट वोटर आइडी कार्ड की समस्या का समाधान किया है। जिसके तहत विशिष्ट इपिक नंबर के लिए नई व्यवस्था लागू की गई है।
मतदाता सूची तैयार करने और चुनाव कराने की पूरी प्रक्रिया में 28 हितधारकों की पहचान की गई है, जिसमें मतदाता, चुनाव अधिकारी, राजनीतिक दल, उम्मीदवार और अन्य शामिल हैं, जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950, 1951, मतदाता पंजीकरण नियम 1960, चुनाव संचालन नियम, 1961 और ईसीआई द्वारा समय-समय पर जारी किए गए निर्देशों पर आधारित हैं। इनमें से प्रत्येक हितधारक के लिए आयोग के अधिनियमों, नियमों और निर्देशों के आधार पर ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार की जा रही हैं।

पंचायतों के मतदाता  आयोग के पोर्टल पर ‘‘पंचायत मतदाता खोजें’’ पर क्लिक कर खोज सकते हैं अपना नाम

देहरादून(आरएनएस)।  राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा आगामी त्रिस्तरीय पंचायतों के सामान्य निर्वाचन के लिये पंचायत निर्वाचक नामावलियों में नाम खोजने की सुविधा हेतु मतदाता सूची पोर्टल secvoter.uk.gov.in  पर उपलब्ध करा दी गयी है। पंचायतों के मतदाता अपना नाम आयोग के उक्त पोर्टल पर ‘‘पंचायत मतदाता खोजें’’ पर क्लिक कर खोज सकते हैं।
इस संबंध में सचिव राज्य निर्वाचन आयोग राहुल कुमार गोयल द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि घर-घर जाकर कराये गये विस्तृत पुनरीक्षण के अनुसार दिनांक  17.01.2025 को अन्तिम रूप से प्रकाशित निर्वाचक नामावली में अंकित मतदाताओं के नाम खोजे जा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि जिन मतदाताओं के नाम कतिपय कारणों से निर्वाचक नामावली के अन्तिम प्रकाशन में सम्मिलित होने से रह गये थे उन मतदाताओं के नाम आयोग द्वारा दिनांक 01.03.2025 से दिनांक 22.03.2025 तक प्रदेश की समस्त ग्राम पंचायतों में (हरिद्वार जनपद को छोड़कर) ग्रामवार बैठक बुलाकर निर्वाचक नामावली प्रकाशित करने हेतु विशेष अभियान चलाया गया था। उसके बाद भी ग्राम पंचायत के संबंधित प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र (वार्ड) की निर्वाचक नामावली में नाम सम्मिलित करने हेतु उपलब्ध कराये गये आवेदनों पर जनपदों द्वारा आयोग से स्वीकृति प्राप्ति के बाद उक्त पोर्टल पर खोजे जा सकेंगे।
सचिव राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा स्पष्ट किया गया है कि जनपदों के माध्यम से प्रयास किये गये हैं कि किसी भी पात्र निर्वाचक का नाम निर्वाचक नामावली में सम्मिलित होने से ना छूटे तथापि अभी भी पात्र मतदाता अपने निकटतम विकास खण्ड अथवा तहसील कार्यालय में प्रपत्र भरकर नाम जोड़ने / संशोधन करने हेतु आवेदन कर सकते हैं।

एक देश, एक चुनावः छह माह में विस्तृत रिपोर्ट देंगे राज्य

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-संयुक्त संसदीय समिति ने दूसरे दिन भी लिया उत्तराखंड का फीडबैक
-यह मुद्दा देशहित काः चौधरी
देहरादून।  एक देश, एक चुनाव पर भारत सरकार के स्तर पर गठित संयुक्त संसदीय समिति ने उत्तराखंड समेत सभी राज्यों से एक साथ चुनाव के नफा-नुकसान पर विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए कहा है। राज्यों से अपेक्षा की गई है कि वे छह महीने के भीतर यह रिपोर्ट समिति को सौंप देंगे। समिति ने जोर देते हुए कहा है कि यह मुद्दा देश हित का है। इसलिए जो भी फैसला आने वाले दिनों में किया जाएगा, उसमें देशहित ही सर्वोपरि रहेगा।

संपूर्ण देश में एक साथ चुनाव कराने के संबंध में संविधान (129 वां संशोधन) विधेयक 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून(संशोधन) विधेयक 2024 पर फीडबैक लेने के लिए संयुक्त संसदीय समिति की बैठक का सिलसिला 21 मई को शुरू हुआ था। कई चरणों में आयोजित दो दिनी बैठक का बृहस्पतिवार को समापन हो गया। मीडिया से बातचीत में समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने दो दिन के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि समिति ने अभी तक महाराष्ट्र और उत्तराखंड राज्य से एक देश एक चुनाव पर फीडबैक लिया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1967 तक लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे। मगर इसके बाद सर्कल बिगड़ गया। वर्ष 1994 से एक साथ चुनाव के लिए कोशिशें हुईं थीं, लेकिन यह परवान नहीं चढ़ पाईं। उन्होंने कहा कि इस वक्त फिर से चुनाव व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन के लिए यह कवायद की जा रही है। उन्होेंने कहा कि समिति अपने स्तर से तो फीडबैक ले ही रही है। सभी राज्यों से कहा गया है कि एक साथ चुनाव के प्रत्यक्ष व परोक्ष लाभ-हानि पर विस्तृत अध्ययन कर रिपोर्ट प्रेषित करे, ताकि समिति को अपनी रिपोर्ट और बेहतर बनाने में सहयोग मिल पाए।

कोई टाइमलाइन नहीं, जल्दबाजी में काम नहीं
-संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी का कहना है कि रिपोर्ट तैयार करने के मामले में समिति के सामने कोई टाइमलाइन फिक्स नहीं है। समिति किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं है। यह काम देश हित से जुड़ा अत्यंत महत्व का है, इसलिए ठोस काम करने पर जोर है। समिति पूरे देश में सभी राज्यों तक पहुंचेगी।

. .तो होगा पांच लाख करोड़ का देश को लाभ
-समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी का कहना है कि यदि एक साथ चुनाव होने शुरू हो गए तो, अर्थव्यवस्था को पांच लाख करोड़ का लाभ पहुंचेगा। यह जीडीपी का 1.6 फीसदी होगा। उन्होंने सवाल किया, आज भी कई चुनाव एक साथ होते हैं, तो क्या यह गलत है। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान चार करोड 85 लाख श्रमिक देश में इधर से उधर आते-जाते हैं। इससे उद्योगों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि मौसम भी चुनाव को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक है।

अप्रैल-मई में एक साथ चुनाव कराने पर जोर
-संयुक्त संसदीय समिति का मानना है कि पूरे देश में पिछले कई वर्षों से लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई में कराए जा रहे है। एक सर्कल फिक्स सा हो गया है। एक साथ चुनाव के संबंध  में बहुत सी बातें बाद में निर्धारित होनी है, लेकिन यह सुझाव उपयुक्त माना जा रहा है कि अप्रैल-मई का समय एक साथ चुनाव कराने के लिए सही रहेगा।

हर तकनीकी दिक्कत का निकलेगा समाधान
-समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी का कहना है कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है। ऐसे में एक साथ चुनाव के विपक्ष में भी यदि कोई तर्क रख रहा है, तो उसे समिति सुन रही है। उन्होंने कहा कि समिति में जितने भी सदस्य हैं, वे अलग-अलग राजनीतिक दल से हैं। उनकी दलीय प्रतिबद्धता हैं। संसद के भीतर उनकी जो भी भूमिका हो, लेकिन एक समिति के सदस्य के रूप में सब संसदीय परंपराओं के अनुरूप कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर तकनीकी दिक्कत का समाधान निकल जाएगा। उन्होंने बताया कि यह विचार किया जा रहा है कि एक बार एक साथ चुनाव का सर्कल तय हो जाने के बाद यदि किन्हीं कारणों से दोबारा चुनाव की नौबत आती है, तो फिर पूरे पांच साल के लिए चुनाव नहीं कराए जाएंगे। बल्कि सिर्फ शेष बची अवधि के लिए ही चुनाव होंगे। सर्कल को हर हाल में मेंटेंन रखे जाना जरूरी है।

समिति में 41 सदस्य, दो को मताधिकार नहीं
-एक साथ चुनाव के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति में 41 सदस्य हैं, जिनमें से दो नामित हैं और उन्हें मताधिकार प्राप्त नहीं है। उत्तराखंड प्रवास के दौरान इन सदस्यों ने विभिन्न संगठनों, विभागों के प्रतिनिधियों से एक साथ चुनाव पर विस्तार से चर्चा की। अध्ययन दौरे के दूसरे दिन बृहस्पतिवार को उत्तराखंड शासन के प्रमुख अफसरों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं, बार कौंसिल के पदाधिकारियों, आईआईटी रूड़की के प्रतिनिधियों और स्थानीय हस्तियों के साथ समिति ने एक साथ चुनाव पर विस्तार से चर्चा की और सुझाव प्राप्त किए।

‘ही ऑलमोस्ट प्रीवेंटेड पार्टीशन : द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ डॉ. एम. सी. डावर’ पुस्तक पर चर्चा का आयोजन

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देहरादून, दून पुस्तकालय में आज सायं कैप्टन प्रवीण डावर की पुस्तक ‘ही ऑलमोस्ट प्रीवेंटेड पार्टीशन : द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ़ डॉ. एम.सी. डावर’ पर एक सार्थक चर्चा का आयोजन किया गया, इसमें चर्चाकार के रूप में पूर्व पुलिस अधिकारी,आलोक बी. लाल, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल नौरिया और राज्य सभा टीवी के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी गुरदीप सिंह सप्पल ने प्रतिभाग किया l
इस महत्वपूर्ण चर्चा में वक्ताओं का कहना था कि यह पुस्तक स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम चरण को सार्थक रूप से उजागर करती है जिसके वजह से विभाजन की परस्थितियाँ उत्पन्न हुईं. यह पुस्तक डॉ. एम सी डावर के एक युवा क्रांतिकारी से शांतिवादी बने व्यक्ति के अंतिम क्षण तक देश के विभाजन को रोकने के लिए किए गए तमाम दृढ़ प्रयासों परसम्यक प्रकाश डालती है। यह पुस्तक औपनिवेशिक सरकार द्वारा होम्योपैथी को मान्यता दिलाने, शरणार्थियों के पुनर्वास, भारत-पाक मैत्री और सार्वभौमिक शांति को बढ़ावा देने में डॉ. डावर की महत्वपूर्ण भूमिका को भी समेटने का शानदार प्रयास करती है। जिन्ना, नेहरू और शास्त्री द्वारा डावर को लिखे गए तमाम पत्र पुस्तक की आकर्षकता को और अधिक बढ़ाते हैं।
चर्चा में यह बात भी निकलकर आयी कि पुस्तक में एक ऐसे व्यक्ति की कहानी प्रकट होती है, जिसने भारत के विभाजन से बचाने को अपने जीवन का एक मिशन बनाकर खुद को समर्पित कर दिया।

वक्ताओं का मानना था कि उपमहाद्वीप का विभाजन अविश्वसनीय मानवीय कीमत पर हुआ। डॉ. एम.सी. डावर ने विभाजन कि पीड़ा को स्पष्टता से देखकर विभाजन के कारण बेघर और निराश हो चुके शरणार्थियों की पीड़ा को महसूस किया जिसे तब टाला नहीं जा सकता था। उन्होंने न्याय, क्षतिपूर्ति, उचित मुआवजे और बुनियादी मानवाधिकारों के लिए तमाम संघर्ष किये l
दरअसल यह पुस्तक एक ऐसे महान व्यक्ति की गाथा बताने का यत्न करती है, जिसने पहले अपने देश के लिए स्वतंत्रता हासिल करने और फिर उसके बर्बर विभाजन को रोकने का अथक प्रयास किया। यही नहीं उन्होंने एक बहुलतावादी और प्रगतिशील भारत का सपना भी देखने कि कोशिस कि थी l
कुल मिलाकर एम सी डावर के बेटे कैप्टन प्रवीण डावर द्वारा लिखी गई एक बेहतरीन जीवनी के रूप में सामने आती है। जो एक बेहद पठनीय और ज्ञान से भरपूर पुस्तक कही जा सकती है. प्रवीण डावर ने अपने पिता और एक स्वतंत्रता सेनानी की यह जीवनी अब तक अज्ञात अभिलेखों पर आधारित है. मुख्य बात यह है कि तत्कालीन सन्दर्भ में विभाजन को टालने के लिए उनके पिता द्वारा किए गए अथक प्रयासों और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाये रखते हुए मैत्री पूर्ण संबंधो को बनाये रखने की वकालत करती है।
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित लोगों ने इस विषय पर अनेक बिंदुओं पर सवाल-जबाब भी किये l

कार्यक्रम के दौरान दून पुस्तकालय के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी, निकोलस हॉफलैंड, डॉ. योगेश धस्माना, सुन्दर सिंह बिष्ट,बिजू नेगी, हिमांशु आहूजा, देवेंद्र कुमार कांडपाल सहित शहर के अनेक प्रबुद्ध लोग, लेखक, युवा पाठक व अन्य लोगों में हरि चंद निमेष, के बी नैथानी, शैलेन्द्र नौटियाल, विजय भट्ट, हरिओम पाली, विजय शंकर शुक्ला, डॉ. लालता प्रसाद, डॉ अतुल शर्मा उपस्थित थे l

पति पत्नी सहित तीन लुटेरे गिरफ्तार, लूटी गयी चैन व मंगलसूत्र बरामद

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नैनीताल, चेन लूट की घटनााओं का खुलासा करते हुए पुलिस ने पति—पत्नी सहित तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। जिनके पास से लूटी गयी चेन व मंगलसूत्र बरामद किया गया है।
जानकारी के अनुसार बीते मंगलवार को बसंती देवी पत्नी एचडी पाण्डे निवासी विला प्रियदर्शनी विहार गैर वैशाली विठौरिया न. 1 ने थाना मुखानी में तहरीर देकर बताया गया था कि कुछ अज्ञात संदिग्ध महिलाओ द्वारा उनकी सोने की चेन तथा अन्य दो व तीन महिलाओ के गले के मंगलसूत्र चोरी कर लिया गया है। मामले में पुलिस ने तत्काल मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गयी। मामले के खुलासे के लिए आलाधिकारियों द्वारा एसओजी व पुलिस टीम का गठन किया गया, पुलिस टीम द्वारा सीसीटीवी के अवलोकन से 3 संदिग्ध महिलाओं व एक गाडी न. डीएल 01 जेडसी 9704 प्रकाश में आयी व मिलने वाले सभी सम्भावित स्थानों में तलाश व अन्य पूछताछ के माध्यम से आज दोपहर गुसाईपुर तिराहे के पास से 3 संदिग्ध लोगों को चुरायी गयी दो चेन व एक मंंगलसूत्र सहित गिरफ्तार कर लिया गया है। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि हम कैचीधाम धूमने आये थे जिसमे उनको ऑन लाईन पता चला कि ऊँचापुल बालकनाथ मंदिर पर भागवत हो रही है जिसमे हम सब बालकनाथ मंदिर ऊँचापुल मुखानी पहुँचे जहाँ पर भीड भाड का फायदा उठाकर 2 चैन व 1 मंगलसूत्र चोरी कर फरार हो गये। वर्तमान मे आरोपियों की एक सहयोगी भावना पत्नी चन्द्रकान्त निवासी कल्याणी पूर्वी दिल्ली उम्र 35 वर्ष फरार है जिसकी गिरफ्तारी के प्रयास जारी है। आरोपी मयूरी व सुशील कुमार आपस मे पति—पत्नी है इससे पूर्व भी दोनो हिमाचल प्रदेश के थाना कालाअम्ब जिला सिरमौर से वर्ष 2022 मे चैन स्नैचिंग में जेल जा चुके है।

बयान पर बोले नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, कहा शिक्षा मंत्री की स्मरण शक्ति है बेहद कमजोर

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देहरादून, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा की शिक्षा मंत्री की स्मरण शक्ति बेहद कमजोर है, उन्हें दो महीने पहले सदन में स्वयं दिया वक्तव्य भी याद नहीं रहता है। नेता प्रतिपक्ष एक समाचार पत्र में शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत द्वारा दिए बयान कि ‘‘प्रधानाचार्य पदों की भर्ती कांग्रेस विधायकों के विरोध के कारण रुकी है ’’ पर प्रतिक्रिया दे रहे थे।
नेता प्रतिपक्ष ने साफ किया कि सदन में मंत्री ने नियम 58 के कांग्रेस द्वारा प्रदेश में शिक्षा की दुर्दशा पर कार्यस्थगन पर स्वयं जबाब देते हुए कहा था कि प्रदेश के 58 विधायकों ने प्रधानाचार्य भर्ती परीक्षा का विरोध किया था।
नेता प्रतिपक्ष ने शिक्षा मंत्री से पूछा कि कांग्रेस के वर्तमान में 20 विधायक हैं यदि सभी ने विरोध में पत्र लिखा है तो मंत्री को बताना चाहिए कि पत्र लिखने वाले बाकी 38 विधायक कौन थे ?
यशपाल आर्य ने कहा कि विभाग के विभिन्न संवर्गों में से चुनिंदा अभ्यर्थियों को विभागीय परीक्षा में भाग लेकर प्रधानाचार्य बनाने के षड़यंत्र का विरोध किया। क्योंकि इस भर्ती मे केवल लेक्चरर ही आवेदन कर सकते थे। जबकि पहले प्रधानाचार्य पदों के लिए 55%एल टी याने high school के अध्यापक और केवल 45 %प्रतिशत लेक्चरर याने इंटरमीडिएट को पढ़ाने वाले अध्यापक होते थे।
जबकि सरकार ने जो विज्ञप्ति निकाली उसमें केवल लेक्चरर ही आवेदन कर सकते थे। ऐसे में पहले जिनका हिस्सा इन पदों के लिए 55 %था वह समाप्त हो गया था।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि फरवरी 2025 में हुए बजट सत्र से 5 महिने पहले शिक्षा विभाग ने अपनी गलती को स्वयं स्वीकार करते हुए 10 सितंबर 2024 को यह विभागीय परीक्षा स्थगित कर दी थी। उन्होंने कहा कि इस पत्र में विभाग ने स्वयं स्वीकार था कि प्रधानाचार्य पदों के लिए प्रस्तावित इस भरती परीक्षा में कुछ लोगों को मौका नहीं मिल रहा था अतः परीक्षा में प्रतिस्पर्धा लाने के उद्देश्य से नियमावली में सुधार शीघ्र सुधार कर परीक्षा आयोजित की जायेगी।
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि इस पत्र के जारी होने के बाद से 10 महिने बीत गए हैं। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि शिक्षा विभाग नियमावली में ऐसा कौन सा परिवर्तन कर रहा है जो एक साल में भी परिवर्तन नहीं कर पा रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने शिक्षा मंत्री के बयान कि प्रधानाचार्यों के पद कांग्रेस सरकार के समय से खाली हैं पर जबाब दिया कि कांग्रेस सरकार ने कैबिनेट में निर्णय लेकर उस समय लेक्चरर से प्रधानाचार्य पदों पर जो प्रमोशन किए वो आज भी शिक्षा विभाग में मिसाल हैं।
शिक्षा मंत्री के कटाक्ष कि नेता प्रतिपक्ष अनुभवी हैं वे ही समाधान दे दें पर यशपाल आर्य ने जबाब दिया कि जनता ने शिक्षा मंत्री को सरकार का समाधान देने के लिए चुना है फिर भी अगर उनकी सरकार से समाधान नहीं निकल रहे हैं और यदि शिक्षा मंत्री बिंदुवार समाधान के लिए उन्हें पत्र लिखेंगें निश्चित ही वे सकारात्मक सुझाव देंगें।