Monday, June 9, 2025
Home Blog Page 198

महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी ने पत्रकारों की समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया

0

उत्तराखंड सरकार पत्रकारों को हर संभव सुविधा देने के लिए कटिबंध – तिवारी

हरिद्वार(कुलभूषण) सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने आज हरिद्वार प्रेस क्लब पहुँचकर पत्रकारों की समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार पत्रकारों को हर संभव सुविधा देने के लिए कटिबंध है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पत्रकार कल्याण का कॉरपस फंड दोगुना कर जरूरतमंद पत्रकारों को हर संभव आर्थिक मदद पहुंचाने की दशा में दिशा में कार्य किया है, पत्रकार पेंशन राशि बढ़ाई जाने पत्रकारों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा वह आवासीय सुविधा दिए जाने की दिशा में सरकार कार्यरत है।
प्रेस क्लब पहुंचने पर डीजी सूचना का स्वागत अध्यक्ष अमित शर्मा महासचिव डॉ प्रदीप जोशी जिला सूचना अधिकारी अहमद नदीम ने पुष्प गुच्छ भेट किया इस दौरान डीजी सूचना ने प्रेस क्लब भवन का निरीक्षण किया तथा प्रेस क्लब हरिद्वार द्वारा कम संसाधनों में बेहद सुचारू व्यवस्थित सुंदर ढंग से प्रेस क्लब की व्यवस्थाएं बनाने के लिए प्रेस क्लब सदस्यों की सराहना की उन्होंने कहा कि वास्तव में उत्तराखंड में हरिद्वार प्रेस क्लब की एक अपनी पहचान है उसे पहचान को प्रेस क्लब के पदाधिकारी बरकरार रखते हैं उन्होंने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि 38 वर्षों से प्रेस क्लब निरंतर प्रगति की ओर है यह भविष्य के पत्रकारों के लिए बड़ा आदर्श व मार्गदर्शन साबित होगा।
इस मौके पर प्रेस क्लब हरिद्वार द्वारा पत्रकारों की समस्याओं पर आधरित एक ज्ञापन भी डीजी को सौंपा।
स्वागत करने वालो में पूर्व अध्यक्ष गुलशन नैय्यर,अविक्षित रमन,दीपक नौटियाल,श्रवण झा,रामचन्द्र कन्नौजिया तथा कुलभूषण शर्मा,पंकज कौशिक,अश्वनी अरोड़ा,सुभाष कपिल, बालकृष्ण शास्त्री मौजूद थे।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य में नमामि गंगे कार्यक्रम की प्रगति की जानकारी दी

0

देहरादून(आरएनएस)। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने  नमामि गंगे कार्यक्रम की इपावर्ड टास्क फोर्स  की  12वीं बैठक तैयारियो के दौरान जानकारी दी कि नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत 244.48 एमएलडी क्षमता सृजित करने के लिए 62 (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) एसटीपी की स्थापना हेतु सीवरेज अवसंरचना की कुल 43 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 165.06 एमएलडी क्षमता वाले 42 एसटीपी स्थापित करके 36 परियोजनाएं पूर्ण कर ली गई हैं तथा 79.42 एमएलडी क्षमता वाले 20 एसटीपी की स्थापना हेतु शेष 07 परियोजनाएं क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। एनएमसीजी एवं सीपीसीबी द्वारा किए गए मूल्यांकन के अनुसार 170 नालों की पहचान की गई है, जिनमें से 137 नालों को रोका जा चुका है, 33 नालों को रोकने के लिए विभिन्न परियोजनाएं क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। इसके अलावा उधम सिंह नगर में कल्याणी नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए 40 एमएलडी एसटीपी के लिए डीपीआर और हल्द्वानी काठगोदाम क्षेत्र में गौला नदी में गिरने वाले प्रमुख नालों को रोकने और मोड़ने के लिए परियोजनाएं तैयार की गई हैं और मंजूरी के लिए एनएमसीजी को भेजी गई हैं। केएफडब्ल्यू द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं के तहत हरिद्वार और ऋषिकेश शहरों में 541 किलोमीटर लंबे सीवर नेटवर्क में गंगा नदी में गिरने वाले सीवेज के 100 प्रतिशत उपचार का प्रस्ताव है। 79 स्थानों पर सतही जल की मासिक आधार पर नियमित निगरानी की जा रही है। यूकेपीसीबी ने त्रिवाणी घाट ऋषिकेश, कौड़ियाला बद्रीनाथ मार्ग टिहरी गढ़वाल और देवप्रयाग टिहरी गढ़वाल में डिस्प्ले बोर्ड लगाए हैं। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत ऑनलाइन निगरानी प्रणाली से लैस 22 एसटीपी चालू हैं और गंगा तरंग वेब पोर्टल से जुड़े हैं। उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूकेपीसीबी) और उत्तराखंड पेयजल निगम/उत्तराखंड जल संस्थान द्वारा इनलेट और आउटलेट अपशिष्ट जल की गुणवत्ता की मासिक निगरानी की जाती है, ताकि जल गुणवत्ता मानकों का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके, जिसमें फेकल कोलीफॉर्म परीक्षण भी शामिल है। नियमित निगरानी के परिणामस्वरूप गंगोत्री से ऋषिकेश तक पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, जहाँ यह वर्ग-ए मानकों (पीने के लिए उपयुक्त) को पूरा करता है। ऋषिकेश से हरिद्वार तक पानी की गुणवत्ता वर्ग-बी (बाहर नहाने के लिए उपयुक्त) के अंतर्गत आती है और इसे बेहतर बनाने का काम प्रगति पर है।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि गौरी कुंड एसटीपी के लिए भूमि का स्वामित्व माननीय जिला न्यायालय द्वारा दूसरे पक्ष अर्थात बाबा काली कमली ट्रस्ट के पक्ष में तय किया गया था। अब बहुमंजिला संरचनाओं का निर्माण करके पास के 6 केएलडी एसटीपी की उपलब्ध भूमि पर 200 केएलडी एसटीपी को समायोजित करने का प्रस्ताव है। राज्य में 105 शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) हैं, 98 ने सेप्टेज प्रबंधन प्रकोष्ठ (एसएमसी) स्थापित किए हैं, 73 यूएलबी द्वारा उप-नियमों की राजपत्र अधिसूचना प्रकाशित की गई है और 30 यूएलबी अनुमोदन के लिए राजपत्र अधिसूचना के विभिन्न चरणों में हैं। घरेलू सर्वेक्षण के आधार पर, हरिद्वार, ऋषिकेश, देवप्रयाग और श्रीनगर में मौजूदा एसटीपी में सेप्टेज के सह-उपचार के लिए डीपीआर को एनएमसीजी द्वारा मंजूरी दे दी गई है और यह निविदा चरण में है। ऋषिकेश में, वर्तमान में एकत्रित सेप्टेज को लकड़घाट में एसटीपी में डाला जा रहा है। रुद्रपुर में 125 किलोलीटर क्षमता वाली एफएसटीपी है, जिसमें गूलरभोज, गदरपुर, दिनेशपुर, केलाखेड़ा और लालपुर जैसे क्लस्टर शहर शामिल हैं। सिंचाई विभाग ने उत्तराखंड बाढ़ मैदान क्षेत्र अधिनियम, 2012 के तहत 614.60 किलोमीटर नदी खंड (अलकनंदा, भागीरथी, मंदाकिनी, भीलंगाना और गंगा) को अधिसूचित किया है। नदी खंड (गोला, कोसी, सुसवा, सोंग और बलदिया) में 361.25 किलोमीटर बाढ़ मैदान जोनिंग का सर्वेक्षण और हाइड्रोलॉजिकल अध्ययन कार्य पूरा हो चुका है और अधिसूचना जारी होने की संभावना है, जो दिसंबर, 2025 तक पूरी होने की संभावना है। जलग्रहण क्षेत्रों में वन आवरण बढ़ाने के लिए नदी बेसिन की सुरक्षा, मिट्टी और नमी संरक्षण, खरपतवार नियंत्रण,पारिस्थितिकी बहाली जैसी कुछ अन्य सहायक गतिविधियों के साथ-साथ वृक्षारोपण।  (8 वर्षों में 10816.70 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधे रोपे गए हैं।)  किसानों को आर्थिक मूल्य के फलदार पौधों का वितरण, अब तक इस गतिविधि के अंतर्गत 1432.98 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधे रोपे गए हैं।  गंगा वाटिकाओं का विकास, रिवर फ्रंट विकास और संस्थागत एवं औद्योगिक एस्टेट वृक्षारोपण, अब तक इस गतिविधि के अंतर्गत कुल 93.10 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधे रोपे गए हैं।  मृदा एवं जल संरक्षण, तथा आर्द्रभूमि प्रबंधन, इस गतिविधि के अंतर्गत कुल 1128.00 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधे रोपे गए हैं।
मुख्य सचिव ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित अर्थ गंगा के 06 वर्टिकल के तहत जैविक खेती के अंतर्गत उत्तराखंड के सभी जिलों में परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई), राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) और नमामि गंगे योजना के माध्यम से 2.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र जैविक खेती के अंतर्गत आता है। जो राज्य के कुल खेती योग्य क्षेत्र का 39 प्रतिशत है। स्वच्छता कार्य योजना के तहत नमामि गंगे स्वच्छ अभियान के तहत पीकेवीवाई दिशानिर्देशों के अनुसार गंगा बेसिन में स्थित 50840 हेक्टेयर गांवों में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाता है। परियोजना के तहत उत्पादित जैविक उत्पादों को ‘‘नमामि गंगे-ऑर्गेनिक उत्तराखंड’’ ब्रांड नाम से बेचा जा रहा है। राज्य के पर्यटक मार्गों पर 304 जैविक आउटलेट स्थानीय बिक्री के लिए सक्रिय हैं और पास के जैविक क्लस्टर के लिए संग्रह केंद्र के रूप में भी काम कर रहे हैं। प्राकृतिक खेती के तहत राज्य प्रायोजित योजना नमामि गंगे प्राकृतिक कृषि कॉरिडोर योजना के माध्यम से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह योजना टिहरी, पौड़ी, चमोली और उत्तरकाशी जिलों के 39 क्लस्टरों (1950 हेक्टेयर) में गंगा नदी के 5 किलोमीटर कॉरिडोर में क्रियान्वित की गई है। इसमें 82 गांव और 2916 किसान शामिल हैं। भारत सरकार से प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन के तहत परियोजना प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। जिसे राज्य के 11 जिलों के 150 गांवों के 6400 हेक्टेयर क्षेत्र में क्रियान्वित करने का प्रस्ताव है। राज्य में 6327 किसानों को प्राकृतिक खेती के तरीकों के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए राज्य, जिला और गांव स्तर पर 29 प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं। जीबीपीयूएंडटी, पंतनगर ने स्नातक पाठ्यक्रम में प्राकृतिक खेती पर एक पाठ्यक्रम शामिल किया है। जगजीतपुर में 113 एमएलडी (45$68 एमएलडी) उपचारित जल का पुनः उपयोग सिंचाई में किया जा रहा है। सिंचाई विभाग ने एसटीपी परिसर जगजीतपुर से लगभग 11 किलोमीटर लंबी मुख्य नहर का निर्माण किया है और फसलों की जल मांग के अनुसार कृषि क्षेत्रों की सिंचाई के लिए मुख्य नहर से वितरिकाओं का भी निर्माण किया है। उपचारित जल के पुनः उपयोग के लिए राष्ट्रीय ढांचे के अनुसार, राज्य विभिन्न सरकारी एजेंसियों को शामिल करके नीति तैयार कर रहा है।
मुख्य सचिव ने कहा कि मलबा प्रबंधन के तहत हरिद्वार में जगजीतपुर और सराय एसटीपी से 70742 घन मीटर कीचड़ स्थानीय किसानों को कृषि गतिविधियों के लिए निःशुल्क वितरित किया गया है। आजीविका सृजन के तहत 37 स्थानों पर जलज आजीविका मॉडल कार्यान्वयन प्रगति पर है, जिसे 75 स्थानों पर दोहराया जाएगा। हेस्को के साथ ‘प्रौद्योगिकी के आधार पर समुदाय और स्थानीय संसाधनों का लाभ उठाने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम’ पर परियोजना, गांव स्तर पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। हर-की-पौड़ी, हरिद्वार में गंगा आरती के लिए ऑडियो वीडियो सुविधा विकसित की जा रही है।पंडित दीन दयाल होमस्टे विकास योजना का लाभ कई ग्रामीणों द्वारा उठाया जा रहा है, ताकि स्थायी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए होमस्टे विकसित किए जा सकें। ‘गंगा अवलोकन’ हरिद्वार में चंडीघाट पर गंगा पर एक संग्रहालय स्थापित किया गया है और नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत त्रिवेणी घाट, ऋषिकेश में ‘गंगा संग्रहालय’ विकसित किया गया है। गंगा की सफाई और संरक्षण के लिए बेसिन में लोगों को शामिल करने के लिए, नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत SMCG   में सूचीबद्ध 34 विश्वविद्यालयों/कॉलेजों के साथ-साथ 13 जिला गंगा समितियों के माध्यम से निम्नलिखित सूचना शिक्षा और संचार (आईईसी ) गतिविधियाँ आयोजित की जा रही हैं। 2017 से 2024 (जुलाई) तक 560 आईईसी  गतिविधियाँ आयोजित की गई हैं जैसे पखवाड़ा, स्वच्छता ही सेवा, गंगा उत्सव, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, हर घर हर घाट तिरंगा, सफाई अभियान, हरेला पखवाड़ा, जागरूकता अभियान और प्रदर्शनी आदि। 2017 से 2024 तक राज्य गंगा समितियों की 16 बैठकें आयोजित की गई हैं। गंगा पर जिला गंगा समितियों के पुनरुद्धार हस्तक्षेपों का नियमित संचालन किया जाता है
नमामि गंगे कार्यक्रम पर समन्वय के लिए  एनएमसीजी  द्वारा 11 जिलों में जिला परियोजना अधिकारी ( डीपीओ ) नियुक्त किए गए हैं।
मुख्य सचिव ने कहा कि जिला गंगा समितियां सभी जिलों में नियमित मासिक, अनिवार्य, निगरानी, मिनट (4एम) बैठकें आयोजित कर रही हैं। साथ ही, बैठक के मिनट (एमओएम) नियमित रूप से एनएमसीजी द्वारा डिजाइन किए गए समर्पित जीडीपीएमएस पोर्टल पर अपलोड किए जा रहे हैं, जिसमें कुछ जिलों में कुछ बदलाव किए गए हैं।अप्रैल 2023 से जुलाई, 2024 के दौरान जिला गंगा समितियों की कुल 208 बैठकों में से कुल 194 मिनट (एमओएम) जीडीपीएमएस पोर्टल पर अपलोड किए गए। उधम सिंह नगर की जिला गंगा योजना और राम गंगा नदी बेसिन प्रबंधन योजना का विकास। एनएमसीजी प्राधिकरण के आदेश के अनुसार, जीआईजेड-एसएमसीजी के सहयोग से उधम सिंह नगर की व्यापक जिला गंगा योजना (डीजीपी) तैयार की गई है, जिसे महानिदेशक, एनएमसीजी ने 08 जनवरी, 2024 को मंजूरी दे दी है। रामगंगा आरबीएम योजना भी तैयार की गई है और आरबीएम समिति ने इसे मंजूरी दे दी है।  शहरी नदी प्रबंधन योजनाएँः – राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी), जल शक्ति मंत्रालय राष्ट्रीय शहरी मामलों के संस्थान (एनआईयूए), आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) के समन्वय में गंगा बेसिन में नदी शहरों के लिए शहरी नदी प्रबंधन योजनाएँ (यूआरएमपी) विकसित कर रहा है। उत्तराखंड राज्य में यूआरएमपी तैयार करने के लिए 5 शहरों की पहचान हरिद्वार, हल्द्वानी, नैनीताल, काशीपुर और उत्तरकाशी की गई है।

सार्वजनिक स्थल पर कूड़ा डालने वाले पर लगाया 01 लाख का अर्थदण्ड

0

– जिलाधिकारी की सख्ताई का दिखने लगा असर, हरकत में आई नगर निगम की मशीनरी। जिलाधिकारी द्वारा सख्त निगरानी के निर्देशों के बाद सक्रिय हुई नगर निगम की पैट्रोलिंग टीम।
– जिलाधिकारी के निर्देश पर नगर निगम के अधिकारी कर रहे हैं पैट्रोलिंग, कम्पनियों के पार्किगं स्थलों एवं रूटों का किया औचक निरीक्षण
– जिलाधिकारी के निर्देशों के क्रम में नगर निगम द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए कूड़ा उठान हेतु अनुबन्धित कम्पनियों के निर्धारित संख्या में वाहन न पाए जाने पर नोटिस दिए।
– पुरानी तहसील में बने गार्बेज प्वांईट को किया गया साफ,  सार्वजनिक स्थल पर कूड़ा डालने पर भारी अर्थदण्ड की दी गई चेतावनी।

देहरादून(आरएनएस)।  जिलाधिकारी सविन बंसल शहर की सफाई व्यवस्थाओं की स्वयं मॉनिटिरिंग कर रहे हैं। कूड़ा सम्बन्धी शिकायतों पर नगर निगम के अधिकारियों को त्वरित कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं।नगर निगम में व्यवस्था परिवर्तन का असर दिखा। नगर निगम देहरादून द्वारा राजीव गांधी कॉम्प्लेक्स और नई तहसील परिसर की सफाई के लिए अनुबंधित उड़ा संस्था के ठेकेदार अमीर कुरैशी पुत्र बशीर कुरैशी के विरूद्ध चालान की कार्यवाही करते हुए 01 लाख का अर्थदण्ड लगाया गया। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि सार्वजनिक स्थलों पर कूड़ा डालने वालों पर नजर रखी जाए तथा ऐसा करते हुए पाए जाने वालों के विरूद्ध भी कड़ी कार्यवाही की जाए। बताया गया कि कूड़ा बीनने वालों द्वारा बेकार कूड़ा सार्वजनिक स्थल पर डाल दिया जाता है, जिससे किन्ही-2 स्थलों पर कूड़े के ढेर लग जाते हैं। पुरानी तहसील में कूड़ा जमा होने की शिकायत पर जिलाधिकारी ने नगर निगम को उक्त स्थल पर कूड़ा हटाने तथा सम्बन्धित के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही के निर्देश दिए, जिस पर नगर निगम की टीम द्वारा मुख्य नगर आयुक्त की मौजूदगी में सफाई करवाई गई। जिलाधिकारी के निर्देश पर उप नगर आयुक्त ने आज सफाई व्यवस्था, कूड़ा उठान, कूड़ा वाहन संचालन, आदि का औचक निरीक्षण किया। नगर निगम से अनुबन्धित कम्पनी  इकोनवेस्ट मैनजेमेंट सिस्टम, वाटरग्रेस, सनलाईट कम्पनी के कूड़ा उठान रूट, वाहन व्यवस्था का निरीक्षण किया गया, जिसमें वाहन निर्धारित संख्या से कम पाए गए कुछ वाहन खराब पाए गए, जिस पर सम्बन्धित कम्पनियों को नोटिस दिए गए ।

जिलाधिकारी ने मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी से छीने कई काम, अब कार्यों का नये सिरे से हुआ बंटवारा

0

देहरादून, जिलाधिकारी ने नगर निगम देहरादून में वर्षों से चली आ रही कार्य प्रणाली को कार्यभार ग्रहण करने के पांचवे दिन ही बदल दिया। वर्षों पुरानी चली आ रही कार्य प्रणाली को जिलाधिकारी ने एक झटके में बदल दिया, सफाई व्यवस्था एवं मॉनिटिरिंग, कूड़ा उठान, कूड़ा वाहन संचालन, फॉगिंग, सत्यापन का कार्य अब उप नगर आयुक्त देखेंगे । इससे पहले मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी देखते थे यह कार्य।
मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी केवल अपने पद के मूल कार्य स्वास्थ्य विभाग से समन्वय, शहरी क्षेत्र में डेंगू-मलेरिया रोकथाम, सर्विलांस, स्वास्थ्य जोखिम आंकलन आदि कार्य देखेंगे।
जिलाधिकारी सविन बंसल ने सफाई कार्यों के सफाई व्यवस्था एवं मॉनिटिरिंग, कूड़ा उठान, कूड़ा वाहन संचालन, फॉगिंग, कार्य सत्यापन सम्बन्धी कार्य देख रहे मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी से यह कार्य हटाते हुए उनके पद के मूल कार्य दिए गए हैं, अब वे अपने पद के मूल कार्य स्वास्थ्य विभाग से समन्वय, शहरी क्षेत्र में डेंगू-मलेरिया रोकथाम, सर्विलांस, स्वास्थ्य जोखिम आंकलन आदि कार्य करेंगे। सफाई व्यवस्था एवं मॉनिटिरिंग, कूड़ा उठान, कूड़ा वाहन संचालन, फॉगिंग, सत्यापन कार्य अब उप नगर आयुक्त द्वारा किया जाएगा, जिसके लिए जिलाधिकारी की ओर से आदेश जारी कर दिए गए हैं।
जिलाधिकारी नगर निगम के सफाई कार्यों की स्वंय मॉनिटिरिंग कर रहे हैं, उन्होंने कूड़ा उठान कार्यों एवं मॉनिटिरिंग में लचर व्यवस्था पाए जाने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की थी। यह सभी कार्य उप नगर आयुक्त का है, जबकि जनपद में कई वर्षों से यह कार्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी अपने पद के अन्य कार्यों के साथ कर रहे थे, जिसको जिलाधिकारी ने अब बदल दिया है।
नगर निगम अंतर्गत स्वच्छता समिति, कूड़ा उठान वाहन एवं अनुबंधित कंपनी के कार्यों के सत्यापन हेतु अपनाई गई कार्यप्रणाली पर जिलाधिकारी ने नाराजगी जाहिर करते हुए सफाई कार्यों में गुणवत्ता एवं सत्यापन कार्यों में पारदर्शिता रखने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी सविन बंसल ने कार्यभार ग्रहण करने के दूसरे ही दूसरे ही दिन 6 सितम्बर को देर शाम नगर निगम पंहुचकर सफाई व्यवस्थाओं को लेकर अधिकारियों को तलब किया। कूड़ा निस्तारण कार्यों की भी समीक्षा करते हुए अनुबन्धित कम्पनियों को कार्य प्रवृत्ति में सुधार लाने हेतु 45 दिन की मोहलत दी है। जिलाधिकारी स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि कार्यों में लापरवाही बरतने वालों पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

दून के दिल पर डाका : ऐतिहासिक “घंटाघर” में चोरी होने से मचा हड़कंप

0

देहरादून (एल मोहन लखेड़ा), राज्य की राजधानी दून में अब चोर सरकारी सम्पत्ति पर भी अपनी नजर गढ़ाये हुये हैं, चोरों की यह टेड़ी ऐतिहासिक धरोहर को भी नहीं छोड़ रही है और पुलिस की नाक के नीचे चोर चोरी करके फुर्र हो जाते हैं और पुलिस हाथ हाथ धरे रह जाती है, चोरी की यह वारदात दून के दिल कहे जाने वाले घंटाघर में हुयी, लेकिन गजब की बात यह कि स्मार्ट सिटी के कैमरों के बीच और पुलिस पिकेट के नजदीक होने के बावजूद भी चोर में चोरी करके निकल गया, जिसके फलस्वरूप हमेशा टिक-टिक करने वाली घंटाघर की घड़ियां थम गई तो हड़कंप मच गया, लोग हैरान हुए । आनन फानन में बुधवार को नगर निगम के आला अधिकारी घंटाघर पहुंचे और छानबीन शुरू कर दी, इसके बाद निगम ने दून पुलिस में तहरीर दी जिसके बाद पुलिस जांच में जुट गई है ।
सीओ सिटी देहरादून नीरज सेमवाल ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली कि कोई चोरी हुई जिसके कारण घंटाघर की घड़ियां रुक गई है, तो तुरंत पुलिस मौके पर पहुंची और छानबीन करने लगी, इसकी जांच के लिए पुलिस, एफएसएल और नगर निगम की एक संयुक्त टीम का गठन किया गया, वहीं नगर आयुक्त गौरव कुमार ने बताया कि निगम को कुछ दिनों पहले घंटाघर की सुइयां बंद होने की खबर मिली थी तो उन्होंने अधिकारियों को घड़ी जांचने के निर्देश दिये, वहां जाकर अधिकारियों को पता चला कि घंटाघर के चारों ओर लगाए गए फाउंटेन में लगाई गई कीमती नोजल, पैनल चोरी और घंटाघर की लाइटों की केबल समेत कुछ कीमती सामान चोरी हो गया । पुलिस ने आज घंटाघर को सील कर मामले की जांच शुरू कर दी है ।

वहीं दून के पलटन बाजार में रहने वाले अजय गुप्ता ने बताया कि 1947 में उनके पिता देहरादून आकर बस गए थे और वह घंटाघर को बचपन से निहारते आ रहे हैं, पहले वह यहां पर खेलते भी थे लेकिन बात पुरानी हो गयी अब घंटाघर बहुत बदल गया है, उन्होंने अपने पूर्वजों से सुना था कि यहां घंटाघर में इस्तेमाल होने वाली मशीन विदेशों से आई हैं । उन्होंने कहा है कि यह देहरादून की पहचान है और सरकार की प्राथमिकता उसकी सुरक्षा होनी चाहिये।

एशिया का सबसे अनोखा ‘घंटाघर’ :

दून का दिल ‘घंटाघर’ एशिया का सबसे अनोखा घंटाघर है क्योंकि और जगहों पर 2 या 4 घड़ियों का घंटाघर है यहां पर 6 घड़ियां है, यह पहले बलवीर क्लॉक टावर के नाम से जाना जाता था, क्योंकि इसे शेर सिंह ने अपने पिता बलवीर सिंह की याद में बनवाया था, वर्ष1948 में इसका निर्माण शुरू हुआ और इसकी आधारशिला उत्तर प्रदेश की तत्कालीन राज्यपाल सरोजिनी नायडू ने रखी थी। जबकि वर्ष 1953 में तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इसका उद्घाटन किया था, षट्कोणीय आकर के बने घंटाघर में हर दीवार पर प्रवेश द्वार है, यह ईंट और पत्थरों से बना हुआ है जिसमें ऊपर चढ़ने के लिए गोल घुमावदार सीढ़ियां लगी हैं बताया जाता है कि इसमें स्विट्जरलैंड से भारी भरकम घड़ी और मशीने मंगवाई गई थी जो समय का बोध कराती थी लेकिन बाद में इसमें इलेक्ट्रॉनिक घड़ियां लगवाई गई, इसमें अलग-अलग तरफ छह घड़ियाँ लगी हुई हैं और इसे मुख्य रूप से एक लैंडमार्क के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। घंटाघर के निर्माण में करीब 1.5 लाख रुपए का खर्च आया था और घड़ी को खास तौर पर स्विटजरलैंड से मंगाया गया था।

बिजली कनेक्शन के नाम पर 15 हजार की रिश्वत लेते जेई और दलाल गिरफ्तार

0

देहरादून, उत्तराखंड़ विजिलेंस ने बिजली कनेक्शन लगवाने की आड़ में रिश्वतखोरी कर रहे यूपीसीएल के जेई और प्राइवेट दलाल को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास विजिलेंस ने 15 हजार की रिश्वत बरामद की है। विजिलेंस की इस कार्रवाई से पूरे महकमे में हड़कंप मचा है।
विजिलेंस से मिली जानकारी के मुताबिक विद्युत विभाग के जेई, परवेज आलम एवं उसके सहयोगी (दलाल) आदित्य नौटियाल को रू0 15000 की रिश्वत लेते रंगे हाथो गिरफ्तार किया गया है। शिकायतकर्ता की शिकायत पर आज सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर देहरादून की ट्रैप टीम द्वारा नियमानुसार कार्यवाही करते हुये परवेज आलम जेई विद्युत विभाग सब स्टेशन हर्बटपुर देहरादून व उसके दलाल आदित्य नौटियाल निवासी विकास नगर (प्राईवेट व्यक्ति ) को शिकायतकर्ता से बिजली के कन्केशन लगाने के एवज में रू0 15000 (पन्द्रह हजार रूपये )रिश्वत ग्रहण करते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। आरोपी की गिरफ्तारी उपरान्त सतर्कता अधिष्ठान देहरादून की टीम द्वारा अभियुक्त के आवास की तलाशी व अन्य स्थानों पर चल-अचल सम्पत्ति के सम्बन्ध में पूछताछ जारी है।
निदेशक सतर्कता डॉ0 वी0 मुरूगेसन,महोदय द्वारा ट्रैप टीम को नकद पुरस्कार से पुरस्कृत करने की घोषणा की गयी।

रिश्वतखोरी की यहां करें शिकायत :

यदि कोई राज्य के सरकारी विभागों में नियुक्त अधिकारी/कर्मचारी एवं लोक सेवक द्वारा लोक कर्तव्य के निर्वहन में अपने आचरण द्वारा या अन्य प्रकार के असम्यक लाभ (पारितोषण) हेतु अवैध मांग या किसी को प्रेरित कराकर रिश्वत (उत्कोच) की मांग की जाती है या उसके द्वारा आय से अधिक अवैध सम्पत्ति अर्जित की गयी हो, तो इस सम्बन्ध में सतर्कता अधिष्ठान के टोल फ्री हैल्पलाइन नम्बर-1064 एवं Whatsapp नम्बर 9456592300 पर सम्पर्क कर भ्रष्टाचार के विरूद्ध अभियान में निर्भीक होकर सूचना दें।

 

जूनियर इंजीनियर व दलाल को रिश्वत लेते पुलिस ने किया गिरफ्तारजूनियर इंजीनियर व दलाल रिश्वत लेते गिरफ्तार - Avikal Uttarakhand

देहरादून, विद्युत विभाग के जेई, परवेज आलम एवं उसके सहयोगी (दलाल) आदित्य नौटियाल को 15000/-रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया।
शिकायतकर्ता की शिकायत पर मंगलवार को सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर देहरादनू की ट्रैप टीम ने परवेज आलम जेई विद्युत विभाग सब स्टेशन हर्बटपुर व उसके दलाल आदित्य नौटियाल निवासी विकास नगर को शिकायतकर्ता से बिजली के कन्केशन लगाने के एवज में रू0 15000 (पन्द्रह हजार रूपये) रिश्वत ग्रहण करते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया।
आरोपी की गिरफ्तारी उपरान्त सतर्कता अधिष्ठान देहरादून की टीम द्वारा अभियुक्त के आवास की तलाशी व अन्य स्थानों पर चल-अचल सम्पत्ति के सम्बन्ध में पूछताछ जारी है।
निदेशक सतर्कता डॉ० वी० मुरूगेसन ने ट्रैप टीम को नकद पुरस्कार से पुरस्कृत करने की घोषणा की गयी।

सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुशार ही करें केदारनाथ की यात्रा- अजेंद्र अजय

0

” बद्री केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंन्द्र अजय ने कहा कि मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा निर्देश में सरकारी तंत्र द्वारा किये गये कार्यों ने यात्रियों व स्थानीय लोगों का विश्वास जीता है। यही कारण है कि पुनः भारी संख्या में यात्री केदारनाथ के दर्शनों को आ रहे है”।

(देवेंन्द्र चमोली) 
रुद्रप्रयाग- केदारनाथ धाम की यात्रा पुनः शुरू होने पर बद्री केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने खुशी ब्यक्त करते हुये सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होने कहा कि 31 जुलाई को केदारनाथ यात्रा मार्ग में हुई अतिबृष्टि के बाद उपजे हालातों को सरकार ने त्वरित कार्यवाही करते हुये यात्रा मार्ग सहित केदारनाथ धाम में फँसे प्रभावितों को सकुशल निकाला व कुछ ही दिनों में आपदा की चुनौतियों से निपटकर बाधित यात्रा को पुनः संचालित करने का ऐतिहासिक कार्य किया है।
आज आपदा के बाद केदारनाथ धाम सहित केदार घाटी के हालातों का निरीक्षण कर रुद्रप्रयाग पहुँचे बद्री केदार मंदिर समिति अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने पत्रकारों से मुलाकात कर यात्रा बयवस्था व यात्रा के बारे में जानकारी साझा की। उन्होने प्रदेश के मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी का विशेष आभार ब्यक्त करते हुये कहा कि मुख्य मंत्री ने स्वयं छैत्र में पहुँच कर अपनी निगरानी में आपदा के बाद राहत बचाव से लेकर यात्रा मार्ग को दुरस्त करने का बीडा उठाया उसके फल स्वरूप केदार नाथ यात्रा पुनः कुछ ही दिनों में शुरू हो पाई है। उन्होने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं पर किसी का बस नहीं चलता लेकिन आपदा के बाद उपजे हालातों , राहत बचाव कार्य हो या आपदा से हुये नुकसान को कम करना इंसान के बस में है जिसे सरकार ने बखूबी निभाया। मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा निर्देश में सरकारी तंत्र द्वारा किये गये कार्यों ने यात्रियों व स्थानीय लोगों का विश्वास जीता है। यही कारण है कि अधिक से अधिक संख्या में यात्री केदार नाथ के दर्शनों को आ रहे है।
मुण्डकटिया भूस्खलन में यात्रियों की मौत पर दुःख ब्यक्त करते हुये उन्होने कहा कि अभी बरसात लगातार हो रही है आपदा के बाद मार्ग में कई भूस्खलन जोन सक्रिय हुये है जिसे देखते हुये प्रशासन ने ऐतिहात बरतने को कहा है। उन्होने यात्रियों से आग्रह किया है कि सरकार व जिला प्रशासन द्वारा जारी एडवाईजरी के अनुशार ही यात्रा करें।
उन्होने बताया कि लगातार चारों धामों में साल दर साल यात्रियों की संख्या में बढोत्तरी हो रही है जिसे देखते हुये
धामों मे पहुँच रहे यात्रियों की सुरक्षा व उन्हें सुविधा उपलब्ध कराने के लिये लगातार सुधार किये जा रहे है। उनके द्वारा सुरक्षा संवर्ग का प्रसाताव शासन को भेजा गया है जिसे सरकार ने स्वीकार किया है।
केदार नाथ में उठे स्वर्ण विवाद पर उन्होने कहा कि यह विपक्ष द्वारा अनावश्यक ध्यान भटकाने के लिये किया जा रहा कुत्सित प्रयास है। उन्होने बताया कि शासन की स्वीकृति के पश्चात प्रशासन की देखरेख में दानी दाता ने गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित कराया। लेकिन विपक्ष बद्री केदार मंदिर समिति को आनावश्यक बीच में घसीटकर दुष्प्रचार कर रहा है। उन्होने कहा कि इस तरह के आरोपों से दानी दाताओ की आस्था को आघात पहुँचाया गया। जो कि देवभूमि की धार्मिक मान्यताओं के लिये अच्छा नहीं है।इस दौरान उन्होने बद्री केदार मंदिर समिति द्वारा सकुशल यात्रा संचालित करने व धामों को संवारने के लिये किये जा रहे प्रयासों की विस्तृत जानकारी साझा की।
इस अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व जिलाध्यक्ष विजय कप्रवाण, अजय सेमवाल, सत्येन्द्र बर्तवाल, अनूप सेमवाल आदि मौजूद थे।

मलाइका के पिता अनिल अरोड़ा ने सातवीं मंजिल से कूदकर की खुदकुशी, पुलिस ने घटना स्थल पर पहुंचकर छानबीन में जुटी

0

मुम्बई, बाॕलीवुड अभिनेत्री मलाइका अरोड़ा के पिता अनिल अरोड़ा ने बुधवार सुबह 9 बजे खुदकुशी कर ली। अनिल ने बांद्रा स्थित बिल्डिंग आयशा मैनॉर की सातवीं मंजिल से कूदकर खुदकुशी की। उन्होंने किन कारणों से ऐसा कदम उठाया उसका अभी पता नहीं चल पाया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कहा जा रहा है कि अनिल अरोड़ा पिछले कुछ समय से बीमार थे।

पुलिस को प्रारंभिक जांच में कोई सुसाइड नोट भी नहीं मिला है। शव को पोस्टमार्टम के लिए बाबा अस्पताल भेज दिया गया है। मलाइका को जब पिता के निधन की खबर मिली तब वो पुणे में थीं। जानकारी मिलते ही वो तुरंत मुंबई के लिए रवाना हो गईं। मलाइका के एक्स हस्बैंड अरबाज खान परिवार के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए हैं।
अनिल अरोड़ा इसी आयशा मैनॉर बिल्डिंग में रहते थे।
अनिल मर्चेंट नेवी में काम कर चुके थे बीते साल अनिल को बीमारी की वजह से मुंबई के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। मलाइका को मां जॉइस के साथ हॉस्पिटल में स्पॉट किया गया था। हालांकि, उनके ट्रीटमेंट की वजह सामने नहीं आ सकी थी। वर्ष 2022 में क्रिसमस पर मलाइका ने मां जॉइस, पिता अनिल अरोड़ा और बहन अमृता के साथ फोटो शेयर की थी।
2022 में क्रिसमस पर मलाइका ने मां जॉइस, पिता अनिल अरोड़ा और बहन अमृता के साथ फोटो शेयर की थी।
अनिल पंजाबी हिंदू परिवार से ताल्लुक रखते थे। वो मर्चेंट नेवी में रह चुके हैं। उनकी शादी जॉइस पॉलीकॉर्प से हुई थी। बाद में तलाक हो गया। अनिल-जॉइस शादी के बाद दो बेटियों के पेरेंट्स बने थे जिनके नाम मलाइका और अमृता अरोड़ा हैं। पुलिस जांच के बाद ही यह साफ हो पायेगा कि आखिर अनिल ने इस तरह का कदम किन कारणों से उठाया |

 

 

समर्पण सोसाइटी ने बलात्कार पीड़ितों के लिये फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स बनाने की उठाई मांग

 

देहरादून, समर्पण सोसाइटी फॉर हेल्थ रिसर्च एंड डेवलपमेंट ने बलात्कार पीड़ितों के लिए विशेष त्वरित अदालतों (फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स) की मांग की, इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की रिपोर्ट के आधार पर, गैरसरकारी संगठन समर्पण सोसाइटी फॉर हेल्थ रिसर्च एंड डेवलपमेंट ने बलात्कार और यौन शोषण के पीड़ितों को शीघ्र न्याय दिलाने के लिए 1000 नई विशेष त्वरित अदालतों के गठन की मांग की है। संस्था की रिपोर्ट का शीर्षक “फास्ट ट्रैकिंग जस्टिस : रोल ऑफ फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स इन रिड्यूसिंग केस बैकलॉग्स” है, जिसे नई दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में प्रस्तुत किया गया, बाल विवाह मुक्त भारत 200 से ज्यादा गैरसरकारी संगठनों का एक राष्ट्रव्यापी गठबंधन है जो देश के 400 से ज्यादा जिलों में बाल विवाह के खात्मे के लिए काम कर रहा है।
इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन और समर्पण सोसाइटी फॉर हेल्थ रिसर्च एंड डेवलपमेंट बाल विवाह मुक्त भारत के गठबंधन सहयोगी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जहां सामान्य अदालतों में बलात्कार और पॉक्सो मामलों के निपटारे की दर केवल 10% है, वहीं विशेष त्वरित अदालतों (फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स) में यह दर 83% रही, जो 2023 में बढ़कर 94% तक पहुंच गई। यदि 1000 नई अदालतें नहीं बनाई गईं, तो बलात्कार और यौन शोषण के लंबित 2,02,175 मामलों का निपटारा करने में तीन साल का समय लग सकता है। वहीं हर तीन मिनट में एक मामले का निपटारा किया जाना आवश्यक होगा। रिपोर्ट में निर्भया फंड की अप्रयुक्त राशि से नई अदालतों के गठन और मौजूदा अदालतों को सुचारु रूप से चलाने का सुझाव दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 1700 करोड़ रुपये की अप्रयुक्त निधि में से केवल 1302 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।
समर्पण सोसाइटी के अध्यक्ष विपिन पंवार ने राज्य सरकार से बलात्कार पीड़ितों को शीघ्र न्याय दिलाने के लिए नई विशेष अदालतों के गठन की अपील की। उन्होंने कहा कि न्याय में देरी पीड़ितों के लिए न्याय से वंचित होने जैसा है। रिपोर्ट ने स्पष्ट किया है कि विशेष त्वरित अदालतें ही लंबित मामलों के तेजी से निपटारे का समाधान हैं। यदि ये अदालतें स्थापित नहीं की गईं, तो बलात्कार और पॉक्सो के मामलों का निपटारा सालों तक लटका रह सकता है।

रुद्रप्रयाग के अमसारी में हुए हत्याकाण्ड के आरोपी को रुद्रप्रयाग पुलिस ने किया गिरफ्तार

0

“पुलिस उपाधीक्षक रुद्रप्रयाग प्रबोध कुमार घिल्डियाल ने बताया कि आरोपी को दिल्ली पुलिस के सहयोग से गिरफ्तार किया गया। आरोपी से घटनाक्रम सम्बन्धित अन्य जानकारी जुटाई जा रही है।

रुद्रप्रयाग- कोतवाली क्षेत्रान्तर्गत अमसारी गांव में 31 अगस्त को दिन दहाड़े एक महिला को उसके पति द्वारा गोली मारकर हत्या कारित करने की घटना हुई थी। आरोपी हत्या के बाद फरार चल रहा था। पहाड़ की शान्त वादियों में इस प्रकार का घटनाक्रम पुलिस के लिये एक चुनौती बना हुआ था। जिसमें पुलिस को कामयाबी मिली है जनपद पुलिस ने हत्यारोपी को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस उपाधीक्षक प्रबोध कुमार घिल्डियाल ने पत्रकार वार्ता कर जानकारी देते हुये बताया कि घटना के दिन से ही पुलिस के स्तर से मृतका राधिका की मां श्रीमती रानी पत्नी स्व0 श्री राजेश हाल कर्मचारी तहसील बसुकेदार, जिला रुद्रप्रयाग की तहरीर के आधार पर कोतवाली रुद्रप्रयाग में पंजीकृत मु.अ.सं.49/2024 धारा 103(1) बीएनएस बनाम राजीव त्यागी (हत्या) का अभियोग पंजीकृत कर विवेचना प्रचलित की गयी। विवेचना के दौरान पुलिस के स्तर से घटनास्थल पर फोरेंसिक टीमों की सहायता से साक्ष्य संकलन की कार्यवाही की गयी।
पुलिस अधीक्षक रुद्रप्रयाग ने पुलिस उपाधीक्षक रुद्रप्रयाग के पर्यवेक्षण में अभियोग के अनावरण हेतु टीम गठित कर पुलिस टीम को अभियुक्त की गिरफ्तारी हेतु दबिश दिये जाने हेतु सम्भावित स्थानो पर रवाना किया गया।
इस मध्य जनपद में नये पुलिस अधीक्षक रुद्रप्रयाग के आगमन के उपरान्त उनके द्वारा ली गयी परिचयात्मक गोष्ठी के दौरान ऐसे जघन्य अपराध से सम्बन्धित वांछित अभियुक्तों की गिरफ्तारी हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश दिये गये।
उक्त अभियोग की विवेचना के दौरान जनपद पुलिस को जानकारी प्राप्त हुई कि उक्त अभियुक्त थाना शालीमारबाग दिल्ली में पंजीकृत मु.असं. 287/2019 धारा 307 भादवि व 25/27 आर्म्स एक्ट में मा0 न्यायालय दिल्ली से जारी आदेशिका गैर जमानती वारण्ट में स्पेशल स्टॉफ नॉर्थ वेस्ट द्वारा गिरफ्तार कर मा0 न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था। जनपद पुलिस के विवेचक उपनिरीक्षक मुकेश डिमरी द्वारा सम्बन्धित मा0 न्यायालय में ट्रांजिट रिमाण्ड हेतु आवेदन किया गया। मा0 न्यायालय द्वारा आवेदन स्वीकार करते हेतु उक्त अभियुक्त को जनपद पुलिस टीम द्वारा दिल्ली से रुद्रप्रयाग लाकर आवश्यक पूछताछ की गयी, उसके द्वारा अपना अपराध स्वीकार किया गया है। इसके द्वारा हत्याकांड में प्रयुक्त असलाह इत्यादि के बारे में विवेचना प्रचलित है। पूछताछ में इसका अपनी पत्नी के साथ आपसी पारिवारिक विवाद का होना बताया गया है। पुलिस के स्तर से अभियुक्त राजीव त्यागी उर्फ गांधी त्यागी पुत्र श्री सर्वेश कुमार निवासी ग्राम हैदरपुर थाना शालीमारबाग दिल्ली को मा0 न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है।

उम्र के 100वें पड़ाव पर आंदोलन : दुर्गम गांव की बुजुर्ग बच्ची देवी सड़क के लिए धरने पर बैठी

0

चमोली, राज्य बने दो दशक बीत चुके, लेकिन सुदूर गांव के लोग आज भी अपनी कठिनाइयों का बोझ ढ़ो रहे हैं और हमारे नीति नियंता भी पहाड़ जीवटता भरे जीवन के बारे में बखूबी से जानते है, पहाड़ सा जीवन जीने वाले पहाड़ियों ने सोचा था कि अपना राज्य होगा और हमारे दिन बहुरेंगे, लेकिन हुआ इसके उलट, तभी तो उम्र के 100वे पड़ाव की बुजुर्ग बच्ची देवी अपने गांव में सड़क की मांग को लेकर धरने पर बैठी है, इस राज्य को पाने जितनी कसक बच्ची देवी में थी उतनी ही राज्य पाने की शिद्दतभरी लड़ाई यहां की महिलाओं ने लड़ी, इसी पीढ़ा को लेकर आज उत्तराखंड़ के चमोली जिले के दूरस्थ दुमक गांव की रहने वाली बच्ची देवी धरने पर बैठी हैं। कागजों में उनकी उम्र 100 साल दर्ज हो चुकी है, और इस उम्र में जब ज्यादातर लोग जीवन की कठिनाइयों से विराम ले चुके होते हैं, बच्ची देवी सड़क की मांग को लेकर संघर्षरत हैं। वह रविवार से धरने पर बैठी हैं, उनकी आंखों में मोतियाबिंद की शिकायत भी है, फिर भी बूढी आंखों में गांव तक सड़क पहुंचाने का सपना जवान है।

आपको बता दें कि दुमक गांव, जिला मुख्यालय गोपेश्श्वर से 18 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है, यहां पहुंचने के लिए आज भी 18 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। बच्ची देवी कहती हैं, “हमारे गांव तक सड़क नहीं है, हमें यह तकलीफ वर्षों से सहनी पड़ रही है, लेकिन अब और नहीं। जब तक हमारे गांव तक सड़क नहीं पहुंचती, वह गांव वालों के साथ आंदोलन में रहेंगी।
विकास संघर्ष समिति डुमक के अध्यक्ष राजेंद्र भंडारी बताते हैं कि ग्रामीण पिछले 39 दिनों से धरने पर बैठे हैं। अब जब बच्ची देवी भी उनके साथ शामिल हो गई हैं, उनकी मांग को और भी मजबूती मिल गई है। बच्ची देवी के पति का देहांत हो चुका है और उनका एक बेटा गांव में ही खेती करता है। धरने पर बैठे गांव वालों का कहना है कि गांव में राजमा, चौलाई, माल्टे, सेब जैसे उत्पाद होते हैं, लेकिन सड़क की कमी के कारण यह उत्पाद बाजार तक नहीं पहुंच पाते। परन्तु राज्य बने दो दशक से ज्यादा समय हो गया लेकिन आज भी पूरा गांव इस परेशानी को झेल रहा है। गांव वालों का कहना है कि हेलंग तक सड़क स्वीकृत है और हेलंग से कलगोट तक सड़क बन चुकी है, परंतु दुमक गांव अब भी सड़कों से वंचित है। बीते शनिवार की शाम, ग्रामीणों ने कैंडल मार्च निकालकर सरकार के प्रति अपना विरोध दर्ज कराया। रविवार को बच्ची देवी के साथ रणजीत सिंह, सुंदर सिंह, महावीर सिंह, विक्रम सिंह सहित अन्य ग्रामीण क्रमिक उपवास पर बैठे। गांव वालों की एक ही मांग है गांव तक सड़क पहुँचे ताकि उनकी पीढ़ियाँ बेहतर जीवन जी सकें। वहीं धरने पर बैठे ग्रामीणों ने भी अब कमर कस ली और जब तक सड़क नहीं तब तक धरना अनवरत जारी रहेगा |