Sunday, June 8, 2025
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जन्म दिवस पर याद किये गये गाँधी व लाल बहादुर शास्त्री।

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रुद्रप्रयाग- जिला न्यायालय परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री के जन्म दिवस के अवसर पर उनके चित्र का अनावरण कर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित किए गए। इस अवसर पर जनपद न्यायाधीश श्री सहदेव सिंह द्वारा न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। साथ ही गांधी जी के जीवन मूल्यों व संघर्ष पर प्रकाश डालने के साथ ही उनके विचारों को आत्मसात करने पर जोर दिया गया। इसके अलावा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण व जिला न्यायालय के संयुक्त तत्वाधान में जागरूकता एवं स्वच्छता अभियान के तहत सफाई अभियान चलाते हुए स्वच्छता का संदेश दिया गया। साथ ही स्वच्छता शपथ भी ली गई।

जिला न्यायालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री रवि रंजन ने कहा कि जागरूकता एवं स्वच्छता अभियान के तहत 17 सितंबर से 02 अक्टूबर तक स्वच्छता अभियान चलाया गया। उन्होंने इस कार्यक्रम के तहत आज समस्त न्यायिक अधिकारीगण, पीएलवी और न्यायालय के कर्मचारियों द्वारा सफाई अभियान चलाया गया। उन्होंने सभी से अपील करते हुए कहा कि अपने आसपास क्षेत्र में स्वच्छता बनाने के साथ ही कार्यस्थल में बेहतर माहौल बनाया जाए जिससे न्यायालय परिसर में आने वालों में अच्छा संदेश जाए। इस अवसर पर न्यायालय में कार्यरत अधिकारियों, कार्मिकों ने महात्मा गांधी तथा लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किए।
इस अवसर पर जनपद न्यायाधीश श्री सहदेव सिंह, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री अशोक कुमार सैनी, न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती पारूल थपलियाल, सिविल जज (जू.डि.) श्री जतिन मित्तल, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट प्रदीप जगवाण, केपीएस रौथाण, अरुण प्रकाश बाजपेई सहित न्यायालय के अधिकारी-कर्मचारी एवं अधिवक्ता गण मौजूद रहे।

1968 में लापता हुआ था, 56 साल बाद मिला सिपाही मुंशीराम का पार्थिव शरीर

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बावल (रेवाड़ी)। भारतीय सेना को वर्ष 1968 में रोहतांग दर्रे के पास हुए एक विमान हादसे में जान गंवाने वाले चार जवानों के और शव मिले हैं। यह हादसा 56 साल पहले हुआ था। बावल उपमंडल के गांव गुर्जर माजरी के सिपाही मुंशीराम भी इसी विमान में सवार थे।
मंगलवार देर शाम उपायुक्त अभिषेक मीणा ने बताया कि सैन्य अभियान दल ने बर्फ से ढके पहाड़ों में से जो चार शव बरामद हुए हैं, उनमें एक मुंशीराम का है। दिवंगत की पार्थिव देह जल्द उनके पैतृक गांव में लाई जा रही है। यह विमान हादसा 7 फरवरी, 1968 को हुआ था। चंडीगढ़ से 102 यात्रियों को ले जा रहा भारतीय वायुसेना का एएन-12 विमान खराब मौसम के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। कई दशकों तक विमान का मलबा और विमान सवारों के अवशेष बर्फीले इलाके में थे।
परिवार के पास सेना से आई सूचना
स्व. मुंशीराम के पिता का नाम भज्जूराम, माता का नाम रामप्यारी और पत्नी का नाम पार्वती देवी है। स्व. मुंशीराम के भाई कैलाशचंद को इस संबंध में सेना की ओर से सूचना मिल गई है। 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग के पर्वतारोहियों ने विमान के मलबे को खोज निकाला। इसके बाद सेना खासकर डोगरा स्काउट्स ने कई अभियान चलाए। वर्ष 2005, 2006, 2013 और वर्ष 2019 में चलाए गए सर्च ऑपरेशन में ऊंचाई वाले अभियानों में विशेषज्ञता के लिए डोगरा स्काउट्स सबसे आगे रहे। 2019 तक केवल पांच शव ही बरामद हो पाए थे। चंद्र भागा ऑपरेशन ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सेना अपने जवानों के परिवारों को सांत्वना देने के लिए कितनी दृढ़ संकल्प है।

शब्द शून्य विराम…! ताउम्र पहाड़ को समर्पित रहे पहाड़ पुत्र बीपी नौटियाल

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देहरादून, पहाड़ की माटी और थाती के लिए हमेशा ही समर्पित योद्धा डा. भगवती प्रसाद नौटियाल के आकास्मिक निधन ने एक शब्द शून्य विराम लगा दिया, ताउम्र पहाड़ के लिए समर्पित रहने वाले पहाड़ पुत्र डा. बीपी नौटियाल 24 सितम्बर को ईश्वरीय यात्रा पर यकायक निकल पड़े। किसी ने ठीक ही लिखा है कि “बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई, इक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया…! पहाड़ की जीवटता को जीने वाले बागवानी विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. बीपी नौटियाल एक बेहद ईमानदार अधिकारी रहे। शिक्षक पिता परमानंद शास्त्री की सीख को जीवन भर गांठ में समेटे डॉ. भगवती प्रसाद नौटियाल ने कलम से पहाड़ लिखा और मन, क्रम, वचन से पहाड़ को जिया। उनको रिटायरमेंट के बाद भी हमेशा ही पहाड़ की चिन्ता सताती रही। उनकी सोच में ही पहाड़ रचा-बसा था। उनका मानना था कि पहाड़ पर बागवानी और नगदी फसलों को प्रमुखता देनी होगी। काश्तकारों को बाजार उपलब्ध कराना होगा। उन्होंने अपनी पीएचडी के लिए तुंगनाथ जैसे ऊंचे इलाके में फसलों पर पड़ने वाले प्रभाव को चुना। उन्होंने बाद में तुंगनाथ में पालीहाउस में टमाटर, मटर और बीन्स उगाने के प्रयास किये।
साल 1979 में डॉ. नौटियाल जब गढ़वाल विश्वविद्यालय में पढ़ते थे तो वो हिमालय पुत्र हेमवती नंदन बहुगुणा के बेहद करीबी युवा समर्थक थे। लेकिन, जब बात पहाड़ की आई तो उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा के राजनीतिक कद की परवाह किए बगैर पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा को चुना। इससे साबित होता है कि पहाड़ के प्रति उनका कितना गहरा लगाव था। डॉ. बीपी नौटियाल ने सुंदरलाल बहुगुणा के साथ में आराकोट से शिमला तक की कागज बचाओ पदयात्रा की। यहयलगभग 500 किलोमीटर की पदयात्रा थी। इसमें पांच लोग शामिल थे।
श्रीनगर गढ़वाल विश्वविद्यालय में फारेस्टी डिपार्टमेंट शुरू करने का श्रेय भी डॉ. बीपी नौटियाल की जाता है। नाबार्ड में वो विभिन्न पदों पर रहे और पूरी ईमानदारी से पहाड़ के लिए काम करते रहे। वर्ष 2008 में उन्होंने नाबार्ड के महाप्रबंधक पद से वीआरएस लिया।
उन्हें बागवानी विभाग का निदेशक बनाया गया और फिर गलत काम करने को कहा, लेकिन वो भ्रष्ट नेताओं और नौकरशाहों के लिए गले की फांस बन गये। उन्हें हटाने के लिए षडयंत्र रचा गया तो वह हाईकोर्ट पहुंच गये। तीन साल के कार्यकाल के बाद ही यह पद छोड़ा। साल 2013 में वो भरसार विश्वविद्यालय के डीन बने और वर्ष 2017 में माजरीग्रांट में फूड प्रोसेंसिंग यूनिट की जिम्मेदारी संभाली। इसके साथ ही वह शिल्पी का प्रकाशन भी करने लगे। पहाड़ के युवाओं को स्वरोजगार और बागवानी के लिए प्रेरित किया। उनका कहना था कि पहाड़ के युवाओं को नौकरशाहों के तौर पर तैयार करना होगा। पीसीएस और आईएफएस को एलबीएस या हैदराबाद में ट्रेनिंग देनी होगी।
डॉ. नौटियाल बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। कालेज के समय से वह नाटक लिखते और उनका मंचन करते थे। 1974 में लिखा उनका नाटक ‘खून का दाग’ खूब सराहा गया। इतिहास का पन्ना और अमर पुष्प् नाटक भी चर्चित रहे। अमर पुष्प श्रीदेव सुमन पर आधारित नाटक था। इतना ही नहीं, उनके जटरोफा पर शोध और कई लेख प्रकाशित हुए।

 

विविधता में एकता विषय पर सचित्र व्याख्यान का हुआ आयोजन

देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से मंगलवार को विविधता में एकता विषय पर सामाजिक चिंतक अमरदीप सिंह द्वारा एक सचित्र व्याख्यान प्रस्तुत किया गया.अमरदीप सिंह ने गुरु नानक, बाबा फरीद और संत कबीर की रचनाओं तथा उनके द्वारा किये गए समाज सुधार कार्यों से समाज मे एकता का जो भाव पैदा हुआ उसे शानदार तरीके से व्यक्त किया. उल्लेखनीय है कि गुरु नानक ने अपने जीवन काल में २२ साल, अपने इकलौते साथी भाई मरदाना के साथ व्यापक यात्राएं की – जो उन्हें उत्तर में बगदाद से लेकर दक्षिण में श्रीलंका, नौ देशों के आप-पार ले गयीं। सिंगापुर निवासी श्री अमरदीप सिंह रांगढ़ ने, करीब 2016 से 2019 के बीच, गुरु नानक औरक उनके दर्शन और तब की संस्कृति की खोज में उन सभी नौ देशों और जगहों की यात्राएं की – और उसके अंत में उनको अपने जीवन का ध्येय मिल गया।
सिंगापुर निवासी, श्री अमरदीप सिंह रांगढ़ के पिताजी मूलत:उड़ी-मुज़फ़्फ़राबाद (जो वर्तमान पाकिस्तान में है) के थे। विभाजन के बाद, वे गोरखपुर में बस गए, जहाँ उनका अपने कारोबार के सिलसिले में आना-जाना होता था। अमरदीप का जन्म वहीँ, गोरखपुर में हुआ। उनकी स्कूली शिक्षा देहरादून में ही दून स्कूल में हुई। आगे की पढ़ाई मणिपाल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी तथा अमरीका के शिकागो विश्वविद्यालय में हुई और अगले २५ साल वे कॉर्पोरेट जगत में नौकरी पर रहे। 2014 में उन्होंने नौकरी छोड़ी और अपनी पत्नी विनिंदर कौर के साथ, नानक की खोज में एक नयी यात्रा पर पर चल पड़े।
कार्यक्रम के आरम्भ मे दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने सभागार में उपस्थित लोगों और अतिथि वक्ता अमरदीप सिंह का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन हिन्द स्वराज्य मंच के श्री अजय कुमार जोशी ने किया. इस अवसर पर गांधीवादी चिंतक बिजू नेगी ने भी अपने विचार रखे l

कार्यक्रम में विभापुरी दास, ,सतीश धौलाखण्डी, सुरेंद्र सिंह, देवेंद्र कुमार,सुशीला नेगी, सुंदर बिष्ट, पुष्पलता मंमगाई,मदन सिंह, राकेश कुमार, राजू गुसाईं,रेणु शुकला, अपर्णा वर्धन सहित अनेक लेखक, साहित्यकार, विचारक और दून पुस्तकालय के युवा पाठक उपस्थित रहे

दून में पार्किंग, ट्रैफिक और अतिक्रमण पर मिलकर काम करेंगे विभाग: डीएम

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देहरादून(आरएनएस)।   दून शहर में पार्किंग, ट्रैफिक जाम, अतिक्रमण, कूड़ा निस्तारण जैसी समस्याओं के हल के लिए विभाग मिलकर काम करेंगे। जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा कि आपसी विभागों के बीच समन्वय बनाकर जिम्मेदारी तय की जा रही है। जो बुनियादी समस्याएं हैं, उन्हें स्थानीय स्तर पर हल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। जिलाधिकारी सविन बंसल ने कलक्ट्रेट में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पार्किंग की समस्या के निस्तारण के लिए जिला प्रशासन, पुलिस, एमडीडीए और नगर निगम मिलकर काम कर रहे हैं। हम कुछ दिनों में ऑटोमेटेड पार्किंग स्थल शुरू कर देंगे। इनके चिन्हिकरण का काम चल रहा है। साथ ही जहां बेसमेंट पार्किंग में व्यवसायिक गतिविधि संचालित की जा रही है, एमडीडीए के साथ मिलकर उन पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही फुटपाथ पर अतिक्रमण के खिलाफ भी नगर निगम, जिला प्रशासन और पुलिस मिलकर अभियान चलाएंगे।
नगर निगम स्तर पर व्यापक बदलाव की तैयारी
जिलाधिकारी नगर निगम स्तर से कूड़ा निस्तारण के साथ ही स्ट्रीट लाइट की समस्या को ठीक करने के लिए व्यापक बदलाव की पहल कर चुके हैं। डीएम सविन बंसल ने कहा कि जो कंपनियां अभी काम कर रही हैं, उन्हें एक हफ्ते का समय दिया गया है। अगर वह व्यवस्था नहीं सुधारते हैं तो सभी 100 वार्ड का काम नई कंपनी को देने से भी पीछे नहीं हटेंगे। स्ट्रीट लाइटों ठीक करने का जिम्मा नगर निगम को दिया गया है। बैकलॉग का काम पूरा होते ही नई शिकायतों का निस्तारण जल्द हो पाएगा।
शराब ओवररेटिंग के लिए आबकारी विभाग होगा जिम्मेदार
शराब की ओवर रेटिंग को लेकर जिलाधिकारी ने कहा कि इसके लिए आबकारी विभाग की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। जहां भी ओवररेटिंग की शिकायत मिलेगी, संबंधित क्षेत्र के आबकारी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी।

जेब पर असर : अक्टूबर से बदलने वाले हैं ये नियम, आधार कार्ड, एलपीजी सिलेंडर के दाम समेत होंगे ये बदलाव

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नई दिल्ली ,। एक अक्टूबर से कई नियमों में बदलाव होने वाला है। ऐसे में इन नियमों में होने वाले बदलाव के बारे में आपको जान लेना चाहिए कि आखिर एक अक्टूबर से क्या नए बदलाव होने जा रहे हैं। दरअसल, एक अक्टूबर से सुकन्या समृद्धि योजना, आधार कार्ड, सीएनजी-पीएनजी के दाम, एचडीएफसी बैंक क्रेडिट कार्ड और एलपीजी की कीमतों में बड़ा बदलाव होने वाला है।
सुकन्या समृद्धि योजना : सुकन्या समृद्धि योजना में एक अक्टूबर से बेटियों के कानूनी अभिभावक ही, उनके खातों का संचालन कर सकेंगे। नए नियम के मुताबिक, अगर किसी शख्स द्वारा बेटी का सुकन्या समृद्धि योजना खाता खोला गया है और वह कानूनी तौर पर उसका अभिभावक नहीं है, ऐसे में उन्हें यह अकाउंट बेटी के कानूनी अभिभावक या माता-पिता को ट्रांसफर करना होगा।
एचडीएफसी क्रेडिट कार्ड : एचडीएफसी के क्रेडिट कार्ड में भी एक अक्टूबर से नए नियम लागू होंगे। अगर आप एचडीएफसी बैंक का क्रेडिट कार्ड चलाते हैं, तो स्मार्टबाय प्लेटफॉर्म पर एप्पल के प्रोडक्ट के लिए रिवार्ड पॉइंट्स को रिडीम करने की सीमा निर्धारित कर दी गई है, इससे कार्डधारक महीने में केवल एक बार ही इन रिवार्ड पॉइंट्स का इस्तेमाल कर पाएंगे।
आधार कार्ड : एक अक्टूबर, 2024 से पैन-आधार से जुड़े नियमों में बदलाव होने वाला है। पैन अलॉटमेंट के लिए आवेदन फॉर्म और इनकम टैक्स रिटर्न में आधार एनरोलमेंट आईडी का उल्लेख नहीं किया जा सकेगा। सरकार ने डुप्लीकेशन को रोकने के लिए यह कदम उठाया है।
एलपीजी: एक अक्टूबर 2024 से एलपीजी सिलेंडर की नई कीमतें जारी होगी। सरकारी तेल कंपनियां हर महीने की पहली तारीख को इसकी कीमतों में बदलाव करती है। इस बार भी ऐसी ही उम्मीद है कि एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में बदलाव हो सकता है।
सीएनज-पीएनजी : एक अक्टूबर से तेल कंपनियां एयर टर्बाइन फ्यूल और सीएनजी-पीएनजी की कीमतों में बदलाव कर सकती हैं। नए रेट मंगलवार सुबह छह बजे से जारी हो सकते हैं।

ऑनलाइन आईफोन ऑर्डर किए, पेमेंट करने के लिए घर बुलाया; फिरज् डिलीवरी बॉय को उतारा मौत के घाट

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लखनऊ  (आरएनएस)।  फिल्पकार्ट से कैश ऑन डिलीवरी में डेढ़ लाख रुपए के दो मोबाइल फोन मंगवाकर लखनऊ में डिलीवरी ब्वॉय की हत्या का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस हत्या का खुलासा यूपी पुलिस ने किया है। एक समाचार एजेंसी के मुताबिक दो आईफोन ऑर्डर में मंगाए गए थे। 23 सितंबर को डिलीवरी ब्वॉय भरत साहू से फोन लेने के बाद पैसे देने के के लिए घर के अंदर खींचकर गला दबाकर हत्या  कर दी गई और फिर शव को बोरे में बंद करके इंदिरा नहर में बहा दिया गया। शव अभी बरामद नहीं हुआ है। एसडीआरएफ टीम नहर में शव को खोज रही है।
लखनऊ के पुलिस उपायुक्त शशांक सिंह के मुताबिक 32 साल के भरत मूल रूप से अमेठी के जामो संभई गांव के रहने वाले थे। लखनऊ में पत्नी के साथ सतरिख रोड पर किराए पर रहते थे। भरत का छोटा भाई निशातगंज में रहता है। भरत फ्लिपकार्ट में डिलीवरी ब्वॉय की नौकरी करते थे। चिनहट थाना इलाके से तकरोही के आरोपी गजानन ने डेढ़ लाख रुपये कीमत के दो मोबाइल फोन आर्डर किए थे। भुगतान कैश ऑन डिलीवरी होना था। 23 सितंबर को भरत डिलीवरी लेकर दोपहर को तकरोही में आरोपी गजानन के घर पहुंचा।
गजानन को मोबाइल देकर भरत ने उसे भुगतान करने को कहा। गजानन ने भरत को घर के अंदर खींच लिया और उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। वारदात के बाद गजानन ने शव बोरे में भरकर घर में रख दिया। शव को ठिकाने लगाने के लिए गजानन ने दोस्त आकाश को बुलाया। ये लोग शव को कार में लेकर इंदिरा नहर के पास गए और उसे नहर में फेंक दिया। दोनों ने घर लौटकर नहाया और कपड़े बदले। अगली सुबह गजानन घर से भाग गया।
उधर, भरत के नहीं लौटने और मोबाइल के डेढ़ लाख रुपये जमा न होने पर देर शाम फ्लिपकार्ट के मैनेजर ने भरत को फोन किया लेकिन मोबाइल बंद था। कंपनी ने उसके संपर्क किया तो पता चला कि वो घर भी नहीं लौटा है। सबने खोजबीन की पर कुछ पता नहीं चला। फिर 25 सितंबर को चिनहट थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पुलिस ने भरत के फोन के कॉल डिटेल्स चेक किए तो आखिरी फोन गजानन को मिला। पुलिस ने अनुसंधान के क्रम में आकाश को पकड़ा तो उसने सारी कहानी बता दी। उसने बताया कि गजानन ने हत्या की और उसकी मदद से शव इंदिरा नहर में फेंका है। गजानन की तलाश में पुलिस की चार टीमें गठित की गई हैं।
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अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर हेल्पएज इंडिया ने की वृद्धावस्था में होने वाली चुनौतियों और निपटारे पर गोष्ठी का आयोजन

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बुजुर्गों के अनुभवों से सीखने की जरूरत पर बोले कर्नल अजय कोठियाल

पहाड़ के बुजुर्गों की स्थिति को बयां करने के लिए गढ़रत्न नरेंद्र नेगी ने गाया अपना गीत

देहरादून (दीपिका गौड़), दून पुस्तकालय के सभागार में मंगलवार को हेल्प एज इंडिया संस्था ने अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर एक सारगर्भित कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में समाज और परिवार से अलगाव महसूस करने वाले वृद्धों के लिए सार्थक एवं सकारात्मक कदमों पर चर्चा की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया। इसके बाद शुरू हुई पैनल चर्चा में “वृद्धो की चुनौतियों से निपटने में नीति और कानून” पर गहन परिचर्चा की गयी। इस चर्चा में वरिष्ठ वकील व सामाजिक कार्यकर्ता रेणु डी. सिंह, दून विश्वविद्यालय के अतिथि प्राध्यापक प्रोफे. हर्ष डोभाल और वरिष्ठ पत्रकार रमेश क़ुड़ियाल शामिल हुए।
इस दौरान “समाधान” संस्था की संस्थापक एंव सीनियर एडवोकेट रेणु डी. सिंह ने कहा कि वृद्धावस्था में उम्र के इस नाज़ुक पड़ाव पर व्यक्ति मानसिक रूप से कमजोर पड़ जाता है इसीलिए उन्हें मेंटली सपोर्ट देना बहुत जरूरी है। वहीं हम देखते हैं कि वृद्धजनों को मोबिलिटी की परेशानी से लेकर उनके संपत्ति हड़पने के मामले भी कई सामने आते हैं, यहां तक कि अकेली वृद्ध महिलाओं को यौन शोषण भी झेलना पड़ता है। इसलिए उनके लिए नेशनल पॉलिसी फॉर ओल्ड पर्सन के तहत ऐसे सिस्टम का निर्माण किया जाना चाहिए जिससे जरूरत पड़ने पर उन्हें तत्काल मदद मिल सके। उन्होंने बताया कि कोई भी वृद्ध महिला उनकी संस्था द्वारा जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर 9012511119 पर जरूर पड़ने पर सहायता ले सकती हैं। वरिष्ठ पत्रकार रमेश कुड़ियाल ने कहा कि वृद्धावस्था में व्यक्ति अकेला हो जाता है इसलिए उनके लिए सामुदायिक भवन, मनोरंजन के साधन आदि की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि वह भी हमउम्र लोगों से अपना सुख- दुख बांट सके। प्रोफेसर हर्ष डोभाल ने कहा कि शहरीकरण और पश्चिमीकरण के चलते अब इनका असर हमारे परिवार पर भी पढ़ रहा है। संयुक्त परिवार अब एकल परिवार में तब्दील हो चुका है और बुजुर्गों से उन्हीं के बच्चे दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों में सामाजिक चेतना जागने के साथ-साथ सरकार को जर्मनी, स्वीडन और जापान जैसे देशों में वृद्धों के लिए बनाई गई नीतियों का अनुसरण करना चाहिए।
इस चर्चा इंडियन आर्मी की तैयारी करने वाले युवाओं के आदर्श और मार्गदर्शक कर्नल अजय कोठियाल ने कहा कि बुजुर्गों के अनुभवों से हमें हमेशा सीखने की जरूरत होती है क्योंकि वह हमारे साथ उस घर की छत की तरह होते हैं जो सर्दी- गर्मी से हमारी रक्षा करती है। ऐसे ही बड़े बुजुर्ग हमारे सामने ढाल बनकर खड़े होते हैं।
कार्यक्रम में मौजूद गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने पहाड़ के पलायन के चलते अकेले रहने वाले वृद्धों के हालातों को बयां करने के लिए अपने कुछ पुराने गीत भी गुनगुनाएं हैं। बुजुर्गों के लिए अपनी युवावस्था में गाए गए नरेंद्र सिंह नेगी के गाने ने कार्यक्रम में मौजूद वृद्धो से लेकर युवाओं तक के दिलों को छू लिया। उन्होंने गीत गाया जिसमें ‘तुमरी खुद कै थे नि लगणी, ‘पेल्या-पेल्या..जख तलक साख्यू निभेल्या…” जीवटता भरे जीवन में पहाड़ के रहने वाले बुजुर्ग अपनी पोती-पोते को कंधे पर बैठ कर घूमने के लिए ले जाते थे लेकिन आज पलायन के कारण गांव में सिर्फ पुराने घर और बूढ़े लोग ही सिर्फ गांव में रह गए हैं। पहाड़ के वीरान पड़े उन घरों में तन्हा रहने वाले बुजुर्गों की व्यथा को दर्शाने के लिए यह गीत बहुत सार्थक था।
हेल्प एज इंडिया संस्था के राज्य प्रमुख चैतन्य उपाध्याय ने कहा कि यह संस्था पिछले 46 सालों से बुजुर्गों के स्वास्थ्य और विकास के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इंसान का उम्र बढ़ना स्वाभाविक होता है, हर किसी को बूढ़ा होना है इसलिए उस अवस्था पर विचार मंथन करना जरूरी है क्योंकि हम सभी को उस उम्र में जाना है। उन्होंने कहा कि साल 2050 तक भारत में वृद्धों की जनसंख्या 20 फीसद होगी इसलिए उनके लिए सामाजिक, आर्थिक और व्यवहारिक जीवन को बेहतर बनाने के लिए सभी के प्रयास जरूरी है। उन्होंने कहा कि आज समाज में बुजुर्ग विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं, अतः उनके लिए होने वाले कामों में गति लाने के लिए राज्य में अलग से वरिष्ठ नागरिक निदेशालय की स्थापना करने की आवश्यकता है। इस कार्यक्रम में कृष्ण अवतार, वैभव बिष्ट, रोहित पंवार, अंजलि, डॉ अंशिका, प्रेम और शाकिब मौजूद रहे।

जन समीक्षा के बाद ही बने मूल निवास और मजबूत भू-कानून : मोहित डिमरी

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-केदारनाथ में जल्द स्वाभिमान महारैली होगी आयोजित*

– इन्वेस्टमेंट के नाम पर दी गई जमीनों की रिपोर्ट सार्वजनिक करे सरकार

– मलिन बस्तियों को जमीन का न मिले मालिकाना हक

– उद्योगों के लाभांश में जमीन मालिक की भी हो बराबर की हिस्सेदारी, लीज पर ही दी जाय जमीन

देहरादून (एल मोहन लखेड़ा), मूल निवास, भू- कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि मूल निवास और भूमि कानून जनता की भावनाओं के अनुरूप होना चाहिए। विधानसभा में कानून पारित होने से पूर्व इसके ड्रॉफ्ट के स्वरूप को लेकर सर्वदलीय और संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के साथ सरकार को चर्चा करनी चाहिए। आम सहमति के बाद ही विधानसभा में मूल निवास और भू-कानून बनने चाहिए।
स्थानीय प्रेस क्लब में पत्रकारों से रूबरू होते हुए संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि वर्ष 2022 में भू-कानून को लेकर सुभाष कुमार की अध्यक्षता में बनी कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होनी चाहिए। उद्योगों के नाम पर दी गई जमीनों का ब्यौरा भी सार्वजनिक होना चाहिए। स्थिति यह है कि जिस प्रयोजन के लिए जमीन दी जा रही है, वहां उस प्रयोजन के बजाय प्रोपर्टी डीलिंग का काम चल रहा है। ऐसे बहुत सारे मामले सामने आ रहे हैं। उत्तराखंड में जितने भी इन्वेस्टमेंट सम्म्मेल हो रहे हैं, वह सब जमीनों की लूट के सम्मेलन थे। इस लूट की जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला जमीनों का है। जमीनों की लूट में शामिल और भू-कानून को कमजोर करने वाले मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, नौकरशाह और इनके करीबियों की गहन जांच भी होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में 30 साल से रह रहे व्यक्ति को ही घर बनाने के लिए 200 वर्ग मीटर तक जमीन मिलनी चाहिए। इसके साथ ही मलिन बस्तियों को जमीन का मालिकाना हक नहीं मिलना चाहिए। किसी भी तरह के उद्योग में जमीन के मालिक की बराबर की हिस्सेदारी होनी चाहिए और उद्योगों के लिए जमीन को दस साल की लीज पर ही दी जाय। उन्होंने कहा की प्रदेश में कृषि भूमि की खरीद पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगना चाहिए और शहरी क्षेत्रों में निकायों का विस्तार भी रुकना चाहिए।
उन्होंने आंदोलन की रणनीति को लेकर कहा कि केदारनाथ में जल्द स्वाभिमान महारैली आयोजित करेंगे। इसके बाद हरिद्वार, पिथौरागढ़, रामनगर, पौड़ी, विकासनगर सहित अन्य हिस्सों में स्वाभिमान महारैलियाँ आयोजित की जायेंगी। यह आंदोलन निरंतर चलता रहेगा।
इस मौके पर संघर्ष समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया, सचिव प्रांजल नौडियाल, संरक्षक मोहन सिंह रावत, कोर मेंबर विपिन नेगी, मनीष गोनियाल आदि मौजूद थे।

दो दिवसीय उत्तराखंड़ इनोवेशन फेस्टिवल-2024 का दिसम्बर होगा आयोजन

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“फेस्टिवल में राज्य भर के विश्वविद्यालयों, संस्थानों, इंजीनियरिंग कॉलेजों, इंटरमीडिएट कॉलेजों के साथ-साथ कॉर्पोरेट क्षेत्रों और सामाजिक उपक्रमों से लगभग 500 से अधिक नवाचार लेंगे भाग”

 

देहरादून, उत्तराखंड़ इनोवेशन फेस्टिवल-2024 के आयोजन से सम्बंधित पोस्टर लॉचिंग कार्यक्रम कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल एवं राजेन्द्र डोभाल कुलपति स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, पराग मधुकर धकाते (आईएफएस) सदस्य सचिव उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, संजीवन सुंठा, विनोद सुयाल विक्रम सिंह रावत तथा अंकित सेमवाल सदस्य लक्ष्य सोसाईटी अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य ऐसे नवाचार को बढ़ावा देना है जो पर्यावरण अनुकूलता की ओर ले जाए के साथ चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना। वहीं स्टार्ट अप का समर्थन करना और उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करना भी है। प्रौद्योगिकी में विकास और इसकी सुलभता और आर्थिक विकास में वृद्धि के साथ स्वास्थ्य में सुधार आदि क्षेत्रों में इनोवेटर्स को कॉरपोरेट सेक्टर और इनक्यूबेटर्स के साथ जुड़ने के लिए एक मंच प्रदान करना।
शैक्षिक और जागरूकता सोसायटी द्वारा उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूकेपीसीबी) के तत्वावधान में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई), सूचना प्रौद्योगिकी विकास प्राधिकरण (आईटीडीए) और उत्तराखंड कौशल विकास सोसायटी तथा भागीदार स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जॉली ग्रांट के सहयोग से 13-14 दिसम्बर, 2024 को इस आयोजन किया जाना प्रस्तावित है।
कार्यक्रम में उत्तराखण्ड राज्य के समस्त जनपदों के साथ निकट राज्यों के नवाचारों को आमांत्रित किया जायेगा l इस आयोजन में उद्योग, कॉर्पोरेट, इनक्यूबेटर, विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, विश्वविद्यालय, इंटरमीडिएट शिक्षा और एनजीओ आदि क्षेत्रों से सकारात्मक प्रस्तावों के लिये सार्थक पहल की जायेगी l
उक्त प्रस्तावित दो दिवसीय
उत्तराखंड़ इनोवेशन फेस्टिवल
में राज्य भर के विश्वविद्यालयों, संस्थानों, इंजीनियरिंग कॉलेजों, इंटरमीडिएट कॉलेजों के साथ-साथ कॉर्पोरेट क्षेत्रों और सामाजिक उपक्रमों से लगभग 500 से अधिक नवाचार और 5000 से अधिक प्रतिभागियों के अपने नवाचारों, मॉडलों का प्रदर्शन हेतु प्रतिभाग किये जाने की संभावना है।

कार्यक्रम के पोस्ट विमोचन के अवसर पर प्रदेश के तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल ने समाज में नवाचारों की भूमिका और योगदान एवं महत्व के बारे में बताया। कार्यक्रम में डा. राजेन्द्र डोभाल कुलपति स्वामी रामा हिमालयन विश्वविद्यालय द्वारा उक्त कार्यक्रम के आयोजन के संबंध में विस्तार पूर्वक बताया गया।
कार्यक्रम में डॉ. पराग मधुकर धकाते, सदस्य सचिव उत्तराखण्ड़ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बताया गया कि राज्य में ऐसे नवाचारों को बढ़ावा देने में प्रदूषण बोर्ड समर्थन करता है जो पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रख कर किये जा रहे हैं।

इन श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ 6 नवाचारों को कार्यक्रम से आमंत्रित किया जाएगा :

-पर्यावरण संरक्षण/ई-कचरा और अन्य अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित प्रौद्योगिकी
-सतत भविष्य के लिए पर्यावरण अनुकूल स्मार्ट भवन
-नवीकरणीय/जल विद्युत/स्स्थायी ऊर्जा और कुशल उपयोग और बाजार की संभावनाएँ
-स्मार्ट कृषि उपकरण और तकनीकें और पशुपालन
-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका और संभावनाएँ
-मेडिकल इंजीनियरिंग में उन्नति
-पर्यावरण संरक्षण से संबंधित प्रौद्योगिकियों
-आपदा निगरानी, मॉनिटरिंग / पूर्व चेतावनी प्रणाली आदि
-खाद्य और पेय उद्योग में विकास
-पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक नवाचार में बदलना
-पर्यटन और आतिथ्य उद्योग में

पहाड़ों में तैनात विशेषज्ञ चिकित्सकों को दिया जायेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन भत्ता -डॉ आर राजेश कुमार

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स्वास्थ्य सचिव बोले चिकित्सक हमारे परिवार का अहम हिस्सा, संघ की हर न्यायोचित मांग का होगा समाधान- डॉ आर राजेश कुमार

स्वास्थ्य सचिव और प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ पदाधिकारियों के बीच सकारात्मक रही बार्ता, 9 सूत्रीय मांगों में से 8 पर बनी सहमति

देहरादून। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा चिकित्सक हमारे परिवार का अहम हिस्सा हैं। प्रांतीय चिकित्सा संघ की मांगों को लेकर शासन बेहद गंभीर है। राज्य सरकार ने पहाड़ों में तैनात विशेषज्ञ चिकित्सकों को 50 प्रतिशत प्रोत्साहन भत्ता देने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ की हर न्यायोचित मांग का समाधान करने के लिए शासन लगातार प्रयासरत है।

देहरादून स्थित सचिवालय में स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार और प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के पदाधिकारियों के बीच महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के पदाधिकारियों ने अपनी नौ सूत्रीय मांगों को एक-एक कर स्वास्थ्य सचिव के सम्मुख रखा। जिन पर विस्तार से चर्चा हुई। स्वास्थ्य सचिव और प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के प्रतिनिधियों के बीच हुई पहली बैठक सकारात्मक रही। शासन ने डाक्टरों की नौ में से आठ मांगों पर सैद्धांतिक सहमति जतायी है। सचिव स्तरीय दो मांगें तुरंत मान ली गयी हैं और एक मांग पर जल्द निर्णय लिया जा सकता है। प्रांतीय चिकित्सा संघ ने वार्ता के लिए स्वास्थ्य सचिव का आभार व्यक्त किया।

बैठक के बाद स्वास्थ्य सचिव डा. राजेश कुमार ने कहा कि वार्ता सकारात्मक रही है। सरकार डाक्टरों की सभी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर रही है। आठ मांगें मान ली गयी हैं। डीपीसी और एसडीएसीपी के आदेश जल्द जारी कर दिये जाएंगे। इसके अलावा अधिसंख्य दंत चिकित्सकों के रिक्त पदों के सापेक्ष समायोजन के मामले पर भी सहमति बन गई है। उन्होंने कहा मांगों का समाधान बार्ता से निकलता है। सचिव स्वास्थ्य ने प्रदेश के सभी चिकित्सकों से अपील करते हुए कहा कि वह हमेशा की तरह पूरे मनोयोग व निष्ठा के साथ कार्य करते रहें, उनकी मांगों के समाधान और सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है।

प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के प्रतिनिधियों का कहना है कि स्वास्थ्य सचिव से हुई वार्ता सकारात्मक रही है। उन्होंने कहा यदि डाक्टरों की डीपीसी और एसडीएसीपी के कार्यादेश जारी कर दिया जायेगा तो चार अक्टूबर से प्रस्तावित हड़ताल पर संघ द्वारा पुनः विचार किया जाएगा।

बैठक में अपर सचिव स्वास्थ्य अनुराधा पाल, स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ तारा आर्य, संयुक्त निदेशक डॉ अजीत मोहन जौहरी, प्रान्तीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के अध्यक्ष मनोज वर्मा, महासचिव डॉ रमेश कुंवर, उपाध्यक्ष डॉ मीता श्रीवास्तव सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।