Sunday, June 8, 2025
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सीएम ने किया कोटद्वार में आयोजित सैनिक सम्मान समारोह में प्रतिभाग

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पौड़ी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को कोटद्वार स्थित विजय गार्डन में आयोजित सैनिक सम्मान समारोह में प्रतिभाग किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने पूर्व सैनिकों, सैनिक परिवारों और वीरांगनाओं को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय सेना का इतिहास गौरवशाली रहा है, हमारे वीर सैनिकों ने हमेशा अदम्य साहस का परिचय देते हुए तमाम लड़ाईयों को जीतकर देश का गौरव बढ़ाया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के सैनिकों का आत्मविश्वास बढ़ा है, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होली, दिवाली जैसे विशेष कार्यक्रम हमारे देश के वीर सैनिकों के साथ ही मनाते हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वन रैंक वन पेंशन के लागू होने से लाखों रिटायर्ड सैनिकों को बड़ी राहत मिली है। उत्तराखंड में सरकार रोजगार के क्षेत्र में लगातार काम कर रही है, प्रदेश में अब तक 10 हज़ार से ज्यादा पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू हो गई है। राज्य सरकार ने आशा वर्करों का मानदेय बढ़ाया है,

उपनल कर्मचारियों को मानदेय बढ़ाते हुए उन्हें भी बड़ी राहत दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड संक्रमण के बाद सरकार ने महिला स्वयं सहायता समूहों को राहत पैकेज के माध्यम से बड़ी सहायता पहुंचाई है। उन्होंने कहा कि सरकार का सबसे पहला मंतव्य है कि जो घोषणा की जाएं उन्हें पूरा किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब उत्तराखंड 25 साल का होगा तो शिक्षा, पर्यटन, परिवहन, ऊर्जा, उद्योग समेत सभी क्षेत्रों देश का पहले नंबर का राज्य बनेगा।

मुख्यमंत्री धामी ने कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र के लिए अनेक घोषणाएं की, जिनमें क्रमशः विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार में पुरानी पेयजल लाइनों बदला जाएगा और दो नए नलकूप स्थापित किए जाएंगे। कोटद्वार में आवासीय एवं कृषि भूमि के ऊपर से जाने वाली हाईटेंशन लाइन को शिफ्ट किया जाएगा। कोटद्वार नगर निगम क्षेत्र में सिंचाई गूल नहरों की सफाई एवं नई गूलों का निर्माण किया जाएगा। विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार के कालागढ़ में मुख्य मार्गों का निर्माण एवं पुनर्निर्माण का कार्य किया जाएगा। कलालघाटी स्थित राजकीय इंटर कॉलेज एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का नाम शहीद लांस नायक धनवीर सिंह राणा के नाम से रखा जाएगा।
कार्यक्रम के दौरान कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि सरकार लगातार युवाओं, बेजरोज़गारों और महिलाओं के हित में कार्य कर रही है। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेंद्र अन्थवाल एवं हज़ारों की संख्या में पूर्व सैनिक, जनप्रतिनिधि एवं स्थानीय जनता मौजूद रही।

UP के 46 रेलवे स्टेशनों को उड़ाने की धमकी, खुफिया विभाग ने जारी किया अलर्ट

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लखनऊ:  दिवाली से पहले यूपी के महत्वपूर्ण स्टेशनों को शनिवार की देर रात आंतकी संगठन लश्कर-ए- तैयबा द्वारा उड़ाने की धमकी मिलने पर रेल महकमे में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में जीआरपी, आरपीएफ और डाग स्क्वाड ने स्टेशन की सुरक्षा परखी। शनिवार की देर रात से रविवार तक कई बार सुरक्षा जांची गई। चप्पे-चप्पे की तलाशी और चौकसी बढ़ा दी गई है। सीसीटीवी कैमरों से भी नजर रखी जा रही है।

शनिवार की देर रात खुफिया विभाग से इनपुट मिला कि यूपी के महत्वपूर्ण 46 रेलवे स्टेशनों को आंतकी संगठन लश्कर-ए- तैयबा ने उड़ाने की धमकी दी है। इसमें वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, कानपुर आदि स्टेशन शामिल हैं। इसकी जानकारी होते ही पीडीडीयू जंक्शन की सुरक्षा बढ़ा दी गई। देर रात जीआरपी कोतवाल सुरेश सिंह, आरपीएफ इंस्पेक्टर संजीव कुमार ने फोर्स के साथ स्टेशन की तलाशी शुरू करा दी।

वहीं गुजरने वाली दर्जनों ट्रेनों व यात्रियों के सामान की तलाशी ली गई। देर रात से ही स्टेशन पर तलाशी व सुरक्षाकर्मियों की तैनाती जगह-जगह कर दी गई है। कंट्रोल रूम के कर्मचारियों को दिशा निर्देश देकर गंभीरता से स्टेशन पर नजर रखने का निर्देश दिया गया। जीआरपी कोतवाल सुरेश सिंह ने बताया कि आतंकियों की धमकी के बाद स्टेशन की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। यूपी के 46 रेलवे स्टेशन को उड़ाने की धमकी की खबर के बाद बरेली जंक्शन पर भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। जंक्शन पर जीआरपी और आरपीएफ के साथ डॉग स्क्वायड की टीम भी स्टेशन परिसर को खंगाल रही है।

माली में 2 आतंकवादी हमलों में 7 सैनिकों की मौत, अमेरिकी में भी गोलीबारी में 2 की गई जान

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वाशिंगटन । अफ्रीकी देश माली में दो आतंकवादी हमलों में सात सैनिकों की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए। माली के सशस्त्र बल ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर यह जानकारी दी। पश्चिमी माली के मोरदिया शहर के पास दोपहर के बाद सेना के एक दल पर घात लगाकर हमला किया गया जिससे दो सैनिकों की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गये। मध्य माली के सेगोऊ शहर में कल दोपहर बाद सेना के एक गश्ती दल के वाहन पर हमला किया गया। इस दौरान वाहन में सवार सभी पांच सैनिकों की मौत हो गई।

करोड़पति बनकर होंगे रिटायर, बस करने होंगे 7500 रुपए निवेश, जानें फायदा की स्कीम यहां

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PPF News: अगर आप करोड़पति बनना चाहते हैं, तो अभी अच्छा समय है। अपना भविष्य सुधारने के लिए निवेश करना शुरू कर दें। ऐसा करने के लिए बहुत पैसे की जरूरत भी नहीं है। इसके लिए बस पब्लिक प्रोविडेंट फंड (Public Provident Fund) में हर महीने कुछ रुपए जमा करने होंगे।

अगर आप पीपीएफ (PPF) में इन्वेस्टमेंट करते हैं, तो सेवानिवृत्ति से पहले ही मालामाल हो जाएंगे।

पब्लिक प्रोविडेंट फंड शानदार रिटर्न के साथ लंबी अवधि में बेहतर निवेश विकल्प है। पीपीएफ अकाउंट में सालभर में 1.5 लाख रुपए या महीने में 12,500 रुपए तक जमा कर सकते हैं। आपको भविष्य में कितना प्रॉफिट चाहिए। उस हिसाब से हर माह रकम और कितने समय के लिए निवेश करने की आवश्यकता होगी।

PPF पर मिलता है 7.1 प्रतिशत ब्याज

पीपीएफ खातों पर सरकार 7.1 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर का भुगतान करती है। निवेश अवधि 15 साल के लिए है। ऐसे में 15 वर्ष बाद 12500 रुपए के मासिक निवेश का कुल मूल्य 40,68,209 रुपए होगा। ब्याज में 18,18,209 रुपए के साथ कुल निवेश 22.4 लाख रुपए है।

इस तरह जमा होंगे 1 करोड़ रुपए

1. मान लीजिए कि आपकी उम्र 30 साल है और आपको पीपीएफ में निवेश शुरू करना है।

2. अब आप अगले 5-5 साल तक अपना पीपीएफ बढ़ाते रहें।

3. यानी 15 साल बाद और 5 वर्ष के लिए निवेश करते हैं। तब 20 साल बाद आपके पास कुल 66,58,288 रुपये होंगे।

4. जब यह 20 साल तक पहुंच जाए, तो निवेश को और 5 साल के लिए बढ़ा दें, जिसके परिणामस्वरूप 25 साल बाद कुल 1,03,08,015 रुपये मिलते हैं।

अगर आप 55 वर्ष की आयु में करोड़पति बनना चाहते हैं। तब पहले निवेश की शुरुआत करनी होगी। 12500 रुपए के बजाय पीपीएफ में थोड़ा कम निवेश करना होगा। आइए जानते हैं कैसे-

1. मान लीजिए कि आपने 25 साल की उम्र में हर महीने अपने पीपीएफ खाते में 10,000 रुपये का योगदान दिया।

2. 7.1 प्रतिशत के हिसाब से 15 साल बाद कुल मूल्य 32,54,567 रुपये होगा।

3. इसे और 5 साल के लिए बढ़ाएं और 20 साल बाद कुल मूल्य 53,26,631 रुपये होगा।

4. इसे और 5 साल के लिए बढ़ाएं। 25 साल बाद कुल मूल्य 82,46,412 रुपये हो जाएगा।

5. फिर आगे 5 वर्ष बढ़ा दें। 30 साल बाद कुल मूल्य 1,23,60,728 रुपये हो जाएगा।

6. यानी 55 साल की उम्र में आप करोड़पति बन जाएंगे।

पर्यटन : ट्रैकर्स के आकर्षण का केन्द्र बन रहा है “पीपलकोटी पांचुला ट्रैक”

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(✒️जेपी मैठाणी की रपट ) “सरकार की उदासीनता के बावजूद शोध अध्ययन कर किया जा रहा है प्रचारित-प्रसारित”

देहरादून से लगभग 265 किमी0 की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर लगभग 4000 फीट (1300 मीटर) की ऊँचाई पर स्थित है एक पर्यटक स्थल पीपलकोटी. पीपलकोटी अपनी खूबसूरत घाटी, पीपल के पेड़ों, सीढ़ीनुमा खेतों के साथ-साथ अच्छी व्यवस्था वाले होटलों, ढाबों, पर्यटक आवास गृह के लिए जाना जाता है. पीपलकोटी में ही प्रदेश के पहले बायोटूरिज़्म पार्क (जिसकी स्थापना 1999-2001 में हुई थी) भी स्थित है. पुरातन समय से ही पीपलकोटी बद्रीनाथ यात्रा मार्ग की एक प्रमुख चट्टी/ पड़ाव रहा है |

पीपलकोटी से अनेक ट्रैकिंग रूट्स जो कि कम जाने जाते हैं या नहीं जाने जाते हैं उनका प्रचार-प्रसार एवं मार्केटिंग का कार्य आगाज़ संस्था कर रही है. इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण ट्रैकिंग पीपलकोटी से हस्तशिल्प ग्राम किरूली होते हुए पांचुला बुग्याल पहुंचता है. पांचुला बुग्याल जनपद चमोली के दशोली विकासखण्ड के बण्ड पट्टी के रिंगाल हस्तशिल्प ग्राम किरूली का छानी/मरोड़ा बुग्याल क्षेत्र है. यहाँ बड़े-बड़े शानदार सीढ़ीनुमा खेत हैं जिनमें ग्रामीण आलू, चैलाई, राजमा के अलावा जड़ी-बूटी जैसे- कुटकी और जटामासी की खेती करते हैं |

कैसे पहुंचे पांचुला बुग्याल :

पांचुला बुग्याल जाने के लिए पीपलकोटी से 4 किमी0 पहले गडोरा नामक स्थान से राष्ट्रीय राजमार्ग के दाहिनी ओर से लगभग 4 किमी0 की दूरी पर किरूली गाँव तक सीधी चढ़ाई वाला थका देने वाला ट्रैक है. वैसे अब किरुली गाँव तक जीप, ट्रेकर और दुपहिया वाहन जाने लगे हैं. गडोरा से लगभग 4 किलोमीटर किरूली गाँव में बण्ड पट्टी के नगर पंचायत पीपलकोटी और आस पास की 6 से अधिक ग्राम पंचायतों के भूमि के देवता बण्ड भूमियाल का मंदिर है. जो दो तरफ से बांज, बुरांस और देवदारों के पेड़ों से घिरा हुआ है. यहीं से शुरू होता है पांचुला का असली ट्रैक. पिट्ठू कस लीजिए, पानी को बोतलें भर लीजिए, सामान की लिस्ट चैक कर लीजिए अब आगे सिर्फ जंगल और प्रकृति का साथ है |

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किरूली गाँव के ऊपर कौंटा नामक स्थान पर स्थित बण्ड भूमियाल के दर्शन करते हुए हम घने रिंगाल, बांज, बुरांस, अयांर, काफल, लोध आदि के जंगल से एक शानदान स्थान पर पहुँचते हैं और थोड़ी देर के लिए सुस्ताने लगते हैं. इस स्थान को कहते हैं बचणी बांज. बचणी बांज नामक स्थान पर बांज के विशाल वृक्ष हैं जिनकी उम्र सौ वर्ष से अधिक होगी. ऐसे विशाल बांज के वृक्ष गढ़वाल में कम ही देखने को मिलते हैं. इस स्थान की ऊँचाई लगभग 1900 मीटर होगी |

जंगल के बीच चिड़ियों और झिंगुरों की आवाज मन मोह लेती है. अब हमें यहाँ से बद्रीनाथ और नंदा देवी क्षेत्र की हिमालय की हिमाच्छादित चोटियां दिखाई देने लगती हैं. जो यहाँ आने वाले ट्रैकर्स के हृदय और मनोमस्तिष्क को बरबस अपनी ओर आकर्षित करते हैं. नीचे अलकनन्दा घाटी में गडोरा, गड़ी, नौरख पीपलकोटी, हाट, जैंसाल और बटुला मायापुर की शानदार सीढीनुमा खेती दिखाई देती है. लेकिन सामने की पहाड़ियों जैसे रामचरण चोटी (रमछाणा डांडा) पर वर्तमान में गोपेश्वर से बेमरू और हाट की तरफ और हाट में बन रही जल विद्युत परियोजना के द्वारा बनाये गये सड़क और खनन के घाव और ढाल पर बेतरतीब फेंके गये मलबे के दृश्य मन को थोड़ा उदास करते हैं. पूरा हिमालय आजकल अवैज्ञानिक तरीके से हो रहे विकास कार्यों से उत्पन्न होने वाले पर्यावरणीय संकटों को भी झेल रहा है |May be an image of campsite and outdoors

पांचुला ट्रैक पर है बण्ड क्षेत्र का कौणी के प्रसाद वाला कौणजाख देवता का मंदिर, मेरी तरह आप भी चैंक गये होंगे न कि ऐसा मंदिर जो सिर्फ सिम्बोलिक है लेकिन उसमें प्रसाद के रूप में पहाड़ में उगने वाला मोटे अनाज कौणी की बालियां चढ़ाई जाती हैं. यह उत्तराखण्ड में खाद्यान्न अनाजों और जैव विविधता संरक्षण के अंतर्सम्बन्धों को दर्शाता है |

बचणी बांज से आगे अब सुंदर ट्रैक लगभग 2000 मीटर की ऊँचाई पर दूसरे पड़ाव कौणजाख देवता पड़ाव पर पहुँचता है. यहाँ से बण्डीधूर्रा, डुमक कलगोठ, बेमरू के ऊपरी क्षेत्रों की बर्फ से आच्छादित कई अनाम चोटियां दिखने लगती हैं. ऐसा लगने लगता है जैसे हम हिमालय की उपत्यका में भ्रमण कर रहे हों. कौणजाख नामक स्थान पर एक छोटा सा मंदिर है जो एक तरह से वन देवी-देवताओं के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने के लिए एक सुनिश्चित स्थान है |May be an image of 6 people, people camping, people sitting, people standing and outdoors

 

किरूली के रिंगाल हस्तशिल्प गुरू प्रदीप कुमार बताते हैं कि हमारे पूर्वज बताते थे कि जब भी हमारे गाँव के आसपास धान, कोदा, झंगोरा, तिल और कौणी की फसल तैयार हो जाती थी तब कौणी जिसे कि अंग्रेजी में फॉक्सटेल मिलेट कहते हैं. और इसका वानस्पतिक नाम Setaria italica है. कौणी की नयी फसल तैयार होने पर उसकी बालियां कौणजाख में चढ़ाई जाती हैं. वहाँ एक बंदर आता है और वो स्थानीय ग्रामीणों द्वारा प्रसाद के रूप में चढ़ाई गई प्रसाद के रूप में नई कौणी की बालियों को लेकर पूजा के लिए चला जाता है |

कौणजाख से अब पांचुला की दूरी सिर्फ आधा किमी रह जाती है किरूली से पांचुला तक पहुंचने की थकान पांचुला के बुग्याल क्षेत्र में प्रवेश करते ही गायब हो जाती है. पूरब, उत्तर और दक्षिण दिशा में शानदार हरियाली से भरे पर्वत श्रृंखलायें दिखाई देती हैं और पश्चिमोत्तर दिशा में अलकनन्दा नदी की घाटी. घाटी के उस पार हाट, जैंसाल, बजनी, झड़ेता, मठ, बेमरू और शाम के धुंधलके में सुदूर उत्तर में डुमक कलगोठ की टिमटिमाती रोशनी |May be an image of campsite and mountain

आओ चलो टेंट लगायें :

अब हम लगभग 2000-2100 मीटर की ऊँचाई पर स्थित घास के मैदान पांचुला पर पहुँच गये हैं. जहाँ जिध नज़र दौड़ाओ हरे-भरे तप्पड़ दिखाई देते हैं, ऊपर नीला आसमान है. दक्षिण पूर्व दिशा में घने बांज बुरांस के जंगल हैं, कई प्रकार के जंगली पक्षियों की चहचहाहट, हरे घास के मैदानों में उछलती कूदती भेड़-बकरियां, गाय-भैंसो के गले में बंधी घंटियों की टुनटुन की आवाज़ मन को सुकून पहुँचाती है. ऐसा विश्वास ही नहीं होता कि भीड़-भाड़ और हो हल्ले से भरे हुए बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग और कस्बों से सिर्फ 7-8 किमी0 की दूरी पर इतना सुंदर बुग्याल होगा |
खेतों में खड़ी लाल चैलाई की फसलें ऐसी लगती हैं मानों फूलों के बुके खेतों में खड़े हों. यहाँ आप खाली स्थान पर टैंट लगा सकते हैं. वैसे तो यहाँ स्थानीय ग्रामीणों की गौशालायें, छानी हैं लेकिन पर्यटकों का पर्याप्त मात्रा में पानी और रहने के लिए टेंट लेकर आना बेहतर होगा. पांयुला बुग्याल किरूली गाँव के ग्रामीणों की निजी भूमि है इसलिए वन विभाग की अनुमति नहीं लेनी पड़ती. आसपास से आप लकड़ियां एकत्र कर चूल्हा जलाकर खाना बना सकते हैं, कैम्प फायर कर सकते हैं. लेकिन ध्यान रहे सोने से पहले मिट्टी डालकर आग पूरी तरह बुझा दें. जहाँ भी जाएं, ग्रुप में जाएं अकेले कभी न जाएं. अभी यहाँ टॉयलेट और पीने के पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है |

रात्रि को पांचुला बुग्याल (Panchula Bugyal) से आप स्टार गेजिंग कर सकते हैं, अक्सर आसमान बिल्कुल साफ रहता है, चांद मानों ऐसा लगता है आप छू लेंगे. अलसुबह सूर्योदय का शानदार दृश्य दिखता है. पांचुला से एक-डेढ़ किमी ऊपर जाकर बिरही घाटी दिखाई देती है. यही नहीं पांचुला होते हुए आप सात ताल ट्रैक और रूपकुण्ड का ट्रैक भी कर सकते हैं |

 

पीपलकोटी के आसपास बहुत कम दूरी पर और कम समयावधि के पांचुला ट्रैक को लोकप्रिय बनाने और पांचुला में मूलभूत आवश्यकताओं से सम्बन्धित अध्ययन करने के लिए हाल ही में आगाज़ फैडरेशन के इकोटूरिज़्म समन्वयक अनुज नम्बूद्री और सह समन्वयक भूपेन्द्र कुमार और धीरज कुमार के नेतृत्व में एक टीम ने अध्ययन कार्य प्रारम्भ किया है. टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ सोशियल साइंस, मुम्बई की इस टीम में मणिपुर से निंगथाउजम सोनम चानू, महाराष्ट्र से नीता पागी, प्रियंका काले, दीपक सासने और रूपाली अंबोने पीपलकोटी के आसपास के ट्रैकिंग रूट्स पर शोध कार्य कर रहे हैं |

रास्ते में क्या-क्या देखें :

जब आप पांचुला के ट्रैक के लिए प्रस्थान करते हैं तो रिंगाल हस्तशिल्पी गाँव किरूली में जनपद चमोली के कुशल रिंगाल हस्तशिल्पियों के द्वारा बनाये गये रिंगाल के सुंदर उत्पादों को देख सकते हैं साथ ही साथ उन उत्पादों को खरीद भी सकते हैं |
साथ ही पहाड़ों में उगने वाले अनाज जैसे मंडुवा, झंगोरा, राजमा, आलू की खेती देख सकते हैं, वर्तमान में किरूली में संतरा, अखरोट के अतिरिक्त जड़ी-बूटी की खेती को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है |
नंदादेवी राज जात के लिए बण्ड क्षेत्र की भोजपत्र और रिंगाल से बनी छंतौली भी किरुली गाँव से ही बन कर जाती है. किरूली गाँव प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में रिंगाल मास्टर ट्रेनरों के लिए जाना जाता है. पिछले दो दशकों से आगाज़ फैडरेशन और उत्तराखण्ड बांस एवं रेशा विकास परिषद के माध्यम स इस गाँव में रिंगाल हस्तशिल्प सम्बन्धी कार्यक्रम होते रहे हैं. अब वर्तमान में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा जिला उद्योग केन्द्र के माध्यम से पीपलकोटी में ग्रोथ सेन्टर का संचालन हिमालयी स्वायत्त सहकारिता द्वारा किया जा रहा है |

क्या सामान लेकर जाएँ :
रात्रि विश्राम के लिए टेंट, रूकसैक, पानी की बोतलें, अच्छे जूते, जुराब, टोपी, टोर्च, लाइटर, भोजन सामग्री, सनग्लास जरूरी हैं |

क्या न करें :
कहीं भी प्लास्टिक पोलीथीन, पानी बोतलें, टॉफी और चॉकलेट के रैपर न फेकें, रात को कैम्प फायर कर आग भली भाँति बुझा दें, अकेले कहीं न जाएँ, बच्चों को रास्ते में टॉफी आदि का लालच न दें! जंगल की वनस्पति को नुक्सान न पहुंचाएं, शोरगुल न करें !

राष्ट्रीय राजमार्ग से इतने निकट होने के बावजूद पांचुला ट्रैक थोड़ा गुमनाम सा रहा है. लेकिन अब धीरे-धीरे इसका प्रचार प्रसार हो रहा है. प्रदेश सरकार को चाहिए कि पांचुला में जैविक खेती के अलावा एग्रो टूरिज़्म के लिए जल आपूर्ति या वर्षा जल संरक्षण के संसाधन विकसित करे. ताकि पांचुला ट्रैक जनपद चमोली में अपनी पहचान स्थापित कर सके |

बण्ड भूमियाल के बारे में किंवदंती है कि गढ़वाल हिमालय में होने वाली नंदा देवी राजजात जब रूपकुण्ड से ज्यूंरागली को पार कर रही थी तो यात्रा ज्यूंरागली पर अटक गयी थी कोई मार्ग नहीं मिल रहा था. तब ढोल दमाऊ और रणसिंगा के आहवाह्न पर बण्ड भूमियाल अवतरित हुए और बण्ड भूमियाल ने अपनी कटार से ही रूपकुण्ड के कठोर पहाड़ी वाले ज्यूंरागली में पांव रखने का ट्रैक बना दिया, ज्यूंरागली के ठीक दूसरी ओर शिला समुद्र है जहाँ से नंदा घूंटी चोटी से आने वाली नंदाकिनी नदी का जलागम क्षेत्र बनता है |

बण्ड विकास संगठन के वर्तमान अध्यक्ष श्री शम्भू प्रसाद सती बताते हैं कि वर्ष 1988 की राजजात यात्रा के दौरान कनोल के ग्रामीण एक तरह का अप्रत्यक्ष कर या दान मांग रहे थे, लेकिन राजजात यात्रा के दौरान इस तरह की कर व्यवस्था का कोई लिखित प्रमाण नहीं है. लेकिन वे भी बताते हैं कि प्राचीन समय में जब राजजात रूपकुण्ड से ऊपर बढ़ रहीं थी और रास्ता नहीं मिल रहा था तब बण्ड भूमियाल ने अवतरित होकर अपनी कटार से ज्यूंरागली में राजजात के लिए रास्ता बना डाला. तब से आज तक बण्ड पट्टी के निवासियों से रूपकुण्ड से आगे लगान या कर नहीं लिया जाता |
पीपलकोटी से अनेकों उच्च हिमालयी ट्रैकिंग रूट्स के लिए जाया जा सकता है. कुछ प्रमुख ट्रैक निम्नलिखित है, इनका आयोजन आगाज़ फैडरेशन की इको टूरिज़्म की टीम करती है :

पीपलकोटी-कनणी तोली ताल रूद्रनाथ ट्रैक (लगभग 23 किमी)
पीपलकोटी-बंशीनारायण पांडव
सेरा ट्रैक (लगभग 37 किमी)
पीपलकोटी-बंडीधूर्रा लार्डकर्ज़न पास ट्रैक (लगभग 35 किमी)
पीपलकोटी-बण्ड भूमियाल पांचुला ट्रैक (लगभग 11 किमी)
पीपलकोटी-पाताल गंगा शिलाखर्क ट्रैक (लगभग 32 किमी)
पीपलकोटी-गैराड़ छानी ट्रैक (लगभग 18 किमी0)
पीपलकोटी-दुर्मी सात ताल ट्रैक (28 किमी0)
पीपलकोटी-लक्ष्मी नारायण मंदिर हाट ट्रैक (लगभग 8 किमी)
पीपलकोटी-बेमरू बिल्लेश्वर महादेव शिवालय ट्रैक ( लगभग 10 किमी)
पीपलकोटी-सल्ला-सोडीयाणी ट्रैक (9 किमी)

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने टिहरी में कुल रूपये 95 करोड़ 46 लाख की लागत की योजनाओें का लोकार्पण और शिलान्यास किया

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जनपद टिहरी गढ़वाल की तहसील कीर्तिनगर के चौरास क्षेत्रान्तर्गत किलकिलेश्वर में स्थित राजकीय इण्टर कॉलेज प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कुल रूपये 95 करोड़ 46 लाख की लागत की योजनाओें का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया जिनमें रूपये 52 करोड़ 03 लाख की लागत की तीन योजनाओं का लोकार्पण एवं रूपये 43 करोड़ 44 लाख लागत की चार योजनाओं का शिलान्यास किया।

*लोकार्पित योजनाएं*

मुख्यमंत्री ने अकरी बारजूला ग्राम समूह पम्पिंग पेयजल योजना, सीएचसी हिंडोलाखाल में ऑक्सीजन प्लांट व 33/11 केवी विद्युत उपसंस्थान चौरास का लोकार्पण किया।

*शिलान्यास*
मुख्यमंत्री ने गढ़ी चौरास जाखणी ग्राम समूह पम्पिंग पेयजल योजना, अलकनंदा नदी पर सुपाणा में 130 मीटर स्पान के सेतु का निर्माण, 33/11 केवी विद्युत उपसंस्थान पट्टी अकरी-बारजूला व नगर पंचायत कीर्तिनगर में आधुनिक प्रतीक्षालय का निर्माण योजना का शिलान्यास किया।

*जनसमस्याओ का समाधान सरकार की प्राथमिकता*

इस अवसर पर जनता को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा कि हमारी सरकार युवा, महिला, बच्चों व बुजुर्गां सभी के अनुरूप कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता ने जो सपने देखें है हमारी सरकार उन सपनों को साकार कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार हर क्षेत्र की समस्याओं के भी समाधान कर रही है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान मैंने नौजवानों की समस्याओं को देखा तथा निर्णय लिया कि हमारे द्वारा सभी रिक्त पड़े 24 हजार सरकारी पदों को भरा जायेगा और अभी तक 10 हजार से अधिक पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा कि हमारे द्वारा उपनल कर्मचारियों व आशा कार्यकत्रियों की समस्याओं को भी सुना गया तथा उनके मानदेय में वृद्धि की गयी।

हमारे द्वारा चारधाम यात्रा शुरू करने को लेकर भी हाई कोर्ट में मजबूत पैरवी की गयी, जिसका परिणाम यह रहा कि प्रदेश में चारधाम यात्रा शुरू हुई। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी हमारी सरकार बेहतर कार्य कर रही है। हमारे द्वारा रूपये 05 लाख तक निःशुल्क उपचार देने वाली अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना के अन्तर्गत 460 करोड़ रूपये अभी तक खर्च किये गये हैं। जिससे साढ़े तीन लाख लाभार्थियों को स्वास्थ्य लाभ मिला है। मुख्यमंत्री ने जनता से कहा कि हम प्रदेश को आपके बल पर आगे बढ़ा रहे हैं। हमारी सरकार तभी बलवती होगी जब आपका समर्थन मिलेगा।

*घोषणाएं*

इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री धामी ने घण्टाकर्ण देवता लोस्तु को सातवां धाम घोषित करने, किलकिलेश्वर मन्दिर चौरास का सौन्दर्यीकरण करने, हिण्डोलाखाल ब्लॉक भवन के निर्माण, चौरास पुल से जाखणी-नैथाणा-रानीहाट-कीर्तिनगर तक आस्थापथ का निर्माण, जखलेश्वर महादेव जखण्ड का सौन्दर्यीकरण करने, कीर्तिनगर तहसील तहसील कर्मियों व प्रशासनिक अधिकारियों के लिए आवास बनाये जाने, राजकीय इण्टर कॉलेज किलकिलेश्वर विशेष मरम्मत व चहार दीवारी के निर्माण, राजकीय बालिका इण्टर कॉलेज किलकिलेश्वर का जीर्णोद्धार, सैन्द्री-सुपाणा मोटर मार्ग का निर्माण, नैथाणा-बिन्दीगेरा-गुठांई- नैनीसैंण मोटर मार्ग का निर्माण, थापली मढी कॉलोनी में पीसी सड़क का नवीनीकरण, न्यूनीसैंण में पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाऊस जीर्णोद्धार, देवप्रयाग विधानसभा के स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों एवं शहीदों के नाम पर विद्यालयों व सड़कों का नाम रखे जाने की घोषणा की।

रा.इ.का. किलकिलेश्वर में आयोजित समारोह में कृषि मंत्री श्री सुबोध उनियाल, ऊर्जा मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत, जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण, विधायक देवप्रयाग श्री विनोद कण्डारी, श्री विनोद रतूड़ी, श्री अब्बल सिंह विष्ट, श्री केदार सिंह बिष्ट, सीडीओ नमामि बंसल, डीडीओ सुनील कुमार आदि उपस्थित थे।

क्या मंत्री महोदय…! गांव में खुलवाएंगे घास की दुकान, अजीबोगरीब बयान दे गये धनसिंह रावत

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देहरादून, क्या अब उत्तराखण्ड़ में घास की दुकान खोली जायेंगी, यह हम नहीं कह रहे, यह तो सरकार में मंत्री के बयान हैं, सुर्खियां बटोरता यह बयान उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार में मंत्री धन सिंह रावत का सामने आया है। जिसने सुर्खियां बटोरी हुई हैं। पहले भी वो इस तरह के बयान दे चुके हैं। आपको बता दें कि धन सिंह रावत ने गांव में घास की दुकान खोलने की बात कही है। इसके साथ ही उन्होंने घास काटने वाली महिलाओं को पैकेट में घास डालकर देने की बात कही है।

दरअसल, यह अजीबो गरीब बयान उस समय आया जब धन सिंह रावत मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना को लेकर गांव की महिलाओं को जानकारी दे रहे थे। इसी बीच उन्होंने घास की दुकान खोलने की बात कही। जिस पर महिलाओं ने जमकर ठहाके लगाए।

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार घास काटने वाली महिलाओं को पैक घास देगी। जैसे गैस-सिलेंडर और राशन देते हैं। वैसे ही एक-एक घास की दुकानें भी गांव में खोली जाएंगी। उन्होंने आगे कहा कि सबको हरा चारा मिलेगा। इसके अलावा देहरादून से हरा चारा मंगाने का भाड़ा खर्चा सरकार देगी और आप लोगों को 3 रुपए किलो दिया जाएगा। ऐसे में 50 रुपए में दो दिन का घास हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि मैं आप लोगों को घसियारी किट दे रहा हूं। इसमें 1,500 रुपए का सामान है। सरकार ने मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना की शुरुआत की है। बता दें कि धन सिंह रावत ने ऐसा बयान कोई पहली दफा नहीं दिया है। इससे पहले उन्होंने ऐप के माध्यम से बारिश को कंट्रोल करने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि एक ऐसी ऐप्लीकेशन आने वाली है, जिससे किसी भी स्थान पर बारिश को नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि अगर कहीं ज्यादा बारिश हो रही है तो उसे आगे-पीछे या ज्यादा-कम कर सकते हैं।

ब्रैकिंग न्यूज : बुल्हाड़ बायला रोड़ पर सड़क हादसा, वाहन खाई में गिरा, 13 लोगों की दर्दनाक मौत

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देहरादून, जनपद की चकराता तहसील में एक बडी दुर्घटना की खबर आ रही है, मिली जानकारी के मुताबिकयचकराता के भरम खत के बायला गांव से विकासनगर जा रही गाड़ी (यूटिलिटी) रविवार सुबह बायला-पिंगुवा मार्ग पर गांव से आगे अनियंत्रित हो गई और गहरी खाई में गिर गई | जिसमें 13 यात्रियों की मौत । एसडीएम चकराता सौरभ असवाल ने बताया कि वाहन में सवार सभी लोग स्थानीय हैं। घटनास्थल के लिए चकराता व त्यूणी तहसील से राजस्व टीम रवाना कर दी गई है, उत्तराखंड के चकराता क्षेत्र में बायला गांव से विकासनगर जा रहा यूटीलिटी वाहन खाई में जा गिरा। इसमें 19 लोग सवार बताये जा रहे ह, अधिक लोगों मौत होने की आशंका है, बाकी गम्भीर घायल बताए जा रहे हैं। ग्रामीण रेस्क्यू में जुट गए हैं। दुर्घटनास्थल अत्यंत दुर्गम क्षेत्र होने से रेस्क्यू टीम को पहुंचने में समय लग रहा है। वाहन में सवार सभी लोग एक ही गांव के बताए जा रहे हैं, हादसा चकराता के सुदूरवर्ती इलाके त्यूनी रोड पर सुबह करीब 10 बजे के करीब हुआ |
एसडीएम चकराता सौरभ असवाल ने बताया घटनास्थल के लिए चकराता और त्यूनी तहसील से राजस्व टीम मौके पर पहुंची है। देहरादून डीएम डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया है कि एसडीएम और एडीएम घटना स्थल पर पहुंच गए हैं। देहरादून से डॉक्टरों की टीम मौके पर पहुंची है। डीएम ने बताया कि उक्त डॉक्टरों द्वारा मौके पर पोस्टमार्टम की कार्रवाई कर शव परिजनों को सौंप दिए जाएंगे। मृतकों और घायलों को आर्थिक सहायता देने के लिए शासन से संस्तुति की गई है।
वहीं सड़क हादसे की सूचना के बाद कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह मौके के लिए रवाना हो गए हैं।Uttarakhand बड़ा हादसा, 13 की मौत, कुछ घायल, खाई में गिरा यात्री वाहन - Mirror Uttarakhand

मृतकों के नाम :
बायला के क्षेत्र पंचायत सदस्य महेंद्र सिंह चौहान ने कहा हादसे में मृतकों की पहचान मातबर सिंह (40) पुत्र भगत सिंह, पत्नी रेखा देवी (32) और डेढ़ वर्षीय पुत्री तनवी, रतन सिंह (45) पुत्र रतराम, जयपाल सिंह चौहान (40) पुत्र भाव सिंह, अंजलि (15) पुत्री जयपाल सिंह चौहान, नरेश चौहान (35) पुत्र भाव सिंह, साधराम (55) पुत्र गुलाब सिंह, दान सिंह (50) पुत्र रतू, ईशा(18) पुत्री गजेंद्र, काजल (17) पुत्री जगत वर्मा सभी निवासी बायला-चकराता, जीतू (35) पुत्र नामालूम निवासी क्वानू-मलेथा व हरिराम शर्मा (48) पुत्र नामालूम निवासी सिरमौर हिमाचल समेत तेरह लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। इसके अलावा घायलों में स्थानीय निवासी दो लोग शामिल हैं।

श्री विजय गोयल, निदेशक(कार्मिक) की भावभीनी विदाई

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ऋषिकेश- श्री विजय गोयल, निदेशक(कार्मिक), टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड 31.10.2021 को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं| इस अवसर पर श्री गोयल को कारपोरेशन द्वारा 29.10.2021 को एक कार्यक्रम में भावभीनी विदाई दी गई |इस कार्यक्रम में श्री आर. के. विश्नोई, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक,श्री जे. बेहेरा, निदेशक(वित्त), श्री बी. पी. गुप्ता, मुख्य सतर्कता अधिकारी एवं श्री वीर सिंह, महाप्रबंधक (मा.सं.) मुख्य तौर पर उपस्थित रहे | इस अवसर पर श्री गोयल ने निगम की भविष्य की योजनाओं हेतु अपने अमूल्य सुझाव दिए तथा अपने कार्यकाल के दौरान सभी से मिले सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया |
उल्लेखनीय है कि श्री विजय गोयल वर्तमान में निदेशक (कार्मिक) की भूमिका भी निभा रहे हैं | इससे पूर्व श्री गोयल ने अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के अतिरिक्त कार्यभार को भी 01.05.2021 से 05.08.2021 तक संभाला | श्री गोयल वर्ष 1990 में वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी के पद पर निगम में नियुक्त हुए| मानव संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में लगभग 35 से अधिक वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं |

विदेशों में तेजी से सरसों, सोयाबीन में सुधार, बिनौला में गिरावट

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नई दिल्ली , । विदेशी बाजारों में तेजी के बीच दिल्ली मंडी में सोयाबीन और सर्दियों की मांग बढऩे से सरसों में सुधार का रुख रहा जबकि बिनौला के नये फसल की आवक बढऩे के बीच इसके तेल कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में दो प्रतिशत की तेजी है जबकि फिलहाल शिकॉगो एक्सचेंज में 0.2 प्रतिशत की तेजी है। उन्होंने कहा कि विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच स्थानीय स्तर पर सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की कुछ मांग आने से सोयाबीन (तिलहन) में सुधार आया जबकि सर्दियों की मांग बढऩे और मंडियों में आवक कम होने से सरसों तेल-तिलहन में भी पर्याप्त सुधार हुआ।

वहीं दूसरी तरफ बिनौला के नये फसल की मंडियों में आवक बढऩे के बीच भाव टूटने से इसमें गिरावट देखने को मिली। सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सोयाबीन की आवक घटी है और किसान नीचे भाव में अपना माल नहीं बेच रहे। जिन्हें पैसे की सख्त आवश्यकता है केवल वहीं किसान मजबूरी में अपनी ऊपज मंडी में बेच रहे हैं। आगामी छुट्टियों के कारण तेल संयंत्र वालों की मांग है। इसके अलावा डीओसी की भी कुछ मांग निकल आई है जिसकी वजह से सोयाबीन तिलहन में सुधार आया। राजस्थान के कोटा में डीओसी का भाव बढ़कर 4,100 रुपये क्विन्टल हो गया। सूत्रों ने कहा कि पामोलीन का पहले ही अधिक मात्रा में आयात हो रखा है और बाजार टूटने से हालात यह है कि आयातकों को आयात भाव से 700 रुपये क्विन्टल नीचे भाव पर पामोलीन की बिक्री करनी पड़ रही है। सरकार को इसकी निगरानी रखनी होगी कि इस भाव टूटने का लाभ उपभोक्ताओं को मिल रहा है अथवा नहीं। सूत्रों ने कहा कि जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित सरसों की मांग चौतरफा है।

देश में ब्रांडेड तेल कंपनियों के अलावा खुदरा तेल मिलों के सरसों तेलों की मांग काफी बढ़ रही है। त्योहारों के साथ जाड़े की सरसों मांग बढऩे से इन छोटे तेल मिलों की दैनिक मांग लगभग 80 हजार बोरी से बढ़कर 85,000 बोरी सरसों की हो गयी है। मांग बढऩे के साथ साथ सरसों की उपलब्धता निरंतर कम होती जा रही है। यह उपलब्धता दीपावाली के बाद और कम हो जायेगी। उन्होंने कहा कि इस बार राजस्थान में पीली सरसों की बुवाई अच्छी मात्रा में हुई है। पीली सरसों की तेल रिफाइंड तेल जैसे होते हैं और इन्हें स्वास्थ्यप्रद भी माना जाता है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की ओर से सरसों तेल में मिलावट की भी जोर शोर से जांच की जा रही है। इस बीच सलोनी शम्साबाद में सरसों का भाव 9,250 से बढ़ाकर 9,300 रुपये क्विन्टल कर दिया गया।

सूत्रों ने कहा कि देशी तेल पर स्टॉक लिमिट लगाने का कोई औचित्य भी नहीं है क्योंकि गरीब उपभोक्ता सोयाबीन और पामोलीन जैसे सस्ते आयातित तेल अपना चुके हैं और इन तेलों पर भंडार सीमा लागू नहीं है। सरकार को इन आयातित तेलों के भाव की निगरानी रखनी होगी कि ये उपभोक्ताओं को किस दर पर बेचा जा रहा है और उन्हें गिरावट का लाभ मिल रहा है या नहीं।
बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे-  (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)
सरसों तिलहन – 8,960 – 8,990  (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।
मूंगफली – 6,150 –  6,235 रुपये।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,950 रुपये।
मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,040 – 2,165 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 17,950 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,710 -2,750 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,785 – 2,895 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 15,500 – 18,000 रुपये।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,950 रुपये।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,650 रुपये।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,450
सीपीओ एक्स-कांडला- 11,430 रुपये।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,250 रुपये।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली-  12,980 रुपये।
पामोलिन एक्स- कांडला- 11,800  (बिना जीएसटी के)।
सोयाबीन दाना 5,300 – 5,400, सोयाबीन लूज 5,100 – 5,200 रुपये।
मक्का खल (सरिस्का) 3,825 रुपये।