देहरादून, जनपद के थाना वसंत विहार को सूचना प्राप्त हुई की अलकनंदा एंक्लेव में स्थित एक घर से एक बुजुर्ग व्यक्ति के चिल्लाने की आवाज आ रही है। सूचना पर थाना बसंत विहार से पुलिस बल तत्काल मौके पर पहुंचा। मौके पर अलकनंदा एन्क्लेव में स्थित एक मकान में एक बुजुर्ग व्यक्ति घायल अवस्था में पड़े थे, जिनके पेट पर गहरे घाव के निशान थे, जिन्हें पुलिस कर्मियों द्वारा तत्काल उपचार हेतु इंद्रेश अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मृतक व्यक्ति की पहचान अलकनंदा एंक्लेव, जीएमएस रोड निवासी अशोक कुमार गर्ग के रूप में हुई जिनकी उम्र 75 वर्ष बतायी जा रही है। मृतक के संबंध में जानकारी करने में ज्ञात हुआ कि मृतक ओएनजीसी से रिटायर हुए थे तथा मकान में अकेले रहते थे। घटनास्थल पर तत्काल पुलिस व फॉरेंसिक टीम द्वारा घटनास्थल का गहनता से निरीक्षण किया गया व जांच की जा रही है, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून द्वारा तत्काल मौके पर पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण कर अधिकारियों व पड़ोसियों से घटना के संबंध में जानकारी ली गई व घटना के खुलासे के तत्काल निर्देश दिए गए। अब पुलिस की जांच के बाद ही मौत होने का पता चल पायेगा |
ओएनजीसी से रिटायर बुजुर्ग की संदिग्ध हालत में मौत, पुलिस जांच में जुटी, हत्या की आशंका
मुख्यमंत्री ने किया 10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के कर्टेन रेजर एवं प्रोग्राम गाइड का विमोचन
– 10वीं विश्व आयुर्वेद कांग्रेस को आयुर्वेद के क्षेत्र में राज्य को नई पहचान दिलाने वाला बताया प्रयास
– उत्तराखण्ड प्राचीन काल से रही है आयुर्वेद व प्रज्ञा की भूमि
– उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक संपदा, औषधीय पौधों और शांत हिमालयीय वातावरण के लिए है दुनिया भर में प्रसिद्ध : मुख्यमंत्री
देहरादून(आरएनएस)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड को योग एवं आयुष की भूमि बताते हुए देहरादून में आयोजित होने वाली 10वीं विश्व आयुर्वेद कांग्रेस को आयुर्वेद के क्षेत्र में राज्य को नई पहचान दिलाने वाला प्रयास बताया है। उन्होंने कहा कि इस माह 12 से 15 दिसम्बर तक आयोजित होने वाले इस वैश्विक आयोजन में होने वाले चिंतन, मंथन एवं विचार विमर्श से निकलने वाला अमृत आयुर्वेद के क्षेत्र में भारत को ही नहीं विश्व को जगाने का कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में आयुर्वेद एवं आयुष का प्रभाव लोगों ने देखा है। सोमवार को मीडिया सेन्टर सचिवालय में 10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के कर्टेन रेजर एवं प्रोग्राम गाइड का विमोचन करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह आयोजन सर्वे सन्तु निरामयः का संदेश भी घर घर तक पहुंचाने में मददगार होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड प्राचीन काल से आयुर्वेद व प्रज्ञा की भूमि रही है। हमारे ऋषि मुनियों एवं मनीषियों ने इस दिशा में व्यापक शोध कर हमें यह विधा प्रदान की है। हमारे राज्य की जलवायु औषधीय पादपों के सर्वथा अनुकूल है। आयुर्वेद का विषय राज्य के साथ हिमालय व वनों का भी है। हमारा राज्य हर क्षेत्र में अग्रणी बनें आगे बढ़े इस दिशा में हम प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर अपने संदेश में कहा था कि उत्तराखण्ड में विकास का यज्ञ चल रहा है। प्रधानमंत्री का मार्गदर्शन राज्य के विकास के प्रति हमें सतत प्रयत्नशील रहने की प्रेरणा देता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने राज्य हित में अनेक निर्णय लिये है। राज्य में कठोर नकल विरोधी कानून बनाया गया है, समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में प्रयास जारी है। राज्य के समग्र विकास में हमारे प्रयासों को नीति आयोग द्वारा भी सराहा गया है। इसी का परिणाम है कि सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में राज्य को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक संपदा, औषधीय पौधों और शांत हिमालयीय वातावरण के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस वैश्विक आयुर्वेद कांग्रेस में 58 देशों से 300 से अधिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि प्रतिभाग कर रहे हैं। जबकि देश भर के 6500 प्रतिनिधियों और 2 लाख आगंतुकों के साथ यह आयोजन ज्ञान और सहयोग का अद्वितीय मंच बनेगा। उत्तराखण्ड का पवेलियन-प्रदेश के 8 विभागों आयुर्वेदिक, होम्योपैथी, स्वास्थ्य, कौशल विकास, पर्यटन, उद्योग, उद्यान, ग्राम्य विकास के स्टॉल समेकित रूप से उत्तराखण्ड को आयुर्वेद और वेलनेस पर्यटन के प्रमुख केन्द्र के रूप में बढ़ावा देने में सहायक होंगे। यह आयुर्वेद के फायदों और आधुनिक तकनीक के साथ इसके एकीकरण के प्रति जागरूकता फैलायेगा तथा आयुर्वेद के क्षेत्र में ज्ञान साझा करने, शोध सहयोग और व्यापार के अवसरों को बढ़ावा देगा। उत्तराखण्ड और भारत में आयुष क्षेत्र के विकास और प्रगति में योगदान देने में भी यह आयोजन मददगार रहेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में आयुष नीति के माध्यम से आयुष निर्माण, वेलनेस, शिक्षा, कृषि सेक्टर को गति प्रदान की जा रही है। देश की प्रथम योग नीति निर्माण का कार्य भी प्रगति पर है। जबकि राज्य में 03 नये 50 शैय्या युक्त आयुष चिकित्सालयों का निर्माण कार्य टिहरी /कोटद्वार/टनकपुर में किया जा रहा है। राज्य में आयुष आधारित 300 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की स्थापना पूर्ण की जा चुकी है। सभी आयुष अस्पतालों में टेलीमेडिसिन/पंचकर्म/ मर्म चिकित्सा इत्यादि सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। राज्य के 150 से अधिक आयुष चिकित्सालय छ।ठभ् ।बबतमकपजंजपवद प्राप्त कर चुके है।
इस अवसर पर मुख्य सचिव राधा रतूडी, सचिव रविनाथ रमन ने भी अपने विचार रखे। 10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के ट्रस्टी रजनीश पौराणिक द्वारा कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। कार्यक्रम का संचालन निदेशक आयुष विजय जोगदंडे ने किया।
उत्तराखंड को भाजपा सरकार ने बना दिया मदिरा प्रदेश
-प्रदेश में शराब में ओवर रेटिंग से हो रही जनता की खुली लूट
-कांग्रेस उपाध्यक्ष का सरकार पर बड़ा हमला
-प्रदेश में आबकारी विभाग माफिया के हवाले : सूर्यकांत धस्माना
देहरादून (एल मोहन लखेड़ा), पिछले विधानसभा चुनाव में अपने घोषणा पत्र में उत्तराखंड को धीरे धीरे मध्यनिषेध की ओर ले जाने का वायदा करने वाली प्रदेश की भाजपा सरकार ने देवभूमि उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश से मदिरा प्रदेश में तब्दील कर दिया है, पूरे प्रदेश में कदम कदम पर शराब की दुकान खोल दी गई है जिससे राज्य का युवा नौजवान बर्बाद हो रहा है और सरकार एक ओर अपना खजाना शराब की कमाई से भर रही है और भाजपा नेताओं व सरकार में शामिल ओहदेदारों की जेब शराब की ओवर रेटिंग की काली कमाई से भर रही है यह आरोप आज उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में लगाया। प्रदेश सरकार की आबकारी नीति पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि विदेशी शराब की दुकान थोक के भाव खोली जा रही हैं और अकेले देहरादून में अब तक रेगुलर टैंडर प्रक्रिया से खुलने वाली शराब की दुकानों के अतिरिक्त पैंसठ नई विदेशी शराब की दुकानें खोली जा चुकी हैं और पचास से ज्यादा नई दुकानें खोलने की तैयारी है जिसके लिए पंद्रह लाख रुपए लाइसेंस फीस के अलावा इतनी ही रकम रिश्वत के रूम में वसूली जा रही है।
धस्माना ने कहा कि प्रदेश की लगभग सभी देसी व अंग्रेजी शराब की दुकानों से शराब के निर्धारित दामों से अधिक पैसा ग्राहकों से वसूला जा रहा है।उन्होंने कहा कि प्रति माह देसी शराब की साढ़े तीन लाख पेटी शराब, अंग्रेजी की चार लाख पेटी व बियर की चार लाख पेटी की बिक्री होती है ।श्री धस्माना ने कहा कि पव्वे पर पांच, अधे पर दस और बोतल पर बीस रुपए निर्धारित रेट से अधिक वसूले जा रहे हैं और प्रति माह पच्चीस करोड़ रुपए ओवररेटिंग से अवैध तरीके से वसूले जा रहे हैं।
श्री धस्माना ने कहा कि पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश का एक शराब माफिया जिसे सत्ताधारी भाजपा सरकार के ओहदेदारों का संरक्षण प्राप्त है पूरे आबकारी विभाग को चला रहा है। श्री धस्माना ने कहा कि यह व्यक्ति जो ना तो सरकार का कोई ओहदेदार है ना ही शासन प्रशासन का कोई अधिकारी है वह आबकारी विभाग के अधिकारियों की तैनाती से लेकर एफ एल टू और शराब की हर नीति का निर्धारण कर रहा है। श्री धस्माना ने आरोप लगाया कि शराब की ओवर रेटिंग की कमाई की वसूली करने वाला यह व्यक्ति अगली शराब नीति में पुराने ठेकों को रिन्यूअल के नाम पर भी ठेकेदारों से भरी रकम वसल कर रहा है।
धस्माना ने कहा कि कांग्रेस प्रदेश के मुख्यमंत्री से यह मांग करती है कि राज्य में शराब की दुकानों पर ओवर रेटिंग पर तत्काल रोक लगाई जाए और शराब नीति को प्रभावित करने वाले व आबकारी विभाग पर अवैधानिक तरीके से हस्तक्षेप करने वाले व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
पर्यावरण गतिविधि ने प्रयागराज महाकुंभ के लिये भेजे 500 थैले एवं स्टील थाली
देशरादून, पर्यावरण गतिविधि द्वारा प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से आयोजित होने वाले महाकुंभ-2025 के लिए महानगर देहरादून से पहले चरण में सोमवार को 500 स्टील की थाली और 500 कपड़े के थैले प्रयागराज भेजे गए।
इस अवसर पर पर्यावरण गतिविधि के महानगर संयोजक डॉ. भवतोष शर्मा ने बताया कि पर्यावरण गतिविधि द्वारा पूरे देश से महाकुंभ में पर्यावरण के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए हर घर से “एक थैला- एक थाली” अभियान के अंतर्गत स्टील की थाली एवं कपड़े के थैले भेजे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि दिसंबर माह में देहरादून महानगर से कम से कम 5000 थाली और 5000 थाली भेजी जानी है । इसी कड़ी में आज पहले चरण में देहरादून के घर घर से एकत्र की गयी 500 थाली और 500 थैले प्रयागराज भेजे गए हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में हरिद्वार में आयोजित महाकुंभ में भी पर्यावरण गतिविधि द्वारा थैला अभियान लिया गया था जो बहुत सफल रहा था। इस अवसर पर गतिविधि के प्रांत सह संयोजक श्री चंदन बिष्ट जी ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक पॉलीथिन मुक्त कुम्भ हेतु थैला थाली अभियान चलाया गया है।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तराखंड के प्रांत प्रचार प्रमुख श्रीमान संजय जी ने कहा कि इस प्रयागराज महाकुंभ को हरित कुम्भ के रूप में मनाया जा रहा है तथा पर्यावरण गतिविधि द्वारा महानगर देहरादून एवं उत्तराखंड प्रांत में थैला थाली अभियान लिया गया है जो कि बहुत सराहनीय कार्य है। उन्होंने कहा कि इस अभियान को मिलकर सफल बनाना है जिससे प्रयागराज महाकुंभ में आने वाले लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं को प्लास्टिक पॉलीथिन के स्थान पर थाली और थैले का विकल्प उपलब्ध होगा और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
इस अवसर पर गतिविधि के प्रांत संयोजक और प्रख्यात पर्यावरणविद श्री सच्चिदानंद भारती जी ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि हवा, पानी, मिट्टी सब की रक्षा करने की दिशा में थैला थाली अभियान बहुत उपयोगी सिद्ध होगा।
इस अवसर पर दक्षिणी महानगर संयोजक श्री जगदंबा नौटियाल ने कहा कि महानगर में थैला थाली अभियान सफलता की ओर है। प्रोफेसर डॉ दीपक सेमवाल जी ने पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर बताया। इस अवसर पर सेवा भारती से श्री देव राज जी, प्रांत कार्यालय प्रमुख श्री सत्येंद्र रावत जी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
गढ़वाली, कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करे सरकार
नई दिल्ली, उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली द्वारा डीपीएमआई सभागार में रविवार एक दिवसीय गढ़वाली, कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए एक दिवसीय भाषा गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस आयोजन में सभी वक्ताओं ने कहा की सरकार को अबिलंब गढ़वाली, कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करना चाहिए।
उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली के संयोजक दिनेश ध्यानी ने कहा कि हम लगातार गढ़वाली, कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। हम अपनी भावी पीढ़ियों को उत्तराखण्ड के बाहर अपनी मातृ भाषा सिखा रहे हैं। हम इंग्लैंड में भी ऑनलाइन गढ़वाली कक्षाओं का आयोजन कर रहे हैं।
सुप्रसिद्ध समाजसेवी डॉ विनोद बछेती ने कहा कि कई बार देश का प्रधानमंत्री ने भी छेत्रीय भाषाओं के प्रचार, प्रसार व संरक्षण हेतु समाज को जागरूक किया है। इसलिए अब समय आ गया है कि सरकार हमारी वर्षों पुरानी मांग पर गौर करे।
गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी भाषा अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष मनबर सिंह रावत ने कहा की कोई भी समाज तभी विकसित कहलाता है जब उसकी भाषा, साहित्य भी समर्द्ध हो। इसलिए हमें गढ़वाली, कुमाउनी भाषाओं के संरक्षण हेतु काम करना होगा। इस दिशा में उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच, दिल्ली की पहल अनुकरणीय है।
भाषा, साहित्य के छेत्र में अहम योगदान देने वाले कुछ विशिष्ठ व्यक्तियों को सम्मानित भी किया गया। जिनमें गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी भाषा अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष मनबर सिंह रावत, बरिष्ठ समाजसेवी गजेन्द्र सिंह रावत, महेश चन्द्रा, ललित ढौंडियाल, रमन मधवाल, उत्तराँचल क्लब के अध्यक्ष सुरेन्द्र आर्य, बासुकी फाउंडेशन के चेयरमैन पी एन शर्मा, डीपीएमआई के चेयरमैन डा विनोद बछेती, न्यायाधीश भाष्करानंद कुकरेती, श्रीमती निर्मला नेगी, पत्रकार श्रीमती पूनम बिष्ट समेत कई साहित्यकार, समाजसेवी आदि का सम्मान किया गया।
इस अवसर पर इस आयोजन में उपस्थित रहने वाले साहित्यकारों, पत्रकारों व समाज के अग्रणी लोगों में प्रमुख साहित्यकार रमेश चन्द्र घिल्डियाल सरस, दिनेश ध्यानी , दर्शन सिंह रावत, जगमोहन सिंह रावत जगमोरा, जयपाल सिंह रावत, पी एन शर्मा, डा विनोद बछेती , श्री भाष्करानंद कुकरेती, श्रीमती निर्मला नेगी, सुरेन्द्र आर्य, उत्तराँचल क्लब ट्रस्ट, मनवर सिंह रावत, बृजमोहन वेदवाल , उमेश बन्दूणी, श्रीमती रिया शर्मा, गिरधारी रावत, पहाड़ी फ्रैश से मुरलीधर ढौंडियाल, जितेन्द्र सिंह रावत, अनिल कुमार पन्त, दीवान सिंह नेगी, शिवचरण सिंह रावत, योगराज सिंह रावत, इंद्रजीत सिंह रावत, प्रताप थलवाल, हरीश असवाल, श्रीमती पूनम बिष्ट, श्री सतेंद्र नेगी, बरिष्ठ पत्रकार द्वारका भट्ट, मंगल सिंह नेगी आदि उपस्थित थे।
किसानों को दिखाए गए सपनों पर पानी फिरने से छाई निराशा, एग्रो प्रोसेसिंग कलस्टर सेंटर का निर्माण आज भी आधा अधूरा
नैनबाग (शिवांश कुंवर), राज्य बने दो दशक से भी ज्यादा समय बीत गया, पर्वतीय क्षेत्रों में विकास के साथ स्थानीय किसानों के लिये बनी योजनायें कितनी घरातल पर उतरी और वाकई किसानों का उत्पाद बढ़ा, यह बात बानगी सी लगती है, हम बात कर रहे हैं ब्लाक जौनपुर के अंतर्गत कैम्टी के ग्राम नौथा के किसानों की, यहां किसानों के उत्पादन बढ़ाने को लेकर 10 एकड़ भूमि पर 23.41 करोड की लगात से एग्रो प्रोसेसिंग कलस्टर सेंटर का निर्माण किया जाना था । जो कि प्रदेश का पहला एग्रो प्रोसेसिंग कलस्टर 5 साल बीतने के बाद भी आज भी आधा -अधूरा से क्षेत्र के किसानों को दिखाए गए सपनों पर पानी फिरने से निराशा छाई हुई है ।
पर्यटक स्थल कैम्टी के ग्राम नौथा में वर्ष 2018 में कृषि विभाग ने 10 हैक्टर भूमि पर केन्द्र सरकार द्वारा 23.41 करोड की लागत एग्रो प्रोसेसिंग कलस्टर की मंजूरी दी । जिसमें क्षेत्र के लगभग 6 हजार लोगों को रोजगार मिलने की संभावना थी, जिसमें सरकार द्वारा कलस्टर का नाम श्री देव सुमन एग्रो प्रोसेसिंग कलस्टर रखा गया ।
वर्ष 2019 में प्रदेश कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने विधिवत उद्घाटन कर क्षेत्र के किसानो को कृषि के क्षेत्र में एक सौगात दी थी ।
उद्घाटन के बाद कुछ निर्माण कार्य आरसी बीम व एक टीन सेट सहित ढांचा खड़ा कर दिया है ,जो की पांच के अंतरल में जंग लगने से खस्ताहाल की कगार पर पहुंच गया है ।
जबकि 10 एकड़ भूमि पर चारो ओर बड़ी-बड़ी झाड़ी होने के चलते जंगली जानवरों का खतरा आए दिन बना हुआ है, जिस पर ग्राम नौथा के सहित आस पास की ग्रामीण में भारी दहशत बनी हुई है ।
प्रदेश का पहला एग्रो प्रोसेसिंग कलस्टर सेन्टर में कृषि उत्पादों का खाद्य प्रसंस्करण, कोल्ड स्टोर कलेक्शन सेंटर जैसे आदि सुविधा का लाभ क्षेत्र के लगभग 50 किमी के दायरे के किसानों को इस का मिलना था । जिसमें किसानो से कंपनियां कृषि उत्पादो कच्चा माल के रूप में खरीद कर उत्पादो को कलस्टर स्तर पर प्रोसोसिंग किया जाना था ।
इसके अलाव कलस्टर में कंपनीयों की ओर से छह अलग अलग प्रसंस्करण इकाई स्थापित की जानी थी और किसानो के सामाने मार्केटिग की समस्या न होने पर घर बैठे किसानो को अच्छे दाम मिलने की योजना थी । लेकिन सरकार द्वारा किए गए बड़े-बड़े दावे 5 साल बीतने के बाद आज धरातल पर 10 एकड़ भूमि पर मात्र झाड़ी बनाकर पीसकर शो पीस बना हुआ है । जिससे स्थानीय जनता में भी भारी आक्रोश है ।
प्रधान सुन्दर सिंह रावत का कहना है कि सरकार द्वारा करोड रुपये खर्च कर आधा – अधुरा खडा स्ट्रक्चर जंग से खस्ताहाल बना हुआ है। और क्षेत्र के किसानो की उद्घाटन के समय लुभाने वालें दावे मात्रा हवाई साबित हुए है। जिससे कलस्टर का कोई लाभ किसानो को नही मिल रहा है।
स्थानीय किसान संसार सिंह राणा का कहना है कि विगत पांच सालों से 10 हैक्टर भूमि पर कुछ निर्माण कर के बाद झांडी का जंगल बना हुआ है। जिसमें ग्रामीण के सामने बाघ -भालू आदि जानवरों के खतरे की दहशत बनी हुई है। इस स्थान पर हुआ निर्माण से सरकार के धन का दुर्पयोग हो रहा है। जिस पर शीघ्र ही कलस्टर के निर्माण की मांग की है ।
मंडी समिति के उप महाप्रबंधक अनिल सैनी का कहना है कि केंद्र सरकार से धनराशि उपल्बध न होने से निर्माण रुका हुआ है। जिसमें प्राक्कलन पुनः प्रेषित कर धनराशि प्राप्त होने पर कार्य किया जायेगा ।
पुलिस की वर्दी पहनकर महिला ने यू ट्यूब पर डाला वीडियो, पुलिस ने ऐसे सिखाया सबक
हल्द्वानी, जनपद नैनीताल के कालाढूंगी की एक महिला ने अमेजान से उत्तराखंड पुलिस की वर्दी मंगवाई और उसे पहन कर यू ट्यूब और इंस्टाग्राम के लिए आपत्तिजनक वीडियो तैयार करके पोस्ट कर दिए। पुलिस को जानकारी मिली तो महिला को तुरंत थाने में तलब किया गया। और वीडियो डिलीट कराने के अलावा महिला अपने कृत्य के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मंगवाई गई।
दरअसल नैनीताल पुलिस के सोशल मीडिया सेल को जानकारी मिली थी कि कालाढूंगी की एक महिला ने उत्तराखंड पुलिस की वर्दी पहनकर आपत्तिजनक कंटेट यूट्यूब व इंस्टाग्राम पर अपलोड किया है। इस जानकारी पर महिला को कालाढूंगी थाने में तलब किया गया और उससे यू ट्यूब और इंस्टाग्राम पर डाले गए वीडियोज को डिलीट करवाया गया। महिला ने बताया कि उसने उत्तराखंड पुलिसकी वर्दी व स्टार आदि अमेजान से मंगवाए थे।
ऐसे वीडियो जारी करने केपीछे उसका आशय जल्द फेमस होना और पैसा कमाना था, लेकिन यहीं उसके लिए मुसीबत साबित हुआ।
नैनीताल के एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा के अनुसार सोशल मीडिया पर फेमस होने के लिए गलत कंटेंट और अनुचित तरीकों का सहारा लेने वालों के खिलाफ लगातार सख्त कार्यवाही की जा रही है। नैनीताल पुलिस की सोशल मीडिया सेल पूरी तरह सतर्क है और ऐसे गतिविधियों पर पैनी नजर रख रही है।
महिला द्वारा उत्तराखंड पुलिस की वर्दी पहनकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यूट्यूब पर अश्लील शब्दों के साथ वीडियो बनाकर डाले गए थे। महिला के खिलाफ कालाढूंगी पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।
एसएसपी नैनीताल की आम जनता से अपील :
कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया पर इस प्रकार की अवैध गतिविधियों में शामिल न हो, जिससे पुलिस विभाग या किसी अन्य सरकारी संस्था की छवि धूमिल हो। ऐसे मामलों में कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण को गैप एनालिसिस पर हुआ महामंथन
विभागीय मंत्री डॉ. रावत की अध्यक्षता में कई बिन्दुओं पर बनी सहमति
उच्च स्तरीय बैठक में वित्त व कार्मिक विभाग के अधिकारी भी रहे मौजूद
देहरादून, प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के सुधारीकरण को लेकर आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा के उपरांत जरूरी मांगों पर कार्मिक व वित्त विभाग ने भी अपनी सहमति व्यक्त की। जिसके तहत राजकीय मेडिकल कॉलेजों एवं राजकीय चिकित्सालयों के गैप एनालिसिस में उजागर कामियों को दूर किया जायेगा। जिसमें मेडिकल फैकल्टी के साथ ही विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती, कुशल पैरामेडिकल व नर्सिंग स्टॉफ की तैनाती भी शामिल है। साथ ही आवश्यकतानुसार आउटसोर्स के पदों के सृजन पर भी सहमति जताई गई है।
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में आज सचिवालय स्थित मुख्य सचिव सभागार में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक हुई। जिसमें दोनों विभागों द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं में सुधारीकरण को लेकर किये गये गैप एनालिसिस का पॉवर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण दिया गया। जिसमें मेडिकल कॉलेजों में संकाय सदस्यों के समयबद्ध पदोन्नति एवं स्थानांतरण की नीति बनाये जाने, सुपर स्पेशिलिस्ट चिकित्सकों को एम्स के बराबर वेतनमान दिये जाने, एसआर व जेआर के मानदेय में बढ़ोत्तरी किये जाने, पर्याप्त आवास एवं सुसज्जित ट्रॉजिट हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग रखी गई। साथ ही सभी पीजी छात्रों के लिये नई बॉण्ड पॉलिसी के तहत पीजी के उपरांत प्रदेश में दो साल की अनिवार्य सेवा की मांग रखी गई है। राजकीय मेडिकल कॉलेजों के सफल संचालन के लिये कुशल पैरामेडिकल स्टॉफ की तैनाती, नर्सिंग व पैरामेडिकल छात्रों के लिये वजीफे की व्यवस्था तथा आउटसोर्स के माध्यम से आवश्यकतानुसार पदों का सृजन एवं कार्मिकों के क्षमता निर्माण हेतु नीति बनाये जाने की बात रखी गई। इसके अलावा राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर अल्पावधि प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिये वित्तीय सहायता की मांग की गई ताकि संबंधित कार्मिकों को महंगे उपकरणों की हैण्डलिंग, कीटाणुशोधन एवं प्रबंधन के प्रशिक्षण हेतु राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों में भेजा जा सके।
इसी प्रकार स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत विशेषज्ञ संवर्ग का गठन करते हुये चिकित्सा शिक्षा विभाग की तर्ज पर पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिये वेतनमान का 50 फीसदी विशेष भत्ता स्वीकृत किये जाने तथा सभी चिकित्साधिकारियों को वाहन भत्ता दिये जाने की मांग रखी गई। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग में 60 वर्ष की आयु के उपरांत मुख्य परामर्शदाता के रूप में अपनी सेवाएं देने वाले विशेषज्ञ चिकित्सकों का वेतनमान निर्धारित किये जाने की भी पुरजोर मांग की गई। बैठक में स्पेशल डायनमिक एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन (एसडीएसीपी) योजना के लाभ से वंचित चिकित्सकों को शिथिलीकरण दिये जाने की भी मांग रखी गई।
बैठक में अपर मुख्य सचिव कार्मिक व वित्त आनंद वर्द्धन, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के चैयरमैन अरविंद सिंह ह्यांकि, सचिव स्वास्थ्य आर. राजेश कुमार, सीईओ एसएचए व अपर सचिव स्वास्थ्य आनंद श्रीवास्तव, अपर सचिव स्वास्थ्य स्वाति भदौरिया, अनुराधा पाल, नाममि बंसल, अपर सचिव वित्त गंगा प्रसाद, अमिता जोशी, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. तारा आर्य, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. आशुतोष सयाना, दून मेडिकल कॉलेज डॉ. गीता जैन, प्राचार्य श्रीनगर मेडिकल कॉलेज प्रो. सीएमएस रावत, प्राचार्य हरिद्वार मेडिकल कॉलेज प्रो. रंगील सिंह रैना, निदेशक स्वास्थ्य डा. सुनीता टम्टा, अपर निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. आर.एस. बिष्ट सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।
आज सचिवालय में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की महत्वपूर्ण बैठक हुई। जिसमें दोनों विभागों ने गैप एनालिसिस पर अपना प्रस्तुतिकरण दिया। विस्तृत चर्चा के उपरांत स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा के सुदृढ़ीकरण को लेकर कई बिन्दुओं पर वित्त व कार्मिक विभाग की सहमति के साथ ही अहम निर्णय लिये गये। जिनके शीघ्र क्रियान्वयन के लिये अधिकारियों को निर्देशित किया गया। –
डॉ. धन सिंह रावत, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री, उत्तराख्ांड।
रिन्यू ने बांटे उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में 50 हजार से अधिक कंबल
रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक सार्वजनिक बैठक के लिए चंद्रपुरी, रुद्रप्रयाग में स्यालसोर ग्राउंड में रिन्यू की साइट का दौरा किया।
इस कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने रिन्यू के उपहार गर्मजोशी कार्यक्रम में हाथ मिलाते हुए जरूरतमंद लोगों को कंबल वितरित किये।
कार्यक्रम में उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में रुद्रप्रयाग विधायक भरत चौधरी, केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल, सीडीओ रुद्रप्रयाग पी.खाती और एसपी रुद्रप्रयाग अक्षय कोंडे शामिल थे।
अब तक, अपनी गिफ्ट वार्मथ पहल के हिस्से के रूप में, रिन्यू ने उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में 50,000 से अधिक कंबल वितरित किए हैं, जिनमें रुद्रप्रयाग, उखीमठ, गुप्तकाशी, गौरीकुंड मनसोना, जखोली, सोनप्रयाग, चमोली, चोपता शामिल हैं। इस वर्ष, रिन्यू ने उत्तराखंड में अतिरिक्त 15,000 कंबल वितरित करने का लक्ष्य रखा है।
निर्धारित समय पर पूरे होंगे कार्य – चौहान
हरिद्वार ( कुलभूषण) जल संस्थान हरिद्वार द्वारा जनहीत मे विभागीय स्तर पर स्वीकृत सभी योजनाओं को मार्च 2025 तक पूरा कर लिया जायेगा।जिससे की जनपद की जनता को योजनाओ का लाभ मिल सके।यह कहना है जनपद हरिद्वार जल संस्थान के अधिशासी अभियंता विपिन कुमार चौहान का उन्होंने भेटवार्ता मे जानकारी देते हुए बताया कि जनपद के छह ब्लाक मे 156 गांवो में 84,500 परिवार है।जिन्हें हर घर नल योजना के अन्तर्गत पीने के पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।जिसमें से अभी तक 77,533 परिवारो को कनेक्शन उपलब्ध करा दिये गये है।शेष पर कार्य जारी है।उन्होंने बताया की विभाग हेतु विभिन्न 136 पेयजल योजनाए स्वीकृत है। जिसमें से 95 पूरी हो गयी है।
जल संस्थान के अधिशासी अभियंता ने दी विभागीय कार्यों की जानकारी
जनपद के विभिन्न नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में 117 नलकूपो में से 103 का कार्य पूर्ण हो चुका है।साथ ही 111ओवर हैड टैंक स्वीकृत है जिसमें से विभिन्न क्षेत्रो में 92 का कम पूरा हो गया है।जनपद मे 975 कि.मी.पानी की लाईन डाली जानी है।जिसमे से 796 कि.मी. लाईन डाली जा चुकी है। शेष कार्य मार्च 2025 तक पूरे कर लिए जायेंगे।
उन्होंने बताया की नलकूपो को लगाये जाने के काम भूमि की उपलब्धता न होने के चलते समस्या आयी जिसे ग्राम सभा स्तर से नलकूप लगाये जाने के लिये भूमि उपलब्ध कराकर समस्या का निस्तारण कराया गया।योजना कार्यो के चलते रोड कटिंग मरम्मत का कार्य सम्बंधित क्षेत्र मे कार्य सम्पन्न होने के बाद अंतिम चरण मे कराया जाता है।जिसमें इस कार्य मे समय लगता है। विभिन्न क्षेत्रों मे रोड रिपेयरिंग का कार्य भी तेजी से कराया जा रहा है।
उन्होंने बताया की विभाग द्वारा समय समय पर साल मे दो बार मानसून शुरू होने से पहले व उसके के बाद विभाग द्वारा बनाई गई पानी की टंकीयो की सफाई का कार्य कराया जाता है।
उन्होंने बताया की विभाग द्वारा जनपद स्तरीय नई पानी की जांच करने हेतु एन.ए.बी.एल लैब का निर्माण जिला मुख्यालय पर कराया जा रहा है। जहां पर समय समय पर पानी के नमूनों की जांच का कार्य किया जायेंगा। विभागीय नमूनों की जांच के अलावा विभिन्न नीजी संस्थाए भी सरकार द्वारा निधार्रित शुल्क देकर अपने यहां निकले पानी की जांच करा सकेंगे।
हेरिटेज एविएशन ने शुरू की पिथौरागढ़-अल्मोड़ा हेलीकॉप्टर सेवा
पिथौरागढ़, हेलीकॉप्टर सेवाओं में अग्रणी हेरिटेज एविएशन ने पिथौरागढ़-अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ मार्ग पर दैनिक हेलीकॉप्टर सेवाओं की शुरुआत की है। यह पहल उत्तराखंड के दूरस्थ और सुंदर क्षेत्रों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करते हुए क्षेत्रीय यात्रा का अनुभव बदलने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
नए सेवा मार्ग का उद्देश्य निवासियों और पर्यटकों के लिए तेज़, आरामदायक और कुशल यात्रा विकल्प प्रदान करना है, जो उत्तराखंड के सुरम्य दृश्यों का अनोखा हवाई अनुभव भी प्रदान करेगा। इस सेवा से यात्रा का समय काफी कम होगा, जिससे क्षेत्रीय पर्यटन और स्थानीय आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
पिथौरागढ़, मुनस्यारी, और चंपावत के बाद अब अल्मोड़ा भी हेरिटेज एविएशन के नेटवर्क में शामिल हो गया है। इस मार्ग पर प्रतिदिन दो उड़ानें 7-सीटर हेलीकॉप्टर के जरिए संचालित की जाएंगी। हेरिटेज एविएशन उड़ान योजना के तहत हेलीकॉप्टर द्वारा क्षेत्रीय संपर्क सेवाएं प्रदान करने वाली एकमात्र निजी कंपनी है।
हेरिटेज एविएशन के सीईओ और प्रबंध निदेशक रोहित माथुर ने कहा, “हम उत्तराखंड के सभी प्रमुख स्थानों और कस्बों को हेलीकॉप्टर सेवा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जल्द ही हम देहरादून-बागेश्वर, हल्द्वानी-बागेश्वर और देहरादून-नैनीताल जैसे मार्गों पर भी दैनिक उड़ानें शुरू करेंगे। इन सेवाओं का किराया किफायती रखा गया है ताकि अधिक से अधिक स्थानीय लोग इसका लाभ उठा सकें।”
अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ मार्ग का किराया मात्र ₹2,500 प्रति व्यक्ति तय किया गया है। यात्री अपनी बुकिंग कंपनी की वेबसाइट www.airheritage.in पर कर सकते हैं।
अगले 2 से 3 वर्षों में देश में तेजी से घटेगी लॉजिस्टिक्स की लागत : नितिन गडकरी
नई दिल्ली। केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के कहा कि सरकार का लक्ष्य अगले दो-तीन वर्षों में देश में लॉजिस्टिक्स लागत को एकल अंक तक लाना है, जो फिलहाल दोहरे अंक में है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, भारत में मौजूदा समय में लॉजिस्टिक्स लागत 14 से 16 प्रतिशत के बीच है। यह अगले दो से तीन वर्षों में घटकर 9 प्रतिशत हो जाएगी। इससे भारत की आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता में काफी सुधार होगा।
सरकार ने लॉजिस्टिक्स सेक्टर की समास्याओं को दूर करने के लिए कई रणनीतिक नीतियां शुरू की हैं, जिसमें प्रधानमंत्री गति शक्ति-राष्ट्रीय मास्टर प्लान (पीएमजीएस-एनएमपी) और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी) शामिल हैं।
मुंबई में हुए एक इवेंट में केंद्रीय मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि हमें हाइड्रोजन को एक भविष्य के ईंधन के तौर पर देखने की आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने हाइड्रोजन और सीएनजी के उत्पादन के लिए बायोमास और बायोडाइजेस्टर टेक्नोलॉजी की क्षमता के बारे में लोगों को अवगत कराया।
मंत्री ने कहा कि भारत अगले 10 वर्षों में वैकल्पिक और जैव ईंधन के मामले में भी दुनिया का नेतृत्व करेगा।
वर्तमान में कुल टोल आय 52,000 करोड़ रुपये है। दो साल के भीतर यह आय 1.4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।
गडकरी ने ‘सीएनबीसी-टीवी18 इंडिया बिजनेस लीडर अवार्ड्स’ कार्यक्रम में कहा, हम ग्रीन एक्सप्रेस हाईवे बना रहे हैं और फंडिंग को लेकर कोई समस्या नहीं है, क्योंकि हम जो भी प्रोजेक्ट शुरू करते हैं, वह आर्थिक रूप से व्यवहार्य होता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, हमें 2.8 लाख करोड़ रुपये के बजट के रूप में वित्त मंत्रालय से भी मजबूत सपोर्ट मिला है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पानी, बिजली, परिवहन और संचार जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को प्राथमिकता दी है।
यूपीआई की पहुंच बढऩे से पहली बार लोन लेने वाले लोगों की संख्या में हो रहा इजाफा
नई दिल्ली, । देश में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) की पहुंच बढऩे से पहली बार लोन लेने वाले लोंगों की संख्या में इजाफा हो रहा है। यह जानकारी एक रिसर्च पेपर में दी गई।
आईआईएम और आईएसबी के प्रोफेसर्स द्वारा तैयार किए गए पेपर में कहा गया कि 2016 में लॉन्च हुए यूपीआई से देश के फाइनेंशियल सेक्टर में बड़ा बदलाव लाया है। पिछले साल अक्टूबर तक इससे 30 करोड़ से ज्यादा लोग और 5 करोड़ से ज्यादा मर्चेंट्स इससे जुड़े हुए थे। भारत में होने वाले कुल रिटेल डिजिटल लेनदेन में से 75 प्रतिशत यूपीआई के माध्यम से किए जा रहे हैं।
स्टडी में आगे कहा गया कि इस छोटी अवधि में यूपीआई ने देश के फाइनेंशियल सिस्टम पर बड़ा असर डाला है और इसका इस्तेमाल रेहड़ी-पटरी वालों से लेकर बड़े शॉपिंग मॉल में किया जा रहा है।
पेपर के मुताबिक, यूपीआई के जरिए वचिंत लोगों तक सेवाओं का विस्तार करने में मदद मिली है, जिसमें सबप्राइम और पहली बार औपचारिक लोन लेने वाले लोग भी शामिल है।
पेपर में कहा गया,जिन इलाकों में यूपीआई की पहुंच काफी ज्यादा है। वहां पहली बार लोन लेने वाले लोगों की संख्या 4 प्रतिशत और सबप्राइम उधारकर्ताओं की संख्या में 8 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इसके अतिरिक्त इन इलाकों में फिनटेक लोन का औसत साइज 27,778 रुपये है, जो कि ग्रामीण मासिक खर्च से करीब 7 गुणा ज्यादा है।
लेखकों ने कहा कि यूपीआई की पहुंच के कारण फिनटेक लोन कंपनियों ने तेजी से विस्तार किया, जिससे उनके लोन की वॉल्यूम में 77 गुना की बढ़ोतरी हुई है और छोटे, वंचित उधारकर्ताओं को लोन देने के मामले में वे पारंपरिक बैंकों से कहीं आगे हैं। साथ ही कहा कि देश में यूपीआई को तेजी से अपनाने के पीछे एक बड़ा कारण किफायती इंटरनेट का होना है।
लेखकों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यूपीआई अपनाने से लोन वृद्धि में काफी बढ़त मिली है। यूपीआई लेनदेन में 10 प्रतिशत की वृद्धि से लोन उपलब्धता में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो दिखाता है कि कैसे वित्तीय इतिहास ने लोन कंपनियों को उधारकर्ताओं का बेहतर मूल्यांकन करने में सक्षम बनाया है।
पेपर में इस बात भी जोर दिया गया कि लोन बढऩे के बावजूद भी डिफॉल्ट रेट में इजाफा नहीं हुआ है, जो दिखाता है कि यूपीआई लेनदेन से जुड़े डेटा ने फिनटेक कंपनियों को जिम्मेदारी के साथ विस्तार करने में मदद की है।
००