Saturday, May 24, 2025
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चाइल्ड फ्रेंडली सिटी प्रोजेक्ट के तहत पांच सड़कों पर दोगुनी होगी फुटपाथ की चौड़ाई

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देहरादून, उत्तराखंड़ की राजधानी दून में चाइल्ड फ्रेंडली सिटी प्रोजेक्ट के तहत पांच मुख्य सड़कों के फुटपाथ का चौड़ीकरण होगा। इनका सौंदर्यीकरण भी होगा।

फुटपाथों की चौड़ाई करीब दोगुनी हो जाएगी। इसके लिए देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड की टीम ने सर्वे से जुड़ा काम पूरा कर लिया है। एजेंसी नामित होने के साथ आगे टेंडर जारी किए जाएंगे। योजना पर करीब 58 करोड़ रुपये का बजट खर्च होना है। फुटपाथों की चौड़ाई न्यूनतम 1.8 मीटर रहेगी। कहीं-कहीं इससे ज्यादा भी फुटपाथ चौड़े बनेंगे। स्कूल से आने-जाने के दौरान छात्र बोर न हों, इसके लिए दीवारों पर उनके सीखने के लिए चित्रकारी की जाएगी। पहले चरण में चकराता रोड, राजपुर रोड, गांधी रोड, तिलक रोड और ईसी रोड के फुटपाथ में काम होगा। फुटपाथों पर होर्डिंग व्यवस्थित तरीके से लगवाए जाएंगे और बच्चों के लिए बैठने के भी इंतजाम होंगे। पर्यावरण एवं सामाजिक नोडल अधिकारी स्मार्ट सिटी लिमिटेड नेहा डोभाल ने बताया कि प्रोजेक्ट का एक उद्देश्य यह भी है कि लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। पैदल आने-जाने के दौरान कोई दिक्कतें पेश न आएं। स्मार्ट सिटी के सीईओ डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि चाइल्ड फ्रेंडली सिटी प्रोजेक्ट को लेकर छात्रों, अभिभावकों, व्यापारियों, आम लोगों ने भी अपने सुझाव दिए हैं।

टिहरी बाई पास लक्ष्मणपुरी क्षेत्र में कार गिरी, लेकिन कार सवार नहीं मिले

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मसूरी। गत रात्रि एक पर्यटकों की कार अनियंत्रित होकर टिहरी बाई पास रोड लक्ष्मणपुरी क्षेत्र में गिर गई। लेकिन कार सवार किसी को चोट नहीं आयी व वे कार छोड कर चले गये।
गत रात्रि पर्यटकों की एक कार संख्या डीएल 1 सीटी 3896 टिहरी बाई पास रोड लक्ष्मण पुरी क्षेत्र में रात को गिर गई। गाड़ी गिरने की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची तो कार में कोई नहीं मिला। पुलिस ने पूरे क्षेत्र में खोज बीन की लेकिन कोई भी कार के आस पास नहीं मिला। जिस पर पुलिस सुबह भी मौके पर गई लेकिन तब भी कोई कार की सुध लेने नहीं आया तथा कार वहीं खडड में पड़ी है। पुलिस सूचना मिलने पर मौके पर गई व पूरे क्षेत्र में कार सवारों की खोजबीन की लेकिन कोई नहीं मिला उसके बाद सुबह भी पुलिस मौके पर गई लेकिन कोई कार देखने भी नहीं आया। जिस कारण कार गिरने के कारण का पता नहीं लग सका न ही कार सवारों का अभी तक कोई पता चल पाया है। पुलिस कार सवारों का पता लगाने का प्रयास कर रही है। इससे ऐसा लगता है कि कार सवार सुरक्षित हैं तथा कार को छोड कर चले गये।

 

मसूरी गर्ल्स एनएसएस सात दिवसीय शिविर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ शुरू

मसूरी। मसूरी गर्ल्स इंटर कालेज राष्ट्रीय सेवा योजना का सात दिवसीय शिविर का शुभारंभ आरएन भार्गव इंटर कालेज में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ शुरू हो गया। इस सात दिवसीय शिविर में एनएसएस की छात्राएं शराब मुक्त उत्तराखंड व संस्कार युक्त उत्तराखंड के तहत समाज सेवा व जन जागरूकता का कार्य करेंगी।
आरएन भार्गव इंटर कालेज में मसूरी गर्ल्स इंटर कालेज एनएसएस शिविर का शुभारंभ करते हुए बतौर मुख्य अतिथि आरएन भार्गव इंटर कालेज के प्रधानाचार्य अनुज तायल ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना का कार्य सेवा करने के साथ ही अनुशासन सिखाता है जिसके तहत स्वयं सेवक राष्ट्र निर्माण के साथ ही चरित्र निर्माण की दिशा में कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार नशा मुक्त व संस्कार युक्त थीम के अंर्तगत कार्य करना है और इसमें छात्राएं अहम भूमिका निभा सकती हैं। उनके द्वारा किए गये प्रयास सार्थक हो सकते हैं।May be an image of 4 people and people standing

उन्होंने स्वयं सेवकों का आहवान किया कि वह इन सात दिनों में एनएसएस की गतिविधियों से रूबरू होने के साथ ही समाज को जागरूक करने का कार्य करेंगे। इस मौके पर एसआई विनय शर्मा ने कहा कि समाज में जो कार्य छात्राएं कर सकती हैं वह छात्र नहीं कर सकते। क्यों कि उनमें सीखने के जज्बे के साथ ही आत्म विश्वास व नेतृत्व की क्षमता होती है। उन्होंने कहा कि इस शिविर में छात्राएं निश्चित ही समाज को नशे से दूर रखने व संस्कार को ग्रहण करने का कार्य करेंगी व आने वाले समय मंे देश व अपने परिवार का नाम रौशन करेंगी। कार्यक्रम में विद्यालय के प्रबंधक मनोज शैली ने छात्राओं का आहवान किया कि वे इस एनएसएस शिविर के माध्यम से समाज की बुराइयों के प्रति जागरूक करने का कार्य करेंगी। विद्यालय की प्रधानाचार्या अनीता डबराल ने शिविर में प्रतिभाग करने वाली छात्राओं को बधाई दी व कहा कि यह शिविर सफल रहेगा व जो थीम दी गई है उसका पालन करते हुए समाज को जगाने का कार्य करेंगी। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही समाज में स्वच्छता को बढाने, नारी शक्ति को आगे बढाने, आदि का कार्य करेंगी। इस मौके पर उन्होंने आरएन भार्गव इंटर कालेज के प्रधानाचार्य का एनएसएस शिविर के लिए विद्यालय का कक्ष देने के लिए आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम को क्षेत्र की सभासग जसोदा शर्मा ने भी संबोधित किया व कहा कि इस शिविर के माध्यम से छात्रा स्वयंसेवक अच्छा कार्य करेंगी व परिवार से दूर एक साथ रहकर निश्चित की समाज को दिशा देने का कार्य करेंगी।

इस मौके पर एक स्वयं सेवक छात्रा ने एनएसएस के क्रिया क्लापों की विस्तार से जानकारी दी। वहीं एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी शकुंतला पुरोहित ने बताया कि सात दिवसी विशेष शिविर में नशा मुक्त व संस्कार युक्त उत्तराखंड थीम के साथ ही स्वच्छता व समाज की अन्य बुराइयों को समाप्त करने, प्लास्टिक उन्मूलन, साक्षरता, स्लोगन, नारी शिक्षा आदि पर भी समाज को जागरूक करेंगी वहीं शहर में नुक्कड़ नाटक व रैली के माध्यम से भी समाज को जगाने का कार्य करेंगी। इस मौके पर अध्यापिका नीलम चौहान ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम का मुख्य अतिथि एवं अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वतिल कर किया गया तथा एनएसएस की छात्राओं ने सरस्वती वंदना, स्वागत गान के साथ ही मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।

विज्ञान धाम साप्ताहिक विज्ञान उत्सव और विज्ञान प्रदर्शनी का उद्घाटन

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देहरादून,आजादी का अमृत महोत्सव के अन्तर्गत उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद यूकॉस्ट, विज्ञान धाम में साप्ताहिक विज्ञान उत्सव के उद्घाटन सत्र का आयोजन किया गया । यह साप्ताहिक कार्यक्रम संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, विज्ञान प्रसार (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग), नेशनल अकेडमी ऑफ़ साइंसेज उत्तराखंड अध्याय और यूकॉस्ट के सहयोग से 22 से 28 फरवरी 2022 तक मनाया जायेगा इसकी मुख्य थीम है “विज्ञान सर्वत्र पूज्यते”।

कार्यक्रम की शुरुआत विज्ञान प्रदर्शनी के उद्घाटन से हुई जो सप्ताह भर चलेगी। इस विज्ञान प्रदर्शनी में विभिन्न वैज्ञानिक संस्थान, पुस्तक प्रकाशक, सरकारी और गैर सरकारी शिक्षण एवं शोध संस्थानों ने प्रतिभाग किया और अपने कार्य से सबको अवगत कराया ।
पदम् श्री प्रोफेसर आर सी सोबती (पूर्व कुलपति पंजाब विश्वविद्यालय) इस उद्घाटन सत्र के मुख्य अथिति रहे। डॉ डी पी उनियाल, संयुक्त निदेशक ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन वैज्ञानिक चेतना के विस्तार के लिए बहुत आवश्यक होते हैं। डॉ डोभाल ने कहा की विद्यार्थियों को किताबें पढ़नी चाहिए और वैज्ञानिको की जीवनशैली का अध्ययन करना चाहिए। अपने उद्बोधन में उन्होंने विज्ञान संचार और विज्ञान लोकव्यापीकरण के महत्व पर बात की। अपने व्याख्यान में मुख्य अतिथि प्रोफेसर सोबती ने जैव चिकित्सा विज्ञान का प्रौद्योगिकीकरण पर विस्तृत व्याख्यान दिया गया। उन्होंने जीन एडिटिंग, जैव विविधता, पारम्परिक पद्धतियां और विज्ञान के अध्ययन और महत्व पर बात की। प्रोफेसर ऐ ऐन पुरोहित ने अपने व्याख्यान में कहा कि विज्ञान सर्वत्र प्रयोगते का हम पालन कर रहे हैं और शिक्षण संसथान विज्ञान के केंद्र होने चाहिए। इस अवसर पर डॉ राजेंद्र डोभाल, महानिदेशक यूकॉस्ट , डॉ ऐ. ऐन. पुरोहित (पूर्व कुलपति गढ़वाल विश्वविद्यालय), डॉ बी आर अरोरा ( पूर्व निदेशक वडिआ इंस्टिट्यूट ऑफ़ हिमालयन जियोलॉजी ), यूकॉस्ट और बायोटेक कॉउन्सिल का समस्त स्टाफ, वैज्ञानिक और विभिन्न शिक्षण संस्थाओं डी आई टी , ग्राफ़िक एरा , बी ऍफ़ आई टी आदि के शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित रहे । यह कार्यक्रम उत्तराखंड में देहरादून, श्रीनगर और हरिद्वार में आयोजित किया गया जिसमे राज्य के विभिन्न स्थानों से लगभग 250 छात्र और छात्राओं ने ऑनलाइन और ऑफलाइन (हाइब्रिड) मोड से प्रतिभाग किया । उद्घाटन सत्र में विज्ञान सम्बन्धी एक फिल्म की स्क्रीनिंग का आयोजन भी किया गया । डॉ अपर्णा शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी, यूकोस्ट, देहरादून ने सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों का धन्यवाद दिया।

उदयपुर के रा.मा.विद्यालय महाराज की खेड़ी में विज्ञान मेले का हुआ आयोजन, सैकड़ों विद्यार्थियों ने लिया भाग

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कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि बी. एच बाफना और सभी अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया. वहीं, आर.के चतुर ट्रस्टी कोठारी संस्थान ने सभी सभी अतिथियों का किया स्वागत

(चन्दन सिंह बिष्ट)

वल्लभनगर /उदयपुर, अगस्तया इंटरनेशनल फाऊंडेशन ने राजस्थान के राजकीय माध्यमिक विद्यालय महाराज की खेड़ी में डॉ डी.एस कोठारी शोध एवं शिक्षा संस्थान उदयपुर एवं प्रौद्योगिकी विभाग नई दिल्ली के सहयोग से समाधान जन सेवा एवं शिक्षा प्रसार समिति द्वारा एकदिवसीय विज्ञान जागरूकता मेले का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में भौतिकी व जीव विज्ञान से संबंधित मॉडलों को प्रस्तुत किया गया जिसमें पार्श्व शिफ्ट, एक वस्तु 11 छवि, , स्थितिज ऊर्जा का गतिज ऊर्जा में रूपांतरण, युग्मित पेंडुलम, अनुनाद आदि मॉडल प्रस्तुत किए गए और अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें 40 से अधिक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. आज एकदिवसीय विज्ञान जागरूकता मेले का समापन समारोह आयोजित किया गया. कार्यक्रम में प्रधानाध्यापक हेमंत मेनारिया विज्ञान अध्यापक अस्वनी आमेटा ,सूरज गुज्जर , बाफ़ना बी एच फ़ाउंडर मेवाड पॉलिटेक्स लिमिटेड आर के चतुर ट्रस्टी कोठारी संस्थान प्रफ़ेसर महीप भटनागर राजीव बापना अनुष्का अकादमी करण सामोता स्थापना ट्रस्टी कोठारी संस्थान दीपक तलेसरा प्रिन्सिपल घनोली स्कूल एससींके वेद कोठारी संस्थान सरपंच कैलाश डांगी अगस्त्य इंटरनेशनल फाउंडेशन की ओर से एरिया हेड हिमांशु शर्मा , कमल सिंह बिष्ट आई.एम. टी, विकास स्वामी व शुभम बरग ,मुकेश कुमार आदि मौजूद थे ।

खास खबर : मैक्स खाई में गिरी, बारात से लौट रहे 14 बारातियों की मौत

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टनकपुर, उत्तराखण्ड़ के चंपावत टनकपुर हाई वे से सड़क दुर्घटना की खबर आई है, जहां एक सड़क हादसे में बारात से लौट रहे 14 बारातियों की मौत हो गई । वाहन में कुल 16 लोग सवार थे।
टनकपुर-चम्पावत हाईवे से जुडने वाली सूखीढांग-डांडामीनार रोड पर बारातियों से भरी मैक्स खाई में जा समाई। गंभीर रूप से घायल चालक तथा एक अन्य व्यक्ति को उपचार के लिए जिला अस्पताल लाया गया है। मृतक ककनई के डांडा और कठौती गांव के हैं।
दुर्घटना बुुड़म से लगभग तीन किलोमीटर आगे हुई।
मिली जानकारी के अनुसार मैक्स वाहन संख्या-यूके 04,टीए- 4712 में सवार सभी लोग टनकपुर के पंचमुखी धर्मशाला में हुई शादी में शामिल होकर घर लौट रहे थे। बताया जा रहा है कि बीती रात 3 बजकर 20 मिनट के आस-पास मैक्स अनियंत्रित होकर गहरी खाई में गिर गई। सभी लोग ककनई निवासी लक्ष्मण सिंह के पुत्र मनोज सिंह की शादी में शामिल होने गए थे। अधिकांश मृतक लक्ष्मण सिंह के सगे संबंधी बताए जा रहे हैं। सूचना के बाद पुलिस व रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंच गई।
सभी 14 शवों को खाई से बाहर निकाला गया है। दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल दो लोगों को उपचार के लिए जिला अस्पताल लाया गया है। यहां उनका प्राथमिक उपचार किया जा रहा है। इनमें से चालक की हालत ज्यादा गंभीर है।
मृतक ककनई के डांडा और कठौती गांव के हैं। दुर्घटना के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। माना यह जा रहा है कि मैक्स में क्षमता से अधिक सवारी होने से दुर्घटना हुई है
हादसे की सूचना मिलने पर दुर्घटनास्थल पर पहुंची चल्थी पुलिस की टीम ने एसडीआरएफ के साथ मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया है, जो अभी जारी है।

उत्तराखंड में कोरोना के 103 केस, 3 मौत  

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देहरादून। उत्तराखंड में भले ही कोरोना केसों में कमी आई है लेकिन कोरोना मौतों का सिलसिला लगातार जारी है। प्रदेश में सोमवार को कोरोना के 103 नए मरीज मिले और तीन संक्रमितों की मौत हो गई। इसके साथ ही राज्य में कोरोना के कुल मरीजों की संख्या चार लाख 35 हजार से अधिक हो गई है। जबकि मरने वालों का आंकड़ा 7674 पहुंच गया है।
स्वास्थ्य विभाग के बुलेटिन के अनुसार सोमवार को अल्मोड़ा में दो, बागेश्वर में दो, चमोली में एक, चम्पावत में एक, देहरादून में 32, हरिद्वार में 17, नैनीताल में 17, पौड़ी में 15, रुद्रप्रयाग में एक, टिहरी में एक, यूएस नगर में 13 और उत्तरकाशी जिले में एक मरीज में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। देहरादून जिले के तीन अलग अलग अस्पतालों में भर्ती तीन मरीजों की मौत हो गई।
राज्य के विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे व आईसोलेशन में रह रहे 626 मरीज इलाज के बाद डिस्चार्ज किए गए जिससे राज्य में एक्टिव मरीजों की संख्या महज 1069 रह गई है। सोमवार को राज्य के विभिन्न अस्पतालों की लैब से 7813 मरीजों की जांच रिपोर्ट आई जबकि 10 हजार से अधिक सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं।
राज्य में कोरोना संक्रमण की दर 1.3 प्रतिशत जबकि मरीजों के ठीक होने की दर 96 प्रतिशत के करीब पहुंच गई है। लोगों को कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। सोमवार को राज्य में 18 हजार के करीब लोगों को कोरोना रोधी टीके की डोज लगाई गई।

 

संदिग्ध हालात में नाबालिग ने लगाई फांसी

ऋषिकेश। कोतवाली क्षेत्र में एक नाबालिग ने संदिग्ध हालात में पंखे से फंदे पर लटककर आत्महत्या कर ली। सूचना पर पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए एम्स भेज दिया है। कोतवाली पुलिस के मुताबिक सोमवार दोपहर चंद्रेश्वरनगर निवासी सतेंद्र पुत्र सुखाड़ी राम ने पंखे से फंदे पर लटककर जान दे दी। सूचना मिलने पर पुलिस ने शव को नीचे उतारा और पंचनामा भरने के बाद पीएम के लिए एम्स भेज दिया है। त्रिवेणीघाट चौकी प्रभारी जगत सिंह ने बताया कि मृतक सतेंद्र यहां पर मजूदरी का काम करता था। वह अपने भाई के साथ ऋषिकेश में किराये पर रह रहा था। वह मूल रूप से चंपारण, बिहार का रहने वाला है। उसके पास से कोई सुसाइड नोट भी नहीं मिला। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का कारण पता चल पायेगा।

सर्दियों के मौसम के लिए उत्तराखंड के खूबसूरत ट्रैक

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उत्तराखंड के प्रसिद्ध चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री विश्व भर में प्रसिद्ध तो हैं ही इसके साथ यहां के विंटर ट्रैक साहसिक खेलों के शौकीनों के लिए पहली पसंद बन रहे हैं। जिस तरह उत्तराखंड की वादियों में सर्दियों में घूमने का अपना अलग ही मजा है, उसी तरह से यहां सर्दियों के मौसम में ट्रैकिंग करने का आनंद आपको किसी और रोमांचक गतिविधियों में नहीं मिल सकता। हिमालय की गोद में बसा हुआ उत्तराखंड सर्दियों में ट्रैकिंग के बहुत सारे विकल्प प्रदान करता है जो सफेद सफेद बर्फीले रास्ते और बर्फ की चादर ओढ़े हुए पहाड़ों के शानदार दृश्य से भरे होते हैं।

सर्दी के दौरान ट्रैकिंग करते हुए बीच में कई खूबसूरत वादियां, सौगान के पेड़ और खूबसूरत झरने और छोटे-छोटे गांव देखने को मिलते हैं। ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में आप प्राकृतिक सुंदरता के साथ ट्रैकिंग का मजा भी ले सकते हैं। राज्य के भीतर साहसिक पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने को लेकर पर्यटन विभाग ने एक अलग से साहसिक विंग भी बनाया है। इस लेख के जरिए हम आपको उत्तराखंड के विभिन्न विंटर ट्रैक से रूबरू कराएंगे।उत्तराखंड की वादियों में सर्दियों में घूमने के लिए हैं खूबसूरत ट्रैक -  हिन्दुस्थान समाचार

केदारकांठा ट्रैक

 समुद्र तल से लगभग 12500 फिट की ऊंचाई पर स्थित केदारकांठा, गोविन्द पशु विहार नेशनल पार्क के अंतर्गत गढ़वाल हिमालय उत्तरकाशी, उत्तराखंड क्षेत्र में स्थित है। जौनसार-बावर क्षेत्र के सांकरी गांव से केदारकांठा ट्रैक की शुरुआत होती है। केदारकांठा शिखर पर चारों तरफ बर्फ से लदी पहाड़ियों का नजारा और पहाड़ियों तक पहुंचने वाले खूबसूरत रास्ते पर्यटकों को दूर-दूर से केदारकांठा आने के लिए आकर्षित करते हैं। केदारकांठा शिखर से सूरज उदय और सूरज डूबने का नजारा बहुत अद्भुत है जिसे देखने के लिए पर्यटक, सुबह और शाम को यहां पहुंचते हैं।

कैसे पहुंचे- केदारकांठा की यात्रा उत्तराखंड के सांकरी गांव से शुरू होती है। लेकिन आपको यहां पहुंचे के लिए सबसे पहले देहरादून पहुंचना पड़ेगा। देहरादून से सांकरी गांव की दूरी 196 किलोमीटर की है जिसे करने में आपको 10 से 11 घंटे का समय लगेगा। यह यात्रा छह दिन में पूरी होती है।

चंद्रशिला ट्रैक

 चंद्रशिला ट्रैक पंच केदार का तुंगनाथ मंदिर स्थित है। ट्रैक की शुरूआत रुद्रप्रयाग जिले के चोपता से होती है। सर्दियों के मौसम के अलावा ट्रैकिंग के शौकीन किसी भी मौसम में यहां आ सकते हैं। यह ट्रैक पर्यटकों के लिए प साल भर खुला रहता है। इस ट्रैक के जरिए आप दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर तक पहुंच सकते हैं जो तुंगनाथ में 4000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

 कैसे पहुंचे

 चंद्रशिला ट्रैक उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में चोपता गांव के पास है। चोपता गांव से 3 से 4 किलोमीटर का ट्रैक करके तुंगनाथ मंदिर पहुंचा जाता है जो कि पंच केदार में से एक केदार है। तुंगनाथ मंदिर से ऊपर 1 से 1.5 किलोमीटर का ट्रैक और करके चंद्रशिला शिखर तक पहुंचा जा सकता है।

क्वारी पास ट्रैक

 क्वारी पास ट्रैक की यात्रा जोशीमठ से शुरू होती है जो ट्रेकर्स और तीर्थयात्रियों का मुख्य केंद्र है। यहां कुछ जगहों पर आप दुर्लभ हिमालयी भालू या तेंदुए के पैरों के निशान भी देख सकते हैं। कुआरी दर्रे की सबसे अच्छी बात यह है कि आप हरे भरे घास के मैदानों के बीच डेरा डाल सकते हैं, जिसमें हिमालय के नज़ारों वाले विशाल हरे भरे चरागाह मौजूद हैं।

क्वारी पास ट्रैक कैसे पहुंचे

 क्वारी पास ट्रैक की यात्रा तीर्थ नगरी हरिद्वार से जोशीमठ तक शुरू होती है जोशीमठ की दूरी हरिद्वार से लगभग 265 किमी है। जिसके बाद जोशीमठ से चित्रकांठा जाया जाता है जिसकी कुल ऊंचाई लगभग 3,310 मीटर अथवा 10,857 फ़ीट है। अगली यात्रा चित्रकांठा से शुरू होती है जो ताली टॉप तक होती है। इस दिन का ट्रैक आपके पूरे ट्रैक में सबसे खूबसूरत होता है। यह ट्रैक कुल 4 किमी का है तथा इस ट्रैक की कुल ऊंचाई 11,070 फ़ीट है। अगली ट्रैक ताली टॉप से शुरू होकर क्वारी पास तक जाता है।

ब्रह्मताल ट्रैक

 ब्रह्मताल माउंट त्रिशूल और नंदा घुंटी, राजसी रूपकुंड ट्रेक के विहंगम दृश्य और राजसी बर्फ से ढकी चोटी को अपने कैमरे से कैद करने के पर्याप्त अवसर प्रदान करता है। ब्रह्मताल ट्रैक में सुंदर घाटियों, शांत बस्तियों, नदियों, और शंकुधारी, और ओक के जंगलों के मनभावन दृश्य देखने को मिलते हैं। सर्दियों के मौसम में यह पूरा क्षेत्र ही बर्फ से ढका हुआ होता है और हिमालय का एक अनोखा दृश्य भी पेश करता है।

कैसे पहुंचे

 ब्रह्मताल थराली व देवाल दो ब्लॉकों से पहुंचा जा सकता है। थराली ब्लॉक के कूनी-पारथा गांव तक निजी वाहन या फिर ट्रेकर से पहुंच कर वहां से 16-17 किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर ब्रह्म ताल पहुंच सकते है। ब्रह्म ताल पहुंचने से पूर्व ट्रेक पहले भेंकल ताल पहुंचता है। यह भी ट्रैकिंग के लिए एक उपयुक्त स्थान है।

 

कैरी बैग का पैसा वसूलने वाले हो जाएं सावधान ! देना पड़ सकता है जुर्माना

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नई दिल्ली, देश में पॉलिथीन के उपयोग पर रोक लगने के बाद से ही उपभोक्ताओं से कैरी बैग के नाम पर अनावश्यक राशि की वसूली शुरू हो गई है। दुकानदार या फिर शॉपिंग मॉल में बिना ग्राहक को बताये उनके बिल में कैरी बैग के पैसे डालकर उनसे एक्स्ट्रा चार्ज किया जाता है। ऐसे में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने कैरी बैग की राशि बिना बताए बिल में जोड़ देने को अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस माना है। आयोग इसे लेकर अब सख्त रुख आपने रही है। आयोग का मानना है कि उपभोक्ताओं के खरीद से विक्रेता या उत्पादक लाभ कमाते हैं इसलिए उनका दायित्व बनता है कि उपभोक्ताओं को सुविधा का ख्याल रखें। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें कैरी बैग के बदले में चार्ज वसूलने पर जुर्माना लगाया गया है। उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने कैरी बैग का शुल्क लेने के लिए मुआवजे के तौर पर शिकायतकर्ता को मुआवजा भुगतान करने का आदेश दिया है। इस प्रैक्टिस को तुरंत प्रभाव से बंद करने को भी कहा जा रहा है।

कैरी बैग का चार्ज नहीं ले सकते दुकानदार

पिछले दिनों ही केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने प्लास्टिक के कचरे को कम करने और इस पर नियंत्रण करने के लिए प्लास्टिक निर्माता या उत्पादकों, प्लास्टिक पैकेजिंग का कचरा पैदा करने वाले ब्रांड्स की जवाबदेही को बढ़ाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। उत्पादकों की जिम्मेदारी को बढ़ाने वाले इन दिशा-निर्देश को सरकार ने तत्काल प्रभाव से लागू करने को कहा है। इसलिए आप अगर शॉपिंग करने जाते हैं तो कैरी बैग को लेकर पहले से ही सूचना ले लें। बिल भुगतान करते समय जांच जरूर लें कि कैरी बैग का तो चार्ज नहीं जोड़ा गया है। इसके साथ ही जीएसटी एवं अन्य टैक्स का भी जांच करें, क्योंकि एमआरपी के बाद किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं लगाया जा सकता है। बता दें कि नए कंज्यूमर प्रोटक्शन एक्ट-2019 के मुताबिक रिटेलर अपनी कंपनी के लोगो का उपयोग किए बिना प्लास्टिक कैरी बैग के लिए शुल्क ले सकता है। मतलब रिटेलर पैसे ले कर सादा कैरी बैग बेच तो सकता है, लेकिन अगर कैरी बैग में कंपनी का लोगो बेचा जाता है तो उसकी मुफ्त में आपूर्ति की जानी चाहिए।

खास खबर : अब घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली खपत और दिनों के अनुसार ही देना होगा विद्युत मूल्य

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देहरादून, सामाजिक कार्यकर्ता चैन सिंह रावत ने नवंबर 2021 में विद्युत बिल को लेकर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग में दस्तक दी, जिसका नतीजा यह हुआ कि घरेलू बिजली के बिल अब प्रतिदिन के आधार पर आएंगे। अब मासिक बिलिंग 25 से 35 दिन में और द्विमासिक बिलिंग 55 से 65 दिन में होगी। घरेलू बिलिंग के नए फार्मूले से कई उपभोक्ताओं के एनर्जी और फिक्स चार्जेस में आठ फीसदी तक की कमी आएगी। नए फार्मूले से घरेलू बिलिंग में एकरूपता आने के साथ ही उपभोक्ताओं को बिलिंग में अनियमितता से छुटकारा मिलेगा।

यूपीसीएल के मुख्य अभियंता (वाणिज्य) जीएस कुंवर ने फरवरी से प्रतिदिन के आधार पर बिलिंग करने के आदेश जारी कर दिए हैं। अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय से ही घरेलू बिलिंग का त्रुटिपूर्ण फार्मूला होने से कई बार कम यूनिट खपत करने वाले उपभोक्ताओं को अधिक यूनिट खपत करने वाले उपभोक्ताओं से अधिक मूल्य चुकाना पड़ रहा था। जबकि कई मौकों पर 44 दिन में 325 यूनिट खपत करने वाले उपभोक्ता को और 46 दिन में 351 यूनिट खपत करने वाले उपभोक्ताओं से 160 रुपये तक अधिक मूल्य चुकाना पड़ता था। वहीं 16 से 45 दिन में बिलिंग होने पर पूरे माह और 46 दिन में बिलिंग होने पर दो माह का पूरा फिक्स चार्ज देना पड़ता था, जिससे ऐसे उपभोक्ताओं को सालभर में 12 माह से अधिक का फिक्स चार्ज भी देना पड़ रहा था।

पिछले चार वर्षों से समाधान पोर्टल, सीएम पोर्टल और पीएमओ समेत कई मंचों पर समस्या उठा चुके सतपुली के सामाजिक कार्यकर्ता चैन सिंह रावत ने नवंबर 2021 में उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर विद्युत नियामक आयोग के आदेश के बाद यूपीसीएल ने नया फार्मूला लागू किया है।
इस मामले को चैन सिंह रावत के आग्रह पर केदारनाथ के विधायक मनोज रावत ने भी दिसंबर 2021 के शीतकालीन सत्र में उठाकर विधानसभा अध्यक्ष से फॉर्मूला बदलने की मांग की थी। नए फार्मूले से उपभोक्ताओं को फिक्स चार्ज और एनर्जी चार्ज से हो रहे नुकसान और अनियमितता से छुटकारा मिल जाएगा। अब घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली खपत और दिनों के अनुसार ही मूल्य देना होगा।
समाजसेवी और शिकायतकर्ता चैन सिंह रावत ने कहा कि घरेलू बिजली बिलिंग की त्रुटिपूर्ण प्रणाली के चलते उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है। यूपीसीएल ने इस मामले में की गई सभी शिकायतों पर लगातार गुमराह किया। लेकिन, अब उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के डंडे से घरेलू बिलिंग में हो रही अनियमितताओं से प्रदेश के 20 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को निजात मिलेगी। अब आगे की लड़ाई पूर्व में अधिक मूल्य दे चुके उपभोक्ताओं को उनका पैसा वापस दिलाने की होगी, मुख्य अभियंता (वाणिज्य) यूपीसीएल जीएस कुंवर ने बताया कि फरवरी से प्रतिदिन के आधार पर बिलिंग करने के आदेश जारी कर दिए हैं। नए आदेश में द्विमासिक बिलिंग 55 से 65 दिन और मासिक बिलिंग 25 से 35 दिन के भीतर किए जाने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे उपभोक्ता उच्च उपभोग वाले स्लैब में न जा सकें।

देश के कर्मचारियों के काम की खबर, नई पेंशन योजना लाने की तैयारी में सरकार

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नई दिल्ली, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) संगठित क्षेत्र के 15,000 रुपये से अधिक का मूल वेतन पाने वाले तथा कर्मचारी पेंशन योजना-1995 (ईपीएस-95) के तहत अनिवार्य रूप से नहीं आने वाले कर्मचारियों के लिए एक नई पेंशन योजना लाने पर विचार कर रहा है। वर्तमान में संगठित क्षेत्र के वे कर्मचारी जिनका मूल वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता) 15,000 रुपये तक है, अनिवार्य रूप से ईपीएस-95 के तहत आते हैं। एक सूत्र ने कहा, ‘‘ईपीएफओ के सदस्यों के बीच ऊंचे योगदान पर अधिक पेंशन की मांग की गई है। अगर इस तरह का फैसला लिया जाता है तो देश के करोडो़ं कर्मचारियों को फायदा हो सकता है। इस प्रकार उन लोगों के लिए एक नया पेंशन उत्पाद या योजना लाने के लिए सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है, जिनका मासिक मूल वेतन 15,000 रुपये से अधिक है।’’

स्नसूत्र के अनुसार, इस नए पेंशन उत्पाद पर प्रस्ताव 11 और 12 मार्च को गुवाहाटी में ईपीएफओ के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक में आ सकता है। बैठक के दौरान सीबीटी द्वारा नवंबर, 2021 में पेंशन संबंधी मुद्दों पर गठित एक उप-समिति भी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। सूत्र ने बताया कि ऐसे ईपीएफओ अंशधारक हैं जिन्हें 15,000 रुपये से अधिक का मासिक मूल वेतन मिल रहा है, लेकिन वे ईपीएस-95 के तहत 8.33 प्रतिशत की कम दर से ही योगदान कर पाते हैं। इस तरह उन्हें कम पेंशन मिलती है। ईपीएफओ ने 2014 में मासिक पेंशन योग्य मूल वेतन को 15,000 रुपये तक सीमित करने के लिए योजना में संशोधन किया था। 15,000 रुपये की सीमा केवल सेवा में शामिल होने के समय लागू होती है। संगठित क्षेत्र में वेतन संशोधन और मूल्यवृद्धि की वजह से इसे एक सितंबर, 2014 से 6,500 रुपये से ऊपर संशोधित किया गया था। बाद में मासिक मूल वेतन की सीमा को बढ़ाकर 25,000 रुपये करने की मांग हुई और उसपर विचार-विमर्श किया गया, लेकिन प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल पाई।

उद्योग के अनुमान के अनुसार, पेंशन योग्य वेतन बढ़ाने से संगठित क्षेत्र के 50 लाख और कर्मचारी ईपीएस-95 के दायरे में आ सकते हैं। पूर्व श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने दिसंबर, 2016 में लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा था, ‘‘कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 के तहत ‘कवरेज’ के लिए वेतन सीमा 15,000 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 25,000 रुपये मासिक करने का प्रस्ताव ईपीएफओ ने पेश किया था, लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ। सूत्र ने कहा कि उन लोगों के लिए एक नए पेंशन उत्पाद की आवश्यकता है जो या तो कम योगदान करने के लिए मजबूर हैं या जो इस योजना की सदस्यता नहीं ले सके हैं, क्योंकि सेवा में शामिल होने के समय उनका मासिक मूल वेतन 15,000 रुपये से अधिक था।