देहरादून, देश में आधार कार्ड से शुरू हुआ डिजिटल पहचान का सफर अब जल्द ही एक नए युग में प्रवेश करने वाला है। केंद्र सरकार अब प्रत्येक नागरिक को एक यूनिक डिजिटल एड्रेस आईडी देने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। यह पहल डिजिटल इंडिया मिशन के तहत भारत को एक पूर्णत: डिजिटल समाज में परिवर्तित करने की एक और महत्वपूर्ण कड़ी होगी। जिस तरह से आधार कार्ड ने हर भारतीय को एक विशिष्ट पहचान प्रदान की और यूपीआई ने डिजिटल लेनदेन को आमजन तक पहुंचाया, उसी तरह यह नई योजना लोगों के भौतिक पते को डिजिटल रूप में परिवर्तित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम हो सकती है। बता दे कि डिजिटल एड्रेस आईडी एक ऐसी यूनिक पहचान संख्या होगी जो किसी व्यक्ति या संस्थान के स्थायी पते से लिंक होगी। यह न केवल व्यक्ति की पहचान का हिस्सा बनेगा, बल्कि सरकारी सेवाओं, डिलीवरी, ई-केवाईसी, आपदा प्रबंधन, और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में भी उपयोगी होगा।
इस डिजिटल एड्रेस सिस्टम से पते की सटीकता बढ़ेगी। किसी भी स्थान की पहचान अब केवल लिखित पते तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि वह एक यूनिक डिजिटल कोड के रूप में मान्यता पाएगी। इससे सरकारी सेवाओं में तेजी आएगी जैसे राशन डिलीवरी, डाक सेवा, आपातकालीन सेवाएं। भ्रम और गलत पते की समस्याएं खत्म होंगी। डिजिटल मैपिंग, ई-कॉमर्स डिलीवरी और लोकेशन आधारित सेवाएं अधिक प्रभावी होंगी। सरकार इस नई प्रणाली को भारत के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर मैट्रिक्स के अंतर्गत विकसित करने की योजना बना रही है। यानी यह नया डिजिटल एड्रेस सिस्टम आधार, डिजिलॉकर, यूपीआई जैसे मौजूदा डिजिटल ढांचे से जुड़ेगा, जिससे यह तकनीकी रूप से मजबूत और स्केलेबल हो सके। एक अधिकारी के अनुसार सरकार चाहती है कि जैसे हर व्यक्ति की डिजिटल पहचान है, वैसे ही हर स्थान की भी एक सटीक डिजिटल पहचान हो, जिससे सेवाओं का अंतिम व्यक्ति तक कुशलतापूर्वक वितरण सुनिश्चित हो सके।
सरकार का मानना है कि आज भी देश में ऐसा कोई सिस्टम नहीं है जिससे किसी व्यक्ति के पते को सटीकता से डिजिटल रूप में देखा या साझा किया जा सके। अक्सर हम पते में कोई लैंडमार्क जोड़ देते हैं। लेकिन वो लैंडमार्क हर किसी को न पता हो तो लोकेशन ढूंढने में मुश्किल होती है। इसी कारण डिलिवरी लेट होती है। सरकारी डॉक्यूमेंट्स पहुंचने में समय लगता है और कूरियर या फूड सर्विस में दिक्कत आती है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस तरह के पते की उलझनों से देश को हर साल लगभग 10 से 14 बिलियन रुपए का नुकसान होता है। जो जीडीपी का करीब 0.5% है। इसी को सुधारने के लिए सरकार अब डिजिटल एड्रेस आईडी की योजना बना रही है।
पोस्ट विभाग बना रहा ड्राफ्ट :
डिजिटल एड्रेस सिस्टम को डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट्स तैयार कर रहा है। इस पर सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय की नजर है। इस सिस्टम का एक ड्राफ्ट वर्जन जल्द ही जनता के सामने लाया जाएगा ताकि लोग इस पर अपनी राय दे सकें। उम्मीद की जा रही है कि साल के अंत तक इसका फाइनल वर्जन तैयार हो जाएगा। संसद के शीतकालीन सत्र में इस पर कानून भी लाया जा सकता है। इसके बाद एक नई अथॉरिटी बनाई जाएगी। जो देशभर में डिजिटल पते की व्यवस्था को देखेगी और लागू करेगी।
हर व्यक्ति या जगह का एक यूनिक डिजिटल एड्रेस आईडी होगा। जिसे आप अपनी मर्जी से किसी डिजिटल प्लेटफॉर्म को दे सकेंगे। ये आईडी पूरी तरह से सुरक्षित होगी और बिना आपकी इजाजत के कोई भी इस पते को एक्सेस नहीं कर पाएगा। इसका फायदा ये होगा कि कोई भी ऑनलाइन ऑर्डर, दस्तावेज या सेवा बिल्कुल सही लोकेशन पर समय पर पहुंचेगी। सरकार इस बार डेटा शेयरिंग को लेकर भी सतर्क है। कई कंपनियां यूजर्स का एड्रेस बिना इजाजत के थर्ड पार्टी को दे देती हैं। जिससे यूजर्स की प्राइवेसी खतरे में पड़ती है। नए डिजिटल एड्रेस सिस्टम में इस तरह की मनमानी पर रोक लगेगी। आपका एड्रेस तभी शेयर होगा जब आप खुद इसकी इजाजत देंगे। ये पहल भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करेगी। जिस तरह आधार ने केवाईसी और पहचान के तरीके को बदला। साथ ही यूपीआई ने लेन-देन का तरीका आसान किया। अब यह डिजिटल एड्रेस आईडी सरकारी योजनाओं, डिलिवरी सिस्टम और हर डिजिटल सेवा के लिए एक नया रास्ता खोलेगी।