Wednesday, December 25, 2024
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आपदा के समय राहत एवं बचाव कार्यों में लीड लेकर फील्ड में उतरें डीएम व एसएसपी : मुख्यमंत्री

‘आपदा राहत व बचाव कार्यों में सभी विभाग समझे अपनी जिम्मेदारी। सभी अधिकारी सकारात्मक ऊर्जा के साथ निभायें अपना दायित्व’

आपसी समन्वय एवं सहयोग से आपदा की चुनौतियों का किया जाए सामना।

‘मुख्यमंत्री ने दिये शहरों के ड्रेनेज एवं फ्लड मैनेजमेंट के प्रभावी एवं दीर्घकालिक प्लान तैयार करने के निर्देश’

देहरादून, मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सांय सचिवालय में शासन के उच्चाधिकारियों के साथ आयुकतों एवं जिलाधिकारियों से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से जनपदों में आपदा की स्थिति तथा राहत एवं बचाव कार्यों की जनपदवार समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों से नदियों के जलस्तर, लैंडस्लाइड, बन्द सड़कों, जानमाल की क्षति मुआवजा वितरण आदि की गहनता से समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि राजमार्गों के साथ ग्रामीण सड़कों को खोलने की सुचारू व्यवस्था के साथ आवश्यक उपकरणों की प्रभावित स्थलों पर व्यवस्था की जाए। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों से जनपदों के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में स्थित चिकित्सालयों में डॉक्टरो, पैरामेडिकल स्टॉफ की रोटेशन के आधार पर व्यवस्था के साथ पर्याप्त मात्रा में दवाईयों की व्यवस्था तथा खाद्यान आपूर्ति बनाये रखने पर ध्यान देने को कहा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्षा काल के दौरान हमें हर साल आपदा का सामना करना पडता है। उन्होंने सभी विभागीय प्रमुखों से ऐसे कठिन समय में लोगों की सहायता के लिये उनके साथ खडे होने की अपेक्षा करते हुये जिलाधिकारियों एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को राहत एवं बचाव कार्यों में लीड लेकर फिल्ड में उतरने को कहा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा राहत एवं बचाव कार्यों में सभी विभाग टीम भावना एवं सकारात्मक ऊर्जा के साथ कार्य करें तथा इसे अपनी जिम्मेदारी समझे। यह समय पीडितों के साथ खडे होने का है। उन्होंने कहा कि आपसी समन्वय एवं सहयोग से ही हम आपदा की चुनौतियों का सामना बेहतर ढंग से कर पायेंगे। मुख्यमंत्री ने हरिद्वार सहित अन्य मैदानी जनपदों के ड्रेनेज एवं फ्लड मैनेजमेंट की प्रभावी दीर्घकालीन योजना बनाये जाने पर भी बल दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यद्यपि प्रदेश में अभी स्थिति नियन्त्रण में है किन्तु चुनौती बनी हुई है। इसके लिये हर समय एलर्ट व एक्टिव मोड में रहने की जरूरत है।

उन्होंने चारधाम एवं कांवड़यात्रा की व्यवस्थाओं को भी व्यवस्थित ढंग से संचालित करने के निर्देश देते हुए कहा कि सभी लोग यात्रा से सुरक्षित लौटें उन्हें किसी भी प्रकार की कठिनाई न हो। सड़क बंद होने की स्थिति में यात्रियों के आवास आदि की सन्तोषजनक व्यवस्था हो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आगामी तीन दिन कांवड़यात्रा के दृष्टि से भी चुनौतीपूर्ण रहेंगे। इसके लिये भी यातायात, पार्किंग, आवास एवं स्वास्थ्य सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में प्रतिवर्ष भौगोलिक दृष्टि से आपदा के स्वरूप में भी बदलाव हो रहा है। इस दृष्टि से भी कार्य योजना तैयार करने पर ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा राहत कार्यों के लिये धनराशि की कमी नहीं होने दी जायेगी। सभी जिलाधिकारियों को उनकी अपेक्षा के अनुरूप धनराशि उपलब्ध करायी गयी है। आगे भी जरूरत के दृष्टिगत धनराशि की व्यवस्था की जायेगी। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों से स्कूल भवनों की आवश्यक मरम्मत के भी निर्देश दिए हैं इसके लिए सभी जिलाधिकारियों को पृथक से धनराशि उपलब्ध करायी गई है। मुख्यमंत्री ने जल भराव वाले क्षेत्रों में जल निकासी की भी कारगर योजना बनाने के निर्देश जिलाधिकारियों को दिए।

सचिव आपदा प्रबंधन डा0 रंजीत सिन्हा द्वारा प्रदेश में आपदा से उत्पन्न स्थित तथा राहत व बचाव कार्यों की जानकारी दी गई।
बैठक में मुख्य सचिव डॉ एस.एस.संधु, अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, सचिव श्री अरविन्द सिंह ह्यांकी, सचिव मुख्यमंत्री श्री विनय शंकर पाण्डेय, अपर पुलिस महानिदेशक वी मुरूगेशन, आई जी एस.डी.आर.एफ सुश्री रिद्धिम अग्रवाल सहित विभिन्न विभागों के उच्चाधिकारी एवं वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से आयुक्त कुमाऊं एवं सभी जनपदों के जिलाधिकारी मौजूद थे।

 

प्रदेश लगातार बारिश का मंजर जारी, दरक रहे पहाड़, कई सड़कें अभी भी पड़ी बंद

देहरादून, उत्तराखंड़ में लगातार बारिश का क्रम बुधवार को भी जारी रहा, मौसम विभाग ने प्रदेश के आठ जिलों में बुधवार को भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया था। वहीं, अन्य पांच जिलों में बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया। मौसम विभाग ने चमोली, पौड़ी, पिथौरागढ़, बागेश्वर, अल्मोड़ा, चम्पावत, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर में बारिश का रेड अलर्ट और उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, टिहरी, देहरादून, हरिद्वार के लिए येलो अलर्ट जारी किया है।

पिछले तीन दिन से प्रदेश में भारी बारिश के चलते पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन और बरसाती गदेरों के ऊफान पर आने से सड़कें लगातार बंद हो रही हैं। बीते 24 घंटे में कुल 341 सड़कें बंद हुई हैं। इनमें से 193 सड़कें एक दिन पहले से बंद थीं, जबकि 148 सड़कें सोमवार को बंद हुईं। रविवार देर शाम तक 68 सड़कों को खोला जा सका था, जबकि 273 सड़कें अब भी बंद हैं। प्रदेश में टिहरी-घनसाली-तिलवाड़ा मोटर मार्ग, मयाली-गुप्तकाशी मोटर मार्ग, लबंगांव-कोटालगांव-घनसाली-तिलवाड़ा, बांसबाड़ा-मोहनखाल मोटर मार्ग, घट्टूगाड़-रिखणीखाल-बीरोंखाल मोटर मार्ग, सिलक्यारा-वनगांव-सरोट मोटर मार्ग, मीनस अटाल, सहिया-क्वानू, चकराता-लाखामंडल, दारागाड़-कथियान सहित कुल 26 राज्य मार्ग बंद हैं। चारधाम यात्रा सीजन होने के कारण जगह-जगह यात्री फंसे हुए बताए जा रहे हैं। कई लोग वैकल्पिक मार्गों के जरिये अपने गणत्वय तक पहुंचे। इधर, सरकार ने लोगों को भारी बारिश के दौरान पहाड़ों की यात्रा न करने की सलाह दी है। प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता दीपक यादव ने बताया कि प्रदेश में मंगवार देर शाम तक 273 सड़कें बंद थीं, जिन्हें खोलने के लिए मौके पर जेसीबी, पोकलेन, चेन डोजर आदि मशीनों को लगाया गया है। बंद सड़कों में 26 स्टेट हाईवे सहित 10 मुख्य जिला मार्ग, छह जिला मार्ग, 116 ग्रामीण सड़कें और 115 पीएमजीएसवाई की सड़कें शामिल हैं। उन्होंने बताया कि सोमवार को सड़कों को खोलने के काम में 244 जेसीबी मशीनों को लगाया गया है।

इस बार मानसून ने जुलाई के पहले हफ्ते से ही अपना खहर दिखाना शुरू कर दिया, वहीं राज्य में एक जुलाई से अब तक सामान्य से सात प्रतिशत अधिक बारिश हो चुकी है। जिसका सीधा असर पर्वतीय भूभाग की सड़कों पर पड़ा, लगातार होती बारिश के चलते पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन और दूसरे अन्य कारणों से अब तक 1500 से अधिक सड़कें बंद हो चुकी हैं, जबकि पिछले वर्ष जुलाई के अंत तक यह आंकड़ा मात्र 1400 पहुंचा था।
लोनिवि की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल अब तक कुल 1,508 सड़कें बंद हो चुकी हैं। इनमें 1,120 सड़कें लोनिवि, सात एनएच और 381 पीएमजीएसवाई की हैं। इनमें से अब तक 1,235 सड़कों को खोला जा चुका है, जबकि 273 अब भी बंद हैं। इन सड़कों को चालू हालत में लाने के लिए 1,776.24 लाख रुपये खर्च होंगे, जबकि पूर्व की हालत में लाने के लिए 3,560.66 लाख रुपये की जरूरत पड़ेगी। यह आकलन लोनिवि की ओर से अपनी रिपोर्ट में किया गया है। प्रदेश में भारी बारिश के कारण सात पुलों को भी नुकसान पहुंचा है।

अब तक क्षतिग्रस्त हुई सड़कों और पुलों को पूर्व की स्थिति में लाने के लिए सरकार को करोड़ों खर्च करने पड़ेंगे। सड़कों और पुलों को चालू हालत में लाने के लिए 1790.24 लाख रुपये खर्च होंगे, जबकि पूर्व की हालत में लाने के लिए 3898.15 लाख रुपये की जरूरत पड़ेगी। यह आकलन लोनिवि की ओर से अपनी रिपोर्ट में किया गया है।

लोक निर्माण विभाग के सचिव डा. पंकज गुप्ता का कहना है कि लगातार बारिश से सड़कों के बंद होने का सिलसिला बढ़ा है। हालांकि, जिस तेजी से सड़कें अवरुद्ध हुई हैं, उसी तेजी के साथ उन्हें खोलने की कार्रवाई भी की जा रही है। चिह्नित स्थानों पर मानव संसाधन के साथ ही जीपीएस से लैस मशीनों को भी लगाया गया है। शासन स्तर पर प्रत्येक सड़क की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है।
वहीं मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया, सभी जिलों में बिजली चमकने और तेज गर्जना के साथ कहीं हल्की तो कहीं भारी बारिश की संभावना अभी बनी रहेगी।

दूसरी तरफ प्रदेश की राजधानी दून में भी लगातार होती बारिश से हालत खराब हैं, कई सड़कें गड्डों तब्दील हो चुकी है, कालोनियों में पानी भरा पड़ा है, जनपद के नदी नाले ऊफान पर हैं ऐसे में भारी बारिश के बीच पुलिस कप्तान दलीप सिंह कुंवर ने सभी थाने, चौकी प्रभारियों को हाई अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए थाने और चौकियों में बचाव कार्य के लिए जरूरी सामानों को भी एकत्र करने को कहा है। साथ ही क्षेत्र में हर वक्त गश्त करने के निर्देश भी पुलिस कप्तान ने दिए हैं।

– राहत एवं बचाव कार्यों के लिए सभी अपने पास उपलब्ध संसाधनों को तैयार रखें।
– प्रशिक्षित कर्मचारियों को चिह्नित कर उन्हें अलर्ट मोड पर रहने को कहें।
– क्षेत्र में बहने वाले नदियों, नालों के आसपास रहने वाले परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करें।
– शहर, कस्बों में लगातार बारिश की वजह से जलभराव की स्थिति है। लिहाजा यातायात प्रबंधन के लिए डायवर्जन व्यवस्था लागू करें।
– भारी बारिश के बीच सभी कर्मचारी चौपहिया का इस्तेमाल करें।
– सभी बरसाती पहनकर ड्यूटी करेंगे और कंट्रोल रूम के संपर्क में रहें।
– किसी भी आकस्मिकता के मद्देनजर शेल्टर होम का चिह्नीकरण करें।

 

यूपी का गैंग चढा दून पुलिस के हत्थे, डकैती की बडी घटना को अंजाम देने आये थे

देहरादून, नेहरू कालोनी क्षेत्र में डकैती की घटना को अंजाम देने आये 11 अभियुक्तों को नेहरू कालोनी पुलिस व एसओजी देहरादून की संयुक्त टीम ने किया गिरफ्तार। अभियुक्तों के कब्जे से अवैध अस्लहे, चोरी के मोबाइल फोन व नगदी बरामद।

पुलिस उपमहानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून के द्वारा जनपद में निवासरत बाहरी/संदिग्ध व्यक्तियों के सत्यापन के लिये व्यापक स्तर पर अभियान चलाये जाने हेतु निर्देश दिये गये थे। जिसके अनुपालन में पुलिस अधीक्षक अपराध, पुलिस अधीक्षक नगर के निर्देशन तथा क्षेत्राधिकारी सदर के पर्यवेक्षण में थाना स्तर पर अलग-अलग टीमें गठित कर संदिग्ध व्यक्तियों की तलाश हेतु नियमित रूप से चौकिंग अभियान चलाया जा रहा है।

यूपी का गैंग 11 जुलाई को थाना नेहरू कालोनी तथा एसओजी देहरादून की संयुक्त टीम को मुखबिर के माध्यम से सूचना प्राप्त हुई कि मोथोरावाला सीवर प्लांट के पास 10 से 12 लोग इक्ट्ठा होकर किसी बडी आपराधिक घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे हैं। जिनके पास अवैध अस्लाह होने की भी सम्भावना है।

उक्त सूचना पर थानाध्यक्ष नेहरू कालोनी मय पुलिस बल के मौके पर पहुंचे तो सीवर प्लांट के पास स्थित खाली मैदान में एक निर्माणाधीन मकान मे पास पुलिस टीम को कुछ संदिग्ध व्यक्ति बैठे हुए दिखाई दिये, जिन्हें पुलिस टीम द्वारा घेर-घोट कर पकड लिया गया।

पकड़े गए व्यक्ति व बरामद माल :
पकडे गये व्यक्तियों से नाम पता पूछने पर उनके द्वारा अपना नाम संजय पुत्र गोली, सोनू पुत्र बरसाती, अविनाश कुमार पुत्र शिवनाथ, श्रवण कुमार पुत्र आशाराम, अमन कुमार पुत्र नीरज, लवकुश पुत्र अंगद, रणजीत पुत्र यज्ञ राम, त्रिलोकी पुत्र नारायण, धर्मेन्द्र पुत्र राजकुमार, रामपाल पुत्र राजेन्द्र तथा मनीष पुत्र जसराम सभी निवासी गोंडा उत्तर प्रदेश बताया गया।

अभियुक्तों की तलाशी लेने पर उनके पास से 02 छर्रे वाली पिस्टल 02 अदद खुखरी 28 मोबाइल फोन तथा 38810 रू0 नगद बरामद हुए। बरामद मोबाइल फोन व नगदी के सम्बन्ध में पूछताछ करने पर अभियुक्तों द्वारा उन्हें हरिद्वार में अलग-अलग टप्पेबाजी की घटनाओं में चोरी करना तथा आज दीपनगर क्षेत्र एक चिन्हित किये गये घर में डकैती डालने के प्रयोजन से उक्त स्थान पर एकत्रित होना बताया गया। सभी अभियुक्तों को मौके से गिरफ्तार किया गया, जिनके विरूद्ध थाना नेहरू कालोनी में धारा 399, 402 भादवि तथा आर्म्स एक्ट के तहत अभियोग पंजीकृत किये गये। अभियुक्तों को समय से न्यायालय के समक्ष पेश किया जायेगा।

पूछताछ का विवरण :

पूछताछ में अभियुक्तों द्वारा बताया गया कि वे सभी मूलरूप से गोंडा उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं तथा यूपी का गैंग बनाकर टप्पेबाजी व अन्य आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते हैं, वे सभी कुछ दिन पूर्व ही देहरादून आये थे तथा कैलाश हास्पिटल में काम करने वाली उनकी एक परिचित महिला द्वारा उन्हें दीपनगर में 02 अलग-अलग कमरे किराये पर दिलवाये गये थे। उनकी देहरादून में किसी बडी घटना को अंजाम देकर वापस गोंडा लौटने की योजना थी।

जिसके लिये उन्होंने नेहरू कालोनी क्षेत्र में रैकी कर एक घर को चिन्हित किया था तथा आज उसी घर में डकैती डालने के प्रयोजन से मोथोरावाला क्षेत्र में एकत्रित हुए थे। अभियुक्तों द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा वर्तमान में जारी कांवड यात्रा के दौरान हरिद्वार में अलग-अलग घाटों से टप्पेबाजी/चोरी की घटनाओं को अजांम दिया गया था, जिससे सम्बन्धित मोबाइल फोन व नगदी को अभियुक्तों के पास से बरामद किया गया है।
घटना का अनावरण करने वाली पुलिस टीम को पुलिस उपमहानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून द्वारा 10000/- रुपये के नगद पुरुस्कार से पुरुस्कृत करने की घोषणा की गई |

पुलिस टीम :
01. उ0नि0 लोकेन्द्र बहुगुणा, थानाध्यक्ष नेहरू कालोनी
02. उ0नि0 दीपक द्विवेदी, चौकी प्रभारी बाइपास
03. उ0नि0 बलवीर डोभाल, चौकी प्रभारी फव्वारा चौक
04. उ0नि0 पंकज तिवारी, चौकी प्रभारी जोगीवाला,
05. हे0का0 सोबन सिंह, कां0 आशीष राठी, कां0 श्रीकांत ध्यानी, कां0 बृजमोहन, कां0 जगमोहन पंवार, कां0 विवेक राठी, कां0 धर्मवीर, कां0 हेमवती नंदन, कां0 मुकेश कण्डारी, कां0 संदीप, कां0 सुधांशु

 

 

कीड़ा जड़ी ऑनलाइन बाजार में धड़ल्ले से हो रही बिक्री, सरकार भेज रही है जेल

-जिपंस मर्तोलिया ने भेजा मुख्यमंत्री को खत, कहा सरकार अब तो होश में आओ

-करोड़ों का व्यापार फिर भी सरकार हुई नाकाम

मुनस्यारी, उत्तराखंड़ सरकार कीड़ा जड़ी (यारसागंबू) का व्यापार करने वालों को सलाखों के पीछे जेल भेज रही है। वहीं दुनिया के ऑनलाइन बाजार में कीड़ा जड़ी और उसके उत्पाद धड़ल्ले से बिक रहे है। कीड़ा जड़ी को खुले बाजार में बिक्री का अधिकार नहीं दिए जाने से नाराज जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ईमेल के माध्यम से ज्ञापन भेजकर इसके लिए नीति बनाने की मांग की।

उत्तराखंड के हिमालय क्षेत्र में कीड़ा जड़ी एक मुख्य व्यवसाय बन गया है। उत्तराखंड सरकार ने वन पंचायतों को कीड़ा जड़ी खोजने के लिए संग्रहण करने के लिए अनुमति पत्र बनाने का अधिकार आज से 15 साल पहले वर्ष 2008 में दे दिया था।
उत्तराखंड सरकार आज तक कीड़ा जड़ी को खुले बाजार में बेचने की अनुमति के मामले में फिसड्डी साबित हुई है। सरकार ने वन विभाग, वन निगम, भेषज संघ को खरीद का अधिकार वर्ष 2012 में दिया था।इनके द्वारा एक दो साल कीड़ा जड़ी खरीदी गई। इन संस्थाओं के द्वारा कीड़ा जड़ी भरपूर मात्रा में भी नहीं खरीदा गया। केवल कुछ किलो खरीद कर खानापूर्ति कर दी गई।
सीमांत के लोगों को कीड़ा जड़ी का मूल्य समय से नहीं मिलने के कारण इन तीनों सरकारी संस्थानों ने कीड़ा जड़ी खरीदना बंद कर दिया है।
अब वन निगम विभाग द्वारा कीड़ा जड़ी खरीदने के लिए ठेकेदारों का पंजीकरण किया जाता है। सरकार के दोनों प्रयोग सफल नहीं हो पा रहे है। अगर आज आप दुनिया के ऑनलाइन व्यापार कंपनी के साइट को देखें तो अमेज़न, फ्लिपकार्ट सहित कई कंपनियां कीड़ा जड़ी तथा और उसके उत्पादों को आपके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था कर रहे है।
उत्तराखंड में करोड़ रुपए का व्यापार कीड़ा जड़ी से किया जाता है। सरकार को भी करोड़ों का राजस्व प्राप्त हो सकता था, लेकिन उत्तराखंड की सरकार इस मामले में अन्य मामलों की तरह इस मामले में भी गहरी निद्रा में है।
जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने आज प्रदेश के सीएम धामी को ज्ञापन भेजकर कीड़ा जड़ी को खुले बाजार में बेचने की अनुमति के लिए शीघ्र अध्यादेश जारी करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि कीड़ा जड़ी को खुले बाजार में बिक्री की अनुमति देकर सीमांत क्षेत्र में चीन तथा नेपाल सीमा में रहने वाले लोगों की आजीविका को बढ़ाया जा सकता था। उस पर भी सरकार 24 साल बाद भी सोई हुई है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को हिमाचल के प्रथम मुख्यमंत्री डॉक्टर यशवंत सिंह परमार जैसा व्यक्तित्व चाहिए था, जो आज तक नहीं मिला है।
उत्तराखंड आज भी शराब तथा खनन पर आधारित अर्थव्यवस्था पर चल रहा है, जिसकी उम्र बहुत लंबी नहीं है।
आगे की उत्तराखंड की दशा और दिशा में किसी भी प्रकार का सुधार होने की स्थिति नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि वे शीघ्र ही इस मांग को लेकर जनता को साथ में रखकर आंदोलन करेंगे, कि कीड़ा जड़ी के व्यापार को खुले बाजार में करने की वैधानिक अनुमति दी जाए।

सजा का प्रमाण दिखायेंगे तो जिला पंचायत की कुर्सी छोड़ दूंगा: मर्तोलिया

मुनस्यारी, जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने दावा किया कि अगर उत्तराखंड सरकार कीड़ा जड़ी के एक भी आरोपी को सजा होने का प्रमाण दिखा देगी तो जिला पंचायत सदस्य पद से त्यागपत्र दे देंगे। कहा कि विभिन्न न्यायालयों में चल रहे मामलों में वन विभाग तथा पुलिस कीड़ा जड़ी की प्रजाति को तक साबित नहीं कर पा रहे है, इसलिए सभी आरोपी बाइज्जत बरी हो रहे है। पकड़े जाने के बाद जो यातना उन्हें सहनी पड़ती र है, वह मानवाधिकार का खुला उल्लंघन है। एक से डेढ़ साल के भीतर जमानत तक नहीं मिल पा रही है। इस काला कानून को बदला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार को शर्म होती तो वह कीड़ा जड़ी को ओपन मार्केट के लिए अनुमति दे देती। उन्होंने कहा कि पुलिस तथा वन विभाग कीड़ा जड़ी के आरोपियों से माल कमाने में लगी हुई है।
सरकार के जनता से चुने हुए नुमाइंदे ब्यूरोक्रेसी के जाल में फंसे हुए है। इससे उत्तराखंड में कोई भी जनपक्षीय कार्य नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा केवल बड़ी-बड़ी बातें की जाती है, लेकिन धरातल में कुछ भी नहीं हो रहा है।
राज्य बनने के 23 वर्षों में उत्तराखंड की जनता ने केवल नए- नए नारे सुने है। हकीकत में इस राज्य के भीतर नीतिगत मामलों में कुछ भी नहीं हो रहा है।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण कीड़ा जड़ी का व्यापार है।

 

 

आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुनील जोशी को राज्यपाल ने हटाया, आदेश हुये जारी

देहरादून, आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डा० सुनील कुमार जोशी को आखिरकार पद से हटा दिया गया है। कुलपति डॉ. सुनील जोशी को हटाने पर राजभवन की मुहर लग गयी। बताया जा रहा है कि कुलपति 13 जुलाई को रिटायर होने वाले थे। इससे पहले ही हाईकोर्ट के आदेश के बाद उन्हें हटा दिया गया।
राजभवन आदेशानुसार- मा० उच्च न्यायालय, नैनीताल द्वारा रिट याचिका संख्या-567/2021 में दिनांक 05.072023 को पारित आदेश के क्रम में डा० सुनील कुमार जोशी को कुलपति उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय देहरादून के पद से तत्काल प्रभाव से वियुक्त (Divested) किया जाता है।

एतदद्वारा विश्वविद्यालय के शैक्षणिक एवं अन्य कार्यों के सुचारू संचालन के दृष्टिगत नये कुलपति की नियुक्ति होने तक के लिए अन्तरिम व्यवस्था हेतु उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय अधिनियम-2009. की धारा-11 (7) के अन्तर्गत राज्य सरकार की संस्तुति के क्रम में प्रो० अरुण कुमार त्रिपाठी, काय चिकित्सा, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, गुरुकुल परिसर, हरिद्वार को उनके पद के कार्य दायित्वों के साथ-साथ कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से छः माह अथवा नियमित कुलपति की नियुक्ति होने तक जो भी पहले हो की अवधि के लिए उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय देहरादून का कुलपति नियुक्त किया जाता है।

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