गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार के पूर्व प्रोफेसर व कुल सचिव तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने-माने पक्षी वैज्ञानिक डॉ. दिनेश भट्ट व उनकी टीम को चीन की राजधानी बीजिंग में 14 से 17 नवंबर के मध्य आयोजित अंतरराष्ट्रीय पक्षी वैज्ञानिकों के सम्मेलन में व्याख्यान हेतु आमंत्रण मिला है l
डॉ दिनेश भट्ट ने बताया कि सन 2018 में कनाडा में आयोजित एक सम्मेलन में चाइनीस एकेडमी ऑफ़ साइंसेज के प्रोफेसर ली फ्यूमीन और उन्होंने एशियाई औरनीथालॉजिकल एलायंस की स्थापना की थी जिसकी अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस नवंबर 2024 को बीजिंग में आयोजित की जा रही है l इस सम्मेलन में शिरकत करने के लिए उन्हें तथा टीम के सभी सदस्यों को आयोजकों द्वारा यात्रा अनुदान एवं अकोमोडेशन प्रदान की गई है l
सर्वविदित है कि डॉ दिनेश भट्ट ने भारतीय पक्षियों के कई पहलुओं जैसे कम्युनिकेशन यानी संवाद, प्रजनन एवं पलायन पर गहन शोध कार्य कर विश्व फलक पर भारतीय पक्षी विज्ञान की पहचान बनाई है l जिस कारण उन्हें उनकी टीम सहित आमंत्रित किया गया है l डॉक्टर भट्ट के साथ उक्त सम्मेलन में उनके पूर्व पीएचडी स्कॉलर डॉ.आशुतोष सिंह (सेकौन, भारत सरकार, कोयंबटूर) तथा उनके दो रिसर्च स्कॉलर , ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी देहरादून से डॉक्टर के के जोशी व आशीष आर्य तथा गुजरात फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से डॉक्टर पारुल l यह दुर्लभ सयोग है जब एक ही एकेडमी / लैब से जुड़े तीन पीढ़ी के वैज्ञानिक एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शिरकत करेंगे l उक्त सम्मेलन में डॉक्टर दिनेश भट्ट हिमालय वुडपैकर नामक पक्षी के प्रजनन व्यवहार के कुछ पहलुओं पर अपना व्याख्यान देंगे l उन्होंने बताया कि यह पक्षी प्रजाति उच्च हिमालय क्षेत्र जैसे केदारनाथ वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी के देवदार बाज व बुरासं इत्यादि वृक्षों के तनों पर ऊंचाई में छेद कर घोंसला बनाता है जिनका निरीक्षण वह परीक्षण अत्यंत कठिन कार्य है l किंतु टीम की सक्रिय सदस्य डॉक्टर पारुल ने घने जंगलों में सर्वे कर अत्यंत रोचक जानकारी उपलब्ध कराई l
सर्वे बताता है कि नर पक्षी बसंत ऋतु में जोड़ा बनाने से पूर्व एक लयबद्ध तरीके से पेड़ के तने पर चोंच मार कर छेद करता है l छेद करने के तरीके से उत्पन्न आवाज की रिदम यानी ताल से नर पक्षी मादा को रिझाने एवं अपने समर्थ होने का सिग्नल भेजता है जिससे प्रभावित होकर मादा पक्षी घोंसला का निरीक्षण करने जाती है l घोंसले का आकार -प्रकार पसंद आने पर मादा नर के साथ जोड़ा बनाती है l हिमालय क्षेत्र में मानवीय दखल व शिकारी पक्षी कम होने के कारण हिमालय वुडपेकर के घोसले सुरक्षित रहते हैं और परिणाम स्वरूप अच्छी प्रजनन सफलता मिलती हैl यह भारतीय हिमालय में किसी भी वुडपैकर पक्षी के प्रजनन पर पहला शोध कार्य है I प्रोफेसर दिनेश भट्ट ने बताया की पक्षी वैज्ञानिकों का अगला अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हरिद्वार या देहरादून में प्रस्तावित है I
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