Friday, November 22, 2024
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बुलडोजर अभियान का विरोध, नगर आयुक्त से मिला संयुक्त प्रतिनिधिमंडल, दिया ज्ञापन

देहरादून, उत्तराखंड़ की राजधानी देहरादून में बुलडोजर अभियान से प्रभावित लोगों की समस्याओं को लेकर और नियमविरुद्ध कार्रवाई के विरोध में शनिवार को विभिन्न दलों और सामाजिक संगठनों के संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने नगर निगम देहरादून के आयुक्त से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल ने प्रभावितों को समुचिति मुआवाजा देने, हाईकोर्ट में बस्ती के लोगों का पक्ष मजबूती से रखने, बुलडोजर अभियान को बंद करने, किसी भी गरीब का घर उजाड़ने से पहले पुनर्वास की व्यवस्था की मांग की। साथ ही एलिवेटेड रोड की योजना निरस्त करने की मांग की गई।

यह है प्रकरण :
गौरतलब है कि देहरादून में रिस्पना नदी किनारे रिवर फ्रंट योजना की तैयारी है। इसके तहत अवैध भवन चिह्नित किए गए हैं। ये भवन नगर निगम की जमीन के साथ ही मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की जमीन पर हैं। देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे वर्ष 2016 के बाद 27 मलिन बस्तियों में बने 504 मकानों को नगर निगम, एमडीडीए और मसूरी नगर पालिका ने नोटिस जारी किए थे। इसके बाद नगर निगम ने सोमवार 27 मई 2024 से मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की थी।
वहीं 504 नोटिस में से मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने 403, देहरादून नगर निगम ने 89 और मसूरी नगर पालिका ने 14 नोटिस भेजे थे। इस अभियान के खिलाफ विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ ही सामाजिक संगठनों की ओर से धरने और प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं। वहीं, प्रशासन का बुलडोजर अब तक करीब पांच दर्जन मकानों पर चल चुका है। एक बस्ती में बुलडोजर को घर के समीप आता देखकर एक महिला की दहशत में मौत हो गई थी। तब से बुलडोजर अभियान रोका हुआ है।
नगर आयुक्त से की गई ये मांग
शनिवार को मलिन बस्तियों के सवाल पर नगर आयुक्त से मिले प्रतिनिधिमंडल में सीपीएम, आरयूपी, सीटू, चेतना आन्दोलन, भीम आर्मी के प्रतिनिधि शामिल थे। उनका कहना था कि राजनैतिक एवं सामाजिक संगठन गत दो महीनों से रिस्पना नदी किनारे बसे मज़दूर बस्तियों के सन्दर्भ में संबंधित विभागों में माध्यमों से सम्पर्क करते रहे हैं। एनजीटी के आदेशों के तहत कई परिवार बेघर हो चुके हैं। मांग की गई कि 24 जुलाई को हाईकोर्ट में इस संबंध में याचिका पर सुनवाई के दौरान गरीब लोगों का मजबूती से पक्ष रखा जाए।
ज्ञापन में कहा गया कि बिना व्यक्तिगत सुनवाई का मौका देकर किसी को बेदखल करना संविधान और कानून के भावनाओं के विरुद्ध है। बावजूद कुछ घरों को तोड़ा गया है, जो कि राज्य सरकार‌ के 2018 का कानून के अंतर्गत आते थे। इसमें राज्य सरकार का कानून उन्हें अक्टूबर 2024 तक अन्य बस्तियों की भांति सुरक्षा देता है। बावजूद बिजली तथा पानी के बिल को आधार मानकर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई। जो संविधान‌ की भावनाओं के विपरीत है, चंद परिवारों को बेघर करके नदी और पर्यावरण को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है। आश्रय के सवाल पर सरकार नीतिगत फैसला ले चुकी है। इस पर 2016 के अधिनियम के अमल करने की प्रक्रिया चल रही है। साथ ही कहा गया कि बिल्डरों, होटलों और सरकारी विभागों की ओर से किए गए अतिक्रमण से पर्यावरण और उनकी ओर से हो रहा प्रदूषण नदी को ज़्यादा नुकसान पंहुचा रहा है। लोगों को बेघर करने से पहले इन पर कार्रवाई करने की जरूरत है |
ज्ञापन में कहा गया कि किसी भी परिवार को बेघर करने से खासतौर पर महिलाओं, बच्चों और बुज़ुर्गों पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बिना पुनर्वास किसी को बेघर करना उच्चतम न्यायालय के फैसलों का भी के भी विरुद्ध है। इसी अभियान के दौरान एक 25 साल की महिला की जान चली गयी और अनेक बच्चे बेघर हो गए हैं। जनता की सुरक्षा सरकार की सबसे ज्यादा ज़िम्मेदारी है। किसी भी आदेश पर पालन करते समय मानवीय पहलुओं का भी ध्यान रखना चाहिए। कहा गया कि 2018 में बस्तियों की सुरक्षा के लिये बने कानून के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के इस सन्दर्भ में दिये गये दिशा निर्देश का भी पालन होना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी की भी बेदखली कानून के अनुरूप हो। बेदखली से पहले मुआवजे एवं पुनर्वास की गारन्टी सुनिश्चित की जानी चाहिए। एनजीटी को इस सन्दर्भ में भी प्रतिवेदन भेजा है |

ज्ञापन देने वाले प्रतिनिधिमंडल में आरयूपी के अध्यक्ष नवनीत गुंसाई, सीआईटीयू के प्रदेश महामंत्री लेखराज, सीपीएम देहरादून के सचिव अनन्त आकाश, चेतना आन्दोलन के राजेन्द्र शाह, भीम आर्मी के अध्यक्ष आजम खान आदि शामिल थे।

 

टिहरी किताब कौथिग का भव्य शुभारंभ : साहित्य की पुस्तकों में पाठकों ने दिखाई रुचि, गीत-संगीत का भी लिया आनंद

 

नई टिहरी, नगरपालिका सभागार, बौराड़ी में दो दिवसीय किताब कौथिग शनिवार से शुरू हो गया। टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय, सामाजिक कार्यकर्ता विजय जरधारी, पद्मश्री बसंती बिष्ट, पद्मश्री माधुरी बड़थ्वाल और वरिष्ठ पत्रकार चारु तिवारी ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

कार्यक्रम के संयोजक हेम पन्त और दयाल पांडे ने बताया कि नौ सफल आयोजनों के बाद पहली बार गढ़वाल मंडल में हो रहा है, जिसमें लगभग 60 प्रकाशकों की 50 हजार किताबें अवलोकन और बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। मेले में विज्ञान, विश्व साहित्य, धर्म आध्यात्म, लोकप्रिय साहित्य सहित विभिन्न विधाओं की उपलब्ध किताबों में लोगों ने बहुत रुचि दिखाई। किताबों के अलावा विज्ञान कोना और उत्तराखंड के कलाकारों के हस्तशिल्प स्टॉल भी आकर्षण का केंद्र बने रहे।
नागरिक मंच, व्यापार संघ, मैती मिलन परिवार की समस्त टीम और सभी स्कूलों के विद्यार्थियों ने आम जनता के साथ बड़ी संख्या में प्रतिभाग किया। “खतरे में हिमालय” विषय पर विधायक किशोर उपाध्याय, डॉ. एस. पी. सती और सुरेश नौटियाल ने अपने विचार रखे।
द्वितीय सत्र में “टिहरी का अतीत और वर्तमान” विजय पर थाईकुर भवानी प्रताप पंवार, महिपाल नेगी और चारू तिवारी ने अपनी बात रखी। इसके बाद “हिंदी साहित्य में उत्तराखण्ड के रचनाकारों का योगदान” पर मनोहर चमोली ‘मनु’, डॉ. अंकिता बोरा और डॉ. सुशील कोटनाला ने भाग लिया। मुख्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने “सूचना का अधिकार” पर चर्चा की। पद्मश्री माधुरी बड़थ्वाल और पद्मश्री बसंती बिष्ट ने “उत्तराखण्ड के लोकसंगीत के मूलतत्त्व” पर प्रस्तुति दी।
सायंकालीन सत्र में प्रसिद्ध लोकगायक घुघुति जागर टीम, सुरगंगा और स्थानीय कलाकारों ने अपने गीतों पर नाचने के लिए मजबूर कर दिया।
किताब कौथिग में दिल्ली, लखनऊ,पंजाब, हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़,रुद्रपुर, श्रीनगर, पौड़ी, हरिद्वार, देहरादून,उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग,चमोली आदि नगरों के साहित्यिकार,लेखक,कवि, रचनाकार, रंगकर्मी, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ताओं की सहभागिता से यह आयोजन नयी टिहरी में नवीन कीर्तिमान स्थापित करने में सफल हो रहा है।
इस अवसर पर मुख्य शिक्षा अधिकारी एसपी सेमवाल, एएम पैन्यूली, सुरेश नौटियाल, प्रसिद्ध पर्वातारोही लवराज धर्म सक्तू, प्रकाश पाण्डेय, मदन मोहन चमोली, शांतनु शुक्ला, जयकृष्ण पैन्यूली, देवेंद्र उनियाल, प्रो. एसपी सती, कुमारी मोनिका, यशोदा नेगी, सुशील कोटनाला, दयाल पाण्डेय, महीपाल नेगी, गीता गैरोला, उमा भट्ट, प्रवीण भट्ट, दलवीर सिंह रावत, आनंद पैन्यूली आदि मौजूद थे।

 

ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति ने की राज्यपाल से मुलाकात

 

देहरादून, राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) से शनिवार को ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. संजय जसोला ने शिष्टाचार भेंट कर विश्वविद्यालय द्वारा उत्तराखंड के सभी निजी विश्वविद्यालयों को एक प्लेटफार्म पर लाने के लिए बनाए गए डैशबोर्ड के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया।
राज्यपाल द्वारा विश्वविद्यालय को पूर्व में निजी विश्वविद्यालयों को एक प्लेटफार्म पर लाने के उद्देश्य से एक डैशबोर्ड तैयार करने का अनुरोध किया गया था। कुलपति ने प्रस्तुतीकरण देते हुए बताया कि इस डैशबोर्ड में राज्य के सभी निजी विश्वविद्यालयों को शामिल किया जाएगा जिसमें विश्वविद्यालयों की उपलब्धियां, बेस्ट प्रैक्टिसेज, शैक्षणिक उत्कृष्टता, नवाचार एवं अनुसंधान, पेटेंट, एमओयू, प्लेसमेंट आदि की जानकारी उपलब्ध रहेगी। इसके माध्यम से एक विश्वविद्यालय दूसरे विश्वविद्यालयों द्वारा अपनाई जा रही अभिनव पहल, नवाचार एवं अनुसंधान सहित अन्य विषयों पर समन्वय कर सकेंगे।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि देश एवं प्रदेश के विकास में विश्वविद्यालयों की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के निजी विश्वविद्यालय शिक्षा के उन्नयन के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर रहे हैं और वे देश और दुनिया में अपनी पहचान बना रहे हैं। उन्होंने कहा की इस डैशबोर्ड को बनाए जाने का उद्देश्य सभी निजी विश्वविद्यालयों को एक प्लेटफार्म में लाकर एक-दूसरे से संवाद और समन्वय किया जाना है।
विश्वविद्यालयों के शोध एवं नवाचार का लाभ प्रदेश के साथ-साथ देश को मिले और वे एक-दूसरे से अनुभवों का लाभ लें। उन्होंने कहा कि देहरादून अपने आप में स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहा है उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रदेश की उपलब्धियां और प्रगति सराहनीय हैं। राज्यपाल ने इस डैशबोर्ड को तैयार करने वाले विश्वविद्यालय के छात्र अभिनव प्रजापति को भी शाबासी दी और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।

 

 

खनन से भरे वाहनों की आवाजाही से ग्रामीणों को निजात दिलाएगा मोर्चा : नेगी

विकासनगर(दे.दून), खनन से भरे वाहनों की आवाजाही के कारण ढकरानी कॉलोनी को जाने वाला संपर्क मार्ग जर्जर स्थिति में पहुंच गया है। इसे लेकर ग्रामीणों ने जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष और गढ़वाल मंडल विकास निगम के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के समक्ष गुहार लगाई थी, जिस पर मोर्चा अध्यक्ष ने उप जिलाधिकारी से वार्ता कर मौके पर जिला खान अधिकारी व तहसील प्रशासन को भेजने का अनुरोध किया था।
इसी क्रम में ढकरानी गांव में मोर्चा अध्यक्ष की मध्यस्थता में तहसीलदार, जिला खान अधिकारी व ग्रामीणों के बीच वार्ता हुई एवं मौके की स्थिति भी परखी। ग्रामीणों ने कहा कि उनकी समस्या को देखते हुए खनन से भरे वाहनों को आबादी के बीचों-बीच न चलने दिया अथवा वन-वे किया जाना चाहिए। खनन से भरे वाहनों के कारण उनका जीना मुहाल हो गया है। उन्होंने कहा कि स्थिति यह है कि कई लोग घर बेचकर जाने को मजबूर हैं। मोर्चा अध्यक्ष नेगी ने जिला खान अधिकारी व तहसील प्रशासन को बीच का रास्ता निकालने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं होने दी जाएगी। यदि खनन विभाग ने कोई रास्ता नहीं निकाला, तो जन संघर्ष मोर्चा ग्रामीण की समस्या को देखते हुए शासन व न्यायालय से इनके स्टोनक्रेशर निरस्त करवाएगा। उन्होंने कहा कि खनन भी जरूरी है, लेकिन ग्रामीणों को भी किसी प्रकार की कोई असुविधा नहीं होनी चाहिए।
इस मौके पर सायरा बानो, सुमन लता, निशा खातून, लता थापा, नजराना सफी, बीना शर्मा, अशोक अग्रवाल, नानक सिंह, खलील अहमद, अकरम, शीला देवी, कमला देवी, व मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा पिन्नी आदि मौजूद थे।

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