Tuesday, November 26, 2024
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कोरोना त्रासदी में अनाथ हुये बच्चों के लिये दून विश्व विद्यालय के प्रत्येक पाठ्यक्रम में एक सीट आरक्षित की जायेगी

देहरादून, राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने दून विश्वविद्यालय में डॉ0 आम्बेड़कर फाउंडेशन, सामाजिक कल्याण एवं आधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पोषित डॉ0 आम्बेड़कर चेयर की स्थापना की घोषणा की। इसके साथ ही राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने दून विश्वविद्यालय में मौलिक शोध एवं नवाचार को विकसित करने हेतु शोध एवं नवाचार केन्द्र की स्थापना करने, सत्र 2020-21 से दून विश्वविद्यालय में बी.एस.सी इन्टेग्रेटेड बॉयोलॉजिकल सांइसेस, गढ़वाली, कुमांउनी, जौनसारी भाषाओं में एक वर्षीय सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम, उत्तराखण्ड की लोककला पर आधारित दो वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (एम0ए0 थियेटर), एम0ए0/एम0एस0सी0 गृहविज्ञान, बी0ए0(ऑनर्स) मनोविज्ञान जैसे नये पाठ्यक्रमों के शुभारंभ की घोषणा की है। राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि कोरोना वायरस से फैली वैश्विक महामारी कोविड-19 की त्रासदी में जो बच्चे अनाथ हुए हैं उनके लिए दून विश्वविद्यालय में संचालित प्रत्येक पाठ्यक्रम में एक सीट इस सत्र में आरक्षित की जायेगी। यह सीट पूर्व से आवंटित सीटों के अतिरिक्त होगी।

राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने शुक्रवार को दून विश्वविद्यालय में डॉ0 अम्बेडकर चेयर स्थापना के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। राज्यपाल ने कहा कि दून विश्वविद्यालय इस चेयर के माध्यम से राज्य में महिला सशक्तीकरण, सामाजिक न्याय, सामाजिक बदलाव, मानवाधिकार एवं जातिगत भेदभाव जैसे विषयों पर अनुसंधान एवं शिक्षण के लिए विशेष रूप से सक्रिय रहेगा। इस चेयर के माध्यम से विश्वविद्यालय उत्तराखण्ड की महिलाओं, अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं अन्य वंचित वर्गों की सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक यथास्थिति का अध्ययन एवं उनके सशक्तीकरण हेतु संगोष्ठियां, कार्यशालाएं, शोध-अनुसंधान, शिक्षण-प्रशिक्षण को आगे बढ़ायेगा।
राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि भारतीय समाज के ताने-बाने की गहरी समझ रखने वाले बाबा साहेब ने संविधान में विभिन्न कानूनों का समावेश किया ताकि देश की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है। आज भी हम उस राष्ट्र के निर्माण में लगे हैं जिससे बाबा साहेब के सपनों का भारत बन सके। जहाँ लोग बिना छुआछूत, धर्म या जाति के भेदभाव के एक सम्मानित जीवन जी सकें। जहाँ सभी वर्गों के लोगों को समान मान्यता है और जहाँ सभी को समान अधिकार हैं। हमारे विश्वविद्यालयों का यह दायित्व है कि बाबा साहेब के सपनों को साकार करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँ।

राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि विश्वद्यालयों को लोक कलाओं, लोक संगीत एवं लोक संस्कृति के संरक्षण के लिये कार्य करना चाहिये। उत्तराखण्ड की वास्तुकला, संगीत, वाद्ययंत्रों एवं विभिन्न शिल्पों के विकास में यहां स्थानीय कलाकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इनके संरक्षण हेतु प्रभावी प्रयास किये जाने चाहिये।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि दून विश्वविद्यालय में डॉ0 आम्बेडकर चेयर की स्थापना से बाबा साहेब अम्बेडकर के विचार, दर्शन तथा सामाजिक न्याय के संदेश को सभी लोगों तक पहुंचाने का कार्य प्रभावी ढंग से हो सकेगा।
उच्च शिक्षा मंत्री डा0 धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा उच्च शिक्षा में सुधार एवं छात्र-छात्राओं के कल्याण के लिये विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं।
विधायक श्री विनोद चमोली ने कहा कि बाबा साहेब ने वंचित वर्गों का शोषण एवं रूढ़िवादिता को समाप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इस अवसर पर राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने डॉ0 आम्बेड़कर फाउंडेशन भारत सरकार के निदेशक डॉ0 देबेन्द्र प्रसाद मांझी द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘‘रिवीजिटिंग डा0 अम्बेडकर-थॉटस एण्ड फिलॉसफी’’ का विमोचन किया।
इस अवसर पर दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 सुरेखा डंगवाल, विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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