मसूरी(दीपक सक्सेना)। लोक सभा चुनाव के दौरान अधिकारियों की चुनाव में व्यवस्ता होने के कारण इन दिनों शहर में अवैघ निर्माणों की बाढ़ सी आ गई है। मसूरी के चारों ओर बड़ी संख्या में अवैध निर्माण होने से संबधित विभागों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। लोक सभा चुनाव में प्रशासन के अधिकारियों सहित एमडीडीए, वन विभाग, खनन विभाग, आदि के अधिकारियों के चुनाव में तैनाती होने के कारण अवैध निर्माणों की मसूरी में बाढ़ आ गई है। कैंपटी रोड पर मां संतुला मंदिर के समीप, सिविल अस्पताल रोड, बारह कैची रोड, बालाहिसार, पुराना टिहरी बस स्टैण्ड, नौ मंजिला ंमंदिर, भटटा गांव क्षेत्र, बड़ा मोड आदि में चुनाव का फायदा उठाते हुए बड़ी संख्या में अवैध निर्माण हो रहे हैं। कई निर्माण तो चुनाव में तैनाती से पहले चल रहे है। इस संबंध में जब एमडीडीए के अधिकारियों से पूछा जाता है तो उनका रटारटाया उत्तर होता है कि चालान कर दिया गया है। लेकिन चालान करने के बाद निर्माण कैसे हो रहे हैं इस पर विभाग के अधिकारियों की बोलती बंद हो जाती है। वहीं जो लोग अवैध निर्माण कर रहे हैं उनके लिए तो चालान कार्य करने की अनुमति होता है। जो एमडीडीए व वन विभाग सहित खनन विभाग के भ्रष्टचार को दिखाता है। अवैध निर्माण के पीछे सभी विभागों की मिलीभगत होती है। जब कोई भी किसी निर्माण के बारे में संबंधित विभागों से पूछता है तो एक ही उत्तर मिलता है कि लिखित शिकायत करें। जबकि एमडीडीए, वन विभाग व खनन विभाग के अधिकारी लगातार इन्हीं मार्गो से होकर गुजरते हैं लेकिन उन्हें ये ेनिर्माण नहीं दिखाई देते, अगर दिखाई भी देते है तो कार्रवाई नहीं की जाती जिससे साफ जाहिर होता है कि अवैध निर्माणों में विभाग की भूमिका संदिग्ध है। यही नहीं जिन लोगों के नक्शे आवास में पास किए गये हैं उनमें जो निर्माण किया जा रहा है वह व्यावसायिक निर्माण हो रहे हैं जो कि पास नक्शों के विपरीत होते है। इन पर भी विभाग कोई कार्रवाई करने से कतराता है। जो कि मिलीभगत की ओर इशारा करता है। इससे प्रदेश सरकार की कार्य प्रणाली पर भी सवाल खडे़ हो रहे है कि जब आम आदमी एक छोटा सा मकान नहीं बना पाता ऐसे में पहाड़ का सीना चीर कर बड़े निर्माण कैसे हो रहे हैं।
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