पिथौरागढ़, कोरोना की वैश्विक महामारी के बीच राज्य के लिये खुशी की खबर है, जनपद पिथौरागढ़ के युवा पर्वतारोही 26 वर्षीय मनीष कसनियाल ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया है। उनकी इस उपलब्धि पर पूरे राज्य में हर्ष की लहर है, मनीष ने अपनी महिला साथी सिक्किम की मनीता प्रधान के साथ विषम परिस्थिति में ये उपलब्धि हासिल की। कासनी निवासी मनीष ने मंगलवार सुबह पांच बजे समुद्र तल से 8848 मीटर की ऊंचाई पर स्थित विश्व की सबसे ऊंची चोटी को फतह कर लिया है। मनीष सोमवार रात दस बजे बेस कैंप चार से एवरेस्ट फतह के लिए साथी पर्वतारोही मनीता, टुक्टे और कमी शेरपाओं के साथ निकले। उनके एवरेस्ट फतह करने की सूचना के बाद उनके गृह क्षेत्र में खुशी की लहर है।
मंगलवार सुबह पांच बजे उन्होंने एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में अपना नाम लिख दिया। वह मंगलवार देर रात तक बेस कैंप टू और बुधवार को बेस कैंप में पहुंचे। इस अभियान के लिए मनीष 28 मार्च को दिल्ली से नेपाल को निकले थे। छह अप्रैल से उन्होंने अभियान के लिए कड़ा प्रशिक्षण लिया। इस अभियान दल को केंद्रीय युवा कल्याण मंत्री किरन रिजिजू ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। एवरेस्ट विजेता मनीष कसनियाल सोशल मीडिया पर भी अपने अभियान की जानकारी लगातार देते रहे।
14 अप्रैल से आठ मई तक अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट करते रहे। आठ मई की पोस्ट में वे एवरेस्ट के आधे रास्ते पर थे। उन्होंने विधायक चंद्रा पंत, हंस फाउंडेशन और परिजनों समेत साथी बासू पांडे, जया, पूनम खत्री, राकेश देवलाल, मनीष डिमरी आदि लोगों का आभार जताया, जिन्होंने उन्हें इस अभियान के लिए उन्हें प्रेरित कर मदद की। एवरेस्ट मेसिफ अभियान के लिए वर्ष 2019 में देशभर से 110 युवा पर्वतारोहियों का चयन किया गया। मनीष ने कड़ी मेहनत के बाद अंतिम 12 की टीम में एवरेस्ट फतह करने के लिए जगह बनाई। इस अभियान के तहत 12 सदस्य चार समूहों में 8848 मीटर ऊंचे एवरेस्ट, 8516 मीटर ऊंचे ल्होत्से, 7864 मीटर ऊंचे पुमौरी, 7161 मीटर ऊंचे नुपसे पर्वत को एक साथ फतह करने निकले थे, त्रिशूल, गंगोत्री तृतीय, बलजोरी, लामचीर, बीसी रॉय आदि एक दर्जन से अधिक पर्वत मालाएं वर्ष 2017, 18, 19 में फतह हुईं हैं। वर्ष 2018 में मनीष और ब्रिटिश पर्वतारोही जॉन जेम्स कुक ने 5782 मीटर ऊंची मुनस्यारी की चोटी नंदा लपाक को पश्चिमी छोर से फतह किया था। इस अभियान में उन्हें एक सप्ताह लगा था। वह गढ़वाल में त्रिशूल और लद्दाख में स्टोक कांगड़ी तक गए। इसके लिए मनीष को दो बार राज्यपाल पुरस्कार और राज्य स्वच्छता गौरव सम्मान भी मिल चुका है। मनीष की पहल पर ही आइस संस्था ने भुरमुनी में पहली बार वॉटर फॉल रैपलिंग की शुरुआत की थी। मनीष बिर्थी में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए हुई आइस संस्था की वॉटरफॉल रैपलिंग में भी शामिल रहे हैं।
मनीष के एवरेस्ट फतह करने की सूचना मिलते ही परिवार के लोगों में खुशी का माहौल है। पिता पूर्व प्रधान सुरेश चंद्र कसनियाल, मां ममता, दादा ईश्वरी दत्त कसनियाल, दादी बसंती देवी, बहन हिना, चाचा विद्या सागर, चाची हंसा देवी, भाई राहुल में खुशी की लहर है। पिता ने बताया उन्हें नेपाल से बेटे के एवरेस्ट पर सफल आरोहण की सूचना मिली। मनीष का बचपन से साहसिक खेलों से जुड़ाव रहा है। एवरेस्ट फतह करने पर गर्व महसूस हो रहा है।
मनीष ने पर्वतारोही आइस संस्था के बासू पांडेय और जया पांडेय से पर्वतारोहण की बारीकियां सीखीं हैं। बचपन से ही मनीष को साहसिक खेलों में रुचि थी। मनीष को साहसिक खेलों में लाने वाले उनके पर्वतारोही गुरु बासू देव पांडेय और जया पांडेय हैं। वर्ष 2008 में आइस संस्था से जुड़े। इसके बाद उन्होंने साहसिक खेलों में अपनी हुनर निखारा। प्रशिक्षक बासू देव ने बताया कि इस बार एवरेस्ट फतह करना चुनौतीपूर्ण रहा।
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