देहरादून, उत्तराखंड की धामी सरकार ने तबादलों के नियम बदलकल कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। राज्य में परिवहन, माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, सिंचाई, वित्त, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, कौशल विकास एवं सेवायोजन, पशुपालन विभागों में तबादलों में छूट दी गई है। एक नजर मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु की अध्यक्षता में गठित हुई समिति की बैठक में किन फैसलों पर लगी मुहर।
मुख्य सचिव डा. एसएस संधु की अध्यक्षता में गठिति समित की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गये। सबसे अहम फैसला वार्षिक स्थानांतरण की धारा 27 के क्रियान्वयन में आ रही कठिनाई के चलते यह निर्णय लिया गया। सचिव कार्मिक शैलेश बगोली ने इस संबध में आदेश भी जारी कर दिए हैं। शिक्षा विभाग ने दुर्गम क्षेत्रों में सेवा देने वाले शिक्षकों को अनिवार्य तबादलों से छूट देने के प्रस्ताव दिया था। ऐसे शिक्षकों को एक वर्ष के लिए छूट दे दी है। बशर्ते ऐसे शिक्षकों के खिलाफ प्रशासनिक आधार पर इस अवधि में कोई कारवाई न हो। समिति ने राज्य कर के सभी जिला मुख्यालयों को सुगम में रखने की मंजूरी दी है। इनमें स्थानांतरण के मानक भी तय कर दिए हैं। एक जिले में पांच वर्ष अथवा एक पद पर लगातार तीन वर्ष की सेवा पूरी करने वाले अफसर व कर्मचारी स्थानांतरण के पात्र माने जाएंगे। अलबत्ता, राज्य प्रतिनिधि मुख्यालय व हाईकोर्ट में तैनाती की अवधि की गणना से छूट दी जाएगी। सचल दल में तैनाती के 270 दिन बाद तबादलों के दायरे में आएंगे।
आरटीओ, एआरटीओ, परिवहन कर अधिकारी और आरआई (टैक्निकल) संवर्ग में पदों की संख्या कम होने पर इनका तबादला विभागीय नियमावली के आधार पर किया जाएगा। सुगम में तीन वर्ष अथवा पूरे सेवाकाल में आठ वर्ष जो अफसर तैनात रहे हैं, वहीं, तबादले की जद में आएंगे। इसी तरह इन संवर्गों में दुर्गम में दो वर्ष की सेवा पर तबादले का लाभ दिया जाएगा। वहीं मिनिस्टीरियल कर्मचारियों को राहत नहीं दी गई है, ये कर्मचारी स्थानांतरण एक्ट के ही दायरे में आएंगे।
पीएमएस संवर्ग के विशेषज्ञों चिकित्सकों के साथ ही प्रशासनिक पदों पर तैनात निदेशक, अपर निदेशक और संयुक्त निदेशकों को भी अनिवार्य तबादलों में एक वर्ष के लिए छूट मिली है। चिकित्सा शिक्षा विभाग में संकाय सदस्यों की तैनाती के संबंध में धारा 27 के तहत छूट का प्रावधान देने को अलग से प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
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