Monday, November 25, 2024
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अब पहाड़ चढ़ेंगे विशेषज्ञ चिकित्सक, पहाड़ों पर नौकरी में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने दिखाया उत्साह, यू कोट वी पे मॉडल को मिले रिस्पांस से स्वास्थ्य विभाग खुश

– यू कोट, वी पे के तहत तीसरे चरण में 40 डाक्टरों ने लिया साक्षात्कार में भाग
– चयनित विशेषज्ञ डाक्टरों की जल्द होगी तैनाती
-सीमांत जनपदों में मिलेगी उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सुविधा-डॉ आर. राजेश कुमार

देहरादून। प्रदेश में विशेषज्ञ और सुपर विशेषज्ञ डाक्टरों की नियुक्ति के लिए आज इंटरव्यू का तीसरा चरण आयोजित किया गया। इस साक्षात्कार में 40 विशेषज्ञ डाक्टरों ने भाग लिया। इन डाक्टरों को ‘यू कोट, वी पे‘ योजना के तहत संविदा पर तैनाती दी जाएगी। विशेषज्ञ डाक्टरों को 4लाख से 6 लाख रुपये महीने का वेतन दिया जाएगा। स्वास्थ्य सचिव डा. आर राजेश कुमार का कहना है कि इन डाक्टरांे की तैनाती जल्द होगी। साक्षात्कार टीम में एचएनबी मेडिकल विश्वविद्यालय के कुलपति डा. हेमचंद्र पंत, अपर सचिव स्वास्थ्य डा. अमनदीप कौर, स्वास्थ्य महानिदेशक डा. विनीता शाह, अपर सचिव मेडिकल एजूकेशन डा. आशुतोष सयाना शामिल थे।

स्वास्थ्य विभाग ने पर्वतीय जिलों में स्पेश्यलिस्ट और सुपर स्पेश्यलिस्ट डाक्टरों की कमी को दूर करने की कवायद कर रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में भी विशेषज्ञ डाक्टरों की तैनाती के लिए स्वास्थ्य विभाग के प्रयास रंग ला रहे हैं। देहरादून में आज हुए इंटरव्यू में पैथोलॉजिस्ट, गायनोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिक, सर्जन, पीडियाट्रिश, ऑर्थाेपेडिक डॉक्टर समेत कुल 40 डॉक्टरों ने हिस्सा लिया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत ‘यू कोट, वी पे’ के माध्यम से स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की संविदा पर तैनाती की जानी है। साक्षात्कार प्रोफेसर हेम चंद्र, कुलपति, एचएनबी उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय की अध्यक्षता में आयोजित किये गये।

सचिव स्वास्थ्य डा. आर राजेश कुमार ने बताया कि यह सारी भर्तियां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संविदा पर की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश के पहाड़ी जिलों में स्वास्थ्य विभाग की ओर से बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, दवाईयां, आधुनिक चिकित्सा उपकरण की सुविधाएं तो है, लेकिन प्रदेश के कुछ स्थानों पर स्पेशलिस्ट डाक्टरों के रिक्त पदों के कारण आमजन को पूर्णता सुविधाओं का लाभ नही मिल पा रहा था। शीघ्र ही इन रिक्त पदों पर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति हो जाएगी, जिससे आम जन को गुणवत्ता पूर्ण उच्च स्वास्थ्य सुविधा अपने नजदीकी चिकित्सालय में मिल सकेगी ताकि स्थानीय निवासियों को स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं का लाभ अपने ही क्षेत्र में मिल सके।

स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि तृतीय चरण में 40 स्पेशलिस्ट डॉक्टर जिसमें पैथोलॉजिस्ट, गायनोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिक, सर्जन, पीडियाट्रिशन, रेडियोलॉजिस्ट, ऑर्थाेपेडिक, आदि ने साझात्कार में प्रतिभाग किया गया है। आवश्यकतानुसार ‘यू कोट, वी पे’ मॉडल का चतुर्थ चरण भी किया जा सकता है। उन्होंने बताया चयनित डॉक्टरों की सूची तैयार कर जल्द नियुक्ति दी जाएगी जिससे की आमजन को स्वास्थ्य लाभ मिल सके।

गौरतलब है कि उत्तराखंड के पहाड़ी जनपदों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए धामी सरकार ने यू कोट वी पे फार्मूले के तहत प्लान बनाया है। इस योजना के तहत विशेषज्ञ डाक्टरों को 4 लाख और सुपर स्पेश्यलिस्ट डाक्टरों को 6 लाख रुपये तक प्रति माह वेतन देने की योजना है।

 

हिमवंत कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल की 104 वीं जयन्ती : हिमवंत कवि ने अपनी रचनाओं से हिंदी साहित्य जगत को समृद्ध करने में भरपूर कोशिश की

देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से हिमवंत कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल की 104 वीं जयन्ती पर एक परिचर्चा का आयोजन संस्थान के सभागार में किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. सविता मोहन, सुपरिचित शिक्षाविद व उत्तराखंड भाषा संस्थान पूर्व निदेशक ने की। परिचर्चा में अन्य वक्ता के तौर पर साहित्यकार डॉ. विद्या सिंह तथा शिक्षाविद् डॉ. नालंदा पाण्डेय मौजूद थीं। परिचर्चा का संचालन श्रीमती बीना बेजंवाल ने किया। कार्यक्रम में वक्ताओं द्वारा हिमवंत कवि चंद्र कुँवर बर्त्वाल के जीवन व्यक्तित्व और उनकी साहित्यिक कृतियों पर व्यापकता के साथ प्रकाश डाला।
वक्ताओं ने कहा कि अपने जीवन में मात्र 28 सालों का बसंत देखने वाले और अनेक विषम परिस्थितियों से गुजरते हुए इस हिमवंत कवि ने हिंदी साहित्य जगत को अपनी रचनाओं से समृद्ध करने में भरपूर कोशिश की है। इस अवसर पर चंद्र कुँवर बर्त्वाल की रचनाओं को समाज के सामने लाने के लिए श्री शम्भू प्रसाद बहुगुणा द्वारा दिये गये अथक योगदान को भी याद किया गया।
डॉ.सविता मोहन ने कहा कि यह चिंता की बात है कि हम चंद्रकुंवर जैसे कवि को भूलते जा रहे हैं। उन्होंने उनकी वेदना भरी कविताओं का जिक्र करते हुए उनकी कविता का उल्लेख किया ” जिन पर मेघों के नयन गिरे वे सबके जब हो गए हरे”। डॉ.नालन्दा पांडे ने उनकी समानता अंग्रेजी के कवि जॉन कीट्स से की। उन्होंने कहा कि चंद्रकुंवर की कविताओं में मृत्यु का सौंदर्य बोध जो उभरकर आया है वह अद्भुत है। डॉ.विद्या सिंह ने कहा कि प्रकृति उनके अंदर तक बसी थी। उन्होंने कविता अपने पहाड़ प्यारे भी सुनाई।
उनके अनन्य सखा श्री शंभू प्रसाद बहुगुणा ने उनकी विलुप्त हो रही रचनाओं को प्रकाशित करने में बड़ा योगदान दिया । इनके ही अथक प्रयासों से काव्य जगत में चंद्र कुंवर का हिमवंत कवि के नाम से सुपरिचित हुए। प्रयागराज में रहते हुए इन्हें टीबी के असाध्य रोग ने घेर लिया जिसके बाद वे अपने गाँव मालकोटी लौट आये। कुछ समय तक अगस्त्यमुनि स्कूल में अध्यापन कार्य करने के बाद पंवालिया में रहने लगे। यहां पर उन्होंने अनेक रचनाओं का लेखन कर जीवन का अंतिम समय बिताया। कहते हैं इसी दौरान उन्हें अपनी मृत्यु का भी आभास हो गया था, इसे कविता के रूप में उन्होंने व्यक्त भी किया था।

कार्यक्रम के शुरुआत में चंद्रशेखर तिवारी ने सभी आगुन्तको का स्वागत किया।अवसर पर सभागार में सुनील भट्ट, कुसुम रावत, मनोज पंजानी, समर भंडारी, ज्योतिष घिल्डियाल, विभूति भूषण भट्ट, विनीता चौधरी, सुंदर बिष्ट, रजनीश त्रिवेदी सहित कई लेखक, साहित्यकार, बुद्धिजीवी, संस्कृति व साहित्य प्रेमी, पुस्तकालय सदस्य और युवा पाठक उपस्थित रहे।

हिमवंत कवि चंद्र कुंवर :

रुद्रप्रयाग जिले के अर्न्तगत तल्ला नागपुर पट्टी के मालकोटी गाँव में आज से 103 साल पहले 20 अगस्त, 1919 को पिता भोपाल सिंह एवं माता श्रीमती जानकी देवी के घर में चंद्र कुंवर का जन्म हुआ। इनकी शुरुआती पढ़ाई प्राथमिक स्कूल उडामांडा और मिडिल शिक्षा नागनाथ पोखरी से हुई थी। इसके बाद पौडी देहरादून व प्रयागराज से इन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। चंद्र कुँवर ने विद्यार्थी जीवन में ही कविता लिखनी आरम्भ कर दी थी। इनकी प्रमुख प्रसिद्ध कृतियों में विराट ज्योति, नंदिनी, काफल पाक्कू, पयस्विनी, हिम ज्योत्सना, हिमवंत का एक कवि, हिरण्यगर्भ, साकेत, उदय के द्वारों पर प्रणयनी, गीत माधवी शामिल हैं।

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