Monday, November 25, 2024
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गढ़वाली कुमाऊनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग


‘उत्तराखण्ड़ लोक-भाषा साहित्य मंच दिल्ली का प्रतिनिधि मंड़ल ने की मुख्यमंत्री धामी से मुलाकात’

देहरादून, उत्तराखण्ड लोक-भाषा साहित्य मंच दिल्ली द्वारा गढ़वाली कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु लगातार प्रयास किया जा रहा है। दिल्ली से आये मंच का एक प्रतिनिधिमंडल ने उत्तराखण्ड़ के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर मांग पत्र सौंपा, इस दौरान प्रतिनिधि मंड़ल ने मंत्री सुबोध उनियाल , डोईवाला विधायक बृजभूषण गैरोला समेत कई विधायकों से भी मुलाकात कर उन्हें भी मांग पत्र सौंपा | जिसमें उत्तरराखण्ड़ सरकार से मांग की गई कि सरकार आगामी विधानसभा सत्र में गढ़वाली कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव सदन चर्चा के बाद पास करके केंद्र सरकार को भेजा जाए। जिसमें केन्द्र सरकार से मांग की जाए कि शीघ्र गढ़वाली कुमाऊनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच दिल्ली के संयोजक दिनेश ध्यानी ने बताया कि मुख्यमंत्री व भाषा मंत्री ने हमारी मांग पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम इस दिशा में अवश्य पहल करेंगे।
भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि गढ़वाली कुमाउनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु हमारी सरकार हर संभव पहल करेगी। ज्ञातव्य हो कि डाक्टर विनोद बछेती के संरक्षण में उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच दिल्ली लगातार भाषाई सरोकारों पर काम कर रहा है।
मुख्यमंत्री एवं भाषा मंत्री से मुलाकात करने वाले प्रातिनिधि मण्डल में उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच दिल्ली के संयोजक दिनेश ध्यानी, अनिल कुमार पंत, जयपाल सिंह रावत, दर्शन सिंह रावत, जगमोहन सिंह रावत जगमोरा, सुशील बुडाकोटी आदि शामिल थे।
प्रतिनिधि मण्डल ने देहरादून में अनेकों साहित्यकारों जिनमें रमा़कात बेंजवाल , मदन मोहन डुकलाण, लोकेश नवानी, दिनेश शास्त्री बीना बेंजवाल गणेश खुगशाल गणी, आशीष सुन्दरियाल, आदि से भी मुलाकात की और उनसे अनुरोध किया कि उत्तराखण्ड में सभी साहित्यकार व भाषा प्रेमी इस मांग को और अधिक मुखर होकर उठायें। सभी साहित्यकार गढ़वाली कुमाऊनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु सहमत हैं और आशा की जानी चाहिए कि आगामी समय में सरकार द्वारा गढ़वाली कुमाऊनी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु निर्णायक पहल की जाएगी।

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