नई दिल्ली. बढ़ती महंगाई के बीच आम आदमी के लिए राहत भरी खबर है. बीते सप्ताह विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के दाम टूटने की वजह से देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन तथा बिनौला, कच्चा पाम तेल, पामोलीन तेल सहित लगभग सभी खाद्य तेल तिलहन कीमतों में हानि दर्ज हुई. बाकी तेल-तिलहनों के भाव में बदलाव नहीं हुए. बाजार सूत्रों ने कहा कि आयातित खाद्य तेलों के सस्ता होने से बीते सप्ताह तेल तिलहन कीमतों में गिरावट आई.
सूत्रों के मुताबिक सीपीओ का भाव मौजूदा समय में कमजोर हुआ है. आयातकों का तेल बंदरगाहों पर पड़ा है और अचानक भाव टूटने के बाद उन्हें सस्ते में बेचने की मजबूरी है. इसके अलावा आगे जो सीपीओ, सूरजमुखी और पामोलीन तेल की खेप आएगी, उसकी कीमत मौजूदा भाव से भी 20-30 रुपये किलो कम होगी. माना जा रहा है कि वैश्विक तेल-तिलहन कीमतों में आई भारी गिरावट के मद्देनजर बीते सप्ताह सरकार ने तेल संघों और तेल उद्योग वालों की बैठक बुलाई थी. बैठक में तेल संघों और तेल उद्योग के प्रतिनिधियों ने अगले 10 दिनों में खाद्य तेल कीमतों में 8-10 रुपये लीटर तक कमी करने का आश्वासन दिया है. विदेशों के साथ-साथ देश में भी खाद्य तेल-तिलहनों के भाव भारी दबाव में हैं जो कीमतों में गिरावट का मुख्य कारण है.
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