नई दिल्ली, जासं। अक्टूबर से अपंजीकृत व्यापारी को बेचे गए माल और उस पर लगने वाले टैक्स को कारोबारी छिपा नहीं सकेंगे। वस्तु एवं सेवाकर (GST) इसकी शुरुआत अक्टूबर से 500 करोड़ रुपये से ऊपर के टर्नओवर वाले कारोबारियों से कर रहा है। इनको अपंजीकृत कारोबारियों को बेचे गए माल की इनवाइस पोर्टल से ही जनरेट करनी होगी। इससे इनकी बिक्री की रियल टाइम जानकारी जीएसटी के पास आ जाएगी।
GST ने बीते साल अक्टूबर में 500 करोड़ रुपये से ऊपर के टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए आदेश लागू किया था कि वे किसी पंजीकृत कारोबारी को कोई बिक्री करेंगे तो उसकी ई-इनवाइस GST पोर्टल से ही जारी करेंगे। ऐसा इसलिए किया गया था, जिससे बड़े कारोबारी जब कोई बिक्री करें तो उसकी जानकारी विभाग के पास तुरंत रहे। इसे बाद में 100 करोड़ और फिर 50 करोड़ रुपये की सीमा तक ले आया गया। अब जीएसटी ने अपंजीकृत कारोबारियों को बेचे गए माल पर भी यह निर्देश लागू कर दिए हैं, जिससे कोई कारोबारी अपंजीकृत व्यापारी को बेचे गए माल की इंट्री छिपा न सके। इसे एक जुलाई से लागू करना था, लेकिन अब एक अक्टूबर से लागू किया जाना है।
रियल टाइम बिक्री पर रहेगी नजर
अपंजीकृत कारोबारियों को माल बेचने के बाद रिटर्न में उसका उल्लेख करना अब नहीं चलेगा। कारोबारी अपने जिस साफ्टवेयर से ई-इनवाइस जारी कर रहे हैं। उसी से उन्हें इसकी भी इनवाइस बनानी होगी। इसके बाद जीएसटी के ई-इनवाइस पोर्टल पर क्रेता, विक्रेता का जीएसटीएन नंबर, कमोडिटी का एचएसएन कोड, कुल रकम और टैक्स की जानकारी अपलोड करेंगे तो इनवाइस रजिस्ट्रेशन नंबर व क्यूआर कोड जेनरेट हो जाएगा, जो हर ई-इनवाइस पर अलग-अलग जारी होगा। इनवाइस रजिस्ट्रेशन नंबर 64 डिजिट का होता है। हर इनवाइस में यह दोनों चीजें जरूर होनी चाहिए।
कैसे भी कर सकेंगे भुगतान
खरीदार इसमें कैश भी भुगतान कर सकते हैं। इसके अलावा क्यूआर कोड को स्कैन कर या किसी अन्य तरीके से भी भुगतान कर सकेंगे। भुगतान के तरीके पर कोई रोक नहीं है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रखर गुप्ता के मुताबिक अब तक अपंजीकृत कारोबारी को जो माल बेचा जा रहा था, उसकी 100 फीसद सही जानकारी GST के पास नहीं जा रही थी। अब GST के पास यह जानकारी तुरंत आ जाएगी। भविष्य में 500 करोड़ से नीचे टर्नओवर वाले कारोबारी भी इसके दायरे में लाए जा सकते हैं।
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