Sunday, December 29, 2024
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ब्लड प्रेशर और हाई ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखने की जरूरत है: डॉ सौरभ गुप्ता

देहरादून (बिपिन नौटियाल)। विश्व स्ट्रोक दिवस हर साल अक्टूबर माह में मनाया जाता है। जबकि ‘वैश्विक जागरूकता दिवस’ मनाए जाने की शुरुआत WSO ने की थी। यह लोगों के लिए जागरूकता बढ़ाने व दुनिया भर में स्ट्रोक पर कार्रवाई करने के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करता है। स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है जो तब होती है जब मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति थक्का या फटने से अवरुद्ध हो जाती है। यह क्षति की सीमा और स्थान के आधार पर शरीर पर हानिकारक और अक्षम करने वाला प्रभाव डाल सकता है क्योंकि मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्र विभिन्न कार्यों को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। फटी हुई रक्त वाहिकाएं ब्रेन हेमरेज जैसी गंभीर क्षति भी पहुंचा सकती हैं। स्ट्रोक के रोगियों का इलाज करते समय यह बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए स्ट्रोक के लिए तैयार अस्पतालों की जरूरत है। इसी के तहत
मैक्स अस्पताल ने देहरादून के न्यूरोलॉजी के सलाहकार (कंसल्टेंट) , डॉ नितिन गर्ग व न्यूरोलॉजी के कंसल्टेंट डॉ सौरभ गुप्ता के साथ स्ट्रोक के रोगी को तत्काल चिकित्सा देखभाल के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया। मैक्स हॉस्पिटल देहरादून के लोगो में गोल्डन ऑवर की महत्ता फैलना चाहता है ताकि स्ट्रोक के सिम्पटम्स पड़ते ही मरीज को तुरंत हॉस्पिटल ले जाया जाये। और उसको स्ट्रोक के परमानेंट नुक्सान से बचाया जा सके। स्ट्रोक एक चिकित्सीय स्थिति है जिसमें मस्तिष्क में खराब रक्त प्रवाह के परिणाम स्वरूप कोशिका खत्म हो जाती है। स्ट्रोक के दो मुख्य प्रकार हैं इस्केमिक जिसका कारण रक्त प्रवाह में कमी होती है और रक्तस्रावी जो रक्तस्राव के कारण होता है। एक स्ट्रोक मस्तिष्क के प्रभावित हिस्से को निष्क्रिय बना सकता है। स्ट्रोक के लक्षण पक्षाघात (पैरालिसिस/paralysis हाथ, चेहरे और पैर में सुन्नता या कमजोरी, विशेष रूप से शरीर के एक तरफ
– बोलने, समझने और देखने में परेशानी,मानसिक भ्रम की स्थिति चलने में परेशानी, संतुलन या समन्वय बनाने में अक्षम, चक्कर आना, किसी अज्ञात कारण से अचानक सिर में दर्द आदि। डॉ नितिन गर्ग ने कहा, “स्ट्रोक के बारे में महत्वपूर्ण बात यह है कि समय ही सबकुछ है। एक स्ट्रोक के बाद, प्रति सेकंड,32,000 मस्तिष्क कोशिकाएं मर जाती हैं। ऐसे में स्थायी विकलांगता को रोकने के लिए, चिकित्सा देखभाल और चिकित्सा जल्द से जल्द शुरू की जानी चाहिए।”
भारत में सही समय पर लक्षणों की पहचान करने में असमर्थता या समय पर चिकित्सा सुविधा तक पहुंचने में असमर्थता के कारण स्ट्रोक के बहुत कम रोगियों को समय पर उपचार प्राप्त होता है। स्ट्रोक को प्रभावी ढंग से पहचानने और संभालने के लिए एक सुसज्जित अस्पताल का होना भी एक चुनौती हैं।
डॉ सौरभ गुप्ता, ने कहा कि “स्ट्रोक” किसी के बीच भेदभाव नहीं करता है। यह किसी भी आयु वर्ग, किसी भी सामाजिक वर्ग और किसी भी लिंग के लोगों को प्रभावित करता है। भारत में इनमें से 12% आघात 40 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों में होते हैं। 50% आघात मधुमेह, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल के कारण होते हैं जबकि बाकी अन्य वजह से होते हैं।”शुरुआती एक घंटे ​​के भीतर उपचार प्रदान करने के लिए एक अस्पताल को यह सुनिश्चित करना होगा। इलाज करने वाले ट्रीटिंग स्टाफ को स्ट्रोक की समझ समय पर आपात स्थिति से निपटने की क्षमता
मैक्स में, आघात के 100% पात्र रोगियों ने पिछले 5 वर्षों में थ्रोम्बोलाइटिक थेरेपी प्राप्त की है। हमारे सख्त अनुपालन और ऑडिट के कारण, हम 60 मिनट के अनुशंसित विश्व दिशानिर्देशों को बनाए रखने में सक्षम हैं। मैक्स अस्पताल में, हम सभी प्रकार के स्ट्रोक के रोगियों को चिकित्सकीय और शल्य चिकित्सा दोनों तरह से संभालने के लिए कुशल है।

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