Saturday, November 16, 2024
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नैना कंसवाल को मिला रामधारी सिंह दिनकर साहित्य सेवा सम्मान

देहरादून, दून की प्रतिष्ठित साहित्यकार कवियत्री नैना कंसवाल को रामधारी सिंह दिनकर साहित्य सेवा सम्मान 2024 से सम्मानित किया गया, एक सादे समारोह में नमो फाउंडेशन सिंगरौली द्वारा राजकुमार जायसवाल “विचारक्रांति” के नेतृत्व में राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत व वीर रस के महान राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की जयंती पर आयोजित प्रतियोगिता में चयनित होने कवियत्रि कंसवाल को सम्मानित किया गया, रामधारी दिनकर की जयंती पर आयोजित इस प्रतियोगिता में देश – विदेश से सैकड़ों प्रविष्टियां प्राप्त हुई थीं, जिनमें से 175 श्रेष्ठ साहित्यकारों को रामधारी सिंह दिनकर साहित्य सेवा सम्मान 2024 के लिए चयनित किया गया है। नमो फाउंडेशन सिंगरौली द्वारा हिंदी साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले साहित्यकारों को एक ऑनलाइन प्रतियोगिता के माध्यम से सम्मानित किया गया है, जिसमें नैना कंसवाल को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के आधार पर सम्मान के लिए चयनित किया गया है। नैना कंसवाल कवयित्री के साथ साथ एक शिक्षिका भी हैं, हिंदी साहित्य के साथ साथ लेखिका अपनी बोली भाषा को बढ़ाने के लिए गढ़वाली भाषा में भी लेखन कार्य कर रही है , इनकी अधिकतर रचनाएं राष्ट्रप्रेम,मार्मिक,यथार्थ व अच्छे समाज के निर्माण के लिए समर्पित रहती हैं। नमो फाउंडेशन सिंगरौली इकाई द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में भारत के सभी राज्यों सहित विदेश के प्रतिभागी भी शामिल हुए थे। इस प्रतियोगिता में नवोदित साहियकारों के साथ कई दर्जन वरिष्ठ व अंतर्राष्ट्रीय पहचान वाले साहित्यकार जुड़े, जो नमो फाउंडेशन के लिए बहुत गर्व की बात है।

 

नवोदित-प्रवाह द्वारा साहित्यकार लक्ष्मी शंकर बाजपेई का अभिनंदनMay be an image of 4 people and text

देहरादून, नवोदित-प्रवाह द्वारा पाम सिटी में देश के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ लक्ष्मीशंकर बाजपेई के सम्मान में गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पूर्व कुलपति डॉ. सुधा पांडे, नवोदित-प्रवाह के संपादक रजनीश त्रिवेदी और कवयित्री डॉ. रेणु पंत ने डॉ. बाजपेई और सुप्रसिद्ध कवयित्री, श्रीमती ममता किरण का शॉल ओढ़ाकर और स्मृति चिह्न प्रदान कर अभिनंदन किया।
डॉ. लक्ष्मीशंकर बाजपेई ने देहरादून के साथ अपनी स्मृतियों का उल्लेख करते हुए अपनी गजल प्रस्तुत की, ‘वो आसमां से सुबह की लाली, उतर गयी है, वो शायरी है I हरेक जर्रे की जैसे रंगत निखर गयी है, वो शायरी है, तमाम लहरें ही दौडी आयीं, जो मैं समन्दर के तट पे पहुँचा,
लिपट के पांव से प्यार से, जो लहर गयी है, वो शायरी है I ममता किरण ने भी अपनी विचारोत्तेजक कविता का पाठ किया I डॉ. सुधा पांडे ने भी सभी के अनुरोध पर अपनी एक कविता सुनाई। डॉ. रेणु पंत ने बेटी के सशक्तिकरण पर अपनी कविता का पाठ किया और अतिथि कवियों के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला। सुनील त्रिवेदी भी इस अवसर पर उपस्थित थे I अंत में रश्मि आलोक ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

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