रुद्रप्रयाग, भ्रष्टाचार व विकास कार्यों में अनियमितता के कारण अक्सर चर्चाओं में रहने वाली नगर पालिका रुद्रप्रयाग इन दिनों फिर से चर्चा में आ गई, मामला नगर क्षेत्र के पुनाड़ गदेरे पर लाखों की लागत से निर्मित बिना स्वामित्व की दुकानों को लेकर चर्चाओं में है। भ्रष्टाचार के इस अजब गजब खेल का न तो अधिशासी अधिकारी नगरपालिका जबाब दे पा रही ना ही नगरपालिका के कर्मी। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या नगर पालिका व्यक्तिगत हाथों की कठपुतली बन कर सरकारी धन को ठिकाने लगा रहा है ?
मामला नगरपालिका रुद्रप्रयाग के नये बस अड्डे का है जहां बस अड्डे के शुरुआत में पुनाड़ गदेरे के ऊपर नियम कानूनों को ताक पर रख चार दुकानों का निर्माण किया गया है। नगरपालिका के स्वामित्व की समझी जा रही इन दुकानों का तब पता चला जब सूचना अधिकार अधिनियम के तहत नगर पालिका ने इन दुकानों पर अपना स्वामित्व न होने की जानकारी दी। अब प्रश्न ये खड़ा होता है कि लाखों की लागत से आखिर नगरपालिका व जिला प्रशासन की नाक के तले किसने ये दुकानें बनाई है। दूसरा विगत कई महीनों से निर्माणाधीन इन दुकानों की नगरपालिका व जिला प्रशासन को कैसे जानकारी नहीं थी, यदि जानकारी थी तो समय रहते क्यों आवश्यक कार्यवाही नहीं की गई। इससे स्पष्ट होता है कि दुकानों के निर्माण में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल खेला जा रहा है।
पूर्व में भी नगर क्षेत्र में दुकानों के आंवटन व अन्य अनियमितताओं की जानकारी दबाने के कारण तत्कालीन नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी को राज्य सूचना आयोग ने 25000 के अर्थदंड लगाया था, लगातार नगरपालिका में चल रही मनमानी व भ्रष्टाचार को लेकर आम जनता में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। स्वयं नगर पालिका के सभाषद नगरपालिका में हो रहे इन अवैध कार्यों व भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर है। सभासद सुरेन्द्र रावत , अंकुर खन्ना, संतोष रावत इसे गम्भीर मामला मानते है व नगरपालिका द्वारा इस निर्माण कार्य की कोई जानकारी न होने की बात कहते है।
उधर उत्तराखंड क्रान्ति दल व युवा कांग्रेस ने व्याप्त अनियमितताओं व भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन करने की बात कही है।
उधर मामले की गम्भीरता को देखते हुये रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर आवश्यक कार्यवाही करने व अवैध रूप से निर्मित दुकानों को एन.एच प्रभावितों को देने को कहा है।
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