रुद्रप्रयाग- उत्तराखंड क्रान्ति दल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के केदारनाथ दौरे को उत्तराखंड के लिये निराशा जनक बताया । उक्रांद का कहना है कि विकास के कोरे वादे करने वाले मोदी जी भी 21 साल बाद भी प्रदेश की स्थाई राजधानी का जिक्र करने से कतराते है।
उक्रांद के केन्द्रीय प्रवक्ता देवेन्द्र चमोली ने कहा कि प्रधानमंत्री का केदारनाथ में जनसभा करने से स्पष्ट होता है कि ये दौरा धार्मिक, आध्यात्मिक नहीं राजनीतिक था। धार्मिक भावनाओं को भुनाकर एक बार फिर हिन्दू धर्मावलंबियों के मशीहा सिद्ध करना का प्रयास था। विकास की बात करने वाले देश के प्रधानमंत्री प्रदेश स्थाई राजधानी पर चुप्पी साधना उत्तराखंड वासियों के गले नहीं उतर पा रहा। आखिर नौ मुख्यमंत्री बनाने वाली प्रदेश सरकार प्रदेश की राजधानी पृथक राज्य अवधारणा के अनुरुप गैरसैण बनाने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पाई।
उक्रांद प्रवक्ता ने कहा कि मोदी जी के भाषणों में वेरोजगारी, महंगाई, सहित सभी मुद्दे गौण थे, केदारनाथ सवारने की बात तो हुई पर आपदा से प्रभावित केदारघाटी की बदहाल स्थिति को नजरअंदाज किया गया, देवस्थानम बोर्ड पर आंदोलित तीर्थ पुरोहितों के लिये एक शब्द भी नहीं। पहाड़ के पानी व पहाड़ की जवानी की बात एक बार फिर केवल चुनावी जुमले जैसा था।
मोदी जी के भाषणों में उत्तराखंड की चिन्ता कम देश के अन्य राज्यो मे हो रहे चुनावों की चिन्ता के साथ केन्द्र व राज्य सरकार की विफलता को छुपाने का प्रयास अधिक रहा।
उक्रांद ने सरकार पर पर्वतीय छैत्र की अनदेखी का आरोप लगाते हुये कहा कि मुख्यमंत्रियों की अदला बदली कर जनता पर आर्थिक बोझ डालने वाली भाजपा सरकार के कार्य काल में पर्वतीय छैत्र की जमकर अवहेलना की गई पहाड़ से जीतकर गये विधायक अब चुनाव को नजदीक देख पहाड़ो की ओर रुख कर रहे है जबकि पिछले 4 साल तक वे छैत्रो से नदारद रहे।
आज तक राज्य की स्थाई राजधानी घोषित न करना भाजपा सरकार की पहाड़ विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। उक्रांद के केन्द्रीय प्रवक्ता देवेन्द्र चमोली ने बताया कि उत्तराखंड क्रान्ति दल गैरसैंण स्थाई राजधानी बनाने के लिये कृतसंकल्प है व 9 नवम्वर को विना राजधानी के राज्य उत्तराखंड का स्थापना दिवस राज्य आंदोलन की भावनाओं की राजधानी गैरसैण में मनायेगा। -देवेन्द्र चमोली, केन्द्रीय प्रवक्ता
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