✒️ के. विक्रम राव
ममता बनर्जी उधेड़बुन में हैं, पसोपेश में भी। उनकी पहली धारणा थी कि गत सोमवार (21 मार्च 2022) को जनपद वीरभूमि के बोगतुई ग्राम में दस मुसलमानों को जिन्दा जलाने में विपक्षी भाजपाइयों का हाथ है। मगर पुलिसवाले शायन अहमद ने अपनी रपट में दर्ज किया कि मारनेवाले और मरने वाले दोनों ही मुसलमान थे। अहमद को निलम्बित कर दिया गया। मगर पहले ही मुख्यमंत्री कह चुकीं थीं कि : ”पश्चिम बंगाल उत्तर प्रदेश की तरह नहीं है। हत्या और रेप के लिये।” यूं भी ”भईयों” को ममता दोषी करार देतीं रहीं। हाथरस, मथुरा, काशी, खीरी आदि। ममता अपने नाम की भांति करुणा, स्नेह, ममत्व की खान हैं।
मगर उनके आक्रोश का कारण था कि विधानसभा में नेता, भाजपायी प्रतिपक्ष, शुभेन्द्र अधिकारी दलबल सहित ढाई सौ किलोमीटर का सफर तय कर कोलकाता से वीरभूमि पहले ही पहुंच गये थे। उन्हें रपट मिली कि दस लोग राख हो गये थे। उसमें आठ महिलायें तथा दो बच्चे थे। मिल्लत में आपसी कलह ही वजह थी। उपग्राम प्रधान संजू शेख की हत्या हो गयी थी। उसके भाई बाबर का पहले ही कत्ल हो चुका था। बदले में संजू शेख भी मार दिया गया था। वे तृणमूल से जुड़े थे। अलग गुटों में बंटे थे। फायर ब्रिगेड सिपाही अजीजुल ने बताया कि कुछ लोगों ने जलते मकानों की आग बुझाने से उन्हें रोका था।
इसी बीच वीरभूमि जिला तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष अनुव्रत मंडल ने किस्सा गढ़ा कि टीवी सेट में विस्फोट हो गया, जिससे आग लग गयी। तब पुलिस ने पाया कि कई घरों की कुड़ियां बाहर से लगी थी। अन्दर कैद लोग धुएं में थे। सभी अधजली लाशें पायी गयी थीं, पेट्रोल में सराबोर थीं।
इसी दरम्यान लोकसभा में नेता, कांग्रेस प्रतिपक्ष तथा पश्चिम बंगाल कांग्रेस के जुझारु अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से तत्काल केन्द्रीय शासन लगाने की मांग कर ली। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व सांसद मोहम्मद सलीम ने भी राज्य मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने की अपील की है। मगर राज्य यातायात मंत्री फरहाद हकीम ने निष्पक्ष जांच का वादा किया है।
सबसे बड़ा झटका ममता बनर्जी को तब लगा जब कोलकाता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने घटना तत्काल स्वत: संज्ञान लिया और पूरी रपट मांगी। मगर खास प्रश्न यहीं है कि अपनी मानसिकता के लिये जानीमानी पुरोधा ममता बनर्जी राजनीति के मान्य व्यवहारिक नियमों को धता बताती होंगी? अर्थात बंगाल के मतदाताओं की नियति ही ऐसी है, तो उत्तरदायी कौन होगा?
हालांकि दुखद बात यही है कि ऐसी त्रासदपूर्ण सामूहिक हत्या का स्थल ऐतिहासिक वीरभूमि है। बागी बंगाल को मुगल साम्राज्य में शामिल करने हेतु बादशाह जलालुद्दीन अकबर ने अपने साले साहब वीर मान सिंह के साथ बड़ी फौज भेजी। अद्भुत सैन्य कौशल दिखाकर इस सिपाहसालार ने समस्त वीरभूमि पर मुगल का कब्जा कर दिया। विजित भूमि को तीन भाग में बांटकर सेनापति के नाम पर वीरभूमि, मानभूमि और सिंहभूमि में विभाजित किया गया। वीरभूमि की मृदा रक्तिम होने के कारण से उसे लालभूमि भी कहते है।
शान्ति निकेतन विश्वविद्यालय भी इसी क्षेत्र में है। पौषमेला, वसन्तोत्सव तथा केन्द्रली मेला यहीं आयोजित होता है।
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