Saturday, December 21, 2024
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मलाइका के पिता अनिल अरोड़ा ने सातवीं मंजिल से कूदकर की खुदकुशी, पुलिस ने घटना स्थल पर पहुंचकर छानबीन में जुटी

मुम्बई, बाॕलीवुड अभिनेत्री मलाइका अरोड़ा के पिता अनिल अरोड़ा ने बुधवार सुबह 9 बजे खुदकुशी कर ली। अनिल ने बांद्रा स्थित बिल्डिंग आयशा मैनॉर की सातवीं मंजिल से कूदकर खुदकुशी की। उन्होंने किन कारणों से ऐसा कदम उठाया उसका अभी पता नहीं चल पाया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कहा जा रहा है कि अनिल अरोड़ा पिछले कुछ समय से बीमार थे।

पुलिस को प्रारंभिक जांच में कोई सुसाइड नोट भी नहीं मिला है। शव को पोस्टमार्टम के लिए बाबा अस्पताल भेज दिया गया है। मलाइका को जब पिता के निधन की खबर मिली तब वो पुणे में थीं। जानकारी मिलते ही वो तुरंत मुंबई के लिए रवाना हो गईं। मलाइका के एक्स हस्बैंड अरबाज खान परिवार के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए हैं।
अनिल अरोड़ा इसी आयशा मैनॉर बिल्डिंग में रहते थे।
अनिल मर्चेंट नेवी में काम कर चुके थे बीते साल अनिल को बीमारी की वजह से मुंबई के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। मलाइका को मां जॉइस के साथ हॉस्पिटल में स्पॉट किया गया था। हालांकि, उनके ट्रीटमेंट की वजह सामने नहीं आ सकी थी। वर्ष 2022 में क्रिसमस पर मलाइका ने मां जॉइस, पिता अनिल अरोड़ा और बहन अमृता के साथ फोटो शेयर की थी।
2022 में क्रिसमस पर मलाइका ने मां जॉइस, पिता अनिल अरोड़ा और बहन अमृता के साथ फोटो शेयर की थी।
अनिल पंजाबी हिंदू परिवार से ताल्लुक रखते थे। वो मर्चेंट नेवी में रह चुके हैं। उनकी शादी जॉइस पॉलीकॉर्प से हुई थी। बाद में तलाक हो गया। अनिल-जॉइस शादी के बाद दो बेटियों के पेरेंट्स बने थे जिनके नाम मलाइका और अमृता अरोड़ा हैं। पुलिस जांच के बाद ही यह साफ हो पायेगा कि आखिर अनिल ने इस तरह का कदम किन कारणों से उठाया |

 

 

समर्पण सोसाइटी ने बलात्कार पीड़ितों के लिये फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स बनाने की उठाई मांग

 

देहरादून, समर्पण सोसाइटी फॉर हेल्थ रिसर्च एंड डेवलपमेंट ने बलात्कार पीड़ितों के लिए विशेष त्वरित अदालतों (फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स) की मांग की, इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की रिपोर्ट के आधार पर, गैरसरकारी संगठन समर्पण सोसाइटी फॉर हेल्थ रिसर्च एंड डेवलपमेंट ने बलात्कार और यौन शोषण के पीड़ितों को शीघ्र न्याय दिलाने के लिए 1000 नई विशेष त्वरित अदालतों के गठन की मांग की है। संस्था की रिपोर्ट का शीर्षक “फास्ट ट्रैकिंग जस्टिस : रोल ऑफ फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स इन रिड्यूसिंग केस बैकलॉग्स” है, जिसे नई दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में प्रस्तुत किया गया, बाल विवाह मुक्त भारत 200 से ज्यादा गैरसरकारी संगठनों का एक राष्ट्रव्यापी गठबंधन है जो देश के 400 से ज्यादा जिलों में बाल विवाह के खात्मे के लिए काम कर रहा है।
इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन और समर्पण सोसाइटी फॉर हेल्थ रिसर्च एंड डेवलपमेंट बाल विवाह मुक्त भारत के गठबंधन सहयोगी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जहां सामान्य अदालतों में बलात्कार और पॉक्सो मामलों के निपटारे की दर केवल 10% है, वहीं विशेष त्वरित अदालतों (फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स) में यह दर 83% रही, जो 2023 में बढ़कर 94% तक पहुंच गई। यदि 1000 नई अदालतें नहीं बनाई गईं, तो बलात्कार और यौन शोषण के लंबित 2,02,175 मामलों का निपटारा करने में तीन साल का समय लग सकता है। वहीं हर तीन मिनट में एक मामले का निपटारा किया जाना आवश्यक होगा। रिपोर्ट में निर्भया फंड की अप्रयुक्त राशि से नई अदालतों के गठन और मौजूदा अदालतों को सुचारु रूप से चलाने का सुझाव दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 1700 करोड़ रुपये की अप्रयुक्त निधि में से केवल 1302 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।
समर्पण सोसाइटी के अध्यक्ष विपिन पंवार ने राज्य सरकार से बलात्कार पीड़ितों को शीघ्र न्याय दिलाने के लिए नई विशेष अदालतों के गठन की अपील की। उन्होंने कहा कि न्याय में देरी पीड़ितों के लिए न्याय से वंचित होने जैसा है। रिपोर्ट ने स्पष्ट किया है कि विशेष त्वरित अदालतें ही लंबित मामलों के तेजी से निपटारे का समाधान हैं। यदि ये अदालतें स्थापित नहीं की गईं, तो बलात्कार और पॉक्सो के मामलों का निपटारा सालों तक लटका रह सकता है।

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