Tuesday, November 26, 2024
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महाकुंभ : शाही स्नान में कोरोना की दस्तक

✒️ PREM PANCHOLI

हरिद्वार में इन दिनों महापर्व कुम्भ चल रहा है। जहां कोरोना और कुंभ का संगम गंगा से हो रहा है। यह समय शायद कभी फिर आये? ऐसा हो नहीं सकता। इस बात को हरिद्वार कुम्भ पहुंच रहे श्रद्धालु आपस में बातचीत में कह रहे हैं।

यह कुम्भ स्नान होना 21वीं सदी की नई इबारत लिखेगा। 12 वर्ष बाद हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन होता है, मगर 21वीं सदी में महाकुंभ के साथ कोरोना ने जो दस्तक दी है वह इतिहास के पन्नों में दर्ज रहेगा।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार महापर्व कुंभ में अब तक के शाही स्नानों में लगभग 41 लाख लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई है। सरकारी सूत्र बताते हैं कि जिनमें 56 हजार लोग ऐसे थे जिन्हें बिना कोविड जांच के वापस अपने घरों को भेजा गया है। कुंभ मेला कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को को कोविड जांच करवानी अनिवार्य है। यदि कोबिट जांच नहीं हुई या कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट नहीं हैं तो ऐसे श्रद्धालु कुंभ क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकते।

ताज्जुब इस बात का है कि जहां हमारे प्रधानमंत्री दो गज की दूरी मास्क है जरूरी का नारा हर मंच से दे रहे हैं। वहीं कुंभ जैसे महापर्व में दो गज की जगह 20 से 30 लोग साथ खड़े दिखाई दिए, ये कोई आम लोग नहीं थे, यह तो यह साधु-सन्तो का झुण्ड था। ऐसी कई तस्वीरें गूगल पर आप सर्च कर सकते हैं। कुछ लोंगों का कहना है कि जितने लोगों ने कुम्भ में स्नान किया और सरकार ने उनके आंकड़े प्रस्तुत किये, इन आंकड़ों की भी सूची सरकार को जारी कर देनी चाहिए कि इन सभी ने कोरोना जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की है या नहीं।

बताया जा रहा है कि जितने आखड़ों ने शाही स्नान किया है उनमें से 10 फिसदी लोगों ने ही कोविड रिपोर्ट पेश की है। यह कहना कितना सही है, जो भविष्य हेतु जांच का विषय बना हुआ है, किन्तु राज्य में कोरोना के आंकड़े कुम्भ के पहले स्नान से ही बड़ी तेजी से बढे हैं। जो सभी के सामने हैं।

यहां पहुंच रहे आम श्रद्धालु एक तरफ गंगा में डुबकी लगाना चाहते हैं और दूसरी तरफ अन्य देवी-देवताओं के मंदिरों में प्रवेश कर पुण्य कमाना चाहते हैं, मगर मेला प्रशासन की सख्त कार्रवाई के कारण वे गंगा में डुबकी नहीं लगा पा रहे हैं। आम श्रद्धालुओं का आरोप है कि जितने भी साधु संत शाही स्नान के दिन विभिन्न जुलूसों में साथ हुए और हर की पैड़ी, ब्रह्मकुंड आदि जगह जाकर जुलूस में गंगा स्नान करने गये, उनमें कितने साधु-संतों ने कोरोना की पॉजिटिव और नेगेटिव रिपोर्ट मेला प्रशासन को प्रस्तुत की है। संशय की स्थिति लाजमी हैं कि कुंभ में श्रद्धालुओं के कारण उत्तराखंड राज्य कोरोना के दहशत में पड़ गया है।

बता दें कि उत्तराखंड राज्य में मार्च के अंत तक कोरोना पॉजिटिव की संख्या 01 फिसदी के आस-पास रह गई थी। मगर एक अप्रैल को महाकुंभ का आगाज हो गया। इस तरह 14 अप्रैल तक का शाही स्नान भी संपन्न हुआ। इसके बाद कोरोना पॉजिटिव लोगों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ। अब देखना यह होगा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री कोरोना महामारी को समाप्त करने की तैयारी करते हैं कि फिर से थाली-ताली बजाने की हिदायत देते हैं जो समय की गर्त में है।

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