विधानसभा सचिव भी जांच के दायरे में, 1 माह के अवकाश पर भेजे गए
देहरादून, भर्ती मामले में चारों तरफा घिरी भाजपा सरकार अब बेरोजगारों के हाशिये में आ गयी, प्रदेश में चारों सरकार की किरकिरी हो रही है, आनन फानन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पत्र के बाद विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने विधानसभा में पिछले समय में हुई भर्तियों की जांच के लिए जांच कमेटी का गठन कर दिया है। इसके साथ ही जांच के दायरे में आये विधानसभा सचिव को एक माह के अवकाश पर भेजे जायेंगे | जांच कमेटी में दलीप कोटिया अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह रावत सदस्य,अमरेंद्र नयाल सदस्य होंगे।
विधानसभा में आयोजित प्रेस वार्ता में आज विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने जानकारी देते हुए बताया कि एक माह में कमेटी अपनी जांच रिपोर्ट देगी जिसके आधार पर अगली कार्रवाई होगी, राज्य गठन से लेकर वर्ष 2011 तक और वर्ष 2012 से 2022 तक हुई सभी नियुक्तियों की जांच होगी ।
उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में 2011 तक हुई नियुक्तियों की जांच के लिए कहा गया है. जिस अवधि में यह जांच चलेगी उस एक माह में विधानसभा सचिव मुकेश सिंगल अवकाश पर रहेंगे। साथ ही उन्हें अवकाश में रहने के बावजूद जांच कमेटी को सहयोग भी करना होगा।
विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने बताया कि जांच पूरी तरीके से निष्पक्ष होगी।
अब देखना यह होगा कि सब जगह से तोहमत झेल रही भाजपा सरकार की यह जांच कमेटी निष्पक्ष जांच कर पायेगी, यह प्रश्न सत्ता के गलियारे में कौंध रहा है और इसका खामियाजा भाजपा को देर सबेर भुगतना ही पडेगा, अब सवाल यह है कि इस तरह की सभी भर्तियां क्या निरस्त हो पायेंगी, सोशल मीडिया पर भी कुछ भर्तियों को लेकर खूब आवाज उठ रही है जिसमें कुछ रसूखदार बड़े पत्रकारों द्वारा अपने परिजनों को नौकरी पर लगाने की चर्चा भी जोरों पर है | गठित जांच कमेटी क्या फैसला देती यह एक माह के भीतर सबके समक्ष होगा |
बोली विस अध्यक्ष ऋतु खंडूडी :
उत्तराखण्ड का युवा वर्ग आश्वस्त रहें, मैं किसी को भी निराश नहीं करूँगी, सबके साथ न्याय होगा
उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि उत्तराखण्ड विधान प्रदेश का सर्वोच्च सदन है, इसकी गरिमा को बनाये व बचाये रखना मेरा दायित्व ही नहीं मेरा कर्तव्य भी है। एक बात मैं स्पष्ट रूप से प्रदेशवासियों को और खासतौर पर उत्तराखण्ड के युवा वर्ग को कहना चाहूँगी, वह आश्वस्त रहें, मैं किसी को भी निराश नहीं करूँगी, सबके साथ न्याय होगा।
मेरे लिये सदन की गरिमा से ऊपर कुछ भी नहीं है इसको बनाए रखने के लिये कितने ही कठोर व कड़वे निर्णय लेने हों, मैं पीछे नहीं हटूंगी। विधान सभा परिसर लोकतन्त्र का मंदिर है। अध्यक्ष होने के नाते किसी भी प्रकार की अनियमितता एवं अनुशासनहीनता मुझे स्वीकार्य नहीं है। विधान सभा व प्रदेश के हित में मुझे जितने भी रिफॉर्म्स विधान सभा में करने पडें मैं उसके लिये तैयार हूँ ।
मेरे सार्वजनिक जीवन की शुरूआत माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर हुई। मुझे याद है उन्होंने कहा था “ना खाऊंगा ना खाने दूंगा” इसी ध्येय को मैंने भी अपने जीवन में उतारा है।
मीडिया व अन्य विभिन्न स्रोतों से विधान सभा सचिवालय में कार्मिकों/अधिकारियों की विधि एवं सेवा नियमों के विरूद्ध नियुक्तियों / पदोन्नति के सम्बन्ध में प्राप्त जानकारी के आधार पर जनहित में मैंने आज दो बड़े निर्णय लिये हैं।
1. विशेषज्ञ जांच समिति गठित की गयी है जिसमें (क) श्री दिलीप कुमार कोटिया (अध्यक्ष) (ख) श्री सुरेन्द्र सिंह रावत सदस्य एवं (ग) श्री अवनेन्द्र सिंह नयाल सदस्य हैं। सभी पूर्व कार्मिक सचिव हैं एवं प्रदेश के वह इस मामले के विशेषज्ञ हैं। इसके साथ-साथ यह भी निर्देश दिया है कि विशेषज्ञ समिति अधिकतम एक माह के भीतर अपना प्रतिवेदन, जांच रिपोर्ट / सुझाव उपलब्ध करायेगी।
2. दूसरा निर्णय यह किया है कि वर्तमान विधान सभा सचिव (श्री मुकेश कुमार सिंघल) तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश तक अवकाश पर रहेंगे। उक्त अवकाश की अवधि में विशेषज्ञ समिति, श्री मुकेश कुमार सिंघल सचिव को जांच में सहयोग हेतु उपस्थित होने के लिये जब-जब कहेगी तो उन्हें ऐसे निर्देशों का पालन करना होगा।
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